संध्या शर्मा का नमस्कार, प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ ब्लॉग लिंक...............।
क्या हूं मैं
रश्न लघु है उत्तर शायद जटिल ब्रह्माण्ड के विस्तार का ज्ञान नहीं जब एक मनुज की क्या हो सकती है सीमा ही विज्ञान के नित नए शोध से कहीं अधिक प्रकृति की है विपुल सम्पदा फिर कहो एक मानव की क्या हो सकती है...
कार्टून :- अय हय पैसा कैसा कैसा
काजल कुमार Kajal Kumar at Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
एक किताब में बंद है कहीं .......!!!
* * *मेरे ख्वाब मेरी ख्वाईशे * *एक किताब में बंद है कही.......* *यह जो दिख रही है खुशिया,* *मेरे आस-पास वो भी मेरी **है** नही ......* *मेरे...
कविता -अहंकारी की आत्म-प्रवंचना / अशोक लव
मैं ही मैं हूँ बस मैं ही मैं हूँ यहाँ भी और वहाँ भी इधर भी और उधर भी ऊपर भी और नीचे भी यह भी है मेरा और वह भी है मेरा जिधर देखता हूँ स्वयं को देखता हूँ जो कुछ सोचता हूँ स्वयं को सोचता हूँ। मेरे सिवा और क्या...
हद-ए-गुजर !
posted by पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !
चेहरे पे मुस्कान
ओ प्रीतम ! ले के आ जा, चेहरे पे मुस्कान। देहरी पे आस लगाये बैठी, आओ ना श्रीमान। चहरे पे मुस्कान।। तुमसे प्रीत लगी जब साजन, तेरे संग मैं आई। मजबूरी में दूर हुए तुम, लगती प्रीत पराई। देर करोगे, अब साजन तो लोग...
खामोश
शब्-ए-खामोश है चाँद-सितारों के बीच लब-ए-खामोश महफ़िल-ए-हज़ारों के बीच बदलते अंदाज़ उनके यहाँ पानी-ए-जू कि तरह आतिश-ए-खामोश कब तलक पत्थरों के बीच सीने में हर हम्द के उसका चेहरा बुने जाता मानी-ए-खामोश मिले श...
दुखद समाचार
बड़े दुःख के साथ सूचित किया जा रहा है कि हमारे ब्लॉगर दोस्त श्री राजीव तनेजाजी की माता जी का कल स्वर्गवास हो गया है। यह संदेश मेरे मोबाइल पर आया मगर मैं उसे देख नहीं पाई क्यूंकि मोबाइल के सारे सिस्टम जाम ह...
बीस रूपये के नोट के पीछे किस जगह की फोटो है ??
मिलते हैं अगली वार्ता में, नमस्कार
रश्न लघु है उत्तर शायद जटिल ब्रह्माण्ड के विस्तार का ज्ञान नहीं जब एक मनुज की क्या हो सकती है सीमा ही विज्ञान के नित नए शोध से कहीं अधिक प्रकृति की है विपुल सम्पदा फिर कहो एक मानव की क्या हो सकती है...
कार्टून :- अय हय पैसा कैसा कैसा
काजल कुमार Kajal Kumar at Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
एक किताब में बंद है कहीं .......!!!
* * *मेरे ख्वाब मेरी ख्वाईशे * *एक किताब में बंद है कही.......* *यह जो दिख रही है खुशिया,* *मेरे आस-पास वो भी मेरी **है** नही ......* *मेरे...
कविता -अहंकारी की आत्म-प्रवंचना / अशोक लव
मैं ही मैं हूँ बस मैं ही मैं हूँ यहाँ भी और वहाँ भी इधर भी और उधर भी ऊपर भी और नीचे भी यह भी है मेरा और वह भी है मेरा जिधर देखता हूँ स्वयं को देखता हूँ जो कुछ सोचता हूँ स्वयं को सोचता हूँ। मेरे सिवा और क्या...
हद-ए-गुजर !
posted by पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !
चेहरे पे मुस्कान
ओ प्रीतम ! ले के आ जा, चेहरे पे मुस्कान। देहरी पे आस लगाये बैठी, आओ ना श्रीमान। चहरे पे मुस्कान।। तुमसे प्रीत लगी जब साजन, तेरे संग मैं आई। मजबूरी में दूर हुए तुम, लगती प्रीत पराई। देर करोगे, अब साजन तो लोग...
खामोश
शब्-ए-खामोश है चाँद-सितारों के बीच लब-ए-खामोश महफ़िल-ए-हज़ारों के बीच बदलते अंदाज़ उनके यहाँ पानी-ए-जू कि तरह आतिश-ए-खामोश कब तलक पत्थरों के बीच सीने में हर हम्द के उसका चेहरा बुने जाता मानी-ए-खामोश मिले श...
दुखद समाचार
बड़े दुःख के साथ सूचित किया जा रहा है कि हमारे ब्लॉगर दोस्त श्री राजीव तनेजाजी की माता जी का कल स्वर्गवास हो गया है। यह संदेश मेरे मोबाइल पर आया मगर मैं उसे देख नहीं पाई क्यूंकि मोबाइल के सारे सिस्टम जाम ह...
बीस रूपये के नोट के पीछे किस जगह की फोटो है ??
आपने कभी 20 रूपये का नोट ध्यान से देखा है. नहीं ना, तो फिर इसका पिछला हिस्सा ध्यान से देखिए. इस पर समुद्र, लाइट-हॉउस और नारियल के पेड़ दिख रहे होंगें. *आपको पता है, 20 रूपये की नोट के पीछे अंकित यह फोटो अं...
** * * *तुम्हारे जाने के कुछ निशान* *रेत पर, और मेरे मन पर* *एक साथ उभर गये !* * इसे मिटाने की कोशिश में* *ना जाने कितने मोती आँसू के* *इस समंदर में बिखर गये !* * **आज * *आने की आहट पर * *इन हवाओं की छूअन से...
अतृप्त अतीत ने परिचय बताने से क्या इनकार किया कि भारग्रस्त भविष्य भी पाला बदल कर हो लिया अतीत के साथ ... पहले रंग के पहले का व सातवें रंग के बाद के रंग को मिल गया सुनहरा मौका चाँदी काटने का और चहक कर भर लिय...
जीवन का खेल ही निराला है... विरोधाभासों से लबालब भरा प्याला है... चलो कैसे चलते हो, देखूं तो तेरा धैर्य हर कदम नियति ने प्रश्नों को ही उछाला है... हम जीवन का जाना देख रहे हैं... हर क्षण विकटताओं का आना देख ...
गहन गंभीर जटिल विचार बहते जाते सरिता जल से होते प्रवाह मान इतने रुकने का नाम नहीं लेते | है गहराई कितनी उनमें नापना भी चाहते पर अधरों के छू किनारे पुनःलौट लौट आते | कभी होते तरंगित भी तटबध तक तोड़..
देखते ही देखते देखते ही देखते उम्र सारी ढल गयी जिंदगी की डोर यूँ हाथ से फिसल गयी कुछ कहाँ हो सका आह बस निकल गयी क्रांति की हर योजना बार-बार टल गयी हर किसी मोड़ पर कमी कोई खल गयी दर्द आग बन उठा श्वास हर पि...
एक पुरानी रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ, इस रचना के जन्म के पीछे एक कहानी है, खेती का काम चाचा जी देखते थे। उनके देहावसान पश्चात खेती का काम मुझे करवाना पड़ा। खर्च अधिक और फ़सल कम, हर साल घाटा ही घाटा। एक बरस आस-...
चलो न.. हाथ थामो मेरा कुछ रचते हैं .. दोनों को पता है मिलना नहीं बदा है इसलिए बिना एक दूसरे के आगे की ज़िंदगी के कटने का कुछ इंतजाम करें चलो,जन्म देते है..
साल 2011 का कुछ-कुछ अपने पास पड़ा रह गया है... वो तो अब वापस लेने आएगा नहीं... ये अब अपने साथ ही रह जाएँगे। हमारा कुछ अगर किसी के पास रह गया होगा तो ..
मेश लग्नवालों के लिए 10 और 11 जनवरी 2012 को किसी कार्यक्रम में माता पक्ष को लेकर सुखद अहसास बनेगा, वाहन या किसी प्रकार की संपत्ति का भी सुख प्राप्त होगा। ...
पं लोचन प्रसाद पाण्डेय की 125 वीं जयंती पर संगोष्ठी आयोजित - पं लोचन प्रसाद पाण्डेय की 125 वीं जयंती पर महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर के सभागार में संगोष्ठी का आयोजन 4 जनवरी 2012 को किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ वरिष...
अपना वादा ऐसे निभाते हैं सदा ख्वाबों में आते-जाते हैं, अपने आने का अहसास देकर, मीलों के फ़ासले मिटाते हैं. रजनीगंधा की खुश्बु बनकर, मेरी सा...
ये कौन सी वक्त ने साज़िश की देखो साजन तुम्हारी सजनी ना तुम्हारी रही कभी नख से शिख तक श्रृंगार मे तुम्हारा ही अक्स प्रतिबिम्बित होता था तुम्हारे लिये ही सजत...
मिलते हैं अगली वार्ता में, नमस्कार
5 टिप्पणियाँ:
अच्छी वार्ता और पर्याप्त लिंक के लिए आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बढिया लिंक, मेरे ब्लॉग का लिंक देने के लिए आभार
यह चर्चाएं चिट्ठाकारी को प्राणदायिनी ऑक्सीजन प्रदान कर रही हैं।
अच्छी वार्ता.
मेरे ब्लॉग का लिंक देने के लिए आभार
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।