गुरुवार, 6 मई 2010

अरे कलुआ फिर चादर गन्दी कर गया--'लोग क्या कहेंगे?' ब्लाग4वार्ता------ललित शर्मा

सभी को ललित शर्मा का नमस्कार...........लगभग एक माह हो गए वार्ता पर लिखे। आज ताऊ जी द्वारा विशेष वार्ता होती है लेकिन अपरिहार्य कारणों से वे वार्ता नहीं लिख पाए इसलिए मुझे ही हाजिर होना पड़ा। चलिए मेरे साथ आज की वार्ता बांचते हैं और देखते हैं कुछ चुनिंदा चिट्ठों को।

पहली पोस्ट लेते हैं उड़नतश्तरी से जहां समीर भाई ने बताया है कि उनकी 400वीं पोस्ट हो गयी है उन्हे ढेर सारी शुभकामनाएं, वे कहते हैं यह है मेरी ४०० वीं पोस्ट. बहुत रोचक और दिलचस्प सफर रहा इन ४०० पोस्टों का. टिप्पणी के माध्यम से अब तक लगभग ३५०० लोगों का, अवागमन में लगभग १६४००० लोगों ने और फीडस स्बासक्राईब करने में लगभग ५७० लोगों नें अपना स्नेह और प्रोत्साहन दर्ज किया। इस उपलक्ष्य में वे मिठाई खा रहे हैं भाभी जी के हाथों और हमारी मिठाई कुरियर या फ़ैक्स से भेजने का प्रबंध कर रहे हैं।

बैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में आज जी के अवधिया जी पधारे हुए हैं। उनकी प्रविष्टि लगी हुई है, उन्होने टिप्पणियों पर अपना व्यंग्य लिखा है, जो कि पठनीय है, अरे! यह भी कोई टिप्पणी हुई? ये तो कोई चेतावनी है। टिप्पणीकर्ता 'यहाँ देखो' कह कर शायद यह बता रहा है कि मैंने किसी और स्थान से लेख चोरी कर के अपने ब्लोग में पोस्ट कर दिया है। सरासर चोरी का इल्जाम लग रहा है यह तो।....... ताऊजी डॉट इन पर अविनाश जी ने अतिथी पोस्ट लगाई है, जहां मदद की अपील की जा रही है, अक्षय कत्‍यानी को सहयोग करने के लिए।

अनवरत पर वकील साह्ब लेकर आए हैं फ़्रेडरिक ऐंगेल्स का कार्ल मार्क्स की समाधि से दिया हुआ भाषण,यह भाषण कार्ल मार्क्स के अभिन्न साथी फ्रेडरिक ऐंगेल्स द्वारा हाईगेट क़ब्रिस्तान, लंदन में, 17 मार्च 1883 को अंग्रेजी में दिया गया था। इधर डॉक्टर महेश सिन्हा जी क्रांति की तैयारी में हैं उन्होने पुछा है कि एके 57 का लाइसेंस कहाँ मिलेगा कुछ लोगों से पूछताछ की भाई ये 47 या 56  रसूखदार असला है इसका लाइसेंस कहाँ मिलेगा ?जानकार लोगों ने बताया की ये तो मिल ही नहीं सकता .हमने कहा काय बात करते हो . हर बड़े आदमी के आस पास यह हथियार दिखाई दे जाता है 
  
नयी किरण- शोभना 'शुभि' शोभना बहन लिख रही हैं एक कहानी-मैंने इस ब्लॉग पर कहानियां लिखना शुरू किया था. "मैं बेगुनाह हूँ" शीर्षक वाली कहानी से पहली कोशिश की पर इस कहानी को पूरा लिख नहीं पाई, अधूरी ही छोड़ दी अभी, बाद में पूरा करंगी. इस बीच एक दूसरी कहानी लिखना शुरू किया और पूरा लिख भी दिया..गिरीश पंकज काव्य के माध्यम से कह रहे हैं कि अमन के हम पहरुए है, हमारा काम चलना है, बस्तर अशांत है, हिंसा का खेल खेलने वाले नक्सलियों के कारण. नक्सली विकास की बात करते है और हमेशा विनाश के दृश्य उपस्थित करते है. अरुंधती राय जैसी लेखिकाएं और कुछ छद्म बुद्धिजीवी नक्सलियों को महिमामंडित करते रहते है।

फ़कीरा का तो अंदाज ही अलग है सन्नी ओ सन्नी........अरे कलुआ फिर चादर गन्दी कर गया!!! पीछे साल हमारे घर के आसपास घूमने वाली एक बिल्ली ने एक शावक को जन्म दिया. एक दम काला. काला रंग तो उसके बदन को इतना सुन्दर बना देता था कि अगर कोई हसीना भी सामने अपने काले घने बालो की चादर फैला दे तो भी कवि उस शावक की सुन्दरता का बखान करती कविता लिखेगा.। कडुवा सच में कुछ स्पेशल है मेरा "तरा-रम-पम" कुछ बोल-सुन नहीं सकता !!  ब्लागजगत में कूदे हुये मुझे जुम्मा-जुम्मा ही हुआ है ... ले-दे के लिख-पढ लेता हूं ... कुछ दिनों पहले ही "चैटिंग" सीखना शुरु किया ... "चैटिंग" के दौरान नमस्कार-चमत्कार का सिलसिला चल पडा ... 

सुर्यकांत गुप्ता जी भले ही कुछ लिखते हैं लेकिन उनकी हर पोस्ट में एक संदेश छिपा होता हैपारा याने "पारद"/मरकरी/ की महिमा  पारा काफी चढ़ गया था धीरे धीरे उतर रहा ब्लॉग जगत में लगे न, पता कौन किसका पर क़तर रहा.   पारा याने मरकरी जिसे पारद भी कहते हैं, जिसे हमने उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के दौरान शायद यदि सही याद हो हमें तो 80  वें नंबर का तरल रूप में.। शिखा जी भारत प्रवास के अनुभव बता रही हैं शायद झुलसती गर्मी में ही गर्माते हैं रिश्ते .....मेरा भारत प्रवास यूँ तो भारत जाना हमेशा ही सुखद होता है ..परन्तु इस बार कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी ..काफी सारी योजनायें बना लीं थीं , बहुत सारे मनसूबे बाँध लिए थे....इस आभासी दुनिया के कुछ मित्रों से वास्तविक रूप में मिलने कि उम्मीद थी.....जी हाँ उम्मीद ही कह सकते हैं ,

पाबला जी ब्लाग बुखार पर एक समस्या का हल लेकर उपस्थित हुए हैंक्लिक किए जाने पर भी चित्र बड़ा नहीं दिखता! क्या किया जाए: अजय कुमार झा की दिक्कत  जिन दिनों अजय कुमार झा को टिप्पू सिंह बनाया जा रहा था उन दिनों वह बड़ी मासूमियत से पूछते रहते थे कि कुछ विशिष्ट ब्लॉगर उनको जबरन टिप्पू चाचा क्यों बनाने पर तुले हुए हैं। वे कहते थे कि बड़ी मुश्किल से तो अविनाश वाचस्पति जी से किसी वाक्य या शब्द का लिंक। मिथलेश दुबे कई दिनों के बाद दिखे हैं तन पर लपेटे फटे व पुराने कपड़े-  तन पर लपेटे फटे व पुराने कपड़ेवह सांवली सी लड़की,कर रही थी कोशिश शायद ढक पाये तन को अपने,हर बार ही होती शिकार वहअसफलता और हीनता कासमजा की क्रूर व निर्दयी निगाहेंघूर रहीं थी उसके खुलें तन को,हाथ में लिए खुरपे सेचिलचिलाती धूप के तलेतोड़ रही थी 

ब्लाग उत्सव चल रहा है देखिए ब्लोगोत्सव-२०१० : आज देखिये रश्मि प्रभा की आँखों से उत्सव के दृश्य संजय भास्कर एक गाना गा रहे हैं और उत्साह बढ़ा रहे है मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गयाहर फिकर को धुएँ में उड़ाता चला गया बरबादियों का शोक मानना फिजूल थाबरबादियों का जश्न मनाता चला गयाहर फिकर को धुएँ में उड़ा… जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लियाजो खो गया में उसको भूलता चला गयाहर फिकर को धुएँ में उड़ा… दीपक मशाल जी ने कहा है कि ''लोग क्या कहेंगे?''(लघुकथा) हमने कहा है कि "कुछ नहीं कहेंगे भैया अब घर लौट आओ, हमें इतजार है।

खट्टी चटनी जैसी माँ।-निदा फाज़ली आगामी नौ मई को माँ दिवस है, इस विशेष अवसर पर युवा सोच युवा खयालात लेकर आया है निदा फाज़ली की एक नज्म। और कल पढ़े सुधीर आजाद की माँ पर लिखी एक अद्भुत नज्म। बेसन की सौंधी रोटी पर, खट्टी चटनी जैसी माँ।याद आती है चौका बासन,चिमटा फूँकनी जैसी माँ। तुम न आये आज भी प्रिय तुम न आये,और मैं बैठी अकेली राह में पलकें बिछाये ! आज भी प्रिय तुम न आये !सप्त ऋषियों ने गगन में आज वन्दनवार बाँधे,सोहता मंगल कलश सा धवल चन्दा मौन साधे,जोहती हूँ बाट प्रियतम नयन में आँसू छिपाये।

अंत में एक सवाल जाति आधारित जनगणना में हर्ज क्या है? अब इसका जवाब तो सरकारी नुमाईंदे ही दे सकते हैं जबकि जाति आधारित जनगणना के पक्ष में हम भी और हमारी मांग भी रही है, लेकिन इधर पोल खुलने का डर है, इसलिए नहीं हो रही है। कुछ जातियाँ अपनी संख्या का झूठा आंकड़ा दिखा कर ज्यादा सुविधाएं ले रही है, सुविधा के वास्तविक हकदार वंचित हैं। सीरिया की शराब और देवासुर संग्राम इस साल की शुरूआत होते-होते डॉ. अरविन्द मिश्रा ने जब सुर असुर का झमेला शुरू किया तब हमें खबर नहीं थी कि हम भी इसके लपेटे में आ जायेंगे. लेकिन हम भी क्या करें, दूर देश के झमेलों में टंगड़ी उड़ाने की आदत अभी गयी नहीं है पूरी तरह से.

आज वार्ता को देते हैं विराम-सबको मेरा राम राम --मिलते हैं एक ब्रेक के बाद....................

23 टिप्पणियाँ:

हमारी मिठाई कुरियर या फ़ैक्स से भेजने का प्रबंध कर रहे हैं।

-भेज रहा हूँ भाई...खा लेना..तुम्हारी भाभी के हाथ की ही है. :)


बेहतरीन चर्चा.

अच्‍छी प्रस्‍तुति।

अच्छा तो खूब मज़ा किया जा रहा है मिठाई-शिठाई खा कर ...
फैक्स कोरियर से भी भेजा जा रहा है...हम ईहाँ बैठे हैं...कोई पूछ नहीं रहा है...
ठीक है ...हमरा भी दिन आवेगा....हाँ नहीं तो...!!
बेहतरीन चर्चा....

वार्ता का निराला अंदाज पसंद आया

जय हो।

ये चर्चा बड़ी है मस्त-मस्त

बने सुघ्घर चरचा करे हस महराज! जै हो!!

वाह!...मजेदार लिंक्स से सुसज्जित बढ़िया चिट्ठाचर्चा

मज़ा आ गया चिटठा चर्चा में ...बड़े काम के लिंक दिए है आपने ! शुभकामनायें और धन्यवाद

aur nikharati jarahi hai charcha...badhai...

शानदार चर्चा के लिए बधाई.
_____________
'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रचनाओं को प्रस्तुत कर रहे हैं. आपकी रचनाओं का भी हमें इंतजार है. hindi.literature@yahoo.com

चर्चा में बहुत ही बढ़िया तरीके से पोस्ट्स को पेश किया गया हैं
सुन्दर और विस्तारपूर्वक चर्चा करने के लिए आपका धन्यवाद्

@ उड़नतश्‍तरी

आपका मिठाई वाला मीठा फैक्‍स मुझे मिला है
जरूर नंबर मिलाते समय हाथ या नंबर हिला है
हमें तो डॉक्‍टर ने किया था मना मिठाई खाने को
फैक्‍समिठाई की डॉ. ने दी परमीशन सटक जाने को।

@ उड़नतश्‍तरी

आपका मिठाई वाला मीठा फैक्‍स मुझे मिला है
जरूर नंबर मिलाते समय हाथ या नंबर हिला है
हमें तो डॉक्‍टर ने किया था मना मिठाई खाने को
फैक्‍समिठाई की डॉ. ने दी परमीशन सटक जाने को।

बढ़िया लगी आपकी चर्चा ।

Bahut shandar charcha rahi ...shubhkaamnaye

चर्चा ठीक ठाक ही है...
भई जब हमारी पोस्ट शामिल ही नहीं करेंगें तो फिर हमें तो ठीक ठाक सी ही लगेगी :-)
अरे! अरे! नही भाई बहुते बढिया रही चर्चा....आनन्ददायक..फर्स्टक्लास.

suna hai kahin mithaai bant rahi hai bhaai.. ye dedh meetar lambi jeebh bhi laplapa rahi hai.. tanik bhejiye to.

बढ़िया!
घुघूती बासूती

बहुत बढ़िया और विस्तृत चर्चा...बधाई

बहुत ही सुंदर लिंक्स शर्मा जी । आभार

ब्लोग 4 वार्ता एक ऐसा प्लेट्फ़ोर्म जहाँ आप अपने पसन्दीदा लोगों को हाई लाइट कर ब्लोग जगत मे "स्थान" प्राप्त करवा सकते हैं। और खासकर प्रस्तुति ललित भाई की हो तो बात ही कुछ और है। "क्या बात, क्या बात क्या बात (सीधा सीधा उल्टा…… हाथ का एक्शन्…।)

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