शनिवार, 7 जनवरी 2012

फूल बनूँ या धूल बनूँ हँसते - हँसते.... ब्‍लॉग4वार्ता, संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार,
आज फिर आई हूँ, अपनी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ.  लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता....   


फूल बनूँ या धूल बनूँ
यह इच्छा है बहुत युगों से फूल बनूँ या धूल बनूँ , तेरे किसी काम आऊँ मैं अपना जीवन धन्य करूँ ! फूल बनूँ तो देवालय के किसी वृक्ष से जा चिपटूँ , तेरे किसी भक्त द्वारा प्रिय तेरे चरणों से लिपटूँ ! फूल नहीं तो ध...

ख़ुदी
झुकाई क़दमों में तेरे जबसे ख़ुदी मैंने तो पाई जिंदगी में एक नई ख़ुशी मैंने, गम-ए-जहाँ का असर दिल पर अब नहीं होता बदल दिया है अब अहसास-ए-जिंदगी मैंने, दिखाई देते थे मुझे चारों तरफ दुश्मन  रखी थी मुफ्...

घरों की दीवारों पे टंगे बिटको, के केलेंडर्स याद हैं.न.!!
 (गिरीश"मुकुल") at मिसफिट Misfit

बीवी और शौहर
बीवी और शौहर रात भर जागी बीवी दर्द से जो तडपा शौहर ; कभी बीवी के लिए क्यों नहीं जगता शौहर ? करे जो काम बीवी फ़र्ज़ हैं उसको कहते ; अपने हर एक काम को अहसान क्यों कहता शौहर ? रहो हद में ये हुक्म देता...

(कु)खुश-वाह-वाह मानसिकता और आरएसएस !
 अपने इस गौरवशाली महान और प्राचीनतम हिन्दू सनातन धर्म ( जिसका संस्कृत वाक्यांश है 'चिरकालिक आचार' / 'अनंत धर्म' ) का एक प्रबल समर्थक होने के नाते मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि हर उस बात, स्थान, व्यक्ति और...

बस यूँ ही...!
हम राह देख रहे हैं खुशियों! हमारे द्वार आओ प्रगट हो कर साक्षात् मुस्कानों के बंदरवार सजाओ नमी बहुत देर से अटकी पड़ी है नयनों के कोरों में धूप बन कर खिल आओ किसी रोज़ मेरी धरती के पोरों में सभी बुलाते हैं तुझ...

अनंत यात्रा
प्लेटफार्म पर खड़े इंतजार में सभी, गंतव्य है एक पर गाड़ी अलग अलग. कन्फर्म्ड टिकट नहीं मिलती गंतव्य की पहले से, रखा जाता है सभी को अनिश्चित प्रतीक्षा सूची में. आने पर गाड़ी करता है संचालक टिकट कन्फर्म ...

कोई मुझसे लिखवाता है / वरना मुझको क्या आता है...... -  
*कोई मुझसे लिखवाता है* * वरना मुझको क्या आता है सृजन-कर्म की बात निराली* * भीतर कोई है...गाता है आँसू भी रचते है कविता* *अनुभव तो यह बतलाता है कविता ने जोड़... 

देखते ही देखते 
देखते ही देखते उम्र सारी ढल गयी डोर जिंदगी की यूँ हाथ से फिसल गयी कुछ कहाँ हो सका आह बस निकल गयी क्रांति की हर योजना बार-बार टल गयी हर किसी मोड़ पर कमी कोई खल गयी दर्द आग बन उठा श्वास हर पिघल गयी जो दिखा ...

तुम मुझसे घृणा करो... 
मेरी तो तुम से लगन है मेरी अराधना हो तुम मैं अपनी अविराम प्रीति पर स्वयं से घायल, स्वयं से भूली चली जा रही हूँ. मेरी तो चाहत है कि मैं अपनी आशा की समाधी पर कामनाओं की फुलवारी लगा लूँ . लेकिन मैं तुम्ह...

लाखे की स्मृति में जारी हो डाक टिकट 
*जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, रायपुर का शताब्दी समारोह* एकीकृत एवं गहन खेती को बढ़ावा दें किसान : राज्यपाल**राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने कहा कि किसान विस्तृत खेती से गहन खेती की ओर आगे बढ़े और खाद्यान्...

लोकपाल या लोकपा(ग)ल 
लोकपाल मतलब नेता। चौंकिए मत जो लोक को पाले वह नेता ही होसकता है। अरे भाई इसमें इतनी हैरानी की क्‍या बात है, क्‍योंकि लोक हुआ आम आदमी और आम आदमी को पालता है नेता। चाहेयह नेताओं की गलतफहमी ही क्‍यों न हो, प..

कब...???
 कभी चुपके से सुन तो सही, मेरी सदा... तेरे कई ख़त लिखे हैं इसमें... मैं हर रोज इक ख़त पढता हूँ, खुद से नज़र बचाकर... मगर... हर ख़त के बाद, दिल कुछ पूछ बैठता है... वो कब आएगा....????

नव वर्ष की वेला पर बाहें फ़ैलाए यामिनी --- ललित शर्मा 
चित्रकुट जलप्रपात रात का दृष्य (मेरे मोबाईल से) हम अब चित्रकूट जाना चाहते थे, शाम के 5 बज रहे थे। हमारी मंजिल 66 किलोमीटर दूर थी। सपाटे से चल पड़े क्योंकि थोड़ी देर में अंधेरा होने को था। जगदलपुर से 6 किलोम...

हँसते - हँसते ...............केवल राम 
दिल मेरा लूट गये, हँसते - हँसते पैमाने टूट गये, हँसते -हँसते पीने का शौक है हमें इस कदर मयखाने छूट गये , हँसते - हँसते महफ़िल में छाई रही ख़ामोशी तराने फूट गये , हँसते - हँसते दूरियाँ मंजूर नहीं मोहब्...
 चलते- चलते मेरी पसंद का एक गीत



सादर-
संध्या शर्मा
मिलते हैं अगली वार्ता पर... 

7 टिप्पणियाँ:

बहुत बहुत आभार संध्या जी आपने 'उन्मना' से मेरी माँ की रचना का चयन किया ! सभी लिंक्स आकर्षित कर रहे हैं ! इस खूबसूरत वार्ता के लिये आपका धन्यवाद !

बेहतर लिंक्स संकलन ......!

जितनी सुंदर शुरुवात ..अंत उससे भी सुंदर ---लताजी की जादुई आवाज ने तो चार चाँद लगा दिऐ आज की वार्ता में .....

बढ़िया सूत्र... सुन्दर वार्ता...
सादर आभार...

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More