शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

चांदनी चंचल चंचल..... ब्लाग 4 वार्ता.......संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... आज कल ब्लॉग पोस्ट कम ही लिखी जा रही है इसलिए फ़ीड भी कम आ रही है। जिस एग्रीग्रेटर पर 600 ब्लॉग लिंक है वहाँ 25-30 पोस्ट फ़ीड आ गयी तो बहुत है। कहने को तो 50000 ब्लॉग हैं। फ़ेसबुक का असर ब्लॉगिंग पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। ब्लॉग पर पाठकों की संख्या भी कम होते जा रही है। अलेक्सा रैंकिग में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। ऐसी ही स्थिति रही तो गुगल भी अपनी मुफ़्त की इस सेवा को बंद कर सकता है। जैसे उसने पहले ही अपनी कई सेवाएं बंद कर ली। ब्लॉग जगत के लिए यह कठिन समय है अपने अस्तित्व को बचाने के  लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। क्या ब्लॉगिंग के अवसान का समय आ गया है?…………अब चलते हैं वार्ता पर………प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक………
 
निराले रिश्ते ...
भंवरे जैसा मन है उसका डोलता है वह गली-गली हर पुष्प से प्यार उसको पर समझी नहीं उसे पगली फ़ितरत उसकी बेवफ़ाई थी वो क्या किसी से वफ़ा करे दोस्त बनकर आया है तो दोस्ती का हक भी अदा करे आँसुओं का दर्द नही समझा ...
देर तक देखती रही...दूर तक देखती रही.....!!!
*यूँ ही इक दिन खिड़की से जाने किसे जाते,* *देर तक देखती रही....दूर तक देखती रही......* * * *ख्यालो में खोई थी या,* *खुद के अन्दर उठे सवालों में उलझी थी* *मन आवाज़ दे रहा था,* *पर मौन **खड़ी **अपलक खिड़की से...
लोग समय के साथ बदल जाते हैं...!
.कुछ एक ऐसे विम्बों को याद करते हुए जो वक़्त के साथ बदल गए कुछ इस तरह कि विश्वास की जड़ें हिल गयी... आहत मन से लिखी एक पुरानी कविता स्वयं को ही सांत्वना देने के लिए सहेज लेते हैं यहाँ...! लोग समय के साथ बदल...
.......कि बगल की कुर्सी पर
कैसी है ये यात्रा, कैसा है ये सफ़र, इधर और उधर, सिर्फ़ नए,अपरिचित चेहरे. कहीं बच्चों की कतार, कहीं सरदारजी सपरिवार, कोई खा रहा 'चौकलेट' कोई पी रहा सिगार, किसे दिखाऊँ उस औरत का जूड़ा, किसे दिखाऊँ उन महाशय की...
बादशाह मछेरा !
*मछेरे, तुमने * *अपना मत्स्य जाल,* *गुरुकाय व्हेल के ऊपर* *डाला क्यों था? * * * *जिन्न की रिहायश* *बोतल में होती है,* *यवसुरा* की शीशी से (*बीयर) * *निकाला क्यों था? * *बुजुर्ग फरमा गए * *कर्म के...
क्या कहूँ ......
स्नेह प्यार या कहूँ छलकता बरसता दुलार नदिया की लहरों सी मन बहकाती उमंगें हैं लाल हो या गुलाबी बड़ी हो या फिर छोटी ये बिंदिया तो बस तुम्हारी साँसों को ही निरख-निरख कर बस यूँ ही निखरती हैं सम्मोहक बि...
चंदन की चांदनी ...
*चंदन की चांदनी चंचल चंचल चमकीली ,चहूँ दिशायें नखरीली चौकाएं चरू लताएं चाहें चन्दन संग चिन्मय हो जाएँ चेह्चहाएं चुनिंदा चातक जब चकोर संग मिल जाएँ चुस्की लेती रात चाँद चाशनी उसकी ल...
मृत्यु के पहले अवश्य जी ले.....!!
** * * *मेरे प्रिय मित्रों ;* *नमस्कार !* *जब हम मृत्यु को प्राप्त होंगे , तब सिर्फ तीन ही प्रश्न विचारणीय होंगे :* * * *१. क्या हमने जीवन जिया * *२. क्या हमने प्रेम किया * *३. क्या हमने इस संसार कोकुछ वापस ...
मैं तेरे शह्र में बिलकुल नया नया हूं अभी, तेरे वादों के हवालात में बंधा हूं अभी। चराग़ों के लिये मंज़ूर है मुझे मरना, मुकद्दर आंधियों के तेग पर रखा हूं अभी। घिरी है बदज़नी से , हुस्न की गली गोया, लुटाने इश्क़ ...
विश्‍व पुस्‍तक मेले में ज्‍योतिपर्व प्रकाशन का हंगामा : प्रगति मैदान, नई दिल्‍ली में 27 फरवरी 2012 को 
आप आएंगे तो होगा नहीं आएंगे तो कैसे होगा कौन करेगा हंगामा करते हैं या तो पाठक या दर्शक लेखकों को करते हंगामा न देखा, न सुना हां, चाहेंगे जरूर और आएंगे जरूर सोमवार 27 फरवरी 2012 को सांय 3.00 बजे हॉल नंबर 6 ...
जीवन के इक मोड पर अच्छा हुआ तुम मिल गये कुछ कह लिया कुछ सुन लिया बोझ हल्का कर लिया यूँ ही साथ चलते चलते कुछ रास्ता भी कट गया पहचान क्या है मेरी पहचान क्या है तेरी तुम खुद ही गढो जानना ही चाहते हो तो मेरी आ...
कैसा रहेगा आपके लिए 24 , 25 और 26 फरवरी 2012 ?? 
मेष लग्नवालों के लिए 24 , 25 और 26 फरवरी 2012 को धन की स्थिति मजबूत होगी , इसे मजबूत बनाने के कार्यक्रम भी बनेंगे। संपन्न लोगों से विचार विमर्श होगा। ससुराल पक्ष का महत्व बढेगा , ससुराल पक्ष के किसी कार्...
उन दिनों तुम 
बहुत पहले इसी शीर्षक से एक कविता लिखी थी आज उसी कविता का दूसरा रूप प्रस्तुत कर रही हूँ http://kavita-verma.blogspot.in/2011/07/blog-post.html * * लौटते ही घर झांक आते थे हर कमरे , आँगन रसोई और छत पर मेरी...
अहसास, कि तुम मिलोगी, ये आभास, कि तुम मिलोगी, ये ख़याल, कि तुम होगी, और रोज़ की तरह, खिलखिलाती, मींच आँखे, सकुचाते, लजाते, यह कहोगी, नहीं थे आप, सूना था सब, फिर मन ही मन, खुश होना तुम्हारा , निहारना, और बिख...
* लंच की घंटी बजी, ** रमा ने सुरभि से पूछा आज टिफिन में क्या लाई है? * *सुरभि ने मुँह बनाकर कहा,"क्या होगा टिफिन में,वही रोज की तरह मम्मी ने घास-फूस रखा होगा. यार ऐसा खाना खाते-खाते मेरी तो भूख ही म...
चालाक कौन ?...
आज मैं बचपन में पढ़ी हुई एक बाल कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ ।अक्सर हम यह सुनते हैं की लोमड़ी चालाक होती है मगर यह कहानी कुछ और ही कहती हैं । किसी जंगल में एक शेर और बहुत से जानवर रहते थे । एक दिन शेर ने बो.

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार.....

7 टिप्पणियाँ:

आपने सही लिखा है .. ब्‍लॉगिंग में जितनी ही उत्‍साहजनक शुरूआत हुई थी .. उतना ही निराशाजनक स्थिति बनती जा रही है .. अच्‍छा होगा कि हम फेसबुक छोडकर ब्‍लॉगिंग पर ध्‍यान दें .. अच्‍छी वार्ता के लिए शुक्रिया !!

ब्लॉगिंग में शिथिलता आ गयी है, सही कहा कि फ़ेसबुक का काफ़ी असर पड़ा है। हमने ही 20 दिन हो गया कोई पोस्ट नहीं लिखी है।

आभार आपका

मत- भिन्नतायों अवसर-वादिओं का समय अनुज्ञापित नहीं होता , भेड़- चाल ,कम समय में बड़ा होने की हसरत जब मन में स्थान लेती है तब परिश्रम व विचार अनुशीलन की भावना विलुप्त होने लगती है ....कदाचित फिर वहीँ लौटना होता है जहाँ से हम चले थे ..... सुन्दर अख्यांश...

पाठकों की कमी के कारण लेखन मे भी कमी आ रही है,,,, फास्ट फूड के जमाने मे फेसबुक का लोकप्रिय होना स्वाभाविक है।

satya wachan mahaguru...bloger mahoday....blog likhne ke liye facebook ka moh tyagna hi hoga..sunder warta ke liya...aabhar awm badhai ho.....

वास्तव में ब्लॉगिंग में ठहराव का दौर महसूस होता है आजकल !
अच्छे लिंक्स !

. सुन्दर अख्यांश...

हमने ही 15 दिन हो गया कोई पोस्ट नहीं लिखी है।
शुक्रिया

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