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बुधवार, 19 मई 2010

बेकसूरों की हत्याओं पर कलम मौन, और कितनी बलि लेंगे चिदंबरम साहब?- ब्लाग 4 वार्ता- राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार


हमें इस बात की खुशी है कि ब्लाग जगत के कुछ कमलकार तो जागे और नक्सिलियों पर लिखने का काम किया। ऐसे कलमकारों को हम सलाम करते हैं और आज की चर्चा का आगाज करते हैं.

बस्तर में सुकमा-दंतेवाड़ा मार्ग पर यात्री बस को बारूदी सुरंग विस्फोट से उड़ाकर नक्सालियों ने निर्दोष नागरिकों सहित 36 लोगों (संख्या परिवर्तनीय है) की निर्मम हत्या कर दी। यह एक माह में तीसरी बड़ी घटना है। र...
 13 अप्रैल १९१९, पंजाब के अमृतसर का जलियाँ वाला बाग बैसाखी पर्व के उल्लास के साथ भीषण नर संहार की अभी भी कहानी कहता 4.30 बजे संध्या, अपने वतन की आजादी पाने बुलाई गई थी सभा जहाँ हुए थे जमा हिन्दू मुस्लिम संग
(उपदेश सक्सेना)* नक्सलियों ने छतीसगढ के दंतेवाड़ा में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज़ करवा कर केंद्र सरकार को अपने मज़बूत इरादों से अवगत करवा दिया है. गृह मंत्री पी.चिदंबरम के ढीले तौर तरीकों के कारण एक बार

इस बार बस की बस उड़ा दी गई और लगभग 50 के आसपास लोग मारे गये। नागरिकों द्वारा समाचारों में साफ-साफ कहा जा रहा है कि यदि बस में पुलिस वाले नहीं बैठे होते तो बस को नक्सलियों ने उड़ाया नहीं होता। नागरिकों का ...
महा कमीण एक बर की बात... म्हारे महाकंजूस ताऊ के खानदानी पंडत नै बताया अक् ताऊ, अगर तू जिंदगी मैं और भी मजे लेण चाहवै तो पांच कमीणों को भोजन करवा दे... ईब भाई ताऊ महा कंजूस... पांच कमीणों नै भोजन क्यूक्कर ...
यह कोई कविता नहीं है, क्योंकि मुझे कविता लिखनी आती ही नहीं, नाही उसकी समझ है। जब दिलो-दिमाग आक्रोशित हों, बेकाबू होती परिस्थितियों से, कुछ ना कर पाने की कशमकश हो, जो कुछ कर पा सकते हैं वे भी आग में आहूती द...
आपको याद होगा कि इस साल की शुरुआत के पहले दिन, यानि १ जनवरी, २०१० को हमारे गृहमंत्री ने पाकिस्तान को यह नसीहत दी थी; " नयी दिल्ली १ जनवरी, 2010: केन्द्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने पाकिस्तान से मांग की कि ...
छम्मकछल्लो देश की तरक्की से बहुत खुश है. उस दिन उसने अखबार में पढा कि भारत की तरक्की देखकर ओबामा के पसीने छूटे. छम्मकछल्लो के भी पसीने छूट जाते हैं, अपने देश की तरक्की देख कर. अमेरिका कह्ता है कि भारत 
  
दिल्ली सरकार ने 18 मई को संसद पर हमले के दोषी, फांसी की सजा प्राप्त, अफजल गुरु की दया याचिका से जुड़ी फाइल उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना को भेजी थी किन्तु उपराज्यपाल ने कुछ और स्पष्टीकरण मांगते हुए इसे सरकार को लौटा दिया। उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार से यह
  
जब से हम बलागवाणी पर आये हैं तब से हम देख रहे हैं कि जब भी आतंकवादियों का विरोध करने वाली या फिर उनके समर्थकों को वेनकाब करने वाली पोस्ट लिखी जाती है उनमें से अधिकतर बलागवाणी पर उनमें से पिट जाती है जबकि गद्दारों के समर्थन व सुरक्षावलों व भारतीय संस्कृति
अब आपसे लेते हैं हम विदा

सोमवार, 17 मई 2010

पोस्ट का शीर्षक हो धाँसू,आपरेशन सुषमा गडकरी में लगे हैं आडवाणी- ब्लाग 4 वार्ता- राजकुमार ग्वालानी

 
ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार- हम भी बन गए हैं अब चर्चाकार

लगता है कि हमने भी चर्चा करने में पीएचडी कर ली है। हमें भी अब चर्चा करने में मजा आने लगा है। हम पिछले एक सप्ताह से लगातार चर्चा कर रहे हैं। चर्चा को ठीक-
ठाक और अच्छी बनाने का पूरी कोशिश भी कर रहे हैं। इसमें हम कितने सफल हो रहे हैं, यह आप लोगों को बताना है। तो चलते हैं आज की चर्चा की तरफ- 

 आज है वह तारीख जब हम इस दुनिया में आये. वर्ष था 1963 आज से केवल पांच दिन बाद याने 22 मई 1963, माताजी ने हमारा साथ छोड़ दिया. स्वर्ग सिधार गईं. मगर विधि का विधान देखिये. हमार...

आपरेशन सुषमा गडकरी में लगे हैं आडवाणी* *सुषमा के फ्लोर मेनेजमेंट को बढा चढा कर पेश कर रही आडवाणी मण्डली* *(लिमटी खरे)* * नई दिल्ली 16 मई। नितिन गडकरी की ताजपोशी के उपरांत बलात पार्श्व में ढकेल दिए गए रा...
 
मेरे प्रभो ! वे लोग जिनके पास सिवाय तेरे सब कुछ है, उन लोगों पर हँसते हैं जिनके पास सिवाय तेरे कुछ नहीं है - गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर 
 
आम हालातों में शौहर अपनी बीबी से तभी दुखी होते हैं जब वे उनसे घर के कार्य करवाने लगती हैं और बरतन मांजने के लिए कड़ाके की ठंड में भी गरम पानी की व्यवस्था नहीं करतीं। निःसंदेह इस स्थिति को दुखद...
 
हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन  में बी एस पाबला बता रहे हैं- आज सूर्यकांत गुप्ता का जनमदिन है
आज, 17 मई को उमड़त घुमड़त विचार वाले सूर्यकांत गुप्ता का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने वाले **जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें**।* *अपने मोबाईल फोन पर **SMS क...
 
मां पता नहीं आज क्यों मन इतना व्याकुल है , मुझे नहीं पता । आज न तो कोई त्यौहार है न ही कोई दुख या संकट की घडी मुझ पर अचानक आई है , क्योंकि अक्सर इन्हीं दोनों समय पर तुम मुझे बहुत ही याद आती थी , मगर फ़...
 
प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 74 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है सुनामी स्मारक, कन्याकुमारी [तमिलनाडु] और इसके बारे मे सं...
 
 यों के बीच घूम रहा था तो कुछ पुराने घर दिखाई दिए। अपने नानी के खाली पड़े घर के करीब से गुजरते हुए भी उसे नजरअंदाज करने की कोशिश की। पास ही एक घर में हम कुछ दि...
 
हम लोग उसे भूत कहते थे। नाम था - भूतनाथ। मजाक-मजाक में उसके लिए चुटकुला भी बना लिया था कि ...भूत आ जाएगा। दरअसल, जब भी कुछ खाने (या पीने) बैठो तो वह अचानक ही आ धमकता था और बिना कुछ कहें, पूछे ही हमारी बैठकी ...
 
इरफान बता रहे हैं- लेट्स टाइम पास विद ललित मोदी'!

योगेन्द्र मौदगिल कहते हैं- आज का दिन है खास दिन जैसे......
हो गये रिश्ते आलपिन जैसे. दिलो-दिमाग़ डस्टबिन जैसे. मन में अंबार कामनाऒं का, अब तो जीना हुआ कठिन जैसे. होड़ जोखिम की और पैसे की, लोग हैं बोतलों के जिन्न जैसे. आज उनका दीदार जम के हुआ, आज का दिन है खास...
 
तुम न आये मैं तुम्हारी बाट ही तकती रही, और स्वागत को तुम्हारे साज नव सजती रही ! तुम न आये सूर्य की अंतिम किरण भी खो गयी है, तुम न आये चन्द्र की यह ज्योत्सना भी सो गयी है ! तुम न आये पर निशा ने कालिमा जग पर ...
 
 # संता और संतानी गोवा घूमने गये। वहां संता ने एक मोटर सायकिल किराए पर ली और दोनों घूमने निकल पड़े। अब संता तो संता ऊपर से पीछे बैठी बीवी उसने बीवी पर रौब ड़ालने के लिये उल्टी-सीधी बिना नियम कानून देखे गाड़ी च..

आज *रविवार* का दिन और आज काफी रविवार निकल जाने के बाद मै महेंद्र मिश्र आपका सादर अभिवादन कर आपके लिए चिट्ठी चर्चा लेकर उपस्थित हूँ . भीषण गरमी का माहौल नर नारी पशु पक्षी सभी भीषण गर्मी से त्रस्त हैं और इस ...
 
अपने पोस्ट को पढ़वा लेना हँसी खेल नहीं है। बहुत मेहनत करनी पड़ती है इसके लिये। यह बात मैं नामी-गिरामी ब्लोगरों के लिये नहीं, बल्कि अपने जैसे साधारण ब्लोगरों के लिये कह रहा हूँ। नामी-गिरामी ब्लोगरों के तो पोस...
  
मुझे जिन्दगी की दुआ दे गयामसीहा भी मुझको सजा दे गयालगा डूबने बेखुदी में मैं जबकोई मुझको तेरा पता दे गयामेरा एक और ब्लॉग http://katha-kavita.blogspot.com/my another blog http://katha-kavita.blogsot.com/
   
नेपोलियन बोनापार्ट ने एक बार कहा कि दुनिया में दो ही ताकतें हैं,एक तलवार की है और दूसरी कलम की ताकत है। तलवार शक्ति की प्रतीक है एवं कलम रचनात्मकता की प्रतीक है। एक ताकत है डराने की, रुलाने की, तोड़ने की व दूसरी रचना की ताकत है,प्रेम की, हंसाने की एवं
  
अनामों और बेनामों को अकसर इस बात की धमकी दी जाती है कि उनका आईपी पता नोट कर लिया गया है और उन्हें पहचान लिया गया है. यह बात सत्य है कि सही आईपी पते से फोरेंसिक जाँच पड़ताल के जरिए किसी व्यक्ति के सटीक भौगोलिक स्थान और यहाँ तक कि उसके विशिष्ट कंप्यूटर की
  
अभी तक आपने पढा कि मैं पिछले महीने अकेला ही यमुनोत्री पहुंच गया। अभी यात्रा सीजन शुरू भी नहीं हुआ था। यमुनोत्री में उस शाम को केवल मैं ही अकेला पर्यटक था, समुद्र तल से 3200 मीटर से भी ऊपर। मेरे अलावा वहां कुछ मरम्मत का काम करने वाले मजदूर, एक चौकीदार और
  
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आर.वी.रविन्द्रन ने कहा है कि मध्यस्थता के जरिए न केवल अदालतों में मुकदमों के भार को कम किया जा सकता है बल्कि लोगों को जल्द न्याय भी दिलाया जा सकता है। उन्होंने वकीलों से अपील की कि वे मध्यस्थता को स्वीकार करें। न्यायाधीश
  
आज कोई मस्ती वाली बातें नहीं.. आज हमारा आराम का मूड है आप बस तस्वीरें देखिये. सन्डे को मम्मा ने मुझे नहलाने के बाद मेरे हाथ में नारियल का एक टुकड़ा देकर बैठा दिया. और फिर जब पापा कैमरा लेकर आये तो, मैंने भी एक दो पोज दे दिए ये स्टाइल कैसा है ? और [...]
 

अब आपसे लेते हैं हम विदा
 लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

रविवार, 16 मई 2010

क्या अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के ब्लोगर्स में भी कभी बड़े छोटे ब्लोगर्स का विवाद हुआ है?-ब्लाग 4 वार्ता- राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार- कोई तो आएं जो ब्लाग जगत से विवाद हटाकर बरसाएं प्यार

ब्लाग जगत को न जाने किस की नजर लग गई है जो विवाद समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है। विवाद है कि बढ़ते ही जा रहा है।

अरे भाई क्यों इस पचड़े में पड़े हैं
जमाने में और भी गम पड़े हैं
नजरें उठाकर देखें हर कदम पर दोस्त खड़े हैं
अरे गोली मारो बड़े होने को
कह दें हम छोटे सही आप तो बड़े हैं 

तो चलिए चलते हैं आज की चर्चा की तरफ
 
  ओतेक बड़े त नई हो गे हन. तभो ले अतका कहे के लाइक हो गे हन अपन लइका मन ला के हमर लैकाई मा ए दइसे दइसे होवत रहिसे. पहिली संगवारी बनावे त एक दूसर बर मर मिटैया संगवारी बनावें. अपन दोस्ती ल पुख्ता करे बर आनी ...
 
लेखन की दुनियां में बस्‍तर सदैव लोगों के आर्कषण का केन्‍द्र रहा है। अंग्रेजी और हिन्‍दी में उपलब्‍ध बस्‍तर साहित्‍य के द्वारा संपूर्ण विश्‍व नें बस्‍तर की प्राकृतिक छटा और निच्‍छल आदिवासियों को समझने-बूझन...
 
बहुत से प्राणी जीव जंतु आजकल इसी ताक में रहते हैं कि कब हिंदी ब्लोग जगत में कोई उठापटक हो और वे अपनी सारी नोक्सी लगा कर पिल पडें । और जैसे बारिश की बूंदों के पडते ही कई टाईप के बायोलोजिकल और हर्बल से 
 
कभी कभी ऐसा होता है कि बातें काम नहीं करतीं और कविता अपना काम कर जाती है | इन दिनों जो कुछ भी चल रहा है ब्लॉग जगत में वह सब जानते हैं | मुझे एक मित्र ने सलाह दी कि आप चुप क्यों हैं आप को भी कुछ कहना चा...
 
ब्लाग एक सार्वजनिक अभिव्यक्ति का माध्यम है लेकिन कईं बार ऐसा लगता है कि लोग इसे बपौति मान रहे हैं अपनी समझ से बाहर है मामला मगर कुछेक टिप्पणियों के पढ़ने के बाद एक ताज़ा छंद आप सब की नज़्र करता हूं कि...
 
मेरे मामा जी जिनका मै पारिवारिक डाक्टर भी हूँ का सुपुत्र वेणु पिछले ३ सालों से परीक्षा के समय तनाव ग्रस्त हो जाता था . उसको मामाजी के मित्र ,वेणु के टीचर ,तमाम पारिवारिक गुरुजन , मनोचिकित्सक , कौंसलर इत...
 
शेखा-कुल रा लाडला,धाकड़ धुनी सुजान | उजला सूरज-कुल-रतन,भैरूं सिंघ मतिमान ||१ मरुधर-माटी री महक,जन-मन का सरदार | दीन-हीन-रक्षक सुधी,थे भारत-गल-हार ||२ भोग्यो जीवन गांव रो,देख्या घणा अभाव | पण सांचा अनथक...
 
गिरीश दादा जी, पान की दुकान पर निरंतर चर्चा चल रही है कि आप कहां चले गये, लोग कयास लगा रहे हैं। हमारा निवेदन है कि आप जहां कहीं भी हो लौट आओ, आपके जाने से हमें बहुत ही झटका लगा है। आपने ब्लाग जगत को पॉडकास...
 
परसो हालात शीर्षक से एक पोस्ट लिखी थी। दरअसल, मन भारी हो गया था और उसे हल्का करना जरूरी था। अगर यह पोस्ट नहीं लिखता तो किसी छपास रोगी या नेता की ऐसी-तैसी होना तय थी। पर शुक्र है, पोस्ट लिख ली और मन भी हल्का ..

  आज के 'टाइम्स आफ़ इन्डिया' (15 मई, 2010) में एक लेख छपा है "विचारों की शक्ति". यह लेख चीन के बारे में है. इसमें चीन की राजनैतिक व्यवस्था व पूंजी स्रोत से इतर, केवल विचारों की बात की गई है. जैसे:- - अके...
 
पुरानी चीजों की तरह पुराने नाप-तौल भी चलन के बाहर होते चले गए। कभी-कभी मुहावरों में या किसी ख़ास खरीद फरोक्त वगैरह में उन्हें भले ही याद कर लिया जाता हो नहीं तो आज की पीढी को तो वे अजूबा ही लगते होंगे। चलि...
 
एक छोटी सी पोस्ट और उसके जरिये छोटे-छोटे कुछ सवाल भी।आज वर्ल्ड फ़ैमिली डे है।फ़ैमिली!इस शब्द ने आज मुझे चौंका दिया!बहुत दिनों बाद इस शब्द का अर्थ ढूंढने की कोशिश की।बहुत सोचा तो बहुत सारे जवाबों के साथ-साथ 
 
हम गूगल कर-कर के थक गये यह जानने के लिये कि क्या अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के ब्लोगर्स में भी कभी बड़े छोटे ब्लोगर्स का विवाद हुआ है? अनेक प्रकार से सर्च किया कभी सर्च बॉक्स में history of blogging लिखकर
 
 
पिछले एक साल में ज़िंदगी का पहला हवाई सफ़र किया...मन ही मन राइट ब्रदर्स का शुक्रिया अदा किया...फिर कुछ और सफ़र। जाना कि बादल इतने ख़ूबसूरत भी लग सकते हैं...जाना कि आसमां के पार वाकई कोई आसमां होता होगा और ...
  
हिन्दी ब्लॉग जगत के प्रचार और प्रसार के लिए हम सभी के द्वारा प्रयासों की आवश्यकता है। क्योंकि विश्व स्तर पर तथा ब्लॉग जगत में हिन्दी का स्थान अभी अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। एतदर्थ हिन्दी ब्लॉग टिप्स के सुझाव के अनुसार एक ब्लॉग एग्रीगेटर बनाया है ‘‘ब्लॉग
  
हाँ तो मैं बात कर रहा था उस बच्चे की जिसके गले में एक रोटी बांध दी जाती थी  जो उसके खेलने और खाने के काम आती थी | कभी -कभी उसकी माँ यह समझाने के  लिए कि धरती ,सूरज ,चाँद आदि भी गोल है,उस रोटी को उदाहारण के रूप में
  
प्रिय ब्लागर मित्रगणों,आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री जी. के. अवधिया की रचना पढिये.लेखक परिचय :-नाम : जी.के. अवधियाउम्र : 59 वर्ष, सेवानिवृतशहर : रायपुर (छ्ग)मैं एक संवेदनशील, सादे विचार वाला, सरल, सेवानिवृत व्यक्ति हूँ। मुझे अपनी मातृभाषा
  
अखिल भारतीय श्वान सम्मेलन में व्यक्त चिंताएं वीरेन्द्र जैन अगर कोई जाति दलित पिछड़ी या उपेक्षित होती है तो वह अपनी पहचान बनाये रखकर भी अपनी जाति को प्रचलित नामों की जगह संस्कृतनिष्ठ शब्दों में बदलकर अपना जाति सम्मेलन आयोजित करती है। शायद यही कारण रहा होगा
 
 अब आपसे लेते हैं हम विदा
 लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

शुक्रवार, 14 मई 2010

.मेरा लेखन कचरा है!!, मुकद्दर का सिकंदर कौन? - समीरलाल या अनूप शुक्ल?- ब्लाग 4 वार्ता- राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार
आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार

ब्लाग जगत में इन दिनों जंग जैसा माहौल बना हुआ है। समझ नहीं आता है कि आखिर ऐसा करके क्या मिल जाता है। क्या यह सब महज टीआरपी बढ़ाने का खेल है या फिऱ इसके पीछे वास्तव में खराब मानिसकता काम कर रही है। अब यह तो वहीं लोग बता सकते हैं जो ऐसा कर रहे हैं। कौन क्या सोचता है उन प छोड़ते हुए हम चलते हैं आज की चर्चा की तरफ..
  दोस्तों!…इस समय हिंदी ब्लॉगजगत में इस बात को लेकर धमासान मचा हुआ है कि ब्लोग्वुड का बादशाह कौन?…हिंदी का सच्चा सेवक कौन? …इस सब का सिलसिला शुरू ..

दो दिन हो गये सारा घटनाक्रम देखते. ढ़ेर प्रशंसक/ चहेते/मित्र सामने आये माननीय ज्ञानदत्त जी की पोस्ट  पर मेरे विषय में टिप्पणी देखकर. जान पाया सबका प्यार. अभिभूत हुआ, लोगों को इस पर नाराजगी भी हुई कि मैं क्यूँ असभ्यता से किये गये विरोध के बावजूद भी
 
रात महफ़िल जमी-सुरों के साथ...........!
कल रायपुर में कवि सम्मेलन था जिसमें भारत के नामी गिरामी कविता पढने आए थे, मुझे पता चला की राजस्थान के माननीय कवि ताउ शेखावाटी भी रायपुर पधार रहे हैं। उनसे मुलाकात हुए 12 वर्ष हो चुके थे। उनका मोबाईल नम्बर भी मुझसे गुम गया था। इसलिए मैने सुबह सुबह
मतलब वही*, *नये बोतल में पुरानी शराब*, यही होगा न? कि सरल और निर्दोष से दीखते इस वाक्‍य में कहीं इससे भी ज्‍यादा गूढ़ार्थ घुसे हुए हैं? ठीक है, आपकी बला से घुसे रहें, यह कोई डिकंस्‍ट्रक्शनिस्‍ट सेशन नही...

उमड़त घुमड़त विचार -में सूर्यकान्त गुप्ता बता रहे हैं  "जरा सा"
  दो छोटे छोटे शब्द; " *जरा सा". * इनका प्रयोग कितना प्रभावशाली. चेतावनी के लिए अति उपयुक्त. आजकल आप किसी दुकान में या कार्यालय में नीति वचन के रूप में लिख़ा देख सकते हैं. कुछ 
खुशदीप सहगल* यानि मैं...इनसान हूं...सुख में खुश और दुख में दुखी भी होता हूं...शांत रहने की कोशिश करता हूं लेकिन कभी-कभार गुस्सा भी आ जाता है...पंजाबी ख़ून का असर है या कुछ और...कह नहीं सकता...ब्लॉग पर भी ...

यौन शिक्षा - चुनौतीपूर्ण किन्तु आवश्यक प्रक्रिया डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर =================================== (2) यौनांगों के प्रति उत्सुकता - पाँच से दस वर्ष की अवस्था ==================================...
14 मई 2010 को हरिभूमि समाचारपत्र के नियमित स्तंभ 'ब्लॉग की दुनिया से' में अदालत, राजतंत्र, *नया जमाना* तथा *आर्यावर्त* की पोस्ट्स 
*मुक्तक १* शीशे के सपने मत सजाओ पल भर में चूर हो जायेंगे लोहे के सपने सजाओ तूफानों में भी टूट न पाएंगे *मुक्तक २* मुकाम हासिल उन्हें ही होते हैं लोहे के सपने जो सजोते हैं वो अपनी किस्मत पर रोते हैं शीश...

शची के यहाँ से निकला....निरुद्देश्य सा इधर उधर भटकता रहा थोड़ी,देर...कुछ लोगों से बातें की...मन में भले ही झंझावात चल रहें हों..पर प्रोफेशनल ड्यूटी तो निभानी ही है...जिस काम के लिए आया है,उसे तो अंजाम देन...
अभी हाल ही में पूछा गया कि बताईये कौन चुनेंगे , लाल कि शुक्ल ? लो अव्वल तो यही पता नहीं कि पूछा किससे गया था , लेकिन अब चूंकि ब्लोगजगत पर पूछे गए हर सवाल को हम जरा निजि रूप से ले लेते हैं 
नुक्कड़ - में डा.सुभाष राय पूछ रहे हैं- कलम के सिपाही किधर चल पड़े
आप जानते हैं *समाचार क्या होता है?* जब मैंने समाचार की दुनिया में दाखिला लिया था, तब मुझे पता नहीं था कि समाचार क्या होता है। समाचार लिखता था, मेरे लिखे समाचार प्रकाशित भी होते थे, प्रशंसाएं भी मिलती थी
समयचक्र - में महेन्द्र मिश्र  बता रहे हैं - ए जालिम तू हँस ले जी भरकर...
ए जालिम तू हँस ले जी भरकर मेरे इन ताजे जख्मों को कुरेदकर. तेरा भी कल ऐसा वक्त आयेगा तू जियेगा जब आहें भरभर कर. 0000 जब याद किसी की आती है ए दिल मेरा बेकाबू हो जाता है . दिल को मेरे चैन तब आता है जब दिलरुबा ...
 आरंभ में संजीव तिवारी पूछ रहे हैं- क्‍या हमारा यह ब्‍लॉगिंग प्रयास सफल है : अपनो से अपनी बात

हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में जैसे तैसे हमारा चार साल का वक्‍त गुजर रहा है और हम भरसक प्रयत्‍न कर रहे हैं कि इस ब्‍लॉग में छत्‍तीसगढ़ के संबंध में यथेष्‍ठ जानकारी आपको नियमित देते रहें. कुछ मित्रों नें हमारी 
  
गँवई तलइया में बस्तर धोवै जात की बेरियाँ धोबी-धोबिनी आपन हियरे क मरम एक दुसरे से बतियाव तारन ! लुगाई गरीबी क रोवना रोव तिया तऽ मनसेधू ओकरा के गवें-गवें ढाढस दे तारन, समझावत-बुझावत बाड़न । इहै आपसी पति-पत्नी संवाद चल रहल बा - धोबिन- रहि-रहि जियरा कचोटै ला
रो रही है सर पटक कर ज़िंदगी और बढता जा रहा है कारवाँ संहार का ! कंठ में भर स्वर प्रभाती का मधुरअलस कलिका संग कीलित नव उषा,खिलखिलाती आ गयी जब अवनितलदेख उसका लास यह बोली निशा,ह्रास मेरा दे रहा जीवन तुझे,क्रम यही है निर्दयी संसार का ! रो रही है सर पटक कर
  
शिक्षा पर लोंगो की चिंताएँ अब केवल आयोजनी अवसरों पर ही सुनने में आती हैं.शिक्षा को लेकर कोई आंदोलन इतिहास की बात हो गईं.छात्र नेतृत्व भ्रष्ट राजनीतिज्ञों की ऐशगाह बना हुआ है.मुझे कहने में लिहाज़ नहीं कि भारतीय शिक्षा मर चुकी है.स्कूली शिक्षा हो या उच्च
  
पद चुनने में आरक्षण के हक को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। इससे अरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को बहुत बड़ा संबल मिला है। गौरतलब है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में जो अभ्यर्थी अपनी मेरिट के आधार पर सामान्य वर्ग में आ जाते थे, उन्हें सामान्य वर्ग की भांति ट्रीट
  
बहुत अच्छा लगता है मिलना मिलते रहना किन्तुयह भी सत्य है कि अपनी ज़मीं तलाशते लोग जिनको भ्रम है कि वे नियंता हैं चीर देतें हैं लोगो के सीने कलेजों निकालने फ़िर उसे खुद गिद्ध की तरह चीख-चीख के खाते हैं खिलाते हैं अपनों को शुक्रिया साथियो तब अवकाश ज़रूरी जब
  
मुल्क पर उन जैसा हक़, मेरा नहीं है ।नागरिक तो हूँ मगर ,पैसा नहीं है॥पहले भी रोज़ो-शब् , न थे अच्छे मगर।अब हमारे हाल पर , पर्दा नहीं है॥तुम ऐसे वक़्त मेरी, छाँव की तलाश।तपी है पीठ उस पर कपडा नहीं है॥हुई तसल्ली शहर की , बदहवाशी से।दिले बर्बाद हाल तू ,तनहा
   
अखिल भारतीय कवि सम्मलेन और डाक्टर राय एवंडाक्टर परिहार का सम्मानआगरा ही नहीं हिंदी जगत की प्रतिष्ठित संस्था आनंद मंगलम सा तत्वावधान में १४ मई २०१० को माथुर वैश्य सभा भवन आगरा पर अखिल भारतीय कवि सम्मलेन और डाक्टर राय एवं डाक्टर व डाक्टर रंजन, परिहार का
  
छीछा-लेदरनौंक-झौंकगाली-गुल्लीनामी-बेनामीलडो-भिडोगिरो-पडोपटका-पटकीमत-करोनींबू-मिर्चीकाला-टीकाआरती-पूजाकरो-करोभूत-प्रेतदीमक-घुनभूखे-प्यासेकूद-पडेबचो-बचाओचिट्ठे-चर्चेजान-बचाओचिट्ठे-चर्चे !!
  
गर्मी का मौसम यानी आम का मौसम. आम का शेक , आम का पापड़, आम का अचार, आम का शरबत और अब आम की आइसक्रीम
  
  निरुपमा पाठक की मौत का मामला अभी अखबारी सुर्खियों से हटा भी नहीं था कि इलाहाबाद  में ऐसे ही क्रूर कथानक की पुनरावृत्ति हो गयी। इस बार किसी सन्देह या अनुमान की गुन्जाइश भी नहीं है। पुलिस को घटनास्थल पर मिले सबूतों के अनुसार परिवार वालों ने
अब आपसे लेते हैं हम विदा
 लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
 

बुधवार, 12 मई 2010

ज्ञानदत्त और संजय दत्त, कितना इनाम रखे है सरकार हम पर - ब्लाग 4 वार्ता- राजकुमार ग्वालानी

ब्लाग 4 वार्ता  का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी </a> का नमस्कार- आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार 
ब्लाग जगत में एक बार फिर से छिड़ी लड़ाई को देखकर मन फिर से खिन्न है। न जाने क्यों कर अपने ब्लागर मित्रों को विवाद से ज्यादा प्यार हो गया है। क्यों कर कोई किसी की भी बुराई करने से परहेज नहीं कर पाता है। आखिर दूसरे की टांग खींचने से क्या मिल जाता है? यह सोचने वाली बात है। टांग खींचने से अगर कोई फायदा हो तो बात समझ आती है, लेकिन हमें कोई बताए कि ऐसा करने से किसका फायदा हुआ है। संभव है ऐसा करने वाले को आत्मिक संतुष्टि मिलती हो, लेकिन अपनी मृगतृष्णा शांत करने के लिए दूसरों को निशाना बनाना और परेशान करना यह कहां का न्याय है। हमारा ब्लागर मित्रों से आग्रह है कि हिन्दी ब्लाग जगत में प्यार का पैगाम देने का काम करें न कि नफरत फैलाने का। इस उम्मीद के साथ की ब्लागर मित्र इन बातों पर जरूर गौर करेंगे चलते हैं आज की चर्चा की तरफ-  
 ज्ञानदत्त अंग्रेजी के ब्लागर है। अंग्रेजी के ब्लागर इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि हिन्दी में अंग्रेजी के शब्दों को बड़ी बेशर्मी से ठूंसने का जो काम ज्ञानदत्त करते हैं उतनी बेशर्मी से कोई और दूसरा शायद नहीं कर ... 

7 मई 2010 की रात में लिखचीत (चैट) पर माननीया बीना शर्मा जी ने जानना चाहा था कि मैं आगरा कब पहुंच रहा हूं। मैंने बतलाया कि सुबह 5 बजे चलने की योजना है। उन्‍होंने कहा कि आप यदि 10 बजे तक पहुंच सकें तो मैं ...
पिछली दो पोस्ट्स पर आप लोगों ने जो प्यार और प्रोत्साहन दिया है..मैं नत-मस्तक हूँ ...आपके सुझावों पर अमल करने की कोशिश कर रही हूँ...म्यूजिक भी डालूंगी..बस थोड़ा समय चाहिए उसे बनाने के लिए...कोशिश ये है कि 
संयुक्त परिवार को लेकर कल मेरी पोस्ट पर *शिखा वार्ष्णेय* जी ने बड़ा जायज़ सवाल उठाया था...बुज़ुर्ग हमेशा सही हों, ऐसा भी नहीं होता...न्यूक्लियर फैमिली का प्रचलन बढ़ रहा है तो इसके लिए दोष अकेली युवा पीढ़ी ...
कल रात आदतन टी0वी0 खोलकर समाचार चैनल पर निगाह डालनी शुरू की तो समाचार से रूबरू हुए कि मैकमोहन नहीं रहे। एक पल को शायद साथ में चित्र नहीं आया होता तो पहचान का संकट हमारे सामने खड़ा हो जाता किन्तु चित्र ने...
इधर हमारी सरकार ने लोकतंत्र की खुशहाली और शांति के कुछ फार्मूले जनहित में कर दिए हैं जारी अनुरोध है देश की जनता से कि वह जनता द्वारा ही चुनी गयी लोकप्रिय सरकार की बात मानकर लोकतंत्र के हाथ मजबूत करे. सबसे 
 
तुम्हे मालूम है कि देश से अगर एक भला और ईमानदार इंसान चले जाए तो क्या होगा ? *जी सर , एक सौ पच्चीस करोड़ लोगो का भला हो जाएगा !!!
 पूरे होते उसके सपने लगन हो जिसमे खास। कहीं अधूरे हों सपने तो जीवन लगे उदास। हों पूरे या रहे अधूरे मरे कभी ना सपना, जीवन में नित नित बढ़ते हैं सपनों से विश्वास।। आम-आदमी के जीवन से हुआ आम अब दूर। दाम बढ़े है...
ट्रेन खुल रही है स्टेशन से और आस पास का सारा मंजर धुंधला पड़ता जा रहा है. तेज रफ़्तार में धुंधला होने जैसा धुंधला, मुझे अचनक से याद आता है कि मैं तो खड़ा हूँ स्टेशन पर. दूर जाती हुयी एक खिड़की है, उसमें बैठी...
उमड़त घुमड़त विचार में -पांच का पहाड़ा चल रहा ......
क्या बात है, जान-बूझ कर नहीं है, पर देख रहा हूँ "उमड़त घुमड़त विचार" का गत दिनों लिख़ा गया प्रत्येक पोस्ट (तीन पोस्ट में लगातार) पांच-पांच टिपण्णी पाने वाला बना है. संयोग से ही सही. अरे हाँ अब कहाँ सुनने ...
कुछ दिन पहले मॉर्निंग वाक पे मेरी सहेली ने, फलों से लदे एक कटहल के पेड़ को दिखाते हुए कहा, '.तुम्हे पता है...कटहल जड़ों के पास भी फलते हैं'.मैने कहा 'हाँ...मैने भी देखा है'..फिर वो बताने लगी कि केरल के एक ...
QUESTION: How to know if we have Tantra (bhahri baadha) Problem in life. Reply: - Catch of Tantra (bhari baadha), which are light in nature can not be felt, it effect like very slow poison to native and...
इनकी चाहत है जल्लाद बनने की।
मां-बाप अपने बच्चों को अच्छी तालिम देकर एक कामयाब इनसान बनते देखना चाहते है...लेकिन सुरेन्द्र और जितेन्द्र नाम के दो भाई जल्लाद बनना चाहतें है...दोनों के सर जल्लाद बनाने का जनून इस कदर हावी है की दोनो
इतिहास गवाह है कि जब भी भाई भाई आपस में लड़ते हैं तो उसका निश्चित परिणाम विनाश ही होता है। हजार से भी अधिक सालों की हमारी गुलामी सिर्फ हमारे देश के नरेशों का आपस में लड़ने का ही परिणाम था। कौरव-पाण्डव आपस मे...
ब्लॉग मदद में - लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010
सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं, सादर प्रणाम, * आज ब्लोगोत्सव के नौवें दिन अर्थात दिनांक १० .०५.२०१० के संपन्न कार्यक्रम का लिंक-* जिन्हें नाज है हिंद पर, उनके नाम http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-...
क्रिएटिव मंच पर आप का स्वागत है !इस मंच के शुरआती दौर से ही हमने हिंदी व् अन्य भाषाओँ के चर्चित लेखक / लेखिका की चुनिन्दा रचनाएँ आप के समक्ष प्रस्तुत करते रहे हैं ! इसी श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत हैं -'डा० ऋतु पल्लवी की पांच बेहतरीन कवितायें'आशा है
  
एक कोलाज :  फिल्म और साहित्यलोग अब जहर बोते हैं बाबू...... मेरे पिया गये रंगून..... किया है टेलीफून..... तुम्हारी याद .......मोबाईल की अम्मा......अब कौन लुंगी में घूमता है रे.......पैंट पहन कर चलने में नवाबी फटकती है.....चप्पल फटकारते हुए
  
कहा था कि देखो कहीं दूर गातीजो ऊँचे सितारों से कौन आ रही है ?ये सज्जा फटी सी है चिथड़े लपेटे ,निगाहें उठी पर अकिंचिन सी लगती |कहा था कि देखो कहीं दूर गातीजो ऊँचे सितारों से कौन आ रही है ?ये सज्जा फटी सी है चिथड़े लपेटे ,निगाहें उठी पर अकिंचिन सी लगती
  
वैसे मैं इन हिन्दू मुस्लिम बन्दों से थोडा दूर रहता हूँ क्योंकि मेरे जैसा भावुक व्यक्ति हर समय बेमतलब ईश्वर प्रेम को बीच में ले आता हैं । अभी दो तीन हफ्ते से शायद सावरकर जी पर हिन्दू मुस्लिम जगत में पुनर्जन्म को लेकर काफी बहस हो रही हैं । हमेशा की तरह
  
इधर कुछ समय से देखा जा रहा है कि सरकार में रहकर नीतियों से विरोध करने का एक चलन सा होता जा रहा है. देश को चलाना एक ज़िम्मेदारी होती है पर जब इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों को इतनी छूट दे रखी हो तो उन्हें भी
  
दीर्घायु होने का ख़्याल सुबह होने से पहले सपने में बाबा नजर आए मुस्‍कुराए बोले “पूछ बच्‍चा जो भी जानना चाहता है पूछ ले!” उसने कहा, “बाबा बताइए कोई ऐसा उपाय जिससे मेरी उम्र बहुत लंबी हो जाए।”   बाबा ने बताई राह कहा, “कर ले विवाह!” अब चौंकने की उसकी थी
  
उच्चतम न्यायालय ने कंपनी अधिनियम 2002 में किए संशोधन की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी है। इसके साथ ही कंपनी मामलों से निपटने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के गठन का रास्ता साफ हो गया। मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता
  
ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण! इहागच्छ, इह तिष्ठ वरुणाय नमः, वरुणमावाहयामि, स्थापयामि। पिछली कड़ियाँ: 1. सीरिया की शराब 2. असुर शब्द का अर्थ 3. वारुणी 4. देव, दैत्य, दानव पिछली गर्मियों (जून २००९) में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू सूखे से बचाव के लिए
अब आपसे लेते हैं हम विदा
लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा

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