रविवार, 8 जनवरी 2012

आ ही गया प्रलय की भविष्यवाणियों का साल.... ब्लॉग़4वार्ता --- संध्या शर्मा,

संध्या शर्मा का नमस्कार,

लीजिये आ ही गया प्रलय की भविष्यवाणियों का साल. दुनिया ने ईश्वरीय कणों (god particals )  की झलक भी पा ली. पिछले दो दशकों से पूरी दुनिया में २०१२ को लेकर आशंकित हैं. दरअसल ये सब "माया सभ्यता के केलेंडर" की माया है. काफी हद तक तो वैज्ञानिक सच्चाई का भी दावा किया जा रहा है. लेकिन जिस तरह से तमाम आशंकाए और भविष्यवाणियां झूठी साबित हुई हैं, कुछ महीनो में यह भी साबित हो जायेगा कि दुनिया के लिए यह प्रलय का वर्ष है अथवा नहीं. अब हो चुकी आपसे काफी बातें..          
आइये आप भी पढ़िए हमारी पसंद के कुछ लिंक्स...  प्रस्तुत है आज की वार्ता.... 

मै समय हूँ
मै समय हूँ तुम्हारे आस-पास रहता हूँ तुम्हारे साथ चलता हूँ तुम्ही कभी पीछे रह जाते हो और अपराधबोध से ग्रसित हो जाते हो कभी आगे निकल जाते हो अतिरेक में तब मुझे तलासते हो शून्य में इस सब में मै जिम...

 ..वही कमीशनखोरी है
वही घूंस है , वही कमीशन खोरी है | वही गुंडई कायम सीनाजोरी है | वही पुलिस की लूट वही दादागीरी | वही दलाली छुटभैया नेतागीरी | वही गाँव बदहाल वही झोपड़पट्टी | जहां धधकती है महँगाई की भट्ठी | वोट के सौ...

आधे घंटे में प्यार..!
फोन पर मैसेज आया, “तुझे कभी आठ घंटों में प्यार हुआ है?” प्रिया समझ गई फैसल को फिर किसी से प्यार हो गया है। उसने जवाब भेजा, “नहीं...पर जानती हूं तुझे हुआ है।” प्रिया का मन फिर काम में नहीं लगा। जैसे-तैसे ...

यकीन ना था
तुम आओगे और भींगना होगा इस इसकद्र यकीन ना था धीमी और उल्झी सांसो में आग होगी यकीन ना था दस्तक हुई दरवाजे पर और धडकने होंगी यकीन ना था एहसास के आसमान पर शब्दो के गिरह खुल जायेंगे हौले से यकी...

मेरी दुआओं में कुछ असर तो हो........
मेरी दुआओं में कुछ असर तो हो जिदंगी थोड़ी ही सही बसर तो हो। किसी के रोके कहॉ रूकते है हम रोक ले मुझको ऐसी कोई नजर तो हो। कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में सर छुपाने के लिए कोई शजर ...

लकीरें अपने स्वभाव से चलती हैं 
** *अजय गर्ग से मेरा पहला परिचय उनके एक सशक्त लेख के ज़रिये हुआ था. बाद में उनके पत्रकार होने का पता चला. इसी बीच मधुर भंडारकर ने 'जेल' के लिए 'दाता सुन ले...' लिखवाकर उनके शब्दों को लता जी की आवाज में पि...

समुद्र के अन्दर का जीवन कैसा होता होगा..
 *कभी आपने सोचा है कि समुद्र के अन्दर जीवन कैसा होता होगा. ढेर सारी रंग-बिरंगी मछलियाँ, कोरल्स, सीप, मोलस्क, साँप...और भी बहुत कुछ. और सोचिए वे सब कैसे मस्ती करते होंगें. अब मेरी इमेजिनेशन देखिये इस ड्राइंग...

समय यहाँ कैसे बीते.......
कल्पनायें कहाँ से कहाँ ले जाती हैं.......एक नमूना है,चलिए आप भी इस उड़ान में मेरे साथ.......अगर एक भी पंक्ति आपको अपने आप से जुड़ी हुई लगे तो समझूँगी.......मेरा लिखना सफल हो गया..... "समय यहाँ कैसे बीते य...

जीवन ज्योति
* * ** * * *वो दिन गए जब * *मैं बँधवाया करती थी* *लाल-लाल फीतों में * *अपनी अम्मा से चोटी !* *काजल लगवाती थी* *आँगन में खिले फूलों से * *बालों को सजाती थी* *फिर खिल उठती थी* *मेरे नैनों की ज्योति !* ** ** **...

अंदाज ए मेरा: स्‍कूल के माथे कलंक का टीका.....!!!!!! 
स्‍कूल के माथे कलंक का टीका.....!!!!!!: फोटो साभार: हरिभूमि अमानवीय....... ! शर्मनाक..... ! दुर्भाग्‍यजनक......... ! मानवता को कलंकित करने का काम किया है एक स्‍कूल ने।...

तरंगों में... 
मेरे आशा के अनुरूप सुलझाया तुमने आपस में उलझे मेरे अव्यक्त विचारों को न चाह कर भी उलझ रहे हैं उन्हीं में मेरे अहसास... अब न जाने क्यूँ मौन होकर तुम सुलझाना चाहते हो मुझे जबकि उसे भरते-भरते और भी मैं उलझ ही ...

शिल्पगुरु डॉ जयदेव बघेल :- नाम ही काफ़ी है ------- ललित शर्मा
जयदेव बघेल जी के घर (चित्र राहुल सिह जी के सौजन्य से)बस्तर, भानपुरी से चल कर हम कोण्डा गाँव पहुंचते हैं, नाके के पास गाड़ी रोक कर एक पान वाले से जय देव बघेल जी का घर पूछते हैं। तो वह कहता है कि सीधे हाथ की...

मेरे आँसुओं का सैलाब
*मेरे आँसुओं का सैलाब* ● © ऐ आसमान, तू आज यूँ न बरस, कि तेरे बरसने में, मेरे आँसुओं का सैलाब, छिप न जाये कहीं, आज ही तो आया है, .. वक्त .. मेरे बरसने का, वरना सैलाब तो क्या, यूँ हमने, ...

एक जोड़ी कार्टून 
ताशकंद में होगा 5 वां अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन सृजनगाथा डॉट कॉम की पहल रायपुर । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और हिंदी - संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के ल...  

नए साल पर दो अच्छी खबर 
साल 2012 आप सबके लिए दो अच्छी खबर लेकर आया है। दोनों खबरें रेलवे से संबंधित हैं। भागलपुर-दिल्ली के बीच चलने वाली साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव अब सुल्...  

भ्रष्टाचार लाइव  
*यदि यह भ्रष्टाचार है तो आज मैंने ‘भ्रष्टाचार लाइव’ देखा।* *मेरे एक परिचित के परिवार में अचानक ही एक विवाह तय हो गया - आज ही। लड़केवाले आए थे। लड़के के साथ...  

छत्‍तीसगढ़ी गज़ल – जंगल ही जीवन है  
जम्‍मो जंगल ला काटत हन गॉंव सहर सम्‍हराए बर। काटे जंगल किरिया पारत गॉंव सहर जंगलाये बर।। जंगल रहिस ते मंगल रहिस, जंगल बिन मंगल नइये। पौधा...  

सारा जीवन अंधकारमय हो गया नए साल पर 
2011 बस जाने ही वाला था। 2012 आने की खुशी लोगों से छुपाए नहीं छिप रही थी। हिलते मिलते संगी साथी अपने अपने कार्यक्रम बना बता रहे थे। मैं देखते सुनते जा रहा 

फिर में खुदसे ..
सड़कें भरी  है फुटपाथ समानो  से लदे है दुकाने उचक कर आ गयी है बाहिर जेबें  शर्मा कर अंदर हो गयी है ढूंढे  अब क्या हाथ पसीने से भीगे है बेटा कोई जिद न करदे ये ...  

मैं इन्हें छुपा लूंगा…. 
आईने के सामने बैठ खुद को पहचानने की कोशिश में रूबरू हो गए मेरे समस्त अन्तर्निहित और अनाहूत किरदार. मेरे वजूद की धज्जियाँ उड़ाते ...  

कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है... 
हमारा दिल बुजदिल हो मरने को आमादा है... वहाँ किसी ने मिट्टी खातिर कफ़न सरों पे बाँधा है... आज सियासत की देखो तो कैसी है ये बिछी बिसात... जिसको सब राज..     
  देखिये हमारी पसंद का एक गीत 
सादर-
संध्या शर्मा
मिलते हैं अगली वार्ता पर... 

8 टिप्पणियाँ:

बढिया लिंक संयोजन्।

सुन्दर वार्ता... बढ़िया लिंक्स.. सादर आभार....

वाह !!! क्या बात है..

सुन्दर लिंक्स, बेहतरीन वार्ता एवं मधुर गीत ! आपका धन्यवाद संध्या जी !

खुबसूरत और एक से बढकर एक लिंक
धन्यवाद

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