शनिवार, 28 जनवरी 2012

यादों की पगडंडियाँ और झूलती मीनार -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, गणतंत्र दिवस एक बार फ़िर मन गया, लेकिन तंत्र अभी तक गण का नहीं हो पाया। कभी गण के मन के लायक काम नहीं हुआ। मंहगाई हमेशा बढते गयी। जो तंत्र में हैं उनके लिए सारी सुविधाएं एवं माल मत्ते की भरमार है। जाड़े में ठिठुरते हुए गण की अंतिम इकाई को एक गर्म कम्बल भी मिलना मुहाल है। सत्ता सदा से ही धनी लोगों के हाथों में रही है। अब सत्ता में आने पर धनी हो जाते हैं। कैसी विडम्बना है मेरे इस देश की, गरीब और भी गरीब हो रहा है, धनी के पास धन रखने की जगह  नहीं। आशा है कि कभी तो गण का तंत्र होगा। चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर और प्रस्तुत करते हैं कुछ पोस्ट लिंक…………

अकेली लड़की से मुलाक़ात तारीख तो याद नहीं लेकिन वो जनवरी 1989 के आखिरी दिन ही थे. पल पल बदलते मौसम ने आखिरकार ठान ही लिया था कि ठण्ड को अब जाना ही होगा. ऎसी ही एक शाम चाय की चुस्कियां लेते घुमक्कड़ी के शौकीन मन में इच्छा हुई कि ब..बसंत की दो कविताएँवसंत के आने से * *चमक लौट आई है* * तुम्हारी आँखों में * *वे अधिक चंचल सी * *हो गईं लगतीं हैं * *उन में मादकता* * टपक २ पड़ रही है * *ओसे ही * *चौकन्ने हुए लग रहे हैं * *तुम्हारे...

रजत जयंती समारोह मेरे विद्यालय में रजत जयंती समारोह में बच्चों द्वारा प्रस्तुत नृत्य . इस नृत्य को मैंने तैयार करवाया था . आपको कैसा लगा देख कर अवश्य बताइयेगा.... रेखाएं कुछ कहती हैंऐसी ही है वह खूब बोलना चाहती है पर बोलती नहीं जब बोलने को कहो कह देती है कुछ नहीं कहना हाँ लेकिन उसी वक़्त उन मुरझाई आँखों से टपक जाती हैं दो बूंदें........! बिलकुल दर्पण की तरह जिसमे झलकता है उसका प्रत...

दिल्ली में गणतंत्र दिवस की अद्भुत छटाबचपन में गणतंत्र दिवस की परेड देखने के लिए हम मूंह अँधेरे उठ जाते थे और ६-७ किलोमीटर पैदल चलकर राजपथ पहुँचते थे । बाद में ऑफिसर बन गए तो सरकार की ओर से विशिष्ठ अतिथि वाले पास मिलने लगे । लेकिन पिछले ३-४ स...सुरों के सरताज सुरेश वाडकरसुरेश वाडेकर *किसी परिचय के मुहताज नही हैं. रायपुर में एक *सुरमयी शाम *उन्होंने अपने साजिंदों के संग जोश से भरे गीतों की ऐसी महफ़िल सजाई कि *मेडिकल कालेज रायपुर *का सभागार उस दौर की संगीतमय पुरवाई में खो...

कौन सा नाम गौरवशालीहमारे देश का नाम भारत है किन्तु समस्त संसार के लोग इसे भारत नहीं बल्कि 'इण्डिया' के नाम से जानते हैं। मूलरूप से हमारे देश का नाम भारत है पर मुगलों ने इसका नाम 'हिन्दुस्तान' रख दिया और हमारा देश भारत से 'हि...किसान का मकान . एक के ऊपर एक फिर एक के ऊपर एक ईटें जमा कर उन पर मिट्टी का गारा चढ़ा कर किसान सुकूं से बैठा था ! ठीक उसी पल घने मेघ उमड़ आए, और - बारिश की बूँदें टपकने लगीं देखते ही देखते मिट्टी का गारा, ईंटों से - ...

बसंत के आने परहरियाणा में पतंग बाज़ी के रूप में ...बसंत पंचमी मनाई जाती हैं ) * *बुढ़िया दादी .दोस्त पुराने , > आँगन ,आँगन में वो छज्जे पुराने > आज नहीं हैं ....... इस पल तुम ज़िन्दा हो!…पत्तों पर कुछ बूंदें हैं... उन बूंदों में जीवन है कुछ आवाजें हैं गूँज रहीं क़दमों तले रौंदा गया जो उस सूखे पात में भी जीवन है जैसे ही यह महसूस किया हवा कानों में कह गयी- तुम अपने अलावे देख पा रही हो बूंदों...

यादों की पगडँडियाँइंटरनेट के माध्यम से भूले बिसरे बचपन के मित्र फ़िर से मिलने लगे हैं. किसी किसी से तो तीस चालिस सालों के बाद सम्पर्क हुआ है. उनसे मिलो तो कुछ अजीब सा लगता है. बचपन के साथी कुछ जाने पहचाने से पर साथ ही कु...झूलती मीनार और अलबेला खत्रीअगली सुबह अलबेला खत्री जी से बात हुई तो उन्होने बताया कि वे एक दिन पहले अहमदाबाद में ही थे। फ़िर उन्होने कहा कि अगले दिन मैं सुबह की गाड़ी से अहमदाबाद आ रहा हूँ। वहीं मुलाकात हो जाएगी। मैने कहा कि अहमबाद स्...

THE LAST JOURNEYबचपन के सनेह पिता के गेह कल की खनक न समझे कभी अनबुझे अभी भी भरमाते रहे, चाय की चुस्की बातों की खुश्की अर्थ की सुस्ती मौज न मस्ती रिश्तों से प्रेम विश्वास के नेम झनकते रहे, दादा का कुआं बीड़ी का धुआं मुंह म...साहित्य सम्‍मान हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है दरिया और मानव की अदम्‍य प्रकृत्ति के संबंध में इन शब्‍द पंक्तियों को हम गाहे-बगाहे सुनते रहे हैं और देखते रहे हैं कि, आगे बढ़ने की विशाल लक्ष्‍य को भी दरिया जैसे सह...

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम

6 टिप्पणियाँ:

आज की वार्ता ने भी दर्शा दिया वसंत आगया है |
वसंत पर दौनों कवितायेँ अच्छी लगीं |
आज की बहुरंगी वार्ता भी |
आशा

बहुत सुन्दर,सार्थक प्रस्तुति।

ऋतुराज वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

सही कहा है आपने आज फिर से हमारे पुरातन गण संस्कारों के जागरण की आवश्यकता है, तब ही वास्तव में हमारे संविधान का ध्येय गणतंत्र साकार हो सकेगा...

सुन्दर बसंती वार्ता... वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...

लो फिर बसंत आया
फूलो पे रंग छाया
पेड़ो पे टेसू आया
लो फिर बसंत आया...! badhai...basant-utsav ki....

रोचक वार्ता .. साहित्य सम्मान के लिए बहुत बहुत बधाई

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