बुधवार, 24 जुलाई 2013

कइसे कही कि सावन आयल... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...लम्हा - लम्हा जिंदगी कुछ यूँ सिमट गई , जो मज़ा था इंतजार में अब सज़ा बन गई | दर्द और ख़ुशी के बीच दूरियां जो बड गई , दिलो के दरमियाँ मोहोब्बत कम हो गई | चिठ्ठी - तार बीते जमाने की बात हो गई , आधुनिक दौड़ में वो बंद किताब हो गई | कुछ सवाल हदों की सीमाएं पार कर गई , वक़्त के साथ अपने कई निशां छोड़ गई | खफा नहीं , जिंदगी हमपे मेहरबान हो गई , भडास निकली तो बात आई - गई हो गई |  पल - पल बदलता वक़्त ... लीजिये प्रस्तुत...

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