मंगलवार, 5 जुलाई 2011

खुदा महफ़ूज़ रखे एहफ़ाज़ को हर बला से!---ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा


ललित शर्मा का नमस्कार, खरी-खरी लिखने वाले पत्रकार  अहफ़ाज रशीद को हार्ट अटैक हो गया, पिछले साल भी इसी समय बीपी बढने के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। दुआ है खुदा महफ़ूज़ रखे एहफ़ाज़ को हर बला से! ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हे शीघ्र स्वास्थ लाभ मिले। नसबंदी कराओ, नैनो ले जाओ ... खुशदीप कह रहे हैं। याज्ञवल्क्य फ़िर बौराया है, सीधा सवाल है, तेरह मौतें.. हादसा या हत्‍या , पुलिस से हो तो हादसा, आम आदमी से हो तो हत्या।चार चमचे, चार चाकू, डार्लिंग इधर भी सुनो, नारी अब तुम केवल विज्ञापन हो विज्ञापन में ही अधिक दिखाई जा रही है, येल्लो जी ये कह रहे हैं इसमे आश्चर्य की क्या बात है?, आश्चर्य की बात नहीं है तो दिखाए जाओ, दिखाए जाओ।असोढिया सांप और बैगा से भेंट-- एस्क्लुसिव एनकाउंटर--जमीन पर अस्थाई निवास (टेंट) बनाते समय सांप बिच्छुओं से बचने का इंतजाम भी करना पड़ता है, जिससे अनजान जगह पर थकान भरी ड्युटी करके चैन से आराम कर सकें।


विकलांग बना चैंपियनसिलाई मशीन पर तेज़ी से चलते पैर, बिन हाथों के सुई में धागा डालने का हुनर और मुंह में ब्रश थामकर रंगों के साथ ऐसी कलाकारी कि हाथों से बनी बेहतरीन कलाकृति भी फीकी पड़ जाए. इस हफ़्ते 'सिटीज़न रिपोर्ट' की कड़ी.महाविद्यालय के शिक्षकों की सेवानिवृतिउ0प्र0 के महाविद्यालयों के शिक्षकों ने अदालत का दरवाजा खटखटाकर इंसाफ मांगा। वैसे इंसाफ न कहें बल्कि कहें कि अपनी लालच की टोकरी को भरने की तृष्णा प्रदर्शित कर गुहार लगाई है। टल्ला मारने का तंत्रभारत आबादी का देश है। एक अरब इक्कीस करोड़ से ज्यादा का। लेकिन सरकार में कर्मचारी तब अधिक दिखाई देते हैं जब सरकार को उन्हें वेतन देना होता है। 

मणिपुर हिंदी परिषद मैं ‘अपने विचार रखूं कि इस बयान के पीछे निहित सोच का पता चले’। कहाँ खो गयीं वो चिट्ठियां आज एक पुराने सूटकेस में कपडे की पोटली में लिपटा एक बण्डल मिला .....खोल के देखा तो वो वो तमाम चिट्ठियां और greeting cards थे जो मैंने पिछले 20 -22 सालों में अपनी पत्नी को.मल्लिकाओं ने साड़ी पहनने का ऐलान किया हैआज मुझे सपने में आया सपना एक महान सपने में देखा मैंने सपनों का हिन्दुस्तान क्या नर-नारी,क्या किन्नर,क्या बूढ़े और जवान चेहरों पर थी चमक सभी के, अधरों पर मुस्कान जै जै बजरंगी ,सच सच बताना तुम्हें धूप पसंद है बहुत संकोच से अपने लिखने को बयां करते हुए रेखा चमोली का कहना है कि लिखते पढ़ते हुए मनुष्य बने रहने की संभावना बनी रहती हैं तो लिखना पढ़ना जरूरी लगता है।

लापता शब्दबचपन में कई बार अपनी ही परछाई देख डर जाती ....आज जब ज़िन्दगी की परछाइयाँ अँधेरे में आ खड़ी होती हैं ...तो फटे हुए कागचों पर अक्षर बिलख उठते हैं .... और कलम बाँझ हो जाती है ....सच है ये वक़्त बड़ा ही नामुराद...बिजली की तरह कौंध कर विलुप्त हो जाते, वे पल....आजकल गैस सिलेंडर की कीमत में बढ़ोत्तरी चर्चा का विषय बनी हुई है. कुछ साल पहले भी सिलेंडर के दाम बढे थे और सबके साथ मैं भी परेशान हो गयी थी...बस ये बात दीगर है कि मेरी परेशानी का सबब कुछ और था. एक शाम यू...बुद्धिमान मूर्ख !!प्रिय मित्रो इस संसार से मूर्खता और मूर्ख शायद समाप्त हो जाएंगे ऐसा, मुझे लगता था ! धीरे धीरे संसार से सारे के सारे मूर्ख मर जाएंगे मूर्खों के मरने के सांथ ही मूर्खता भी मर जायेगी !

स्वाहा !स्वाहा ! दोष मेरे कष्ट मेरे भाव सारे भ्रष्ट मेरे पाप मेरे श्राप मेरे पीर मेरी संताप मेरे लोभ मेरे मोह मेरे नियति के भोग मेरे सारे संकट सारे कंटक मोह मेरे शोक मेरे स्वाहा आज मेरी लहरों पर अर्चना चावजी की आवाज़ हैआज मेरी लहरों पर अर्चना चावजी की आवाज़ है , आवाज़ में बंधी है काबुलीवाले की मिन्नी - नहीं पहचाना , अरे हमारी रश्मि प्रभा , जो मुझे यहाँ लेकर आती हैं ... आज उन्हें लेकर आई हैं हमारी अर्चना जी , बातों की शगल...ये तेरा बिल ये मेरा बिलनुक्कड़ मे आसिफ़ भाई गीत गुनगुना रहे थे " हमारी हसरतो का बिल ये बिल बहुत हसीन है " मैने टोका *क्या आसिफ़ भाई क्या भाभी के लिये लिपस्टिक पाउडर खरीद लाये हो जो उसका बिल आपको हसीन लग रहा है क्या बात है बुढ़ापे...

वार्ता को देते विराम, राम राम, मिलते हैं ब्रेक के बाद-

10 टिप्पणियाँ:

अहफ़ाज रशीद के तबियत के बारे में जानकारी मिली . ईश्वर उन्हें जल्द ठीक करे .

बहुत रोचक चर्चा..रशीद जी के शीघ्र स्वास्थलाभ की शुभकामना.

अहफ़ाज रशीद जी को शीघ्र स्वास्थय लाभ के लिए शुभकामनाएँ....चर्चा बढ़िया रही.

"लिंकों" की बरसात। तरबतर होने की पूरी गुंजाईश।

अहफ़ाज रशीद जी के शीघ्र स्वास्थय लाभ की शुभकामनाएँ
कई अच्छे लिंक्स मिले..बढ़िया चर्चा

अहफ़ाज रशीद जी को शीघ्र स्वास्थ लाभ के लिए शुभकामनाएँ ...

अहफ़ाज रशीद जी को शीघ्र स्वास्थ लाभ के लिए शुभकामनाएँ ..
सुंदर रही वार्ता,आभार.

बहुत रोचक वार्ता।

चर्चा का अंदाज मस्त है और श्रम साध्य भी

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