ब्लाग 4 वार्ता का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी </a> का नमस्कार- आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार
ब्लाग जगत में एक बार फिर से छिड़ी लड़ाई को देखकर मन फिर से खिन्न है। न जाने क्यों कर अपने ब्लागर मित्रों को विवाद से ज्यादा प्यार हो गया है। क्यों कर कोई किसी की भी बुराई करने से परहेज नहीं कर पाता है। आखिर दूसरे की टांग खींचने से क्या मिल जाता है? यह सोचने वाली बात है। टांग खींचने से अगर कोई फायदा हो तो बात समझ आती है, लेकिन हमें कोई बताए कि ऐसा करने से किसका फायदा हुआ है। संभव है ऐसा करने वाले को आत्मिक संतुष्टि मिलती हो, लेकिन अपनी मृगतृष्णा शांत करने के लिए दूसरों को निशाना बनाना और परेशान करना यह कहां का न्याय है। हमारा ब्लागर मित्रों से आग्रह है कि हिन्दी ब्लाग जगत में प्यार का पैगाम देने का काम करें न कि नफरत फैलाने का। इस उम्मीद के साथ की ब्लागर मित्र इन बातों पर जरूर गौर करेंगे चलते हैं आज की चर्चा की तरफ-
ज्ञानदत्त अंग्रेजी के ब्लागर है। अंग्रेजी के ब्लागर इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि हिन्दी में अंग्रेजी के शब्दों को बड़ी बेशर्मी से ठूंसने का जो काम ज्ञानदत्त करते हैं उतनी बेशर्मी से कोई और दूसरा शायद नहीं कर ...
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7 मई 2010 की रात में लिखचीत (चैट) पर माननीया बीना शर्मा जी ने जानना चाहा था कि मैं आगरा कब पहुंच रहा हूं। मैंने बतलाया कि सुबह 5 बजे चलने की योजना है। उन्होंने कहा कि आप यदि 10 बजे तक पहुंच सकें तो मैं ...
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पिछली दो पोस्ट्स पर आप लोगों ने जो प्यार और प्रोत्साहन दिया है..मैं नत-मस्तक हूँ ...आपके सुझावों पर अमल करने की कोशिश कर रही हूँ...म्यूजिक भी डालूंगी..बस थोड़ा समय चाहिए उसे बनाने के लिए...कोशिश ये है कि
संयुक्त परिवार को लेकर कल मेरी पोस्ट पर *शिखा वार्ष्णेय* जी ने बड़ा जायज़ सवाल उठाया था...बुज़ुर्ग हमेशा सही हों, ऐसा भी नहीं होता...न्यूक्लियर फैमिली का प्रचलन बढ़ रहा है तो इसके लिए दोष अकेली युवा पीढ़ी ...
कल रात आदतन टी0वी0 खोलकर समाचार चैनल पर निगाह डालनी शुरू की तो समाचार से रूबरू हुए कि मैकमोहन नहीं रहे। एक पल को शायद साथ में चित्र नहीं आया होता तो पहचान का संकट हमारे सामने खड़ा हो जाता किन्तु चित्र ने...
इधर हमारी सरकार ने लोकतंत्र की खुशहाली और शांति के कुछ फार्मूले जनहित में कर दिए हैं जारी अनुरोध है देश की जनता से कि वह जनता द्वारा ही चुनी गयी लोकप्रिय सरकार की बात मानकर लोकतंत्र के हाथ मजबूत करे. सबसे
अंधड़ ! -में - कार्टून कुछ बोलता है !
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तुम्हे मालूम है कि देश से अगर एक भला और ईमानदार इंसान चले जाए तो क्या होगा ? *जी सर , एक सौ पच्चीस करोड़ लोगो का भला हो जाएगा !!!
पूरे होते उसके सपने लगन हो जिसमे खास। कहीं अधूरे हों सपने तो जीवन लगे उदास। हों पूरे या रहे अधूरे मरे कभी ना सपना, जीवन में नित नित बढ़ते हैं सपनों से विश्वास।। आम-आदमी के जीवन से हुआ आम अब दूर। दाम बढ़े है...
ट्रेन खुल रही है स्टेशन से और आस पास का सारा मंजर धुंधला पड़ता जा रहा है. तेज रफ़्तार में धुंधला होने जैसा धुंधला, मुझे अचनक से याद आता है कि मैं तो खड़ा हूँ स्टेशन पर. दूर जाती हुयी एक खिड़की है, उसमें बैठी...
उमड़त घुमड़त विचार में -पांच का पहाड़ा चल रहा ......
क्या बात है, जान-बूझ कर नहीं है, पर देख रहा हूँ "उमड़त घुमड़त विचार" का गत दिनों लिख़ा गया प्रत्येक पोस्ट (तीन पोस्ट में लगातार) पांच-पांच टिपण्णी पाने वाला बना है. संयोग से ही सही. अरे हाँ अब कहाँ सुनने ...
कुछ दिन पहले मॉर्निंग वाक पे मेरी सहेली ने, फलों से लदे एक कटहल के पेड़ को दिखाते हुए कहा, '.तुम्हे पता है...कटहल जड़ों के पास भी फलते हैं'.मैने कहा 'हाँ...मैने भी देखा है'..फिर वो बताने लगी कि केरल के एक ...
QUESTION: How to know if we have Tantra (bhahri baadha) Problem in life. Reply: - Catch of Tantra (bhari baadha), which are light in nature can not be felt, it effect like very slow poison to native and...
इनकी चाहत है जल्लाद बनने की।
मां-बाप अपने बच्चों को अच्छी तालिम देकर एक कामयाब इनसान बनते देखना चाहते है...लेकिन सुरेन्द्र और जितेन्द्र नाम के दो भाई जल्लाद बनना चाहतें है...दोनों के सर जल्लाद बनाने का जनून इस कदर हावी है की दोनो
इतिहास गवाह है कि जब भी भाई भाई आपस में लड़ते हैं तो उसका निश्चित परिणाम विनाश ही होता है। हजार से भी अधिक सालों की हमारी गुलामी सिर्फ हमारे देश के नरेशों का आपस में लड़ने का ही परिणाम था। कौरव-पाण्डव आपस मे...
ब्लॉग मदद में - लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010
क्रिएटिव मंच पर आप का स्वागत है !इस मंच के शुरआती दौर से ही हमने हिंदी व् अन्य भाषाओँ के चर्चित लेखक / लेखिका की चुनिन्दा रचनाएँ आप के समक्ष प्रस्तुत करते रहे हैं ! इसी श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत हैं -'डा० ऋतु पल्लवी की पांच बेहतरीन कवितायें'आशा है
एक कोलाज : फिल्म और साहित्यलोग अब जहर बोते हैं बाबू...... मेरे पिया गये रंगून..... किया है टेलीफून..... तुम्हारी याद .......मोबाईल की अम्मा......अब कौन लुंगी में घूमता है रे.......पैंट पहन कर चलने में नवाबी फटकती है.....चप्पल फटकारते हुए
कहा था कि देखो कहीं दूर गातीजो ऊँचे सितारों से कौन आ रही है ?ये सज्जा फटी सी है चिथड़े लपेटे ,निगाहें उठी पर अकिंचिन सी लगती |कहा था कि देखो कहीं दूर गातीजो ऊँचे सितारों से कौन आ रही है ?ये सज्जा फटी सी है चिथड़े लपेटे ,निगाहें उठी पर अकिंचिन सी लगती
वैसे मैं इन हिन्दू मुस्लिम बन्दों से थोडा दूर रहता हूँ क्योंकि मेरे जैसा भावुक व्यक्ति हर समय बेमतलब ईश्वर प्रेम को बीच में ले आता हैं । अभी दो तीन हफ्ते से शायद सावरकर जी पर हिन्दू मुस्लिम जगत में पुनर्जन्म को लेकर काफी बहस हो रही हैं । हमेशा की तरह
इधर कुछ समय से देखा जा रहा है कि सरकार में रहकर नीतियों से विरोध करने का एक चलन सा होता जा रहा है. देश को चलाना एक ज़िम्मेदारी होती है पर जब इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों को इतनी छूट दे रखी हो तो उन्हें भी
दीर्घायु होने का ख़्याल सुबह होने से पहले सपने में बाबा नजर आए मुस्कुराए बोले “पूछ बच्चा जो भी जानना चाहता है पूछ ले!” उसने कहा, “बाबा बताइए कोई ऐसा उपाय जिससे मेरी उम्र बहुत लंबी हो जाए।” बाबा ने बताई राह कहा, “कर ले विवाह!” अब चौंकने की उसकी थी
उच्चतम न्यायालय ने कंपनी अधिनियम 2002 में किए संशोधन की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी है। इसके साथ ही कंपनी मामलों से निपटने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के गठन का रास्ता साफ हो गया। मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता
सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं, सादर प्रणाम, * आज ब्लोगोत्सव के नौवें दिन अर्थात दिनांक १० .०५.२०१० के संपन्न कार्यक्रम का लिंक-* जिन्हें नाज है हिंद पर, उनके नाम http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-...
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ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण! इहागच्छ, इह तिष्ठ वरुणाय नमः, वरुणमावाहयामि, स्थापयामि। पिछली कड़ियाँ: 1. सीरिया की शराब 2. असुर शब्द का अर्थ 3. वारुणी 4. देव, दैत्य, दानव पिछली गर्मियों (जून २००९) में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू सूखे से बचाव के लिए
अब आपसे लेते हैं हम विदा
लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
14 टिप्पणियाँ:
वाह!बहुत बढि्या वार्ता राजकुमार भाई
समग्र वार्ता-काफ़ी अच्छे लिंक पढने को मिले
कुछ तो पढ लिए थे अब बाकी पर चलते हैं
आप काफ़ी मेहनत करते हैं वार्ता के लिए-आभार
सार्थक विश्लेषण ! अच्छा लगा सबका निचोड़ देखकर ...जब तक हमारा चिटठा सामिल नहीं होगा ..स्वभावाबस ये हमेशा अधूरा लगेगा :)
सर्वप्रथम उमड़त घुमडत विचार को भी लगातार चर्चा मे शामिल करने के लिये आभार। समस्त पोस्ट तो नही पढ पाया हूँ। पढ़ता हूँ धीरे धीरे। प्रस्तुति उत्तम।
धन्यवाद भाई ग्वालानी जी। आपने समीर लाल जी जैसे उम्दा इंसान का साथ देने में मेरी मदद की अपनी चर्चा में मेरी पोस्ट लगाकर। आपका शुक्रिया।
ये तो बहुत बढ़िया चर्चा है...धन्यवाद.
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पाखी की दुनिया में 'मुंडा पहाड़ बीच पर मस्ती'
वाह!
बहुत बढि्या...
राजकुमार भाई
आप निरन्तर अच्छा लिख रहे हैं। सबसे बड़ी बात सक्रियता का जवाब नहीं।
आपकी सक्रियता की वजह से ही आज आप उस मुकाम पर हो जहां लोग कई साल घिसने के बाद भी नहीं पहुंच पाए थे।
राजतंत्र ने बहुत कम समय में ही पाठकों के बीच अपनी जगह बनाई है। इसका श्रेय आपकी मेहनत को ही जाता है। आप लगे रहिए।
जल्द ही हम लोगों को एक ब्लागर मिलन समारोह करवाना है। आप बताए क्या और कैसा ठीक रहेगा।
बहुत सुंदर लगी आज की चर्चा. धन्यवाद
बहुत अच्छे लिंक मिले।
बहुत अच्छी चर्चा।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
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