गुरुवार, 20 मई 2010

ताऊ की नजर से : श्री आशीष खंडेलवाल

प्रिय मित्रों नमस्कार,

आज सुबह सुबह हम बीबीए के आफ़िस में बैठकर ब्लाग पंचायत के मुकदमों का अध्ययन कर रहे थे कि रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" आ धमका और कहने लगा ताऊ आज तो आप मुझे आशीष खंडेलवाल जी के बारे में कुछ बतावो.




मैं बोला - यार प्यारे ये तो तूने बहुत बढिया सवाल किया है. चल आज मैं तेरे को आशीष खंडेलवाल जी के बारे में बताता हूं.




आशीष खंडेलवाल जी के बारे में यह बात मैं ही नही बल्कि हर ब्लागर कहेगा कि उनका स्वभाव जितना सरल और सेवाभावी है उतने ही वो दूसरों की मदद के लिये तैयार रहते हैं. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके ब्लाग के फ़ोलोवर 900 से ज्यादा है. इतने ब्लाग फ़ोलोवर हिंदी ब्लागिंग मे तो किसी भी ब्लाग के नही हैं.

मुझे याद है जब मुझे एक पोस्ट के लिये कुछ चित्र-कार्टून्स बनाकर सेट करने थे. इस के लिये एक ब्लागर महोदय मुझे तीन दिन से लटकाये हुये थे, आखिर अंतिम दिन आगया, उन्होंने अंत समय में हाथ खडॆ कर दिये और कह दिया कि इसमे बहुत समय चाहिये और मेरे पास समय नही है. यह सुनकर मैं बडा माय़ूस था. अचानक मेरे दिमाग में ख्याल आया कि इस बारे में आशीष खंडेलवाल जी से बात करके देखते हैं.

मैने पहली बार बडॆ सकुचाते हुये फ़ोन किया उस समय रात्रि के १० बज चुके थे. मेरी पोस्ट सुबह ४:४४ पर प्रकाशित होनी थी. मुझे वह काम असंभव लग रहा था. क्योंकि काफ़ी सारे चित्र थे. साधारण दुआ सलाम के बाद मैने उन्हें अपनी परेशानी बताई. उनका जवाब सुनकर मेरी खुशी का ठीकाना नही रहा. उन्होने कहा - ताऊजी, ये जरा सा काम है. मैं खुद ही एक घंटे मे करके आपको भेज देता हूं और आगे से आपको बता देता हूं कि कैसे करना है.

मैं हैरान रह गया जब एक घंटे बाद उनका फ़ोन आया कि मेल चेक करिये. वाकई इतना सुंदर काम और इतने कम समय में देखकर मेरा रोम रोम खुश होगया. फ़िर तो ताऊ साप्ताहिक पत्रिका के प्रस्तुतिकरण मे सारा तकनीकी काम उन्होने किया.

मैने उन्हें हमेशा विनम्र, सेवाभावी और दूसरे की मदद के लिये तत्पर पाया. उनके व्यक्तित्व के बारे में बताने लगूंगा तो उनके लेखन के बारे मे बताना रह जायेगा. जबकि आज यहां उनके लेखन के बारे मे ही बात करनी है. व्यक्तित्व की बात फ़िर कभी करेंगे.


रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" बीच में ही बोल पडा - ताऊ आशीष जी के लेखन के बारे मे क्या बताओगे? वो तो तकनीकी जानकारी वाली पोस्ट लिखते हैं......

बस ताऊ का दिमाग सटक गया और ताऊ ने लठ्ठ उठाकर रामप्यारे की तरफ़ देखते हुये कहा - अरे ओ कूंगर..."प्यारे" तेरे को कितनी दफ़ा मना किया है कि बीच में अपने बडे बडे दांत मत घुसाया कर...बेवकूफ़ गधा कहीं का....जा चिलम सुलगा के ला और चुपचाप बैठ कर सुन...

आशीष खंडेलवाल जी तकनीकी लेखन के तो माहिर हैं ही...यह तो हर आदमी जानता है. पर कई लोगों को शायद ये नही पता हो कि वो हर विधा के लेखन में माहिर हैं. अभी तक उनके विभिन्न विषयों के आठ सौ से अधिक लेख भारत के करीब करीब सभी पत्र पत्रिकाओं में छप चुके हैं. वो व्यंग लेख भी उतना ही लाजवाब लिखते हैं. आईये मैं उनके कुछ व्यंग लेख जो मेरी पसंद के हैं ...उनके बारे में आपको बताता हूं....

उनकी एक पोस्ट पचासों टिप्पणियां पाने के नुस्खे.. (व्यंग्य) में देखिये वो क्या कहते हैं? आप तकनीक के साथ ही इस पोस्ट को पढकर एक सफ़लतम ब्लागर बन सकते हैं. अवश्य पढें.

2.'चौधरी' या 'पटेल' बन जाइए

मैं जात-पात की बात नहीं कर रहा हूं। मैं तो 'ब्लॉग जागीरदारी' की बात कर रहा हूं। आप अपने ब्लॉग पर ऐसी सुविधा शुरू कर दीजिए, जो दूसरे ब्लॉग्स की अच्छी-बुरी पोस्ट की समीक्षा करे। फलां पोस्ट में फलां चीज अच्छी थी और फलां जी ने फलां मुद्दे पर फलां बात सार्थक लिखी। या किसी ब्लॉग-मंच से जुड़ जाइए। एक बार आप जागीरदारों की जमात में शामिल हो गए तो फिर देखिए। लोग आपको खुश करने के लिए आपके निजी ब्लॉग पर टिप्पणियों के रूप में क्या-क्या नहीं लिखते। ब्लॉग संसार में जीना है तो जागीरदार को तो खुश रखना ही पड़ेगा न।


इसके बाद आपको अगली पोस्ट की तरफ़ लिये चलता हूं...हिन्दी ब्लॉगिंग आपको क्या देती है? (व्यंग्य) यानि एक सफ़ल ब्लाग लेखन के फ़ायदे....

7. रद्दी से रद्दी रचनाओं पर वाहवाही लूटने का साधन

एक कविता का नमूना देखिए-- मन एक नदी.. बहता जा रहा है.. बहता जा रहा है.. समंदर की खोज में..राह के पत्थरों को तराशते.. अपनी मंजिल तलाशते। ये मैंने बस 5 सैकंड में लिखी। आप भी ऐसा ही कुछ वाहियात लिखकर पोस्ट कर दीजिए। मेरी गारंटी है कि आपको 10-15 टिप्पणियां तो मिल ही जाएंगी कि वाह.. क्या लिखा है.. सुंदर कविता.. .. जयशंकर प्रसाद जी को भी इतनी तारीफ कभी नहीं मिली होगी..


अगर आप बेरोजगारी से जूझ रहे हैं तो यह पोस्ट पढिये...हिन्दी ब्लॉग जगत में भर्तियां.. (व्यंग्य)

2. पहेली सहायक (Riddle Assistant)

कार्यक्षेत्र- हिन्दी चिट्ठों पर चल रही विभिन्न पहेलियों के जवाब देना, पहेली के एक नए ब्लॉग निर्माण में सहयोग
आयुसीमा- कोई सीमा नहीं (युवा व ऊर्जावान अपेक्षित)
अनुभव- इंटरनेट पर शोध का लंबा अनुभव, पहेली संचालन के अनुभवी को प्राथमिकता, ताऊ पहेली के विजेताओं को वरीयता
वेतन- चिट्ठाउद्योग में सर्वाधिक


और अब अगली पोस्ट में आपको टिप्पणी विषयक जानकारी मिलेगी जिसका नाम है ब्लॉग की दुनिया में हमारी टिप्पणियों की प्रजातियां (व्यंग्य)

वजह 5- नामचीन चिट्ठाकारों की निगाह में आने के लिए उनकी पोस्ट पर टिप्पणी करने से बेहतर तरीका क्या हो सकता है। ऐसा भी कई बार सोचकर हम कुछ भारी भरकम चिट्ठों पर टिपिया गए।

वजह 6- पहेली-वहेली जीतने के फेर में भी हमने बहुत टिप्पणी की। यह बात और है कि एक बार भी हम विजेता नहीं बन सके।

वजह 7- अपने ब्लॉगर धड़े के तुष्टिकरण के लिए। वैसे तो हम जी किसी धड़े में यकीन नहीं रखते, लेकिन फिर भी हमें एकाध बार बाध्य किया गया कि फलां ब्लॉग पर फलां तरह की टिप्पणी कर दीजिए। ज्यादा बहस न करते हुए हमने ऐसा कर भी दिया।


एक और रोजगार परक पोस्ट पढ सकते हैं....कृपया राय दीजिए, मुझे क्या करना चाहिए?

हिट मी जॉब -


बहुत दिन से सोच रहा हूं कि नौकरी बदल ही लूं। आज थोड़ी फुरसत मिलने पर नेट खंगाला तो मुझे मेरे लायक केवल एक ही नौकरी दिखी। साथ ही एक आत्मनिर्भर होने वाले व्यवसाय का भी पता चला। अब मैं इन दोनों में से किसी एक के लिए अपनी किस्मत आजमाने के बारे में विचार कर रहा हूं। मैं फैसला नहीं कर पा रहा हूं कि दोनों में से क्या चुनूं। आपसे गुज़ारिश है कि आप दोनों की डिटेल पढ़ें और उसके बाद मुझे राय दें कि मुझे दोनों में से क्या चुनना चाहिए।


और अब फ़ायनल वार्निंग दी जारही है...ब्लॉगर साथियो, अब भी वक्त है सुधर जाओ.. तो रामप्यारे अब तू ये पोस्ट पढ ले और सुधर जा....

मैं आज सुबह से डरा हुआ हूं। न तो सुबह की चाय ठीक से पी पाया हूं और न ही लंच ही ठीक से कर पाया हूं। काम में भी मन नहीं लग रहा है। ब्लॉग को तो खोलकर भी नहीं देखा है। वजह मत पूछिएगा। वरना आप भी डर जाएंगे। क्या कहा आप नहीं डरेंगे। बड़े बहादुर हैं। क्या आप मेरी तरह ब्लॉग एडिक्शन से पीड़ित नहीं हैं।


तो ये थी आशीष खंडेलवाल जी की कुछ मेरी पसंद की चुनिंदा पोस्ट्स. इसके बाद प्यारे ने आशीष जी को फ़ोन पर लेकर ताऊ से सीधी भिडंत करवा दी.....




ताऊ - आशीष जी ये बतावो कि आप ब्लाग जगत को क्या कहना चाहते हो?

आशीष खंडेलवाल - क्या कहूं? जैसा माहोल लगता है उसमे तो सिर्फ़ इतना ही कहना चाहूंगा कि " ना काहू से दोस्ती ना काहू से वैर" हैपी ब्लागिंग...

ताऊ - खैर आपके जवाब से तो दार्शनिकता झलक रही है. क्या अपके निष्क्रिय होने के पीछे भी यही कारण है?

आशीष खंडेलवाल - एक हद तक.

ताऊ - आप पूर्ववत निरंतर ब्लाग लेखन में कब लौट रहे हैं?

आशीष खंडेलवाल - ताऊजी, लेखन दूसरी जगह तो चल ही रहा है. रही ब्लाग लेखन की बात तो ...यहां की टांग खिंचाई ने बहुत आहत किया है. आपसे एवम अन्य साथियों से निरंतर संपर्क बना रहता है तो ब्लागजगत से दूर होने का तो सवाल ही नही है. कोशीश रहेगी कि आपकी यह शिकायत भी जल्द ही दूर हो जाये.

तो ये थे श्री आशीष खंडेलवाल...अब अगले लेख मे फ़िर एक नये साथी ब्लागर के बारे में बात करेंगे.

16 टिप्पणियाँ:

आशीष को हमारा अखंड आशीष।

ताऊ जी
हमें तो पिछले दिनों जयपुर में आशीष जी का सौम्य व्यवहार व विन्रमता देखने का साक्षात मौका मिल ही गया था | बहुत बढ़िया लगा था आशीष जी से मिलकर |

सभी को बधाई!
आशीष जी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ!

वाह जी, आशीष के बारे में और कुछ जानकर और उनकी यह चुनिंदा रचनायें देखकर मन प्रसन्न हो गया.

ताऊ राम राम,
आशीष जी के बारे में जानकर अच्छा लगा।
और टांग खिंचाई क्या सिर्फ़ ब्लॉगजगत में है? ये बाहर की दुनिया, घर, व्यापार, नौकरी में कहां नहीं है?
आशीष जी जैसे लोगों के सक्रिय होने से सभी को लाभ होगा।
आभार।

आशीष जी को कौन नहीं जानता हैं, फिर भी उनसे मिलवाने के लिए आपका आभार..

आशीष जैसे तकनीकी विशेषज्ञ लेखक का यह कहना कि टांग खिंचाई ने आहत किया और उसकी वजह से ब्लॉग लेखन से दूर हैं - तो यही कहा जा सकता है कि जब आप सार्वजनिक (जैसे ब्लॉग में) जीवन में जी रहे होते हैं तो विघ्नसंतोषियों द्वारा आपके छींकने-खांसने और हगने-मूतने पर भी नजर रखी जाती है, और ऐसे में विघ्नसंतोषियों को अनदेखा किया जाना ही सर्वोत्तम उपाय है. विघ्नसंतोषी पानी के बुलबुलों के समान उभरते हैं, नाचते कूदते हैं, हल्ला मचाते हैं और क्षणांश में खुद ही फूटकर ग़ायब हो जाते हैं.

बेहद रोचक आलेख आशीष जी से ये बातो का सिलसिला अच्छा लगा...

regards

आशीष जी के बारे में जानकर अच्छा लगा।

आभार।

आशीष जी के बारे में पढ़ कर अच्छा लगा....उनका काम ही बोलता है!ब्लॉग हेल्प लाइन है वे ...

बहुत ही आनन्द आया .........

आशीष जी का काम बोलता है........और सर चढ़ कर बोलता है

जय हो !

राजस्थान पत्रिका और डेली न्यूज़ में आशीष खंडेलवाल जी के लेख छपते रहते हिं ...(वही हैं ना ...??)
सहायता करने को तत्पर रहते हैं ...कोई शक नहीं ...!!

बहुत अच्छा लगा आशीष खंडेलवाल जी जी के बारे जानकर.
धन्यवाद

आशीष जी के बारे में ये जानना सुखद रहा....उनकी व्यंग्य रचनाएं पढकर भी आनन्द भया...

बढ़िया लगा जानकार श्रीमान आशीष के बारे में ...हम भी कर देते है एक टिप्पड़ी इन जमीदारो की पोस्ट पर ...हम ठहरे गरीब तबके के पिचादे अनुसूचित जनजाति के ब्लॉगर ...बड़े लोग बड़ी बातें ताऊ जी.

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