अभी लगभग १ महीने पहले तक सभी स्थानों पर नववर्ष की धूम थी | सारी मीडिया में भी और सभी बाजारों में भी परन्तु उसके बाद मकर संक्रांति शांति से निकल गया किसी को पता भी नहीं चला ; उसके बाद वसंतोत्सव जो की भारतीय मदनोत्सव है वो भी चला गया किसी को पता नहीं चला परन्तु "वैलेंटाइन डे" का शोर अभी से सुनायी देने लगा है |ऐसा क्यूँ होता है की भारतीय पर्व तो शांति से निकल जाते हैं परन्तु पश्चिमी तोहारों की गूँज बहुत देर तक सुनायी देती है |मेरे अनुसार इसका कारण यही है की हर पश्चिमी उत्सव का एक मात्र अर्थ होता है खर्च करना जो की बाजार और बाजार की शक्तियों को पसंद आता है जबकी भारतीय त्योहारों में सादगी होती है जो की बाजार को पसंद नहीं आती है |
सबसे पहले तो बात कर लेते हैं "संत वैलेंटाइन " की की आखिर उन्होंने ऐसा किया क्या था | आप किसी भी "वैलेंटाइन डे " समर्थक से पूछेंगे तो वो यही कहेगा की एक संत थे वैलेंटाइन नाम के जिन्होंने ७ लोगों की शादी करवा दी थी |बात बिलकुल सही है परन्तु आखिर शादी करना इतनी बड़ी बात क्यूँ हो गयी ?? इसका उत्तर है बाइबिल जिसमे की स्पस्ट शब्दों में लिखा हिया की GOD ने अदम के मनोरंजन के लिए उसकी रीढ़ की हड्डी से इव को बनाया था
सबसे पहले तो बात कर लेते हैं "संत वैलेंटाइन " की की आखिर उन्होंने ऐसा किया क्या था | आप किसी भी "वैलेंटाइन डे " समर्थक से पूछेंगे तो वो यही कहेगा की एक संत थे वैलेंटाइन नाम के जिन्होंने ७ लोगों की शादी करवा दी थी |बात बिलकुल सही है परन्तु आखिर शादी करना इतनी बड़ी बात क्यूँ हो गयी ?? इसका उत्तर है बाइबिल जिसमे की स्पस्ट शब्दों में लिखा हिया की GOD ने अदम के मनोरंजन के लिए उसकी रीढ़ की हड्डी से इव को बनाया था
लो आजकल बड़े अजीब -अजीब दिन आ रहे हैं ,पाश्चात्य संस्कृति से आयातित “प्रपोज डे “.
इस बात का भी डे होने लगा |
अगर पहले ही दिल आ गया तो इस दिन का इन्तेजार करते करते वह दूसरे की हों जायेंगी|
चाकलेट डे ! ये अच्छा हैं ,रोज -रोज का खर्चा बचता हैं .कह देंगे चाकलेट डे को खिलाएंगे |
वहाँ[पश्चिम] लोग भौतिक चीजों के पीछे इतने परेशान होतें हैं ,की बेचारे प्रेम का इजहार भी एक ही दिन वलेंटाइन डे को कर पातें हैं |
हमारे भारत में हर दिन वलेंटाइन डे ,मदरस् डे,फादर्स डे ,होता हैं |हम हर दिन बिना माँ बाप के आशीर्वाद के,नही बिताते क्यूंकि हम उनके लिए और वो हमारे लिए सब कुछ हैं |मनोज कुमार की फिल्म ‘पूरब और पश्चिम‘ में एक डायलाग हैं “पूरब में माँ बाप के लिए संतान ही सब कुछ हैं “
इस बात का भी डे होने लगा |
अगर पहले ही दिल आ गया तो इस दिन का इन्तेजार करते करते वह दूसरे की हों जायेंगी|
चाकलेट डे ! ये अच्छा हैं ,रोज -रोज का खर्चा बचता हैं .कह देंगे चाकलेट डे को खिलाएंगे |
वहाँ[पश्चिम] लोग भौतिक चीजों के पीछे इतने परेशान होतें हैं ,की बेचारे प्रेम का इजहार भी एक ही दिन वलेंटाइन डे को कर पातें हैं |
हमारे भारत में हर दिन वलेंटाइन डे ,मदरस् डे,फादर्स डे ,होता हैं |हम हर दिन बिना माँ बाप के आशीर्वाद के,नही बिताते क्यूंकि हम उनके लिए और वो हमारे लिए सब कुछ हैं |मनोज कुमार की फिल्म ‘पूरब और पश्चिम‘ में एक डायलाग हैं “पूरब में माँ बाप के लिए संतान ही सब कुछ हैं “
.हैप्पी रोज डे... ! लीजिए आपका इंतजार खत्म और वेलेंटाइन डे का काउंटडाउन शुरु। प्यार के इस त्योहार के सेलिब्रेशन का पहला दिन (रोज डे) आ गया है। वेलेंटाइन की तरह ही रोज डे भी रिश्तों को एकसूत्र में पिरोने का सशक्त माध्यम है। हर व्यक्ति के लिए हर रिश्ता एक नया रूप लिए हुए होता है।दोस्त, पड़ोसी, पति-पत्नी, बहन, भाई बहुत से ऐसे रिश्ते हैं, जो हमारे लिए बहुत खास हैं तब ही तो हर रिश्ते के लिए बाजार में एक अलग रंग का गुलाब मौजूद है। इन गुलाबों को आप अपने रिश्ते के अनुसार चयन कर अपने खास लोगों को भेंट कर सकते हैं। हर नए रिश्ते का आगाज खूबसूरत तोहफे के साथ करने का रिवाज हमारी परंपराओं में बरसों से रहा है। क्यों न किसी अजनबी लेकिन अपना सा लगने वाले शख्स को साथी बनाने के लिए उसे एक मुस्कुराता हुआ गुलाब दे दिया जाए। हो सकता है रोज डे से शुरू हुआ यह रोमांटिक सफर, गुलाब की तरह आपकी मन-बगिया में ताउम्र महकता रहे।
जब से इस देश ने उधारीकरण के साथ आंखें चार किया है, बहुत से रस्मो-रिवाज भी भारत को उधार के साथ फ्री में मिले हैं। बिल्कुल एक के साथ एक फ्री की स्टाइल में। हमारा देश सभी चीजों में पीछे भले हो, लेकिन क्या मजाल कि दिखावे में किसी से पीछे हो। चाहे जितना जोर लगा लो, सबसे आगे होंगें हिन्दुस्तानी।
आजकल हमारा देश तरक्की के पथ पर कछुआ चाल से सरपट दौड़ा जा रहा है। पड़ोसियों के मुकाबले हमारा मुल्क एक मजबूत लोकतंत्र हो गया है। हमारे देश में जितनी स्वतंत्रता, स्वच्छन्दता है, उतना किसी और देश में नहीं होगी। जो चाहे बोलो, जो चाहे छापो, जो चाहे भेजो। अभिब्यक्ति की पूरी आजादी है। उधारीकरण ने अभिब्यक्ति की आजादी में चार चांद लगा दिया है।
बसंत माने जिसमें संत भी बौरा जायँ। बसंतपंचमी आई और गई। अधेड़ और बूढ़ों ने गुजरे जमाने याद कर आह भरे। पीले कपड़ों में उन गालों की ललाई याद की जिन पर अब वक्त की झुर्रियाँ हैं और शाम को ब्लड प्रेशर की दवा खा खाँसते सो गये। जवानों को पता ही नहीं चला हालाँकि फेसबुक पर आहें भरते अंकल टाइप के जवान बसंत बसंत चिल्लाये भी। उधार खाते का वैलेंटाइन डे आने वाला है, जवानों को और मार्केटिंग कम्पनियों को उसका इंतज़ार है। धुँआधार तैयारियाँ चालू हैं। वैलेंटाइन बाबा भी संत थे। बौराने का भरपूर मसाला दे गये। दूरदर्शी थे। उन्हें पता था कि सुदूर इंडिया में जब जवान लाइफ के टेंशन में बसंत काल की फसंत विद्या भूलने लगेंगे तो उनका डे ही काम आयेगा। जमाना गवाह है, बड़े बौरान टाइप के संत थे।
आजकल हमारा देश तरक्की के पथ पर कछुआ चाल से सरपट दौड़ा जा रहा है। पड़ोसियों के मुकाबले हमारा मुल्क एक मजबूत लोकतंत्र हो गया है। हमारे देश में जितनी स्वतंत्रता, स्वच्छन्दता है, उतना किसी और देश में नहीं होगी। जो चाहे बोलो, जो चाहे छापो, जो चाहे भेजो। अभिब्यक्ति की पूरी आजादी है। उधारीकरण ने अभिब्यक्ति की आजादी में चार चांद लगा दिया है।
पर अपना ही रहे क्या कम है।
प्यार करे ना करे गम नहीं,
बस याद करता रहे क्या कम है।
क्या खूब कहा है किसी ने। दिल की परिभाषा को सरोबर करती ये चार पंक्तियाँ वास्तव में कुछ ना कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती है। सचमुच प्यार एक ऐसा ही खूबसूरत एहसास है जो सचमुच एक इंसान की जिंदगी बदल देता है। जब किसी को प्यार हो जाता है। प्यार का यह एहसास इंसान की जिंदगी को खुशियों से सरोबार कर देता है। ऐसा लगता है मानो चारों तरफ फूलों की बहार आ गई है। काँटों से लदे उस पेड़-पौधे पर बढ़ती पत्तियों के साथ प्यार का एहसास एक खिले हुए फूल की तरह दोनों जिंदगियों को अपनी प्यार भरी बारिश से तरबतर कर देती है। यह जरूरी नहीं है कि आप प्यार का इजहार या प्यार की उस बारिश में एक दिन यानी सिर्फ वेलेंटाइन डे की दिन ही नहाएँ। उसके लिए तो जिंदगी की सारी रातें, सारे दिन, चौबीस घंटे और 365 दिन भी कम होते है। अगर वास्तव में आप किसी को प्यार करते हैं तो हर इंसान के जीवन का हर दिन वेलेंटाइन दिन से कम नहीं होता। अगर वह उसे सही मायने में जिए तो।अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-उत्तर कोरिया, चीन आदि देशों की नजर में भारत एक सर्वश्रेष्ठ बाजार है और उनकी नजर में यहां रहने वाले लोग सिर्फ सबसे अच्छे ग्राहक। इन देशों की कंपनियां भारतीयों को सबसे भोला ग्राहक समझती हैं, क्योंकि थोड़ी सी भूमिका बनाने के बाद ही भारतीय आसानी से चंगुल में फंस जाते हैं। भारत में लगातार बढ़ रही वेलेंटाइन डे की लोकप्रियता के पीछे भी विदेशी कंपनियों का ही एक षड्यंत्र है, जिसमें भारतीय युवा पूरी तरह फंसते जा रहे हैं। विदेशी कंपनियों के झांसे में आ चुके भारतीय युवा प्यार का अर्थ भी पूरी तरह भूलते जा रहे हैं।
धरती पर भारत ही एक ऐसा देश है, जहां आपस में ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों तक से प्यार करने की शिक्षा दी जाती है। भारतीय संस्कृति में दिन की शुरुआत प्यार से ही होती है। यही एक ऐसा देश है, जहां रहने वाले लोगों के तन, मन और कर्म में हर क्षण प्यार ही रहता है। यह भारत की भूमि, वातावरण, संस्कृति, परंपरा और धर्म की देन है। भारत परंपराओं को मानने वाला देश है। विभिन्न वर्गों, भाषाओं, धर्मों और विशाल भू-भाग में रहने के बाद भी सभी परंपरा व धर्म के नाम पर अपने त्योहार मिलजुल कर और पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ मनाते हैं, जिसका मतलब पे्रम को बढ़ावा देना ही होता है, फिर भारतीय वेलेंटाइन डे क्यों मनायें? यह बात युवाओं को कोई नहीं समझा पा रहा है, इसके अलावा प्यार जोडऩा सिखाता है, प्यार समर्पण के भाव जागृत करता है, प्यार त्याग करने के लिए प्रेरित करता है, प्यार ईमानदारी और सच्चाई की राह पर चलना सिखाता है, पर वेलेंटाइन डे के नाम पर युवा जिस प्यार को लेकर दीवाने नजर आते हैं, वह प्यार नहीं, बल्कि शारीरिक आसक्ति है, हवस है।फरवरी का इंतजार सभी को होता है। दोस्ती हो या प्यार का इजहार वैलेंनटाइन-डे को खास बनाने के लिए युुवाओं ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। वहीं मार्केट में भी वैलेंटाइन-डे को लेकर भी खासी तैयारी दिख रही है। ग्रिटिंंग शॉप से लेकर गिफ्ट कार्नर तक लोगों की भीड़ नजर आने लगी है।
वैलेंटाइन-डे को अभी दस दिन बचे हैं, लेकिन लव वीक की शुरुआत चार दिन बाद यानी सात फरवरी से हो जाएगी। वैलेंटाइन डे और लव वीक को लेकर युवाओं में कुछ ज्यादा ही उत्साह है।युवा अपनी पसंद के गिफ्ट्स की खरीदारी में जुट गए हैं। कोई क्रिस्टल की मूर्ति को, तो कोई फोटो फ्रेम गिफ्ट करने का प्लान बना रहा है। वहीं ट्विनसिटी के गिफ्ट कार्नर पर यंगस्टर्स की भीड़ देखने मिल रही है। यंगस्टर्स की डिमांड को देखकर गिफ्ट कार्नर वाले ने कई नए गिफ्ट आइटम मंगवाएं हैं, क्योंकि हर बार यंगस्टर्स अपने दोस्त को कुछ नए अंदाज में गिफ्ट देने हैं।
धरती पर भारत ही एक ऐसा देश है, जहां आपस में ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों तक से प्यार करने की शिक्षा दी जाती है। भारतीय संस्कृति में दिन की शुरुआत प्यार से ही होती है। यही एक ऐसा देश है, जहां रहने वाले लोगों के तन, मन और कर्म में हर क्षण प्यार ही रहता है। यह भारत की भूमि, वातावरण, संस्कृति, परंपरा और धर्म की देन है। भारत परंपराओं को मानने वाला देश है। विभिन्न वर्गों, भाषाओं, धर्मों और विशाल भू-भाग में रहने के बाद भी सभी परंपरा व धर्म के नाम पर अपने त्योहार मिलजुल कर और पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ मनाते हैं, जिसका मतलब पे्रम को बढ़ावा देना ही होता है, फिर भारतीय वेलेंटाइन डे क्यों मनायें? यह बात युवाओं को कोई नहीं समझा पा रहा है, इसके अलावा प्यार जोडऩा सिखाता है, प्यार समर्पण के भाव जागृत करता है, प्यार त्याग करने के लिए प्रेरित करता है, प्यार ईमानदारी और सच्चाई की राह पर चलना सिखाता है, पर वेलेंटाइन डे के नाम पर युवा जिस प्यार को लेकर दीवाने नजर आते हैं, वह प्यार नहीं, बल्कि शारीरिक आसक्ति है, हवस है।फरवरी का इंतजार सभी को होता है। दोस्ती हो या प्यार का इजहार वैलेंनटाइन-डे को खास बनाने के लिए युुवाओं ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। वहीं मार्केट में भी वैलेंटाइन-डे को लेकर भी खासी तैयारी दिख रही है। ग्रिटिंंग शॉप से लेकर गिफ्ट कार्नर तक लोगों की भीड़ नजर आने लगी है।
वैलेंटाइन-डे को अभी दस दिन बचे हैं, लेकिन लव वीक की शुरुआत चार दिन बाद यानी सात फरवरी से हो जाएगी। वैलेंटाइन डे और लव वीक को लेकर युवाओं में कुछ ज्यादा ही उत्साह है।युवा अपनी पसंद के गिफ्ट्स की खरीदारी में जुट गए हैं। कोई क्रिस्टल की मूर्ति को, तो कोई फोटो फ्रेम गिफ्ट करने का प्लान बना रहा है। वहीं ट्विनसिटी के गिफ्ट कार्नर पर यंगस्टर्स की भीड़ देखने मिल रही है। यंगस्टर्स की डिमांड को देखकर गिफ्ट कार्नर वाले ने कई नए गिफ्ट आइटम मंगवाएं हैं, क्योंकि हर बार यंगस्टर्स अपने दोस्त को कुछ नए अंदाज में गिफ्ट देने हैं।
तकिये के नीचे छिपे प्रेम-पत्रों की तरह।
मेरे अल्फाज़ भी जुबां में छटपटाते हैं।
आंखों कुछ कहती हैं, भाव कुछ बताते हैं।
तुम समझ लेना; मेरी अनकही बातें।
मैंने काटी हैं, जागते-जागते कई रातें।
इस वेलेंटाइन भी शायद कुछ न कह सकूंगा।
लेकिन यह तय है तुम्हारी जुदाई न सह सकूंगा।
तुम पढ़ लेना मेरी आंखें और चेहरे की भाषा।
तुम ही हो मेरी आस और जीने की आशा।
बचपन में पंडित होने के प्रयास में पिटने वाला मैं हर साल वेलेंटाइन डे से पूर्व और कई दिन बाद तक वेलेंटाइन की खोज में बौराया घूमता रहता था। इस साल सोचा था कि कोई न कोई वेलेंटाइन मिल ही जाएगी। लेकिन अफसोस है कि इस साल भी मुझ 42 साल के नवयुवक को किसी ने घास नहीं डाली। प्रपोज डे बीत गया, चॉकलेट डे कब आया और कब चला गया,पता ही नहीं चला। किस डे, हग डे जैसे तमाम डे मुझे ठेंगा दिखाकर चलते बने। थक-हारकर आज मैंने फैसला किया है कि मैं अपनी पुरानी वेलेंटाइन (घरैतिन) के साथ वेलेंटाइन डे मनाने उसके पास जा रहा हूं। खबरदार, जो किसी ने अब मुझे फोन या एसएमएस भेजकर वेलेंटाइन डे विश किया।
इतने हैं लाज़बाब, कि अब क्या जबाब दें
मुझको हर एक रस्म निभाने का शौक था
कैसे हुए खराब, कि अब क्या जबाब दें
अहसास की बातों को अहसास ही रहने दें
मत पूछिए जनाब, कि अब क्या जबाब दें
6 टिप्पणियाँ:
रोचक प्रस्तुति.
अच्छी प्रस्तुति
आशा
सुंदर प्रस्तुति, बेलनट्राई डे की शुभकामनाएं :)
वाह संगीताजी आज आपने लाजवाब वार्ता सजाई है, बिलकुल ताज़े लाल गुलाब की तरह... सुन्दर लिंक्स...
Where there is great love, there are always wishes...
"Happy Valentine's Day"
अरे वाह बेलन ट्राई डे की भी शुभकमनाएं ... सबसे खास दिन... :)
रोचक प्रस्तुति।
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