मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

अँधेरी रात मध्य मैं चाँद को लाने निकला हूँ --------ब्लॉग4वार्ता -----ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  तीन दिन के महाराष्ट्र दौरे से अब वापसी का समय है, जब तक ब्लॉग वार्ता प्रकाशित होगी, हम रायपुर पहुच चुके होंगे........ भीषण गर्मी में कुछ अच्छी जगहों पर घूमना हुआ. काफी जानकारियां मिली.....अंजू चौधरी जी, संध्या जी, डॉ. अनीता कपूर जी एवं संजीव तिवारी से मिलना हुआ. एक दिन का समय इनके साथ कब बीत गया पता ही नही... जब वापसी की तैयारी में लगा था तभी गौरव शर्मा का मैसेज मिला कि एस.एम्.हबीब जी की माता जी का देहावसान हो गया, माता जी को विनम्र श्रद्धांजलि... कल उनके यहाँ से होते हुए हम घर पहुचेगें......... अब चलते हैं आज की वार्ता पर ......... प्रस्तुत हैं कुछ ब्लॉग लिंक.........

पलकभर आसमानवक्त के दरिया में सभी मगरूर हो गए दौलत और शोहरत के नशे में चूर हो गए एक-एक कर सभी दोस्त दूर हो गए ?????? नादाँ दिल मेरे ...... ग़मगीन नहीं होना संग हमेशा रहकर तेरे गम सारे हर लूंगी उदासी भरे दो नैनो...यदि हम गए होते सारनाथजब हम बनारस में थे एक बार सारनाथ जाने का कार्यक्रम बना पर किसी कारण वश सफल नहीं हो पाया तब मैंने यह कविता लिखी थी. यदि हम गए होते सारनाथ झड़ गया होता मन का हल्का सा भी तनाव हरे पेड़ों की छाँव में, वह नीला ...मुक्तसरआँगन में जब खिला तो ,सौगात की तरह था , खेतों में खिल रहा है ,खर -पतवार की तरह है - आँचल वो अंक में था, निशान -ए - आशिकी , बिकने लगा बाजार में,अब सामान की तरह है- खुशबू के का...

आज वह मर गया …आज वह मर गया; ऐसा नहीं कि पहली बार मरा है अपने जन्म से मृत्यु तक होता रहा तार-तार; और मरता रहा हर दिन कई-कई बार, उसके लिए रचे जाते रहे चक्रव्यूह, और फिर यह जानते हुए ...अब तो तुम्हारी भी कर्ज़दार हुईगूगल मैप्स कहता है कि ऐरोली से बैंड्रा २८ किलोमीटर दूर है। वो मुझसे तीन ट्रेनें और दो ऑटो बदलकर आई है। मेरे पास मेज़बानी के नाम पर जॉगर्स पार्क में समंदर किनारे की ठंडी हवा है, चाय की प्यालियां हैं और मेरे...श्री अशोक बजाज ने की गोवा के मुख्यमंत्री से सौजन्य मुलाकातछत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने आज पणजी में गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पारिकर से सौजन्य मुलाकात की। उन्होंने श्री पारिकर को छत्तीसगढ़ प्रवास के लिए भी आमंत्रित किया। श्री...

समाज से अंधविश्‍वास को दूर करने के कार्यक्रम में साथ देकर हमारा मनोबल बढाएं !!!!!हमारे देश में तरह तरह के अंधविश्‍वास फैले हुए हैं , ताज्‍जुब है कि अंधविश्‍वासों के चक्‍कर में सिर्फ अनपढ , गरीब निम्‍न स्‍तरीय जीवन जीनेवाले ही नहीं हैं , बल्कि पढे लिखे और अमीर लोगों का तबका भी अंधविश्‍व...हमास द्वारा सामूहिक शादी का आयोजन....शर्मनाक !!!कुछ तसवीरें हैं और दो विडियो... ये हैं ४५० बच्चियां, उम्र ६-९ वर्ष तक की...और उनके साथ खड़े हैं, उनके पति... फिलिस्तीन के गाज़ा शहर में,  हमास द्वारा सामूहिक शादी का आयोजन है या पारितोषिक वितरण ???  लगता ...दवे जी ये " राष्ट्रीय शर्म " क्या बला हैनुक्कड़ पर कालू गरीब ने हमसे पूछा- " दादा, ये " राष्ट्रीय शर्म " क्या बला है। हमने बला टालने के लिहाज से कहा - " कालू ये बड़े लोगो का मसला है। अगर तू अर्थ जान गया, फ़िर पल पल शर्मिंदा होना पड़ेगा रे भाई।" ...

वीणा के टूटे तारों में, झंकार जगाने निकला हूँ क्यों यहाँ अकेले बैठे हो , * *क्यों खुद से बातें करते हो * *ऐसी भी क्यों बेरुखी रहे * *गैरों सी, बाते करते हो !* *इस बार पकड़ना हाथ जरा, मजबूती से साथी मेरे !* *घनघोर अँधेरी रात मध्य मैं चाँद को लाने निकल...स्कॉटलैंड यात्रा-भाग 1स्टेशन से बाहर आने के बाद का नज़ारा लो जी हम भी घूम ही आए इस बार ईस्टर की छुट्टियों में स्कॉटलैंड, वैसे स्वर्ग क्या होता है यह तो स्वर्गवासी ही जाने .... मज़ाक था यदि किसी को बुरा लगा हो तो क्षमाप्रार्थी...रजिस्टर दिस ब्लॉग।आशीष जी मै आपने ब्लॉग पर रेगुलर आता हूँ, लेकिन जब आज मैने आपका ब्लॉग खोला तो मैसेज आ रहा था यह ब्लॉग एवेलेवल नही है, रजिस्टर दिस ब्लॉग। तब मैने आपके ब्लॉग को गूगल पर सर्च कर दुबारा खोलने की कोशिश की लेकिन...

जंगल में मंगल -- फाईव इन वनश्री अरविन्द मिश्र जी की एक पोस्ट पर टिप्पणी देते हुए हमने लिखा था-- मंगल पर मंगल मनाने में तो पांच सौ साल लग जायेंगे। क्यों न अभी जंगल में ही मंगल मनाया जाए । १३ अप्रैल को हमारी शादी की २८ वीं वर्षगांठ के...दीवारें नहीं, पुल चाहिए .. 2व्यक्ति पर केन्द्रित होती राजनीति और उसके निर्णय को सर्वोपरि मानने जैसी प्रवृतियों ने हमारे सामने बड़ी विकट स्थिति पैदा की है . कुछ सत्ता के अभिलाषी लोग ऐसे लोगों को आश्रय देकर अपना स...कभी न कभी आप के साथ भी ऐसा जरूर हुआ होगा बहुतेरी बार कुछ ऐसा घटता है जो कभी-कभी सोच में डाल देता है, कुछ सोचने-समझने लायक ना होने पर भी दिमाग में कुछ सवाल पैदा कर देता है, क्यूं एक-दो बार नहीं, ऐसा कई-कई बार होता है। आपने भी जरूर यह "महसूसा" ह...

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद.............राम राम

10 टिप्पणियाँ:

रंग -ए- मस्ती ,कातिल हलाल ,गम है गाफिल ,एह्तारामे जमाल ..... आफरीन !...

बहुत बढ़िया वार्ता..................
बेहतरीन लिंक्स.

शुक्रिया.

वाह! बढ़िया सजाया है इस वार्ता को....

सुंदर लिंक्‍सों से सजी वार्ता ..
आभार !!

खूबसूरत लिंक्स से सजी रोचक वार्ता।

बहुत प्यारा अंदाज़ है ललित भाई ....
आभार आपका !

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