शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

बन गयी चिंगारी - जाग उठी देहात की नारी...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

 संध्या शर्मा का नमस्कार... अखबारों की विश्वसनीयता खत्म होते जा रही है, जिस तरह का समाचार इंडियन एक्सप्रेस में आया कि सेनाएं दिल्ली पर कूच करने जा रही थी और पाकिस्तान जैसे तख्ता पलट को अंजाम दिया जा सकता था। अब खुलासा हुआ है कि युपीए के किसी मंत्री के कहने पर  उसकी स्वार्थ सिद्धी के लिए यह समाचार प्लांट किया गया। जिससे प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष के बीच तनातनी हो जाए और ये अपने उल्लू सीधा करते रहें। इस षड़यंत्र की जांच होनी चाहिए और दोषी व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए। यह भारत की स्वतंत्रता, संप्रभुता एवं सवैंधानिक ढांचे पर आक्रमण है   …… अब प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक्…।

 देहात की नारी की आवाज- "देहात की नारी" ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आज हम इस ब्लॉग पर प्रकाशन प्रारंभ करें , इसके पूर्व कुछ परिचय नवीन ब्लॉग का देना चाहेंगे ........ हमारा देश सांस्कृतिक सम्पदा... 

यशवन्‍त कोठारी का व्यंग्य : सरकार के सलाहकार - सरकार है तो सलाहकार भी है। ऐसी किसी सरकार की कल्‍पना नहीं की जा सकती है जिसके पास सलाहकार नहीं हो। वैसे भी सरकारों के पास सलाहकारों की कभी कमी नहीं रहती। क...

प्यार और प्यार ! - प्यार सत्य है, प्यार मुक्ति है, इच्छाओं से विरक्ति, प्यार शक्ति है. प्यार है इबादत ईश्वर का है उपहार, प्यार है भरोसा तक़दीर है ये प्यार . प्यार ज़िन्... 

सीख ऐसी भी तो हो सकती थी। - पुरानी कहानी है कि एक गुरु अपने शिष्यों को लेकर एक जंगल से कहीं जा रहे थे। एक दिन पहले ही भयानक तूफान वहां से तबाही मचाते हुए गुजरा था। जिसके फलस्वरूप बडे... 

नासमझ की बात- कुछ पंक्तिया कहीं शायद पढ़ी हुई या सूनी हुई पंक्तिया **ऐ माँ आज मैंने जाना मेरे बचपन में मेरे अबोलेपन के बाद भी क्यों जान समझ लेती थी तूँ मेरी पीड़ा को क...


चम्मच भर गद्य - दिन दिन दिन उतान होते जा रहे हैं और आस पास के जन हैरानियत की सीमा के उस पार पहुँच चुके हैं जहाँ किसी को बेहद आसान सा माना जाने लगता है - वह तो ऐसा ही है..

कैसा रहेगा आपके लिए 5 , 6 और 7 अप्रैल का दिन ?? - मेष लग्नवालों के लिए 5 , 6 और 7 अप्रैल 2012 को भाई.बहन , बंधु बांधवों के मामलों में सुखद अहसास बनेगा। सहकर्मियों से सहयोग मिलेगा। झंझट उपस्थित हो सकते हैं... 

आज मैं भी देह होना चाहती हूँ ,थक चुकी हूँ सीता बनकर - हे! पुरुष जब जाते हो बाहर तुम और मिलते हो किसी मेनका से तब हो जाती हूँ मैं तुम्हारे लिए घर की मुर्गी दाल जैसी ही कोई क्या तुम्हारे मन ने भी पूछा है कभी तुमस...

धन घड़ी आई आज ... - धन घड़ी आई आज ... आज आनंद ही आनंद है मन में |आज मेरे ब्लॉग का दूसरा जन्मदिवस है ...!! मन की सरिता जब ब्लॉग पर डाली थी जानती नहीं थी की इसकी यात्रा ...

आज कल मैंने बहुत बिज़ी हूँ - आज कल मैंने बहुत बिज़ी हूँ किस काम में ? जानना चाहते हैं आप ..तो पढ़िए ....(एक हास्य जो सच में रसोई में काम करते करते ये ख्याल आ गया ...कि अगर कभी कुछ ऐसा ह... 

सार्थक सोच - अभिनन्दन है विस्थापन है , अभिषेक कहीं सूनापन है , अंतर्विरोध के युग्मों में , पराया है अपनापन है - ताप ,तृष्णा की ज्वाला है , ईर्ष्या की तपती शाला है , द्वेष ,दंभ ,..



सिर्फ महसूस किये जाते है......!!!- .*कुछ एहसासों को लब्ज़ नही मिलते,* *वो सिर्फ महसूस किये जाते है......* * उन्हें शब्द हम क्या दे...उन्हें अर्थ हम क्या दे.....? जो अनजाने में इस दिल से जुड़ जाते है.... साथ होते है फिर भी तन्हाई सी रहती है,...

ब्लोगजगत में दूसरी वर्षगांठ ....- जी हाँ आज मैंने ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे कर लिए ,यह दो वर्ष कैसे बीते इसका पता ही नहीं चला । लिखना, पढ़ना और टिपियाना यही क्रम चलता रहा । कभी कभी अच्छी पंक्तियाँ, सुंदर अभिव्यक्ति ,बहुत खूब, मजेदार जैसी ...

एक करोड़ रुपये देने का वादा करता हूं ब्लागर्स राहत कोष के लिये ?- .posted by noreply@blogger.com (गिरीश"मुकुल") at मिसफिट Misfit  

छेड़ दो गीत कि यह शाम बहुत उदास लगे ।- छेड़ दो गीत कि यह शाम बहुत उदास लगे ।। बैठे हो पहलू में मेरे ,दिल में यह ख्वाब जगे।। बेखबर तारे हैं यह़ आसमान भी उनीदा है, चाँद निकलेगा यह अरमान अभी जिंदा है। पल दो पल का यह अनजान सफर तो नहीं, ताउम्र रात...

यह इन्कलाब ज़रूरी है दोस्तों !- मैं जीवन का सत्य लिखना चाहती हूँ बिल्कुल हँस की तरह दूध अलग पानी अलग ... पानी की मिलावट यानि झूठ की मिलावट अधिक होती है पर न ग्वाला मानता है न दुनिया ग्वाले के स्वर में भी सख्ती झूठे के स्वर में कभी...

स्मृति का उजाड़ रेगिस्तान- ज़िन्दगी में जब भी कोई चीज़ आगे नहीं बढती तो उस पर धूल और काई जमने लगती है. हम छटपटाने लगते हैं. नयेपन की चाह में ये ठहरा हुआ लम्हा बोझ बन जाता है. हाँ बोझ.... ये कुछ बेवजह की बातें भी आगे नहीं बढ़ पा र...

यह आज की नारी है...... - नए-नए आयाम बनाती है, शिखर पर झंडे लगाती है, यह आज की नारी है...... हर जगह पहुँच जाती है. सहिष्णुता के आवरण में ज्ञान-विज्ञान से, अन्याय की त्रासदी को ललकारकर... 

देखन आये जगत तमाशा. - दायें बाएं देखता हूँ, कुछ कोशिश जारी रखता हूँ, अपने वजूद को पहचाने की - उस बच्चे मानिंद जो देखता है छूता है - और वस्तु को उसकी प्रकुति के हिसाब से...  

विक्रम बेताल - भ्रष्टाचार कथा - हमेशा की तरह बेताल ने कहानी शुरू की, "सुन विक्रम! जिसे तू जम्बूद्वीप अथवा आर्यावर्त के नाम से जानता है, कालान्तर में उस देश का नाम भारतवर्ष हो गया। भारतवर्...

  
माँ.... मैं दूध न पी पाऊँगी! - कई बार बच्चों की कोमल सच्ची भावनाएं हमें जीवन के भूले हुए पाठ याद दिला जाती हैं आज अचानक खेल अधूरा छोडके वह आ बैठी आँचल के छोरसे पोंछके आंसू औंधे मूंह जा लेटी पूछा मैंने जाकर उससे "अरे क्या ह..

ऊँची चोटियों का अभिमान - उन ऊँची चोटियों को कितना अभिमान है उन पर पड़ रही स्वर्णिम किरणों का आधार ही तो उनका श्रृंगार है । घाटियों की गहराई विजन में ज़ज़्ब यादों की अवहित्... 

बाबा की बाबाई प्रा0 लि‍0 - http://kajalkumarcartoons.blogspot.com

फूलों की तलाश में , भटकते रहे हम गुलशन गुलशन --- - रविवार का दिन था । श्रीमती जी कहने लगी --जी बहुत दिन हो गए , फूलों को देखे हुए । चलिए कहीं चलते हैं । मैंने कहा भाग्यश्री, ऱोज तो रोज को देखती हो , फिर कह...

भई, कार्यक्रम हो तो ऐसा ----- ललित शर्मा भई अब तो लिखना ही पड़ेगा कि कार्यक्रम हो तो ऐसा! अनिल पुसदकर ने एक महीने पहले फ़ोन कर के बताया कि उनकी कृति "क्यों जाऊं बस्तर? मरने! का विमोचन 31 मार्च को होना है, साथ ही यह भी कहा कि "31 मार्च को कहीं दू...

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार.....

5 टिप्पणियाँ:

मेहनत से की गयी वार्ता, संध्या जी, बढिया वार्ता के लिए आभार, हनुमान जयंती की शुभकामनाएं

sandhyaji ko is sunder warta ke liye badhai aur hanuman jayanti ki badhai...

सटीक वार्ता और अच्छी लिंक्स |
आशा

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