गुरुवार, 21 जुलाई 2011

कनक चंपा,रेडियो तेहरान और दो पेंसिल बैटरी -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

नमस्कार, गुगल द्वारा ब्लॉगर के हिन्दी बटन बंद किए जाने पर पिछले दिनों कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। आज गुगल ने हिन्दी लिखने का बटन लौटा दिया। वैसे इस बटन के बंद होने से ड्राफ़्ट पर लिखने वाले ब्लॉगर्स को समस्या हो गयी थी। कईयों ने मुझे फ़ोन करके समाधान पूछा। मैने इसका विकल्प भी उन्हे बताया। चलिए अब विकल्प की बजाए गुगल के हिन्दी लेखन बटन का स्वागत कीजिए। जिससे पोस्ट लिखने में आसानी हो। संगीता जी के द्वारा तीन पोस्ट लिखने के बाद अब ललित शर्मा की ब्लॉग4वार्ता पढिए, आपके लिए लाएं है कुछ उम्दा पोस्ट लिंक, अब चलते हैं ब्लॉग़4वार्ता पर.....।

कडुवा सच पर मिलती है खरी-खरी, उदय भाई बड़ा नेत के लिखते हैं, निशाना चूकता नहीं। पुराने निशानची हैं अंग्रेजों के जमाने के, निशाना चूकेगा कैसे। कहते हैं तू मतलब का यार है, भाई यही जीवन का सार है। वर्तमान क्लिक से ही जोड़ा जाए, एक क्लिक में बंद और एक क्लिक में शुरु। बरसों के संबंध एक क्लिक से ही खत्म हो जाते हैं। इसलिए सरकार भी क्लिक को ताक रही है, फेसबुक पर सत्ता का शिकंजा कसता जा रहा है। पगड़ी संभाल जट्टा, पगड़ी संभाल ओए। चलते रहिए जो होगा सो देखा जाएगा। जब कसाब और अफ़जल को फ़ांसी पर नहीं चढाया जा सका तो फ़ेसबुकियों को कौन बंद कर देगा। चलते चलते कैप टाउन - कैप-ऑफ गुड होप की सैर कीजिए। मौज मनाईए, जिन्दगी न मिलेगी दोबारा,  क्यों फ़ालतु के पचड़े में पड़ा जाए, ब्लॉगिंग करो और मौज मनाओ।

दिल से निकली एक दुआ और समाचार रेडियो तेहरान से आया। अब बहुत हो गया बिजली का खर्चा जाओ कोई दो पेंसिल बैटरी लाओ इसी से काम चलाया जाए। बरसात की रात का क्या भरोसा कब बिजली चली जाए, अंधेरा हो जाए। यह आईडिया फ़ालो करने लायक है बरसात में, जैसे मैंने आपको फोल्लो किया है, अब आप मुझे फ़ाल्लो कीजिए। एक हाथ दे और एक हाथ ले। अगर कुछ लेना देना नहीं तो कनक चंपा आईए, कुछ बढिया मिलेगा पढने  को। काबिनी की बात हो रही है और इधर हम मान बैठे हैं, बरसाती मौसम में तबियत जरा सी नासाज है। तबियत ठीक करने के लिए शानदार औजार है, डॉ साहेब तीन दिनी प्रवास पर हैं। ऐसे में तबियत नासाज हो तो कोई क्या करे? इधर अवधी गजल का बोलबाला है और यहाँ छत्तीसगढी गज़ल का धमाल है।

इधर  बात पगोडा की हो रही है और सावन के मेघ मंडराने लगे, वर्षा भी झूम कर होने लगी। यहाँ मल्हार गाया जा रहा है।उमड़ घुमड़ कर आई रे घटा कारी-कारी बदरी छाई रे मौसम सुहाना हुआ और कवियों ने तान छेड़ी 
पिट्सबर्ग में एक भारतीय चंद्रशेखर आजाद का स्मरण कर रहे हैं। उड़नतश्तरी लैंड करने के लिए एक स्पेस की तलाश हो रही है, पहले बताना था, अधिक जगह चाहिए, हम पुलिस ग्राउंड उपलब्ध करा देते,तुम्हारा आना ही पुरुष्कार है !! एक कविता पढिए मैं संसार सजाना चाहती हूँ., इधर कुछ अलग सा सवाल है किसी लेखक ने अपनी कलम को कोई नाम नहीं दिया, ऐसा क्यों? हल करके देखिए। तब तक हम आते हैं शार्ट ब्रेक से, कुछ फ़ास्ट फ़ूड लेकर और मिलते हैं अगली वार्ता में। राम राम...........................

10 टिप्पणियाँ:

बहुत अच्‍छी वार्ता .. आभार !!

बढ़िया लिंक्स के साथ बढ़िया वार्ता

काश ,इस वार्ता में हम भी होते ...

रोचक एवं पठन सामग्री से भरपूर लिंक्स...
मेरे लेख ‘कोणार्क का काला पगोडा और महाबलीपुरम का सप्त पगोडा’ को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार.

सुन्दर सार्थक वार्ता !

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