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सोमवार, 9 जनवरी 2012

तुम्हे याद आयेंगें हम,ये याद रखना.... ब्लॉग़4वार्ता --- संध्या शर्मा,

संध्या शर्मा का नमस्कार,
"प्रमोद वर्मा स्मृति संसथान के अध्यक्ष श्री विश्वरंजन द्वारा पद्म श्री मुकुट धर  पाण्डेय स्मृति रचना शिविर में सम्मान पत्र  एवं स्मृति चिन्ह  प्राप्त करते हुए "ब्लॉ. ललित  शर्माजी "
हम सब की ओर से ढेर सारी बधाई और शुभकामनायें...  "
 

चलते हैं आज की फ़टाफ़ट वार्ता  पर, लाएं हैं आपके लिए कुछ उम्दा  लिंक...

अधूरे मंदिर के आंगन में आधा दिन
भो जपुर अधूरे लेकिन विशाल शिवालय के लिए मशहूर है। बेतवा नदी किनारे 106 फीट लम्बे, 77 फीट चौड़े और 17 फीट ऊंचे चबूतरे पर शिवमंदिर बना है। इसमें दुनिया का विशालतम शिवलिंग है। योनिपट्ट सहित शिवलिंग की ऊंचाई ...
 पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई ने आज पाटन में शहीद गुलाब सिंह पटैल की स्मृति में 50लाख रूपये की लागत से बनने वाले सामुदायिक भवन का भूमिपूजन किया। इस भवन के भूमिपूजन के साथ ही श्री विश्नोई द्वारा शहीद गुलाब सिंह ...
 *नये जिलों में नोडल अधिकारी घोषित * ( समाचार ) राज्य भंडार गृह निगम के अधिकारियों की समीक्षा बैठक 8.1.2012 * छ*त्तीसगढ़ स्टेट वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने आज छ0ग0 राज्य भण्ड..
 फेसबुक, ट्विटर आदि Social networking site की बढती लोकप्रियता को देखते हुए हममें से अधिकतम ब्लॉगर साथी चाहते हैं कि वे अपने इन साइटों के प्रोफाईल तक विजिटर की पहुच सुलभ बनायें. इसके लिये अलग—अलग साईट में ए...

जब गहराती स्याही रात की बेगानी लगती कायनात भी लगती चमक तारों की फीकी चंद्रमा की उजास फीकी | एक अजीब सी रिक्तता मन में घर करती जाती कहर बरपाती नजर आती हर आहट तिमिर में | सूना जीवन उदास शाम और रात की तन...
कभी अनमोल मोतियों को गिरा देती हैं | तो कभी बहुत कुछ अपने में छुपा लेती हैं , ये आँखें | -- " दीप्ति शर्मा " 
हे ईश्वर मेरा क्या गुनाह है, जो आज - मैं भूखा हूँ ! हूँ तो हूँ, पर क्यूँ हूँ ? मजदूर हूँ रोज कमाता हूँ, रोज खाता हूँ ! कल सुबह से सारा शहर बंद है - दंगाइ... 
यादें ....याद आने की..... आज मैं आप को अपनी यादों के झरोखे से एक बेहतरीन नगमा सुनवा रहा हूँ ,जिसको अपनी मीठी आवाज़ में ,राजस्थान के दो भाइयों ने अपनी जादू भर...
ज़िन्दगी शर्म से हो रही है पानी-पानी, आज के हालात कुछ ऐसे हैं। हराम हो-हलाल हो, पा लेना है, लोगों के ख़यालात कुछ ऐसे हैं।। ता’उम्र खोजते रहे जवाब पर पा न...

वर्ष 1925 से अब तक सोने की कीमतें ऐसे बढ़ी हैं - स्वर्ण....कंचन.... कनक.... क्या ही विचित्र वस्तु है यह सोना! देखते ही इसे पाने की इच्छा होने लगती है और पाते ही इसका नशा चढ़ने लगता है। अन्य नशीली वस्तुओं ...
क्या मस्त जलवे हैं इस बार हो रहे पाँच राज्यों में होने जा रहे चुनाव के.....बॉलीवुड के सारे मसाले कूट-कूट कर डले हैं.....एकदम चौचक अंदाज में......इतने ... 
जाड़े कीकुनकुनी धूप तो वैसे ही सुखदायी होती है। गंगा का तट हो, बनारस के घाट हों और जेबमें भुनी मूंगफली का थैला हो तो कहना ही क्या ! कदम अनायास ही बढ़ने लग...

सपने में एक उदास चिड़िया 
यह कोई अच्छी बात भले ही न हो मगर हर सुबह चंद ख़्वाबों के टुकड़े सिरहाने रखे होते हैं. मैं जागते ही एक जिज्ञासु और उम्मीद भरे बच्चे की तरह पहेली को जोड़ क... 


मैं तुम्हें लिखता हूँ।   
जब तुम्हें लिखता हूँ, स्वेद नहीं, झरते हैं अंगुलियों से अश्रु। सीलता है कागज और सब कुछ रह जाता है कोरा (वैसे ही कि पुन: लिखना हो जैसे)। जब तुम्हें लिखता ह... 
 
आज का सन्देश (08 .01 .2012 ) - *संतुष्टता व् खुशी साथ-साथ रहतें है. इन गुणों से दुसरे * *आपकी और स्वत: आकर्षित होंगे.* - *कोई भी ख़राब आदत न रखें. कोई भी असुरी कार्य नहीं करना है. हर स...
देखिये हमारी पसंद की एक ग़ज़ल 

सादर-
संध्या शर्मा
मिलते हैं अगली वार्ता पर... 
 






 


रविवार, 8 जनवरी 2012

आ ही गया प्रलय की भविष्यवाणियों का साल.... ब्लॉग़4वार्ता --- संध्या शर्मा,

संध्या शर्मा का नमस्कार,

लीजिये आ ही गया प्रलय की भविष्यवाणियों का साल. दुनिया ने ईश्वरीय कणों (god particals )  की झलक भी पा ली. पिछले दो दशकों से पूरी दुनिया में २०१२ को लेकर आशंकित हैं. दरअसल ये सब "माया सभ्यता के केलेंडर" की माया है. काफी हद तक तो वैज्ञानिक सच्चाई का भी दावा किया जा रहा है. लेकिन जिस तरह से तमाम आशंकाए और भविष्यवाणियां झूठी साबित हुई हैं, कुछ महीनो में यह भी साबित हो जायेगा कि दुनिया के लिए यह प्रलय का वर्ष है अथवा नहीं. अब हो चुकी आपसे काफी बातें..          
आइये आप भी पढ़िए हमारी पसंद के कुछ लिंक्स...  प्रस्तुत है आज की वार्ता.... 

मै समय हूँ
मै समय हूँ तुम्हारे आस-पास रहता हूँ तुम्हारे साथ चलता हूँ तुम्ही कभी पीछे रह जाते हो और अपराधबोध से ग्रसित हो जाते हो कभी आगे निकल जाते हो अतिरेक में तब मुझे तलासते हो शून्य में इस सब में मै जिम...

 ..वही कमीशनखोरी है
वही घूंस है , वही कमीशन खोरी है | वही गुंडई कायम सीनाजोरी है | वही पुलिस की लूट वही दादागीरी | वही दलाली छुटभैया नेतागीरी | वही गाँव बदहाल वही झोपड़पट्टी | जहां धधकती है महँगाई की भट्ठी | वोट के सौ...

आधे घंटे में प्यार..!
फोन पर मैसेज आया, “तुझे कभी आठ घंटों में प्यार हुआ है?” प्रिया समझ गई फैसल को फिर किसी से प्यार हो गया है। उसने जवाब भेजा, “नहीं...पर जानती हूं तुझे हुआ है।” प्रिया का मन फिर काम में नहीं लगा। जैसे-तैसे ...

यकीन ना था
तुम आओगे और भींगना होगा इस इसकद्र यकीन ना था धीमी और उल्झी सांसो में आग होगी यकीन ना था दस्तक हुई दरवाजे पर और धडकने होंगी यकीन ना था एहसास के आसमान पर शब्दो के गिरह खुल जायेंगे हौले से यकी...

मेरी दुआओं में कुछ असर तो हो........
मेरी दुआओं में कुछ असर तो हो जिदंगी थोड़ी ही सही बसर तो हो। किसी के रोके कहॉ रूकते है हम रोक ले मुझको ऐसी कोई नजर तो हो। कितनी मुश्किलें हैं मंजिल के सफर में सर छुपाने के लिए कोई शजर ...

लकीरें अपने स्वभाव से चलती हैं 
** *अजय गर्ग से मेरा पहला परिचय उनके एक सशक्त लेख के ज़रिये हुआ था. बाद में उनके पत्रकार होने का पता चला. इसी बीच मधुर भंडारकर ने 'जेल' के लिए 'दाता सुन ले...' लिखवाकर उनके शब्दों को लता जी की आवाज में पि...

समुद्र के अन्दर का जीवन कैसा होता होगा..
 *कभी आपने सोचा है कि समुद्र के अन्दर जीवन कैसा होता होगा. ढेर सारी रंग-बिरंगी मछलियाँ, कोरल्स, सीप, मोलस्क, साँप...और भी बहुत कुछ. और सोचिए वे सब कैसे मस्ती करते होंगें. अब मेरी इमेजिनेशन देखिये इस ड्राइंग...

समय यहाँ कैसे बीते.......
कल्पनायें कहाँ से कहाँ ले जाती हैं.......एक नमूना है,चलिए आप भी इस उड़ान में मेरे साथ.......अगर एक भी पंक्ति आपको अपने आप से जुड़ी हुई लगे तो समझूँगी.......मेरा लिखना सफल हो गया..... "समय यहाँ कैसे बीते य...

जीवन ज्योति
* * ** * * *वो दिन गए जब * *मैं बँधवाया करती थी* *लाल-लाल फीतों में * *अपनी अम्मा से चोटी !* *काजल लगवाती थी* *आँगन में खिले फूलों से * *बालों को सजाती थी* *फिर खिल उठती थी* *मेरे नैनों की ज्योति !* ** ** **...

अंदाज ए मेरा: स्‍कूल के माथे कलंक का टीका.....!!!!!! 
स्‍कूल के माथे कलंक का टीका.....!!!!!!: फोटो साभार: हरिभूमि अमानवीय....... ! शर्मनाक..... ! दुर्भाग्‍यजनक......... ! मानवता को कलंकित करने का काम किया है एक स्‍कूल ने।...

तरंगों में... 
मेरे आशा के अनुरूप सुलझाया तुमने आपस में उलझे मेरे अव्यक्त विचारों को न चाह कर भी उलझ रहे हैं उन्हीं में मेरे अहसास... अब न जाने क्यूँ मौन होकर तुम सुलझाना चाहते हो मुझे जबकि उसे भरते-भरते और भी मैं उलझ ही ...

शिल्पगुरु डॉ जयदेव बघेल :- नाम ही काफ़ी है ------- ललित शर्मा
जयदेव बघेल जी के घर (चित्र राहुल सिह जी के सौजन्य से)बस्तर, भानपुरी से चल कर हम कोण्डा गाँव पहुंचते हैं, नाके के पास गाड़ी रोक कर एक पान वाले से जय देव बघेल जी का घर पूछते हैं। तो वह कहता है कि सीधे हाथ की...

मेरे आँसुओं का सैलाब
*मेरे आँसुओं का सैलाब* ● © ऐ आसमान, तू आज यूँ न बरस, कि तेरे बरसने में, मेरे आँसुओं का सैलाब, छिप न जाये कहीं, आज ही तो आया है, .. वक्त .. मेरे बरसने का, वरना सैलाब तो क्या, यूँ हमने, ...

एक जोड़ी कार्टून 
ताशकंद में होगा 5 वां अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन सृजनगाथा डॉट कॉम की पहल रायपुर । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और हिंदी - संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के ल...  

नए साल पर दो अच्छी खबर 
साल 2012 आप सबके लिए दो अच्छी खबर लेकर आया है। दोनों खबरें रेलवे से संबंधित हैं। भागलपुर-दिल्ली के बीच चलने वाली साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव अब सुल्...  

भ्रष्टाचार लाइव  
*यदि यह भ्रष्टाचार है तो आज मैंने ‘भ्रष्टाचार लाइव’ देखा।* *मेरे एक परिचित के परिवार में अचानक ही एक विवाह तय हो गया - आज ही। लड़केवाले आए थे। लड़के के साथ...  

छत्‍तीसगढ़ी गज़ल – जंगल ही जीवन है  
जम्‍मो जंगल ला काटत हन गॉंव सहर सम्‍हराए बर। काटे जंगल किरिया पारत गॉंव सहर जंगलाये बर।। जंगल रहिस ते मंगल रहिस, जंगल बिन मंगल नइये। पौधा...  

सारा जीवन अंधकारमय हो गया नए साल पर 
2011 बस जाने ही वाला था। 2012 आने की खुशी लोगों से छुपाए नहीं छिप रही थी। हिलते मिलते संगी साथी अपने अपने कार्यक्रम बना बता रहे थे। मैं देखते सुनते जा रहा 

फिर में खुदसे ..
सड़कें भरी  है फुटपाथ समानो  से लदे है दुकाने उचक कर आ गयी है बाहिर जेबें  शर्मा कर अंदर हो गयी है ढूंढे  अब क्या हाथ पसीने से भीगे है बेटा कोई जिद न करदे ये ...  

मैं इन्हें छुपा लूंगा…. 
आईने के सामने बैठ खुद को पहचानने की कोशिश में रूबरू हो गए मेरे समस्त अन्तर्निहित और अनाहूत किरदार. मेरे वजूद की धज्जियाँ उड़ाते ...  

कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है... 
हमारा दिल बुजदिल हो मरने को आमादा है... वहाँ किसी ने मिट्टी खातिर कफ़न सरों पे बाँधा है... आज सियासत की देखो तो कैसी है ये बिछी बिसात... जिसको सब राज..     
  देखिये हमारी पसंद का एक गीत 
सादर-
संध्या शर्मा
मिलते हैं अगली वार्ता पर... 

शनिवार, 7 जनवरी 2012

फूल बनूँ या धूल बनूँ हँसते - हँसते.... ब्‍लॉग4वार्ता, संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार,
आज फिर आई हूँ, अपनी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ.  लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता....   


फूल बनूँ या धूल बनूँ
यह इच्छा है बहुत युगों से फूल बनूँ या धूल बनूँ , तेरे किसी काम आऊँ मैं अपना जीवन धन्य करूँ ! फूल बनूँ तो देवालय के किसी वृक्ष से जा चिपटूँ , तेरे किसी भक्त द्वारा प्रिय तेरे चरणों से लिपटूँ ! फूल नहीं तो ध...

ख़ुदी
झुकाई क़दमों में तेरे जबसे ख़ुदी मैंने तो पाई जिंदगी में एक नई ख़ुशी मैंने, गम-ए-जहाँ का असर दिल पर अब नहीं होता बदल दिया है अब अहसास-ए-जिंदगी मैंने, दिखाई देते थे मुझे चारों तरफ दुश्मन  रखी थी मुफ्...

घरों की दीवारों पे टंगे बिटको, के केलेंडर्स याद हैं.न.!!
 (गिरीश"मुकुल") at मिसफिट Misfit

बीवी और शौहर
बीवी और शौहर रात भर जागी बीवी दर्द से जो तडपा शौहर ; कभी बीवी के लिए क्यों नहीं जगता शौहर ? करे जो काम बीवी फ़र्ज़ हैं उसको कहते ; अपने हर एक काम को अहसान क्यों कहता शौहर ? रहो हद में ये हुक्म देता...

(कु)खुश-वाह-वाह मानसिकता और आरएसएस !
 अपने इस गौरवशाली महान और प्राचीनतम हिन्दू सनातन धर्म ( जिसका संस्कृत वाक्यांश है 'चिरकालिक आचार' / 'अनंत धर्म' ) का एक प्रबल समर्थक होने के नाते मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि हर उस बात, स्थान, व्यक्ति और...

बस यूँ ही...!
हम राह देख रहे हैं खुशियों! हमारे द्वार आओ प्रगट हो कर साक्षात् मुस्कानों के बंदरवार सजाओ नमी बहुत देर से अटकी पड़ी है नयनों के कोरों में धूप बन कर खिल आओ किसी रोज़ मेरी धरती के पोरों में सभी बुलाते हैं तुझ...

अनंत यात्रा
प्लेटफार्म पर खड़े इंतजार में सभी, गंतव्य है एक पर गाड़ी अलग अलग. कन्फर्म्ड टिकट नहीं मिलती गंतव्य की पहले से, रखा जाता है सभी को अनिश्चित प्रतीक्षा सूची में. आने पर गाड़ी करता है संचालक टिकट कन्फर्म ...

कोई मुझसे लिखवाता है / वरना मुझको क्या आता है...... -  
*कोई मुझसे लिखवाता है* * वरना मुझको क्या आता है सृजन-कर्म की बात निराली* * भीतर कोई है...गाता है आँसू भी रचते है कविता* *अनुभव तो यह बतलाता है कविता ने जोड़... 

देखते ही देखते 
देखते ही देखते उम्र सारी ढल गयी डोर जिंदगी की यूँ हाथ से फिसल गयी कुछ कहाँ हो सका आह बस निकल गयी क्रांति की हर योजना बार-बार टल गयी हर किसी मोड़ पर कमी कोई खल गयी दर्द आग बन उठा श्वास हर पिघल गयी जो दिखा ...

तुम मुझसे घृणा करो... 
मेरी तो तुम से लगन है मेरी अराधना हो तुम मैं अपनी अविराम प्रीति पर स्वयं से घायल, स्वयं से भूली चली जा रही हूँ. मेरी तो चाहत है कि मैं अपनी आशा की समाधी पर कामनाओं की फुलवारी लगा लूँ . लेकिन मैं तुम्ह...

लाखे की स्मृति में जारी हो डाक टिकट 
*जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, रायपुर का शताब्दी समारोह* एकीकृत एवं गहन खेती को बढ़ावा दें किसान : राज्यपाल**राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने कहा कि किसान विस्तृत खेती से गहन खेती की ओर आगे बढ़े और खाद्यान्...

लोकपाल या लोकपा(ग)ल 
लोकपाल मतलब नेता। चौंकिए मत जो लोक को पाले वह नेता ही होसकता है। अरे भाई इसमें इतनी हैरानी की क्‍या बात है, क्‍योंकि लोक हुआ आम आदमी और आम आदमी को पालता है नेता। चाहेयह नेताओं की गलतफहमी ही क्‍यों न हो, प..

कब...???
 कभी चुपके से सुन तो सही, मेरी सदा... तेरे कई ख़त लिखे हैं इसमें... मैं हर रोज इक ख़त पढता हूँ, खुद से नज़र बचाकर... मगर... हर ख़त के बाद, दिल कुछ पूछ बैठता है... वो कब आएगा....????

नव वर्ष की वेला पर बाहें फ़ैलाए यामिनी --- ललित शर्मा 
चित्रकुट जलप्रपात रात का दृष्य (मेरे मोबाईल से) हम अब चित्रकूट जाना चाहते थे, शाम के 5 बज रहे थे। हमारी मंजिल 66 किलोमीटर दूर थी। सपाटे से चल पड़े क्योंकि थोड़ी देर में अंधेरा होने को था। जगदलपुर से 6 किलोम...

हँसते - हँसते ...............केवल राम 
दिल मेरा लूट गये, हँसते - हँसते पैमाने टूट गये, हँसते -हँसते पीने का शौक है हमें इस कदर मयखाने छूट गये , हँसते - हँसते महफ़िल में छाई रही ख़ामोशी तराने फूट गये , हँसते - हँसते दूरियाँ मंजूर नहीं मोहब्...
 चलते- चलते मेरी पसंद का एक गीत



सादर-
संध्या शर्मा
मिलते हैं अगली वार्ता पर... 

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

ज़रा एक नज़र इधर भी………हम भी खडे हैं राह में………ये है मेरा सफ़र.... ब्लॉग़4वार्ता --- संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, वार्ता पर आप सभी का स्वागत है. प्रस्तुत है, 
आज कुछ मेरी पसंद के  लिंक्स... ब्लॉगर मीट की रिपोर्ट यहां पढें

एक नया रूप धर कर.........2012
 * * * हर साल की तरह ये साल भी गुज़र गया, **कुछ दिल में सिमट गया तो कुछ टूट कर बिखर गया...* *कभी तो लगा की एक प...

प्रेम : कुछ क्षणिकाएं
* *१. प्रेम से होता है पराजित विज्ञान अर्थशास्त्र भी २. प्रेम गढ़ता है नया भूगोल ३. प्रेम देता है जन्म नए विषयों को जो समुच्चय होता है दर्शन शास्त्र और मनोविज्ञान का ४. प्रेम से उत्त्प्...

 मुहूर्त्‍त को लकर लोगों के भ्रम ... अतिथि पोस्‍ट ... (मेरे पिताजी श्री विद्या सागर महथा की)
 कई प्रकार की व्‍यस्‍तता के कारण कुछ दिनों से अपने ब्‍लोग पर नियमित रूप से ध्‍यान नहीं दे पा रही हूं। फिलहाल जहां एक ओर दोनो बच्‍चों की छुट्टियां मनमाने ढंग से मनाने में उनकी मदद कर रही हूं , वहीं दूसरी ओर ...

माचान पर सोयी नींद गौरैंया थी
आंखो में सिहरता समन्दर गोद में लहरे खौफ खाये बैठी रही आन्ने दो आन्ने की बात नही थी अब हजार में भी नही भरता था पेट मचान वही बनती जिसके नीचे लहलहाते खेत होते संतोष अमीरी में उगे तो मुश्किल क्या पर गरीबी...

सुनामी की याद और निकोबार की यात्रा
अंडमान में पिछले तीन दिनों से खूब बारिश और तूफानी हवाएं चल रही हैं. सभी द्वीपों पर जाने के लिए अधिकतर बोट, हेलीकाप्टर इत्यादि कैंसल हो गए हैं. इस सबके चक्कर में तो क्रिसमस का सारा मजा ही ख़राब हो गया. मेरी...

चाहा था उन्हें
कसूर इतना था कि चाहा था उन्हें दिल में बसाया था उन्हें कि मुश्किल में साथ निभायेगें ऐसा साथी माना था उन्हें | राहों में मेरे साथ चले जो दुनिया से जुदा जाना था उन्हें बिताती हर लम्हा उनके साथ यूँ करीब पा...

 कुंती
कर्ण को प्रवाहित कर उसकी संभावित मृत्यु से विमुख कुंती ने उसका त्याग किया यूँ कहें खुद को मुक्त किया ! कुंवारेपन का भय - चलो मान लिया पर कालांतर में जब सभी पुत्र दूसरों के थे तब अपने ध्यान के एक अंश...

ज़रा एक नज़र इधर भी………हम भी खडे हैं राह में………ये है मेरा सफ़र
वंदना गुप्ता का खामोश सफ़र सुमित प्रताप सिंह SUMIT PRATAP SINGH ON SUNDAY, DECEMBER 25, 2011 | प्रिय मित्रो सादर ब्लॉगस्ते! *आ*इये मित्रो आज क्रिसमस के शुभ अवसर पर काजू और किशमिश खाते हुए मिलते हैं ...

तेरी कशिश..
* * *मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ !* *सात सुरों का सरगम सजाना चाहता हूँ !* * * *बनकर मैं बादल**,** **तेरे मन की धरती पर* *एक धीमें सावन को बरसाना चाहता हूँ !* * * *उठ रही जो लहर, मेरे दिल के दरिया में* *...

मैं क्यों अग्नि-परीक्षा देती रहूँ ?
नवभारत टाइम्स की वेबसाईट पर ये खबर पढ़ी - ''इस सप्ताह प्रीति जिंटा की बारी है अपने सबसे बड़े हेटर (नफरत करने वाले) चिराग महाबल ...

एक मुहावरा खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे
 दादी कहती थी खिसियानी बिल्ली छीका नोंचे । शायद ये मुहावरा आज की परिस्थिती मे सरकार के लिये उपर्युक्त है । देशहित के लिये सशक्त लोकपाल के मुद्दों को ले अडिग है हमारे अन्ना । बे सिर पैर के नित इलज़ाम लगा ...

शुभकामनाएं
आते हुए नव वर्ष की कोमल हवाए, आपकी यश कीर्ति के मोती लुटाएं, सफल हो संकल्प, उम्मीदें, सभी सपने, साथ हों अज़ीज़ सब बिछुड़े सभी अपने, दे रहा दस्तक दरवाज़े पर तुम्हारे आसमा आगोश में हो आपके सोचा हुआ सा...

जंगल बेदना
जंगल बेदना सदय होने का मिला परिणाम क्या मनु को बचाने का मिला प्रतिदान क्या आध्यात्म फूला-फला जिसकी गोद में वो जल रहा है क्यों स्वयं अब क्रोध में क्यूँ कुपित न हो उजाड़ा जब उसे दोष मनु पुत्रों का देगा फिर...

अटल जी के जन्म दिवस पर सुशासन की शपथ
विस्फ़ोट से  मैं सत्य निष्ठा से शपथ लेता हूं कि, मैं प्रदेश में  सुशासन के उच्चतम मापदंडों को स्थापित करने के लिये सदैव संकल्पित  रहूंगा और शासन  को अधिक पारदर्शी,सहभागी, जनकल्याण केन्द्रित  तथा जवाब...

नारी के रूप और चेतावनी ........
बेटी जो पुकारोगे तो, गले में झूल जाएगी | बहन जो बनाओगे तो, राखी बांध जाएगी | पत्नी जो मानोगे तो, यह प्यार बरसायेगी| समझोगे माँ इसे तो, आँचल में छिपाएगी | खिलौना जो समझोगे तो, यह खेल भी दिखाएगी |...

याद
मेरी आंखों में, तुम्हारी याद, खारे पानी में, हो जाती है तब्दील। सोचता हूं मैं , तुमको भी, तन्हाई में, आती होगी याद मेरी? यादों को सम्हाल रखा है मैंनें, क्यूंकि, मुझे तुमसे प्यार है। तुमने कहां गलत किया ...

चलते-चलते देखिये मेरी पसंद का एक गीत
सादर-
संध्या शर्मा
मिलते हैं अगली वार्ता पर... 

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