संध्या शर्मा का नमस्कार... वार्ता का सफ़र अरसे से मुसलसल जारी है, देखने पर पता चला कि 602 वीं पोस्ट प्रकाशित हो चुकी है और आज 603 वीं पोस्ट है। इस खुशी के अवसर पर वार्ता की तरफ़ से आप सभी पाठकों, टिप्पणिकर्ताओं एवं वार्ता दल के सभी सहयोगियों को मेरी तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाएं। सहयोग बनाए रखिए वार्ता का सफ़र जारी रहेगा…………अब चलते हैं आज की वार्ता पर…
मोहब्बत के रोजे हर किसी का नसीब नहीं होते ...........
जानती हूँ जीना चाहते हो तुम एक मुकद्दस ज़िन्दगी ख्वाबों की ज़िन्दगी हकीकत के धरातल पर सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे संग ………है ना लिखना चाहते हो सारी कायनात पर...
खुशनसीब ..
*बैठती नहीं हर डालपर बुलबुल हर वृक्ष खुशनसीब नहीं होता करती नहीं कोलाहल हर बगीचे में बुलबुल हर बाग़ खुशनसीब नहीं होता खिलते नहीं हर गुंचे में गुल * * हर हार खुशनसीब नहीं होता मिलते नहीं नदिया के दो ...
आज के नेता...
आज के नेता... आज के नेता एक अरब लोगों को पागल बना रहे है अलग अलग पार्टी बनाकर हमे आपस में लडवाकर अपना मतलब निकाल रहे है, कर रहे है बड़े बड़े घोटाले रिश्तेदारों को टिकट दिला रहे है साले भ्रष्टाचार कर भर ...
ईश-व्यथा!
.दिखता भले नहीं, पर ईश्वर यहीं कहीं है! ये दृश्य का दोष नहीं... अगर हमारे पास दृष्टि ही नहीं है! एक भोली सी मुस्कान में वह है... कभी महसूस हुई थी जिसमें, उस ध्यान में वह है... ज़िन्दा है वह टूटती हुई सांसों...
ज़िंदगी के रंग .... हाइकु के संग
बच्चे का रोना खुशियों का खजाना मुबारक हो ********************* उनीदीं आँखे किलकारी उसकी सुकूं देती है . ***************** [image: Baby_walking : First steps Stock Photo] चलना सीखा हाथ थाम के ...
ऋतु फागुन की
आई मदमाती ऋतु फागुन की चली फागुनी बयार वृक्षों ने कियाश्रृंगार हरे पीले वसन पहन झूमते बयार संग थाप पर चांग की थिरकते कदम फाग की मधुर धुन कानों में घुलती जाए पिचकारी में रंग भर लिए साथ अबीर गुलाल ...
मै ना बांटूँ श्याम आधा आधा
यूँ तो वो सबके हैं मगर केवल मेरे हैं तभी कहता है इंसान जब पूरा उसमे डूब जाता है जैसे गोपियाँ … तुम केवल मेरे हो , आँखों के कोटर मे बंद कर लूंगी श्याम पलकों के किवाड लगा दूंगी ना खुद कुछ देखूंगी ना तोहे ...
ठहर गया उर ज्यों आकाश
ठहर गया उर ज्यों आकाश विरस हुआ जग से जब कोई स्वरस में डूबा उतराया, धीरे-धीरे उससे उबरारस कोई भी बांध न पाया ! जग से लौटा ठहरा खुद में स्वयं से भी फिर मुक्त हुआ, स्वयं ‘पर’ के बल पर ही टिकता मन इससे भी रि...
" गुनगुने आंसू ...." बर्फ से गाल पे, लुढकी दो बूंदे, आंसुओं की, गुनगुनी सी | बन गई लकीर, नमक की | लोग कह उठे, चेहरे पे उसके, तो नमक है | मन की भाप, कितनी उठी होगी, कितनी सूखी होगी, तब शायद, बना होगा, नमक चेहरे पे | *गुनगुने आंस...
रंगीली दुनिया बेरंग क्यों लगती है ?रंगीली दुनिया कभी बेरंग क्यों लगती है ? ज़िन्दगी इतनी छोटी है ,फ़िर लम्बी क्यों लगती है ? इंसान दयालु से हैवान कैसे बन जाता है ? कोई क्यों किसी को छोड़ कर चला जाता है ? .....अंत में सब शून्य ही क्यों दीखता ह...
सुखांतकी !
*इस रंगशाला के हम मज़ूर* *कोई कुशल, कोई अकुशल, * *कोई तन-मन से,* *कोई अनमन उकताया सा, * *निभा तो रहे किन्तु सब * *अपना-अपना किरदार !* *पर्दा उठते ही अभिनय शुरू * *और गिरने पर ख़त्म !!* *मगर कभी-कभी कम्व...
झाँक के देखो तो ज़रावक़्त की शाख से टूटे लम्हे टाँक के देखो तो ज़रा टूटी है कोई डोर झाँक के देखो तो ज़रा पीले पत्तों की खनक टोह के देखो तो ज़रा ठहर जाती है खिजाँ रोक के देखो तो ज़रा किस्मत को नकारा ढाँक के देखो तो ज़र...
वो सूरज से बगावत कर रहा है ...
कविता के दौर से निकल कर पेश है एक गज़ल ... आशा है आपको पसंद आएगी ... अंधेरों की हिफाज़त कर रहा है वो सूरज से बगावत कर रहा है अभी देखा हैं मैंने इक शिकारी परिंदों से शराफत कर रहा है खड़ा है आँधियों में...
किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था | ब्राह्मण गरीब होते हुए भी सच्चा और इमानदार था| परमात्मा में आस्था रखने वाला था | वह रोज सवेरे उठ कर गंगा में नहाने जाया करता था| नहा धो कर पूजा...
कहीं एक - २ आने का हिसाब मांग रही पैसा | कही खुद को संभाल पाने में असमर्थ है पैसा | कहीं भूखे बच्चे को रुलाकर सुला रही है पैसा | कहीं जश्ने जिंदगी पल - पल मना रही पैसा | कहीं झोलियाँ भर २ के खुशियां ...
मेष लग्नवालों के लिए 21 , 22 और 23 फरवरी 2012 बुद्धि ज्ञान के मामलों के लिए महत्वपूर्ण होंगे , संतान पक्ष के मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। किसी सामाजिक कार्यक्रम में पिता पक्ष का महत्व दिख...
मैं धरती सी ……………… संध्या शर्मा जुगनु सा है जीवन मेरा क्षण में बुझती जलती हूँ मन भर प्रकाश फ़ैलाने नित जोत सी जलती हूँ सूरज ढलता पश्निम में ...
ब्लॉगिंग का अपना एक *स्वभाव* है , उसकी अपनी एक* प्रकृति* है ( यह विषय फिर कभी ) इन सभी के बाबजूद ब्लॉगिंग करने के लिए कुछ बाते निर्धारित की जा सकती हैं .जिनके आधार पर हम *सफल और सार्थक *ब्लॉगिंग की और बढ...
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार...
10 टिप्पणियाँ:
संध्या जी, बड़े जतन से संजोए हैं आपने लिंक। बधाई।
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..ये हैं की-बोर्ड वाली औरतें।
बहुत से लिंक्स का समायोजन ...अच्छी वार्ता ॥आभार
काफ़ी सुन्दर लिंक संयोजन्।
NICE LINKS, THANKS
अच्छे लिंक्स संजोये हैं.
कई लिंक्स लिए वार्ता अच्छी रही |बधाई |
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार |
आशा
खूबसूरत अंदाज़
sundar links-------dhanyvad
badhai ho.... sandhya ji....aap u hi likhati rahe ...sunder blog ke liye...hmari shubhkamnaye.............
अच्छे लिंक्स
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