रविवार, 3 जुलाई 2011

हर सन्डे लाइफ के नए फंडे




 


 शायराना मौत   की ख्वाहिश लेकर आप अगर जीतें हैं तो यक़ीन मानिये मानवता-सौहार्द-नैतिकता-भाई चारे की शिक्षा देने  वाले डॉ कल्बे सादिक से कतई कमतर नहीं.







कई बार ऐसे क्षण आतें हैं जीवन मे ...जब ऐसे एहसासों की अनुभूति होती है ।....जो की सिवाय पीड़ा के कुछ नहीं देती। कई बार लगता है की ये सारा जहां अपना है ...और अगले ही क्षण ..खुद को उस भीड़ मे अकेले पाते हैं।.....प्रेम में विरह का सच्चा चित्र खीचने में सफ़ल रहे श्रवण भाई ....इधर देखिये अर्चना चावजी का पाडकास्ट..सच है  परिकल्पना के उत्सवी माहौल से कोई भी बच नहीं सकता.. अब एक सवाल सुना तो मैं भी भौंचक रहा क्या मैं सरकारी नौकरी में रहते हुए काव्य गोष्ठियों में भाग ले सकता हूँ? .हिंदी के  अस्तित्व का सवाल ज़रूर उठा होगा यू के क्षेत्रीय हिंदी सम्मलेन 2011  में. तो धर्म एवम आस्थाऒ की पृष्ठ भूमि पर यह पोस्ट देश की चूलें हिला रहा है धार्मिक भ्रष्टाचार - चिंतन रत कर देती है. पर बच्चों का क्या उनके तो स्कुल रिओपन - गर्मी की छुटी के बाद आज मेरा स्कुल खुल गया..? पर ये क्या आज़ तो संडे है  हर सन्डे लाइफ के नए फंडे मिल जायेंगे ब्लाग पर . अन्ना की टीम बिहार जाएगी. इस बात का पता लगाने कि इंसान ने चारा कैसे खाया होगा. ज़ख्मजो फूलों ने दिये पर प्रकाशित कविता कैलेण्डर ज़िन्दगी का  वाक़ई एक कविता है. देखें अजय अजय की गठरी में क्या क्या है . 
 पाबला जी के सौजन्य से
आज़ अब बस कल दोपहर बाद और लिंक मिलेंगें यहां ... शुभरात्री 


चिट्ठों की सदगति के लिये मौज लेते रहिये :   अपना सर बचाकर







4 टिप्पणियाँ:

बहुत-बहुत आभार महोदय ||

अच्‍छे लिंक्स , आभार !

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