नमस्कार बंधुओं,विगत दिवस हमारे ब्लागर मित्र हमे कहने लगे कि आप रिटायर हो गए हैं तो कम से कम एक ब्लाग लिखना प्रारंभ किजिए। जीवन भर लिख लिख के कागज भर दिए। पता नहीं इन 40सालों में कितनो को पढाया होगा। अब भी क्या बचा है लिखने को। लेकिन हमने ब्लाग लिखने से मना कर दिया तो कहने लगे वार्ता पर ही कुछ लिखिए। दो चार ब्लाग पढिए और उस पर कुछ लिख दिजिए जो आपको जचे। अब उनकी बात रखते हुए हमने वार्ता पर एक-दो पोस्ट साप्ताहिक लिखने का ठान लिया। इसलिए आज वार्ता लिख रहे हैं कैसा लगा आपको बताइएगा। वैसे तो हम रिटायर कालिखजीवी है लेकिन ब्लाग के मामले में नए हैं फ़िर भी कोशिश करते हैं।
आज हमने पढा कि मोबाईल भी अपने साथ कइयों बिमारी लेकर आ गया है। उधर ललित जी परेशान हलाकान हैं कि उनका मोबाईल किसी ने हैक कर लिया। यह बड़ी ही खतरनाक बात है और इसे नजर अंदाज करना सही नही है। आपको भी इसकी जानकारी रखनी चाहिए बहुत ही आवश्यक पोस्ट है सावधान! मेरा मोबाईल हैक हो गया-आपका भी हो सकता है इसे पढिए जरुर कहीं छुट ना जाए और थोड़ी ज्यादा जानकारी के लिए यहां पर पढ सकते हैं कनिष्क कश्यप का लेख
राजकुमार सोनी मीनाबाजार से लौटकर क्या आए उन्होने आते ही पोल खोल दी कि बदचलन युवा नेता पकड़ाया लड़की के साथ, अब इन छुटभैए आदमखोर नेताओं का चरित्र देखिए कि किस तरह अबला की इज्जत तार-तार कर रहे हैं। बिगुल ने इसका भंडाफ़ोड़ किया हैं। बिगुल भंडाफ़ोड़ करने के लिए ही बनाया गया है। बहुत अच्छा ब्लाग है आप यहां पर अवश्य जाएं, आपको पढने के लिए उम्दा सामग्री मिलेगी।
इधर टिप्पणियों के कारण दोस्त-दोस्त ना रहा का गाना गाते हुए घुम रहे हैं श्रीमान पंडित वत्स जी और ललित शर्मा को गरिया रहे हैं कि हमारी टिप्पणी वापस करें हमने बहुत सारी जमा करा दी। आप टिप्पणी वापस नहीं कर रहे हैं उन्होने एक हिन्दी ब्लागिंग और टिप्पणियों का हिसाब-किताब नामक एलानिया पोस्ट लगा दी, अब आप समझ लिजिए कि जो टिप्पणी आप ले रहे है, उसे आपको लौटाना भी नहीं तो कोई भी आप पर टिप्पणी ना लौटाने (अमानत में खयानत) का चार्ज लगा सकता है। पढिए एक बार आपको सारी बातें पता चल जाएंगी।
डॉक्टर महेश सिन्हा जी ने बताया है कि गूगल ने "चड्डी पहन के फूल खिला है" पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की है लेकिन लिस्ट में हमारा नाम नहीं है क्योंकि हम उहां पर बज बजाए नहीं है। देखिए लिस्ट में कहीं आपका भी नाम हो, टैली कर लिजिए और इनाम पाईए.... संगीता पुरी जी पुरे 500रुपए का नुकसान कर के आई हैं बाजार से और संदेश दे रही हैं कि एक बार बेईमानी करने से जीवनभर का लाभ समाप्त हो जाता है !! अब इंहा तो ईमानदार वह है जिसे बेईमानी करने का मौका नहीं मिला। मौका मिलते ही लोग अपनी औकात पर आ ही जाते हैं।
इधर एम वर्मा जी गिनती गिन रहे हैं एक दो तीन, अब यह गिनने का समय निकल गया लेकिन उन्होने इस बहाने एक अच्छी पोस्ट लिखी है अपनी रोटी छीन, क्या कहिएगा जमाना ही कुछ ऐसा कि छीन के खाना ही पड़ेगा। संगीता स्वरुप जी लिखती हैं एक चुप, इसे अवश्य पढिएगा, भुलिएगा नहीं।रोती शिक्षा,सोती सरकार और जागती बिल्डर माफिया ------? जनता की एफ़ आई आर पर पढिए। अमित शर्मा ने लिखा हैपता नहीं क्या क्या कह जाते है लोग
माँ क्यों रोती है ? हरिशर्मा जी ने एक अच्छी पोस्ट लगाई है। एक बालक ने माँ से पूछा माँ औरते रोती क्यों हैंमाँ ने झट जवाब दिया - हम औरत है यूँ रोती हैंबेटा बोला - माँ तेरा जवाब मुझे समझ नहीं आयामाँ ने पट जवाब दिया इसे तो कोई न समझ पाया वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री लक्ष्मी नारायण अग्रवाल प्रिय ब्लागर मित्रगणों,सभी प्रतिभागियों का वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये हार्दिक आभार। इस प्रतियोगिता में सभी पाठकों का भी अपार स्नेह और सहयोग मिला, बहुत आभार आपका
तुम्हे मेरी दाढ़ी अच्छी लगती है .. शरद बिल्लोरे की एक कविता शरद और मैं भोपाल के रीजनल कॉलेज में साथ साथ थे । कविता लिखने की शुरुआत के साथ साथ बहुत सारी बदमस्तियाँ हमने कीं ।फक्र मुझे अब है कहने में, हाँ मैं धंधा करती हूँ.... जिस्म नुचा, इज़्ज़त है बिखरी, फिर भी लब खामोश रहे...लाली संग चिपकी मुस्काहट, आँसू उसके बोझ तले...सूनी सूनी माँग रही पर सेज हमेशा सजी रही...जिस्म कुचलता रहा साथ में, रूह भी मेरी कुचल गयी...
कुछ ऎसी यादे जो बरबस ही मुस्कुराहटे ला देती है.... अजी बात कुछ पुरानी है, पिछले साल की जब हम मां से मिलने आखरी बार गये थे, घर से बच्चे हमे उडान से दो घंटे पहले एयर पोर्ट छोड आये, टिकट वगेरा तो मेने पहले ही घर से ऒ के कर ली थी, बोर्डिंग कार्ड बगेरा भी घर से ही ले लिया, मैं वकील, एक आधुनिक उजरती मजदूर, अर्थात सर्वहारा ही हूँ। पिछले आलेख में मैं ने एक कोशिश की थी कि मैं आम मजदूर और सर्वहारा में जो तात्विक भेद है उसे सब के सामने रख सकूँ। एक बार मैं फिर दोहरा रहा हूँ कि सर्वहारा का तात्पर्य उस 'आधुनिक उजरती मजदूर से है जिस के पास उत्पादन के अपने साधन नहीं होते
नमस्कार, फ़िर मिलते हैं अगले हफ़्ते ...............
आज हमने पढा कि मोबाईल भी अपने साथ कइयों बिमारी लेकर आ गया है। उधर ललित जी परेशान हलाकान हैं कि उनका मोबाईल किसी ने हैक कर लिया। यह बड़ी ही खतरनाक बात है और इसे नजर अंदाज करना सही नही है। आपको भी इसकी जानकारी रखनी चाहिए बहुत ही आवश्यक पोस्ट है सावधान! मेरा मोबाईल हैक हो गया-आपका भी हो सकता है इसे पढिए जरुर कहीं छुट ना जाए और थोड़ी ज्यादा जानकारी के लिए यहां पर पढ सकते हैं कनिष्क कश्यप का लेख
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इधर टिप्पणियों के कारण दोस्त-दोस्त ना रहा का गाना गाते हुए घुम रहे हैं श्रीमान पंडित वत्स जी और ललित शर्मा को गरिया रहे हैं कि हमारी टिप्पणी वापस करें हमने बहुत सारी जमा करा दी। आप टिप्पणी वापस नहीं कर रहे हैं उन्होने एक हिन्दी ब्लागिंग और टिप्पणियों का हिसाब-किताब नामक एलानिया पोस्ट लगा दी, अब आप समझ लिजिए कि जो टिप्पणी आप ले रहे है, उसे आपको लौटाना भी नहीं तो कोई भी आप पर टिप्पणी ना लौटाने (अमानत में खयानत) का चार्ज लगा सकता है। पढिए एक बार आपको सारी बातें पता चल जाएंगी।
डॉक्टर महेश सिन्हा जी ने बताया है कि गूगल ने "चड्डी पहन के फूल खिला है" पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की है लेकिन लिस्ट में हमारा नाम नहीं है क्योंकि हम उहां पर बज बजाए नहीं है। देखिए लिस्ट में कहीं आपका भी नाम हो, टैली कर लिजिए और इनाम पाईए.... संगीता पुरी जी पुरे 500रुपए का नुकसान कर के आई हैं बाजार से और संदेश दे रही हैं कि एक बार बेईमानी करने से जीवनभर का लाभ समाप्त हो जाता है !! अब इंहा तो ईमानदार वह है जिसे बेईमानी करने का मौका नहीं मिला। मौका मिलते ही लोग अपनी औकात पर आ ही जाते हैं।
इधर एम वर्मा जी गिनती गिन रहे हैं एक दो तीन, अब यह गिनने का समय निकल गया लेकिन उन्होने इस बहाने एक अच्छी पोस्ट लिखी है अपनी रोटी छीन, क्या कहिएगा जमाना ही कुछ ऐसा कि छीन के खाना ही पड़ेगा। संगीता स्वरुप जी लिखती हैं एक चुप, इसे अवश्य पढिएगा, भुलिएगा नहीं।रोती शिक्षा,सोती सरकार और जागती बिल्डर माफिया ------? जनता की एफ़ आई आर पर पढिए। अमित शर्मा ने लिखा हैपता नहीं क्या क्या कह जाते है लोग
माँ क्यों रोती है ? हरिशर्मा जी ने एक अच्छी पोस्ट लगाई है। एक बालक ने माँ से पूछा माँ औरते रोती क्यों हैंमाँ ने झट जवाब दिया - हम औरत है यूँ रोती हैंबेटा बोला - माँ तेरा जवाब मुझे समझ नहीं आयामाँ ने पट जवाब दिया इसे तो कोई न समझ पाया वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री लक्ष्मी नारायण अग्रवाल प्रिय ब्लागर मित्रगणों,सभी प्रतिभागियों का वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये हार्दिक आभार। इस प्रतियोगिता में सभी पाठकों का भी अपार स्नेह और सहयोग मिला, बहुत आभार आपका
तुम्हे मेरी दाढ़ी अच्छी लगती है .. शरद बिल्लोरे की एक कविता शरद और मैं भोपाल के रीजनल कॉलेज में साथ साथ थे । कविता लिखने की शुरुआत के साथ साथ बहुत सारी बदमस्तियाँ हमने कीं ।फक्र मुझे अब है कहने में, हाँ मैं धंधा करती हूँ.... जिस्म नुचा, इज़्ज़त है बिखरी, फिर भी लब खामोश रहे...लाली संग चिपकी मुस्काहट, आँसू उसके बोझ तले...सूनी सूनी माँग रही पर सेज हमेशा सजी रही...जिस्म कुचलता रहा साथ में, रूह भी मेरी कुचल गयी...
कुछ ऎसी यादे जो बरबस ही मुस्कुराहटे ला देती है.... अजी बात कुछ पुरानी है, पिछले साल की जब हम मां से मिलने आखरी बार गये थे, घर से बच्चे हमे उडान से दो घंटे पहले एयर पोर्ट छोड आये, टिकट वगेरा तो मेने पहले ही घर से ऒ के कर ली थी, बोर्डिंग कार्ड बगेरा भी घर से ही ले लिया, मैं वकील, एक आधुनिक उजरती मजदूर, अर्थात सर्वहारा ही हूँ। पिछले आलेख में मैं ने एक कोशिश की थी कि मैं आम मजदूर और सर्वहारा में जो तात्विक भेद है उसे सब के सामने रख सकूँ। एक बार मैं फिर दोहरा रहा हूँ कि सर्वहारा का तात्पर्य उस 'आधुनिक उजरती मजदूर से है जिस के पास उत्पादन के अपने साधन नहीं होते
नमस्कार, फ़िर मिलते हैं अगले हफ़्ते ...............
14 टिप्पणियाँ:
वाह मास्टर जी,
बहुत सुंदर चर्चा किए हैं बिना लाग लपेट के।
आभार
वाह मास्टर जी,
बहुत सुंदर चर्चा किए हैं बिना लाग लपेट के।
आभार
मास्टर जी, एक बात तो कहनी भूल ही गया था
अब टिप्पणी नहीं लौटाना भी जुर्म हो गया है।
देखिए ना हमारे उपर तो टिप्पणी लौटाने के लिए
मुकदमें की तैयारी हो रही है, टिप्पणी
लौटाने की धमकी दी जा रही है आप
यहां पर दे्खिए:)
जय टिप्पणी माता
जय टिप्पणी माता
बहुत बढिया चर्चा .. आभार !!
बहुत बढ़िया चर्चा...
बहुत ही बेहतरीन चर्चा
आनन्दायी चर्चा!!
बढ़िया...जानकारी भरी चिट्ठाचर्चा
"लेकिन ब्लाग के मामले में नए हैं .."
स्वागत् है मास्टर जी आपका! बहुत अच्छी चर्चा की आपने!
बहुत आभार बढिया लिंक्स के लिये.
रामराम.
बढ़िया!
एकदम बढिया चर्चा!!
चर्चा का अन्दाज तो उस से भी बढिया....बाँचकर आनन्द आया
आभार्!
आपकी चर्चा अन्य चर्चाओं से ज्यादा बेहतर हैं। यही क्वालिटी बरकरार रखें। ऐसा नहीं कि बाद में इसका स्तर भी वैसा हो जाए जैसा तीन-चार चर्चाओं का हो चुका है।
charcha any blogs kee jankaree de gayee.....
Aabhar!
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