ललित शर्मा का नमस्कार, बारिश के हिसाब से कल का दिन रिमझिम फ़ुहारों से भरा रहा, पर ब्लॉग़ ट्रैफ़िक के हिसाब से सूखा ही रहा। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कम हिट्स मिलती है, ब्लॉग4वार्ता पर बीते हुए दिन में 265 हिट्स ही थी। अब जुगाड़ करते हैं हिट्स बढाने का। सूचना समर के इस युग में हमें वैश्विक स्तर पर समाचार तुरंत ही प्राप्त हो जाते हैं। 20 वर्ष पहले रीडर्स डाईजेस्ट सर्वोत्तम में एक लेख पढा था, "इन्फ़ार्मेशन सुपर हाईवे" सूचना का महामार्ग खुल चुका है, सूचनाओं का लेन-देन अंतरजाल एवं फ़ोन के माध्यम से होने लगा। इस लेख में कहा गया था कि एक दिन ऐसा आएगा इस हाईवे पर भी ट्रैफ़िक जाम होने लगेगा। आज अलबेला खत्री का जन्म दिन है, उन्हे हार्दिक शुभकामनाएं ।अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर, पढते हैं कुछ ब्लॉग़........।
नंदलाल के संग जय जय श्री राधे सरकार जमुना जी के घाट पर अदभुत रचा प्रसंग केश खोल राधा खड़ी नंदलाल के संग चन्दन दतिया पकड़ राह्यों अलक सुलझाए अतुल श्याम छवि देखकर राधे रही मुसकाय कौतुक निरख नंदलाल के गोपी भई निहाल..पिया तुम कहाँ हाल कैसे करूँ वयां , अजीब समां आया है साँसों में है बैचनी , दिल भी घबराया है इन्तजार में तुम्हारे , हम बेसुध से हो गए पिया तुम कहाँ चले गए ...................! इजहार कबूल कर , दिल को था थाम लिया सब बंधन त...बड़ी दूर से आये हैं उत्साहित तो थे ही लन्दन जाकर मित्रों से मिलने को और साथ ही सुबह ७:५० की बस जानी थी यॉर्क बस अड्डे से. ५ बजे ही उठ गये. सूरज महाराज पहले से ही तैनात थे खिड़की के रास्ते. जाने कब सोते हैं और कब उठते हैं यहा...
रिमझिम रिमझिम बरस्यो पाणी बारिश प्रारंभ होते ही प्रकृति का नजारा बदल जाता है, बच्चे-बूढे, जवान, युवतियाँ सब निज-निज तरह से स्वागत करते हैं। सावन की के झूले और फ़िर सावनी त्यौहार मौसम में हरितिमा घोलते हैं। यहीं से तीज त्यौहारों के...बोनालु आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र में बोनालु त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार खास तौर पर हैदराबाद-सिकंदराबाद नगर-द्वय में बहुत हर्षो-उल्हास से मनाया जाता है। ..उम्मीद और वेदना अपेक्षाओं और दायित्वों के बीच झूलता जीवन बन जाता है उपेक्षा का पात्र , इसीलिए मैं , तोड़ देना चाहती हूँ वो सारी उम्मीदें जो किसी ने भी कभी भी करीं थीं मुझसे , क्यों कि, मैं जानती हूँ उम्मीद ही है...
बात वो लिखना ज़राभावना का जोश दिल में सीख लो रूकना ज़रा हो नजाकत वक्त की तो वक्त पे झुकना ज़रा जो उठाते जिन्दगी में हर कदम को सोच कर जिन्दगी आसान बनकर तब लगे अपना ज़रा लोग तो मजबूर होकर मुस्कुराते आज कल है सहज मुस्कान पाना क्...एंजेलिना जोली के होंठ दिल्ली यूनिवर्सिटी में नए-नवेले छात्र-छात्राओं का कल पहला दिन था...इन्हें फ्रैशर्स और स्टूडेंट्स की ज़ुबान में फच्चा कहा जाता है...अब पहला दिन था तो *फर्स्ट इम्प्रेशन इज़ लास्ट इम्प्रेशन*...यानि कॉलेज को...कबीरा खड़ा बाजार में कबीरा खड़ा बाजार में तन्हा नहीं है कोई जग में जात खुदा की सदा सँग है मौला-मस्त बना फिरता है जिस पर उसका चढ़ा रंग है ! तोड़े गम से नाता अपना दिल में छायी बस उमंग है पहन फकीरी बाना देखो बिन ही पिए चढ़ी तरंग ह...
सावन के झड़ी *सूर सूर तुलसी शशि, उरगन केशवदास। * *अब के कवि खद्योत सम जंह तंह करत प्रकास॥ ...इस उत्सव में साधारण क्या है इस उत्सव में साधारण क्या है .... !!! मुझे तो माँ सरस्वती के संग रहने का आनंद मिल रहा है . मैं तो एक डुबकी हर रोज लगाता हूँ और असली मोती लेकर आता हूँ . मैं तो हँस बन गया हूँ , मोतियों के खान से गुजर रहा ...अंतर्राष्ट्रीय सागर में शक्तिशाली भारतीय कदम सोमालियाई समुद्री डाकू ( गूगल से साभार ) *"आई एन एस गोदावरी ने एक ग्रीक शिप को हाइजैक होने से बचाया ..." * * * *टाइम्स ऑफ़ इंडिया में यह खबर पढ़ कर मन को बड़ी तसल्ली हुई ! एक आम भारतीय के मन में आ सकता ह...
पाकिस्तानी घुस आया है, तेरी लापरवाही स्यूं बडा बडेरा कैता आया, जो हनुमान नै ध्यावै है तन का हो या मन का, बांका सब संकट मिट जावै है म्हे भी बाबा दुःख का मार्या, अरज करण नै आया सारी दुनिया छोड़ कै हनुमत, तेरी शरण म्हे आया म्हारी जान बचा था...क्या हम ग्रीस से सबक सीखेंगे?पिछले लम्बे वक्त से ग्रीस में चल रहे वित्तीय संकट को लेकर ज़ाहिर है कि यूरोपीय यूनियन के सभी देश लगातार चिंतित हैं। लेकिन भारत समेत एशियाई देशों में इस पूरे परिदृस्य को लेकर लगभग बेसुधी सा आलम है। दरअसल ये...नगरनार-भतरा मोनोग्राफ के श्वेत-श्याम तथा रंगीन दृश्यों के लिए भोपाल से एक फोटोग्राफर को लेकर जाना था। हम रेलगाड़ी से रायपुर पहुंचे और बस से जगदलपुर...
डंडे की तमन्ना है कि अन्ना मुझे मिल जायेनुक्कड़ पर भाई सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी फ़िल्म थ्री ईडियट की तर्ज पर अपने दो मित्रो के साथ पोंद मटकाते हुये अश्लील नृत्य करते हुये *आल इज वेल* गाना गा रहे थे । पोंद शब्द की जगह कूल्हे जैसे थोड़े सम्मानीय शब...पत्थर और पत्थरदिल आदमीआज का समय ऐसा है की आदमी के स्वार्थ बेहिसाब रूप से बढ़ते जा रहे है . पत्थरदिल आदमी समझदार होता है पर वह दिनोंदिन निष्ठुर होता है .. सभी जगह निष्टुर आदमी बहुतायत से देखने को मिल जाते है और वे आदमी पत्थरदिल ...मेरी नेपाल यात्रा हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट...
अब मेरी अपनी एक दुनिया हैकितना आसान था माँ की गोद में सर रख आसमान की बाते करना कितना आसान था पापा के संग बैठ कर दुनिया के सैर की बाते करना कितना आसान था बहन की नन्ही झोली में चुन चुन कर फूलो को भरना कितना आसान था भैया के संग...फूल , चाय और बारिश का पानीफूल,चाय और बारिश का पानी बहुत दिनों के बाद , हम मिले... हमें मिलना ही था , प्रारब्ध का लेखा ही कुछ ऐसा था . मिलना , जुदा होना और फिर मिलना और फिर जुदा होना ......!!! जब मिले तो देखा कि* * *...मुंबईपहले की तरह आज भी घायल हुई है रूह इसबार भी लोगों का चैनों-सुकून छिना है न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है, हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है. रोया है आसमान भी औरों के साथ-साथ, धरती का भी सीना चाक-चाक हुआ है...
रब करे गलतियाँ रौब हमारा * *किसी पे न चलता * *रौब तो बस* *यूँ* * रब पर चलता * *रब्बा देख ले * *अगर हुई कुछ * *ऊँच- नीच **तो ** * *फिर देखना तुम ...* *जब कभी भी * *कुछ गलत होता * *या फिर कभी * *जान से प्यार...वर्षा की पहली फुहार वर्षा की पहली फुहार कुछ इस तरह पडी चहरे पर स्पंदन हुआ ऐसा लगा आगई बहार बंजर खेतों में | चमक द्विगुणित हुई उस मखमली अहसास से तेजी से हाथ चलने लगे बोनी करने की आस में | है कितना सचेत वह यदि पहले से जानते कई ह...ये किसने दुआ की थी बारिशों कीभट्ठी से तप रहा शहर दोपहर को अचानक मीठी सी ठंडी लहर से झूमने लगा था।ऐसा लगा कि भगवान ने आसमान मे अपना एसी चालू कर दिया है।तभी दोपहर की चमकदार धूप पता नही क्यों शर्मा कर देहात की नई-नवेली दुल्हन की तरह अपने...
हमें ये परंपराएँ बदलनी होंगी-*पूर्वा **जनसांख्यिकीविद (डेमोग्राफर) **है, और वर्तमान में जनस्वास्थ्य से जुड़ी एक परियोजना में शोध अधिकारी है। अनवरत पर प्रकाशित उन के आलेख **लड़कियों का घर कहाँ है? पर **Mired Mirage, जी की प्रतिक...कृतघ्न मानव निठुर मनुज की दानवता को कब किसने पहचाना ! प्रथम स्नेह का सम्बल देकर दीपक को भरमाया , सरल वर्तिका के जीवन को तिल-तिल कर जलवाया , जिसने ज्योति बिखेरी सब पर उसके तले अँधेरा , पर उपकारी इस दीपक ने जग से है क्या... इश्क-प्रीत-लव एवं बारिश का मन बाहर तो आओ / देखो, वहाँ दूर पर / कोई एक अकेला / चला जा रहा है / भीगती बारिश में / छतरी घुमाता / अभी थोड़ी देर पहले / तुम्हारी खिड़की पर / ठहरी हुयी थी एक छाया / शायद यह वही आदमी था / जो अब दिख रहा है / वहाँ ...
12 टिप्पणियाँ:
बढ़िया लिंकों वाली बढ़िया वार्ता | अलबेला खत्री जी को जन्म दिन की शुभकामनाएँ |
way4host
यहां भी सूचना समर, धन्यवाद.
अलबेला खत्री जी को जन्म दिन की शुभकामनाएँ |
वार्ता अच्छी रही |अलबेला जी को जन्म दिन पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
आशा
गुरूदेव अक्षरो को थोड़ा और डार्क करें पढ़ने मे आसानी होगी खास कर उम्रदराज लोगो को
अलबेला खत्री जी को जन्म दिन की शुभकामनाएँ |
सुन्दर वार्ता।
सार्थक वार्ता ... अच्छे लिंक्स मिले ..आभार
सुन्दर वार्ता।
बढ़िया लिंक्स....बढ़िया वार्ता....
सुन्दर लिंक्स अच्छी वार्ता.... अलबेला खत्री जी को बधाईयाँ....
बहुत सुन्दर वार्ता ललित जी ! 'कृतघ्न मानव' को इसमें शामिल करने के लिये आभारी हूँ ! धन्यवाद !
अलबेला खत्री जी को जन्म दिन की शुभकामनाएँ |
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