संध्या शर्मा का नमस्कार...हम जीवन को अपार मुल्य की वस्तु मानते हैं। हमें जीवन का संवर्धन, पोषण एवं आदर करना चाहिए, यदि इन आस्थाओं को वास्तविक बनाना है तो हमें एक दूसरे के प्रति एवं आने वाली पीढी के प्रति कर्तव्य स्वीकारने होगें। हमारा कर्तव्य है कि पृथ्वी पर जीवन को उदात्त बनाएं और उसे आक्रमण, अपमान, अन्याय, भेदभाव बीमारी और दुरुपयोग से बचाएं। हमारा कर्तव्य है कि हम मानव-अस्तित्व के लिए आवश्यक परिस्थितियों को सुरक्षित रखें। तभी कल्याण हो सकता है। अब प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ ब्लॉग लिंक आशा है कि पाठकों को पसंद आएगें।
क्षमा चाहता हूँ कि कल रात को शहीदी दिवस यानि ३० जनवरी हेतु एक कविता लिखने बैठा था और गलती से सेव करते हुए पब्लिश का बटन क्लिक कर गया था ! खैर, वेइसे तो रविवार को वक्त कम ही मिलता है लेकिन आज मेरे पास वक्त...
जमीन से निकलनेवाले पेड-पौधो,कीडे-मकौडो की कही कोई बात नही होती कहाँ से आती है हरियाली और कहाँ कहाँ है सुंदरतम चीजे इसकी जानकारी कही कोई नही होती रोज धरती अपने जगह से थोडा थोडा खिसक रही है कही कोई च...
कोई जो मुझको समझ पाए, तो कुछ बात बने समझ के मुझको भी समझाए, तो कुछ बात बने.. यूंही कब तक, तुम्हारी हाँ में हाँ, भरता रहूं मैं, ज़रा यकीं सा भी आ जाए, तो कुछ बात बने.. मैं तन्हा रात के आलम में, तन्हा लेटा...
आज .. किस राह निकल आयी मैं . वो गुज़रे दिन और रातें वो कही - अनकही बातें कहाँ पहुँच गयी मैं. कितना रोका मैंने खुद को कि न पलट के देखूं इनको . पर.............. देखो, न अब वापस आना चाहती हूँ पर, एक गलत कद...
फेसबुक की आलोचना करने वालों सावधान हो जाओ हर चीज में अच्छाई और बुराई का संगम होता है बुराई अपनाने पर गम होता है अच्छाई का संग सदा उत्तम होता है अच्छाई का अगर ...
वसंतागमन हो चुका, खिल गयी क्यारी क्यारी। चलने लगी बयार दोधारी। प्रकृति का अदभुत सौंदर्य देखते ही बनता है, आँखो में भी नहीं समाता। कैमरे की आँख भी उसे सहेज नहीं पाती है। इस मधुर अवसर पर जब मधुकर का गुंजन ...
मैं
मैं
*अहं की * *अभिव्यक्ति* *मैं से शुरू* *मैं से इति* *मैं बेहतर* *तू कमतर * *मैं आकाश * *तू थलचर* *मैं रसना* *मैं श्रुति* *मैं दृष्टा* *मैं श्रृष्टि * *तू आलोचक* *मैं कृति* *सब पराये* *मेरा दुर्योधन* *मैं स्वी...
सरस्वती माँ को सादर वन्दन अभिनन्दन
सरस्वती माँ को सादर वन्दन अभिनन्दन
सरस्वती माँ को सादर वन्दन अभिनन्दन करो माँ हर ह्र्दय मे प्रेम का मधुर स्पन्दन तम का नाश कर दो अज्ञानता का ह्रास कर दो ज्ञान उजियारे से माँ जीवन उल्लसित कर दो तन मन प्रफुल्लित हो सदा नित करें तुम्हें व...
फिर से .................
फिर से .................
जुस्तजू सी उभर गयी फिर से शाम भी कुछ निखर गयी फिर से तेरा पैगाम क्या मिला जालिम जैसे धड़कन ठहर गयी फिर से तेरी बातों की बात ही क्या है कोई खुशबू बिखर गयी फिर से जिंदगी! होश में भी है, या कहीं म...
है इंसा कि शिकायत कि मुझको कुछ नहीं मिला
है इंसा कि शिकायत कि मुझको कुछ नहीं मिला
हर बज्म में बैठे और खुदको साबित भी कर लिया | फिर भी रही शिकायत की हमको कुछ नहीं मिला | चोखट को अपनी छोड़कर अरमान दिल में ले चले | पर इतने बड़े जहां में भी कोई अपना सा न मिला | दिल थाम कश्ती को तूफान के ...
मुझे अच्छा लगेगा
मुझे अच्छा लगेगा
सुबह की रोशनी की तरह मुस्कुराओ सदा, जिंदगी की महफ़िल में साथ दो मेरा, मुझे अच्छा लगेगा । ना हो खफा बस खिलखिलाओं सदा, दिल में प्यार जगाओ, तुम मुझे अपना बनाओ, मुझे अच्छा लगेगा । दिल में मेरे बस भी जाओ, ...
*गोवा का नाम लेते ही बेशुमार रंगों से भरे समुद्र तटों की छवि ज़हन में उभरने लगती है। लेकिन सूरज, रेत और समंदर का मेल ही गोवा की तस्वीर मुकम्मल करने...
उस दिन एक ठो सहकर्मी दोस कहे कि चलिए एक ठो नयका मॉडल का मोबाइल दिलवाइए , हम कहे कि तो ई में हमको काहे ले जा रहे हैं महाराज , हम तो टेक्नीकली एतना ...
कविता चंचल मन यूं ही बैठे-बैठे मैं खुद से बात करती हूं की क्या सोचता रहता है ये मन क्या चाहता है पर जवाब नहीं मिलता। वक्त वेवक्त क्यों आंखों में नींद ...
परिपाटियों को बदलने के लिए छलनी का होना भी जरूरी होता है ना ............
परिपाटियों को बदलने के लिए छलनी का होना भी जरूरी होता है ना ............
आखिर कब तक सब पर दोषारोपण करूँ तालाब की हर मछली तो ख़राब नहीं ना फिर भी हर पल हर जगह जब भी मौका मिला मैंने तुम्हारी पूरी जाति को कटघरे में खड़ा किया जबकि ...
मुनिया का बचपन
मुनिया का बचपन
माँ........माँ .....देखो न !! इस मोटे कालू को समझा लो .........मुझे कुछ भी कह कर बुलाते रहता है..उं..हूं....उं.... ---अपनी माँ से कहा रोते-रोते मुनिया ने...
हम वो परिंदे हैं !
हम वो परिंदे हैं !
*उनकी याद भी अब उनकी तरह नहीं आती,* *कोई खुशी अब खुशी की तरह नहीं आती !(१ )* * * *हमने मौसम की तरह,उनका इंतज़ार किया,* *पतझर के बाद भी ,बासंती-हवा नहीं आती ..
अब इतना तो मालुम ही था कि इंटरनेटसे कहीं भी कुछ भी मंगा या या भेजा जा सकता है। पर अभी तक ऐसा मौका या सुयोग नहींमिल पाया था या यूं कह लें कि हासिल करने क...
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार...
6 टिप्पणियाँ:
अच्छा संयोजन लिंक्स का |
आशा
Badhiya Varta....Abhar
बढिया वार्ता, अब जाते हैं ब्लॉग यात्रा पर।
आभार
सुन्दर लिंक संयोजन्……रोचक वार्ता।
ati rochak link.
अच्छे लिंक्स हैं अभी जाते हैं.
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