ललित शर्मा का नमस्कार, पढिए सप्ताहान्त की फ़टफ़टिया वार्ता…… बनन बागन में बगरो बसंत वसंत के आते ही मौसम खुशनुमा हो जाता है, गुलाबी ठंड के साथ चारों ओर रंग बिरगें फ़ूलों की भरमार हो जाती है। खेतों में फ़ूली हुई पीली सरसों की आभा निराली हो जाती है लगता है कि धरती पीत वस्त्र धारण कर इठला रही ...…ए बसंत तेरे आने से ए बसंत तेरे आने से नाच रहा है उपवन गा रहा है तन मन ए बसंत तेरे आने से । खेतों में लहराती सरसों झूम रही है अब तो मानो प्रभात में जग रही है ए बसंत तेरे आने से । चिड़िया भी चहकती है भोर में गीत गाती ह..
पुरवा सुहानी आई रे..आज माघ शुक्ल की पंचम तिथि यानी बसंत-पंचमी है, बसंत पंचमी के आते ही बसंत ऋतु का शुभारंभ हो जाता है . बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना जाता है क्योकि इस मौसम में रंग बिरंगे फूल खिलने से बागों में बहार आ ...माँ सरस्वती तूने दिया हैप्यार माँ स्वीकार कर आभारमाँ माता-पिता कोईनहीं बस तू ही हैआधार माँ मेरा नहीं तेराही है जो कुछ भी है घर-बारमाँ कोई न था बस तूही थी जब था बहुत लाचार माँ आशीष दे लड़तारहूँ जितना भी होअंधियार ...
पवन बसंतीकण कण के श्रृंगार हुए हैं मौसम के मनुहार हुए हैं मन बौराई आम्र मंजरी सपने हार सिंगार हुए हैं मुदित हुआ हर रोम रोम अंग फूले कचनार हुए हैं छूकर गुजरी पवन बसंती पुष्प पीत रतनार हुए हैं रंगों के म...हे वीणा शोभायनीशोभायनी, हे विद्या की खान मेरी भव बाधा करो, बाँह धरो अब आन माँ तुमसे क्या छुपा है तू कब थी अनजान तुम्हीं सँवारो काज सब, तुम्हीं बचाओ मान आन बान सब छाँ...बसंत एक रंग अनेक पीत वसन उल्लसित है मन बसंत आया ************************* श्रीहीन मुख गरीब का बसंत रोटी की चाह . ******************* फूली सरसों खेतों में हरियाली खिला बसंत **********************...
फेसबुक हर घडी हर पल हम लड़ा ही किये कभी इस बात को ले कभी उस बात को ले हम भिड़ा ही किये कभी नाते-रिश्तेदार कभी बच्चे हमारे कभी कभी पैसा भी तकरार के विषय थे सारे अब बदला है और नया ज़माना है अब मरा ये मेरा हर वक...अश्क गाँधी केतीरगी के दामन पर रोज उभरता है एक चेहरा,* *खामोश सी आँखे सादगी में लिपटी नजर.........* *कभी बुने थे उनने चाँद तारों व् बहारों से महकते हिंद के सपने,* * खुशहाली के ख़्वाब ,,देखे बुलंदियों के सपने...........*
वसन्त ऋतु का जन्मदिवसप्रज्वलित अंगारों की भाँति पलाश के पुष्प! पर्णविहीन सेमल के विशाल वृक्षों की फुनगियों पर खिले रक्तवर्ण सुमन! मादकता उत्पन्न करने वाली मंजरियों से सुशोभित आम्रतरु! अनेक रंग के कुसुमों से आच्छादित लता-विटपों...आज...बसंत चहुँ ओर छाया हैजब बसंत पड़ा अटा.. झूम उठी धरा ... हर तरफ दिखे बसंत की छटा बसंती बयार में .. भंवरे के गुंजन में .. गूंजती है राग बसंत ... बासंती छवि ..बसंती रूप ... जब बसो अखियन आन ...... धरा के अधरों पर .. कैसी खि...
छतहार का पिन कोड क्या है?सवाल बड़ा अहम है क्योंकि आज तक हम छतहार का पिन कोड 813221 लिखते आए हैं। लेकिन, बरौनी से छतहार के मशहूर गायक और छतहार ब्लॉग में अहम योगदान देने वाले श्री मनोज मिश्र का एक ई-मेल मुझे मिला है, जिसमें उन्होंने...ASHAAARरश्क आता है तेरे, रक्श पे अल्ला मेरे साज़ कहीं और साजि़न्दे, न नजर आया धूंधरू वक्त-ए-दरिया यहां सैलाब लिये आया है बादपां दर्द क्यूं अश्कों में सिमट आया है जूस्तजू मौत की, दहलीज तेरे ईश्क का ग़म की ताबीर क...
ईश्वर से बड़ा लेखक कौन ?? अक्सर जब दस-बारह या उस से ज्यादा किस्तों वाली कहनियाँ लिखती हूँ...तो उसके बाद...उस कहानी को लिखने की प्रक्रिया या कहें मेकिंग ऑफ द स्टोरी/नॉवेल....भी लिख डालती हूँ. इन दो किस्तों की कहानी के बाद कुछ लिखने..खिल गयी क्यारी क्यारीवसंतागमन हो चुका, खिल गयी क्यारी क्यारी। चलने लगी बयार दोधारी। प्रकृति का अदभुत सौंदर्य देखते ही बनता है, आँखो में भी नहीं समाता। कैमरे की आँख भी उसे सहेज नहीं पाती है। इस मधुर अवसर पर जब मधुकर का गुंजन .....
मिलते हैं ब्रेक के बाद , राम राम………
6 टिप्पणियाँ:
पुरवा सुहानी आई रे आआआआआअ ....
बहुत सुंदर लिंक सजाए हैं ..धन्यवाद !
पहन सुहानी धानी चूनर,
धरती ने किया श्रंगार,
आई बसंत बहार...........
सुन्दर वार्ता... सुन्दर लिंक्स... आभार
आपका बहुत बहुत आभार इन सुन्दर लिंकों के लिए !
बढ़िया रही फटाफट वार्ता .. आभार
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
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