ब्लाग 4 वार्ता का आगाज करने से पहले सभी ब्लागर मित्रों को राजकुमार ग्वालानी का नमस्कार
आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार
आएं मिलकर बांटते चले सबको प्यार
इसमें कोई दो मत नहीं है कि आज अपने देश में जन्म देने वाली मां के साथ भारत माता, गंगा माता और गो माता सबसे ज्यादा उपेक्षित है। आज जरूरत इस बात की है कि अपने देश में हर माता को सम्मान देना चाहिए। कहने से कुछ नहीं होता कि मेरा देश महान। देश को महान बनाने से पहले इंसान को जन्म देनी वाली मां से लेकर अपनी धरती मात तक का सम्मान होना चाहिए तभी तो वह देश महान बनेगा। खैर हम चलते हैं आज की वार्ता की तरफ...
अंधड़ ! में पी.सी.गोदियाल बता रहे हैं- इस बार मेरी माँ ने ख़त नहीं भेजा गाँव से ! कल मदर्स डे के सुअवसर पर मैंने उस बाबत कुछ नहीं लिखा, क्योंकि मुझे अपनी माँ से एक शिकायत है कि उसने मुझे घडियाली आंसू बहाना नहीं सिखाया ! पता नहीं क्यों ? एक दूसरी वजह भी थी , जिसे यहाँ बयाँकर रहा हूँ इन नया जमाना में - महाकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150वीं जन्मतिथि पर विशेष- सभ्यता और सादगी का महाकवि
रवीन्द्रनाथ की 150वीं जयन्ती के मौके पर उनके विचारों और नजरिए पर विचार करने का मन अचानक हुआ और पाया कि रवीन्द्रनाथ के यहां मृत्यु का जितना जिक्र है उससे ज्यादा जीवन का जिक्र है। रवीन्द्र...
उड़न तश्तरी बता रहे हैं- बुक्का फूटा..बुक्क!!! हमारे पास आँखे हैं तो देखने की सुविधा है. मगर हम बस दूसरों को देख सकते हैं. काश!! अपनी आँखों से हर वक्त खुद को भी देख पाते. दर्पण इज़ाद कर लिया है लेकिन दर्पण कब हमेशा साथ रहता है? दिन में एक या दो बार दर्पण देखते हैं वो भी मात्र खुद को निहारते ही हैं.श्य़ाम कौरी बता रहे हैं- यौन शिक्षा की पाठशाला (पार्ट - १)यौन शिक्षा" एक ऎसा विषय जिस पर अभी भी मतभेद जारी हैं, कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इसके पक्षधर हैं तो कुछ निसंदेह इसके विरोधी भी हैं ... विरोध भी जायज है क्योंकि ये विषय ही ऎसा है कि कोई भी नहीं चाहेगा कि उसके बच्चों को अनावश्यक रूप से समय पूर्व ही "यौन शिक्षा"
ताऊ पहेली - 73 (ग्वालियर फ़ोर्ट) विजेता : श्री प्रकाश गोविंदप्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 73 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है ग्वालियर फ़ोर्ट (म.प्र.)और इसके बारे मे संक्षिप्त सी जानकारी दे रही हैं सु. अल्पना वर्मा. आप सभी को मेरा......
ललित डाट काम में ललित जी बता रहे हैं- लार्ड मैकाले के मानस पुत्रों का षड़यंत्र....................!जब मैं पहली कक्षा में पढने के लिए स्कूल में भर्ती हुआ तो मुझे याद है, दादाजी ने 60 पैसे में स्लेट और 75 पैसे में बाल भारती पुस्तक और 20 पैसे में पेंसिल का एक डिब्बा दिलाया था। पेंसिल तो और भी लाई गयी, एक दो स्लेट भी लगी होगीं क्योंकि फ़ूट जाती थी। इस तरह
काव्य मंजूषा में अदा बता रही है- ब्लॉग समाचार ......पोस्ट माला
यह एक छोटी सी कोशिश है ब्लोगवाणी में पसंद के हिसाब से आये हुए प्रविष्टियों की बात करने की...हालांकि मैं स्वयं इस तरीके के पक्ष में नहीं हूँ, परन्तु ये मेरी पहली कोशिश थी इसलिए इस रास्ते को इख्तियार किया ...
मेरी छोटी सी दुनिया में पीडी बता रहे हैं- माँ से जुडी कुछ बातें पार्ट 1मैंने मम्मी से बचपन में कभी राजा-रानी या शेर-खरगोश कि कहानी नहीं सुनी.. या शायद कोई भी कहानी नहीं सुनी है.. जब से होश संभाला, मैंने उन्हें डट कर मेहनत करते पाया.. पूरे घर को एक किये रहती थी.. और उस एक करने...अरविन्द चतुर्वेदी बता रहे हैं- मेरी यूरोप यात्रा 6-- नमस्ते भी सुना ,सौरी भी. हार्ली डेविडसन की फोटोमैने पिछली पोस्ट में मोटर साइकल हार्ली डेविडसन का ज़िक्र किया था और यह भी लिहा था कि हमने उसके फोटो भी खींचे. भाई विवेक रस्तोगी ने एक छोटे से कमेंट में इसकी मांग जैसी(?) की है. अत: पहले फोटो दिन भर के सै...
आज मदर्स डे पर अख़बारों और टीवी के मां पर उड़लते प्यार से इतर कुछ आंकड़े देख लेते हैं। हो सकता है थोड़ा डर लगे...हो सकता है ये भी लगे कि ये तो कहीं दिखाया नहीं गया आज...दरअसल अख़बार और टीवी आपका मूड ख़राब...
मातृ दिवस पर स्मृति गीत:divyanarmada.blogspot.com माँ की सुधियाँ पुरवाई सी.... संजीव 'सलिल' * तन पुलकित मन प्रमुदित करतीं माँ की सुधियाँ पुरवाई सी तुमको खोकर खुद को खोया, संभव कभी न भरपाई सी .
गिरीश पंकज कहते हैं- माँ दिवस नहीं, ''माँ-शताब्दी'' मनाएं ..आज हमारी चार माताएं सबसे ज्यादा उपेक्षित हैं. जन्म देनेवाली माता के साथ ही भारत माता, गंगा माता और गौ माता. सबकी दशा ख़राब है. इन सबके लिए अब एक दिन नहीं,पूरी ''माँ-शताब्दी'' मनाने की ज़रुरत है.लेकिन ऐसा...प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा में बी एस पाबला बता रहे हैं- आज की जनधारा में 'राजतंत्र' तथा 'धान के देश में'
9 मई 2010 को रायपुर से प्रकाशित दैनिक, आज की जनधारा के नवीन स्तंभ 'ब्लॉग कोना' अंतर्गत धान के देश में गर्मियों के दिनों की बातें तथा राजतंत्र पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं पर चिंता करता लेख
आचार्य राजशेखर- आचार्य परशुराम राय* [image: 04092008148-001] आचार्य राजशेखर का काल दसवीं शताब्दी का आरम्भ माना जाता है। ये विदर्भ राज्य के निवासी थे। आचार्य दण्डी के बाद ये दूसरे आचार्य है
उमड़त घुमड़त विचार में सूर्यकान्त गुप्ता बता रहे हैं नक्सलवाद के अग्निकुंड में चढ़ रही लाशों की चढ़ोतरी
आज है मातृ-दिवस, सुबह सुबह अखबार के मुख्य पेज पर नक्सलवाद की बलि चढ़ चुके फिर ८-१० पुलिस महकमे के इन्स्पेक्टरों सिपाहियों की खबर पढ़ा। क्या बीती होगी उन माताओं के दिलों पर्……। उन शहीदों को, उन माताओं को श...आप ब्लॉग किस मुद्रा या माहौल में लिखते हैं ?बड़े-बड़े लेखकों की बड़ी-बड़ी सनकें। कोई सो कर लिखता था तो कोई खड़े हो कर। कोई सोने से पहले तो कोई जागने के बाद। कोई शराब पी कर तो कोई चाय। किसी को शोर-शराबा पसंद था तो किसी को संगीत, कोई अपने पालतू के बिना कुछ...
अब आपसे लेते हैं हम विदा
लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
लेकिन दिलों से नहीं होंगे जुदा
9 टिप्पणियाँ:
बहुत बढि्या चर्चा राजकुमार भाई
बढि्या चर्चा राजकुमार जी !
बहुत सुंदर चर्चा.
रामराम.
बहुत अच्छी और विस्तृत चर्चा।
बहुत सुन्दर चर्चा रही आपकी..
मेरी प्रविष्ठी को स्थान देने के लिए आपका धन्यवाद...
अच्छी चर्चा
बहुत अच्छी लगी जी आप की आज की चर्चा.
पसंद है
शुक्रिया जी
एक से बढ़कर एक लिंक। अच्छा लगा।
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