बुधवार, 25 जनवरी 2012

आखिर कब बदलोगे ??????.... ब्लाग 4 वार्ता.......संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... एक तरफ देश में शीत लहर का कहर जारी है, वहीं दूसरी तरफ चुनावी मोर्चाबंदी शुरू हो गयी है. टिकिट की मारामारी है. लेकिन सही परीक्षा तो जनता की होनी है. किसे जिताए किसे नहीं.चुनावी वादे शुरू होंगे, जनता को बरगलाने की कोशिश की जाएगी. इस हालत में जनता को, मतदाताओं को सजग रहना होगा, कौन इसके काबिल है इसके अवलोकन के बाद ही मताधिकार का प्रयोग करना होगा.महंगाई ने देश की कमर तोड़ रखी है, समस्याएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं, ऐसे वक़्त चुनावों के माध्यम से हमें खुद का ही परीक्षण करना होगा. शहर से राज्य और राज्य से देश की स्थिति मज़बूत होती है. शुरुआत हमें अपने घर से करनी होगी. तभी सही मायनों में सुशासन की आशा की जा सकती है.आखिर लोकतंत्र है. आप भी ऐसा ही सोचते हैं ना... 
कुछ इन्ही विचारों से भरी और कुछ भिन्न - भिन्न विचारों और भावों से भरी चुनिन्दा लिंक्स के साथ प्रस्तुत है आज की वार्ता....       


मेरे मेज पर सजी तुम्हारी उस खुबसूरत तस्वीर ने कल मुझसे एक सवाल किया " बहुत दिन हो गए तुमने मुझसे कुछ कहा नहीं " मैं स्तब्ध ... सोचता रहा उस सवाल को ......! मुझे निरुतर देख फिर उसने कहा " बहुत दिन ...

लोथल (લોથલ) : हड़प्पा कालीन नगर -- भाग 1 --- ललित शर्मा
लोथल के प्रवेश द्वार पर विनोद गुप्ता जी और लेखक प्राथमिक पाठशाला में पढते थे तो एक पाठ *सिंधुघाटी की सभ्यता* पर था। पाठ के आलेख में *मोहन जोदड़ो* एवं *हड़प्पा*, से प्राप्त खिलौने में चक्के वाली चिड़िया, मुहर...

अपेक्षा
हूँ स्वतंत्र ,मेरा मन स्वतंत्र नहीं स्वीकार कोइ बंधन जहां चाहता वहीं पहुंचता उन्मुक्त भाव से जीता नियंत्रण ना कोइ उस पर निर्वाध गति से सोचता जब मन स्वतंत्र ना ही नियंत्रण सोच पर फिर अभिव्यक्ति पर ..

सम्वेदना ये कैसी?---(श्यामल सुमन)
सब जानते प्रभु तो है प्रार्थना ये कैसी? किस्मत की बात सच तो नित साधना ये कैसी? जितनी भी प्रार्थनाएं इक माँग-पत्र जैसा यदि फर्ज को निभाते फिर वन्दना ये कैसी? हम हैं तभी तो तुम हो रौनक तुम्हारे दर पे चढ़ते ह...

आखिर कब बदलोगे तुम ?????? 
बार बार हर बार , मैंने बात तुम्हारी मान ली तुमने सूरज को चाँद कहा मै उसमे भी तुम्हारे साथ चली तुमने जब भी चाहा तुम्हारी बाँहों में पिघल पिघल सी गयी , तुम्ही को पाकर जिवंत हुई तुम्ही को पाकर मर - म...

चांदनी कहां नहीं होगी...
मैं प्राग में नहीं हूं. न आइसलैंड की यात्रा पर. न ही मेरे साथ थोर्गियर जैसा कोई मित्र है, जो सामान्य यात्राओं को अपनी उपस्थिति से उम्मीद से ज्यादा खूबसूरत बना दे. लेकिन मैं हूं वहीं कहीं. निर्मल वर्मा के...

जानती हूँ...
बन कर मेरी छाया तुमने अनुराग से दुलराना चाहा पर उलझा सा बाबरा मन तुम्हें कहाँ समझ पाया... भूल मेरी ही है जो अपना इक जाल बनाया है तुम्हीं से खिले फूल को तुमसे ही छुपाया है..... चाहती तो हूँ कि प्रिय ! तुम्हा... 

बहुत यकीन है ...
मुझे बहुत यकीन है ....तुमपे और अपने प्यार पे भी . पर..... पता नहीं क्यूँ फिर भी.... जब कभी यह ख्याल भी मन में आ जाता है कि, तुम किसी और के साथ हो तुम किसी ...

उद्धतता !
*जनता की नजर में * *किरकिरी बनने की टीस,* *अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, * *अनुच्छेद उन्नीस,* *अंतर्मुखी, दमित-शोषित को * *सच लिखना भाने लगा था, * *भद्र,उजले वेश को अन्तर्जाल, * *यम नजर आने लगा था, * *सरकशपन 

आइये ख़त्म करे धर्म और जाति की राजनीती
एक बार फिर उत्तरप्रदेश में चुनावी बयार बहने लगी है, चुनावी महाभारत में कूदने वाले रणबांकुरे महासमर पर विजय प्राप्त करने के लिए सभी नीतियों को अपना रहे है. उन्हें इस बात की चिंता नहीं है की किस तरह क्षेत्र,... 

उनके चेहरों पर मानवीय चिंताएं क्यों नहीं दिखतीं
भाई शिव प्रसाद जोशी का आलेख - अण्णा ग्रुप का भ्रमणः काश पता होता लड़ाई किससे है जनलोकपाल आंदोलन के चार सिपहसालार जो स्वयंभू टीम अण्णा है, उसका उत्तराखंड द...  

नवाब की टोपी और गरीब की झोपड़ी से दूर है चुनावी लोकतंत्र - वोट डालने की खुशी से ज्यादा आक्रोश समाया है वोटरों में इस चुनाव ने नेताओं को साख दे दी और वोटरों को बेबसी में ढकेल दिया। याद कीजिए चुनाव से ऐन पहले राजनेता...  

स्वाभिमान जगाता एक समर्पित जन समूह--राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ--RSS  
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक राष्ट्रवादी संघ है जिसकी स्थापना १९२५ में नागपुर के डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। यह संघ निस्वार्थ रूप से देश की सेवा कर र...  

वोट मांगने की विविध शैलियां - दिनेश चन्द्र जोशी dcj_shi@rediffmail.com *0**9411382560 * जैसे गायकी की विविध शैलियां होती हैं,घराने होते हैं, वैसे ही वोट मांगने की भी विविध शैलियां और घ...  

चलिए ! मिल कर करें नेताओं का हिसाब ... - उत्तर प्रदेश में चल रहे सत्ता के संघर्ष एक छोटी सी भूमिका निभाने के लिए मैने भी अपना रुख कर दिया है यूपी की ओर। महीने भर से ज्यादा समय तक के लिए रविवार को...

आंख आ गई जबकि उम्र दिल आने की थी 
जी हज़ूर , इन आंखें आने दिनों के दौर में दुनियां कित्ती परेशान है आपको क्या मालूम आप को यह भी न मालूम होगा कि आज़ आपका यह ब्लागर भरी हुई आंख से पोस्ट लिख रहा है. खैर मुहल्ले के नये नये जवान हुए लड़के-... 

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार...   

6 टिप्पणियाँ:

कई लिंक्स के साथ एक अच्छी सशक्त वार्ता |
आशा

बहुत बढ़िया वार्ता ...शुभकामनाएं

ढेर सारे लिंक्स से सजी सुंदर वार्ता के लिए आभार

शानदार ढंग से प्रस्तुत वार्ता के लिए बधाई, संध्याजी !

.....सभी लिंक्स आकर्षित कर रहे हैं धन्यवाद संध्या जी

सुन्दर व रोचक वार्ता।

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