शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

जीवन भी क्या है ? अभिव्यक्ति है प्रीत की... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... पूरी दुनिया में विद्वान लोग ईश्वर के प्रति एक खास नजरिया रखते हैं. उनका सोचना है कि ईश्वर निराकार है. हम उसे वैसे नहीं देख सकते हैं, जैसे अपने को आईने में देखते हैं. ईश्वर पूरी तरह से बोध का मामला है. जो उस बोध से गुजर जाता है, वही बुद्ध हो जाता है...लीजिये अब प्रस्तुत है आज की ब्लॉग वार्ता, आज आपके लिए लाए हैं, कुछ खास लिंक्स, चित्र पर क्लिक करते ही पहुँचिये ब्लॉग पोस्ट पर..........



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दौड़ती भागती रही उम्र भर तेरे इश्क की कच्ची गलियों में लगाती रही सेंध 
बंजारों की टोलियों में होगा कहीं मेरा बंजारा भी 
जिसकी सारंगी की धुन पर इश्क की कशिश पर 
नृत्य करने लगेंगी मेरी चूड़ियाँ रेशम की ओढनी ...



Shyam kori 'uday' - Bilaspur, India 

यह एक मायावी संसार है यहाँ, कुछ लोगों का काम ही है जाति, 
धर्म व ईश्वर रूपी - भ्रम फैलाना ... 
पर हमें, उनकी - बातों में नहीं आना है ! ईश्वर एक है...  

My Photo 

बतला दे मेरे चन्दा - *वाणी गीत जी के ब्लॉग गीत मेरे से एक गीत * * * 



दर्शन कौर 

वो समुंदर का मोती था ...सिप उसका घर था ..बाहरी  दुनियाँ से वो अनजान था .....
अपने दोस्तों से उसको बहुत प्यार था ...कुर्बान था वो अपनी दोस्ती पर ,मस्त मौला बना...  

ललित शर्मा  

लाया हूँ मैं सहज ही तुम्हारे लिए टेसू के फ़ूल 
जो अभिव्यक्ति है मेरी प्रीत की गुलाब तो अभिजात्य वर्ग के नकली प्रेम की निशानी है 
गुलाबी प्रेम में झलकती है बेवफ़ाई/कटुताई टेसू के फ़ूल निर्मल निर्दोष सहज और...

 Sangita Puri

ज्‍योतिष के बारे में जन सामान्‍य की उत्‍सुकता आरंभ से ही रही है , गणित ज्‍योतिष के क्षेत्र में हमारे ज्‍योतिषियों द्वारा की जाने वाली काल गणना बहुत सटीक है। 
पर इसके फलित के वास्‍तविक स्‍वरूप के बारे में ....



जीवन भी क्या है ? एक यक्ष प्रश्न , हम सुलझाने की कोशिश करते हैं और यह उलझता जाता है. 
हम एक सिरा पकड़ते हैं और हमारे सामने कई सिरे आ जाते हैं।
 हम एक इच्छा की पूर्ति के लिए दिन रात मेहनत करते हैं, लेकिन ...

 Amit Kumar Srivastava


रात गहरी हो चली थी | मैं अपनी आँखें मूंदे मूंदे ख्यालों में एक कविता गुन, बुन रहा था |
 गुनते ,बुनते कब आँख लग गई पता नहीं चला | 
सपनों में , हाँ ,सपना ही रहा होगा,मैं अपनी कविता को शब्दों , भावों और स्मृत..


तुम्हारा प्रेम पत्र कल ही मिला किताब में छुपा हुआ था, 
नहीं रखकर भूली नहीं थी दरअसल, छुपाने के लिए किसी जगह की तलाश वहीं ख़त्म हुई थी, 
बदनसीब था मेरा पहला प्रेम पत्र भी किस ...  


हे प्रसन्नमना, प्रसन्नता बाँटो न - अभी एक कार्यक्रम से लौटा हूँ,
 अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ मंच पर एक स्वामीजी भी थे। 
चेहरे पर इतनी शान्ति और सरलता कि दृष्टि कहीं और टिकी ही नहीं, कानो... 

  
हरा भरा प्रीत का झरना, बहे सुवास अमराई में
कांटे चुन लूं राह के तेरी, संग हूँ जग की लड़ाई में
दिवस ढलता चंदा ढलता, मै यामिनी सी जगती हूँ
........


अगली वार्ता में फिर भेंट होगी तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार......
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गुरुवार, 6 सितंबर 2012

ये कैसी सरकार देखिये, दिल्ली में तकरार देखिये...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... आज संसद में हुई एक घटना ने देश को शर्मसार कर दिया है, वहीँ दूसरी तरफ किसी समय में पश्चिमी मीडिया में सराहना और सुर्खियाँ बटोरने वाले भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब लगता है कि पश्चिमी मीडिया के निशाने पर आ गए हैं. टाइम ने अपने कवर पर मनमोहन सिंह की तस्वीर छापकर उन्हें 'अंडरएचीवर' बताया, वहीं वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा है कि अब नौबत ऐसी आ गई है कि खतरा है कि मनमोहन सिंह को इतिहास में एक विफल नेता के तौर पर ही याद किया जाए. भारत सरकार ने इस पर खासी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने खबर की निंदा करते हुए वॉशिंगटन पोस्ट पर 'सनसनी फैलाने वाली पत्रकारिता' करने का आरोप लगाया है और कहा है कि वे भारत के विदेश मंत्रालय से इस मुद्दे को आगे बढ़ाने की बात करेंगी. इन खास ख़बरों के बाद लीजिये अब प्रस्तुत है आज की ब्लॉग वार्ता, कुछ नए लिंक्स के साथ...

उस प्रिय गुरुवर का वंदन है...... - *एक संगीत-शिक्षिका ने शिक्षक दिवस के लिए एक गीत माँगा, तो उसे दे दिया. फोन पर ही नोट कराया था और उसने गीत को 'भीमपलासी' में निबद्ध करके फोन पर ही कल सुना द..गुरु-शिष्य की बदलती परंपरा - भारतीय संस्कृति का एक सूत्र वाक्य है-‘तमसो मा ज्योतिर्गमय।‘ अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने की इस प्रक्रिया में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है। भारतीय परम्परा. हैप्पी टीचर्स-डे...- आज शिक्षक दिवस (Teachers day) था. हम बच्चों ने इसे अपने स्कूल में खूब इंजॉय किया. आज तो हमारी जल्द ही छुट्टी भी हो गई. वैसे, हमारी टीचर जी बहुत प्यारी हैं...

हाइकु - जीवन - (१) रात का दर्द समझा है किसने देखी है ओस? (२) दिल का दर्द दबाया था बहुत छलकी आँखें. (३) जीवन राह बहुत है कठिन जीना फिर भी. (४) जाता है रा. .अज्ञात की श्रेणी मे हूँ ……क्या ढूँढ सकोगे मुझे? - अज्ञात की श्रेणी मे हूँ क्या ढूँढ सकोगे मुझे? मै कोई दरो-दीवार नही कोई इश्तिहार नही कोई कागज़ की नाव नहीं ना अन्दर ना बाहर कोई नही हूँ कोई पता नहीं कोई दफ़्...मेरे सजदे का सितमगर ने ऐसा क्यों सिला दिया - उसने अपना कहके क्यों नज़र से मुझको गिरा दिया !! मेरे सजदे का सितमगर ने ऐसा क्यों सिला दिया !! याद में जिसकी बहाती रही, ये मेरी नादाँ आँखें आँसू !! उस सितमगर...

 ये कैसी सरकार देखिये - आमजनों के शुभचिंतक का, दिल्ली में तकरार देखिये लेकिन सच कि अपना अपना, करते हैं व्यापार देखिये होड़ मची बस दिखलाने की, है कमीज मेरी उजली पर मुश्किल कि समझ रह..भारत एवं धर्मनिरपेक्ष प्रजातंत्र - अभी हाल तक कुछ लोग यह विचार व्यक्त कर रहे थे कि हमारे देश में साम्प्रदायिकता के प्रभाव में काफी कमी आयी है। कुछ का तो यहां तक कहना था कि बदले हुए वातावरण क..आरक्षण पर कब तक राजनैतिक रोटियाँ सेकी जायेगी !! - आज बाबा साहेब की आत्मा स्वर्ग में सोच रही होगी कि मैंने कैसे नासमझ लोगों को आरक्षण नाम का झुनझुना दे दिया जिन्होंने अपना वोट बेंक बनाने के चक्कर में मेरी ब.. 

नहीं पढूंगी तुम्हारी पोस्टों को .. - उसकी पोस्ट पर एक लाईक उनकी पर दो उनकी पर तीन उनकी पर पांच और तुम्हारे पर एक भी नहीं ?? क्या समझूं मैं ? तुम बकवास लिखते हो ! एक भी लाईक नहीं है तुम्हारे आले...  ख्वाबी मंसूबे ... - बेवफाई का इल्जाम, ..... तुम यूँ न लगाओ यारो खामोशियों की वजह, कुछ और भी हो सकती है ? ... शायद, अब हम नहीं मिल पाएंगे तुमसे दरमियाँ हमने, इक लकीर खीं...ओये मनमोहन वाशिंगटन पोस्ट ओये - साहब, इस दो कौड़ी के अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट द्वारा, मनमोहन जी को मौनी बाबा करार दिये जाने से, हमारा दिल को बहुत ठेस लग गया है। इनका हिम्मत कैसे ह...

स्पर्श एक अनजान आदमी नदी की धारा के साथ बहता हुआ कल्पनातीत ख्यालों में डूबा लहरों से बातें करता हुआ थपेड़ों को चीरता चला जा रहा है ! अचानक कुछ सकुचाता हुआ लहरों को छू लिया अब व्यग्र हो सोच रहा कहीं लहरें मैली तो...मुझे आज भी याद है...  मुझे आज भी याद है... वो काम ना करने का बहाना बनाना...और बड़ी सादगी से पकड़ा जाना... वो आपका कान मरोड़ना...और फिर हिदायत देके छोड़ना... मुझे आज भी याद है... वो ककहारा रटवाना...वो जोड़-ब... दिखना काफी नहीं होता, होना होता है...  बाहर बारिश थी. शायद भीतर भी. शीशे के उस पार एक बूँद थी. उस बूँद पर इस पार से मैंने उंगली रख दी. बूँद के साथ उंगली भी धीरे-धीरे सरकने लगी. बूँद उस पार, उंगली इस पार. छूने का एहसास लेकिन बीच में कांच की दी... 

अगले बरस के नुक्‍कड़डॉटकॉम महाशिखर सम्‍मान की घोषणा - सच्चा हिंदी ब्लॉगर वही जो धन न कमाए बेहियाब, बे-वज़ह विवाद बढ़ाए अगले बरस नुक्कड़ॉडॉटकॉम देगा इन्हीं उपलब्‍धियों पर पुरस्कार और करेगा महाशिखर सम्मान कौन ... कहाँ चले आये – - न आरजू न तमन्ना, कहाँ चले आये थकन से चूर ये तनहा कहाँ चले आये .... सुनो न ..तुम , कुछ कहो न कहो.. कुछ लिखो न लिखो मुझे वो सारे हुनर आते हैं जिनसे तुम्हारी आँखों से होकर मैं मन तक पहुँच जाती हूँ और सब अनकहा ...सुन आती हूँ. सब अनलिखा ...पढ़ आती हूँ . अब तो कभी नहीं कहोगे न .. कि "...आंसू - आंसुओं का कोई रंग नहीं होता रहते रंग हीन सदा चाहे जब भी आएं हंसते हंसते या दुख में वह जाएँ स्वाद उनका रहता सदा एकसा खारा हों वे चाहे खुशी के या .....

चलते-चलते एक कार्टून 



अगली वार्ता में फिर भेंट होगी तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार......

बुधवार, 5 सितंबर 2012

गुरु तेरी महिमा अनाम, कोटिशः प्रणाम..... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार..."गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागु पांव, बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय..." कबीर दास द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां जीवन में गुरु के महत्व को वर्णित करने के लिए काफी हैं. जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता क्योंकि इस संसार में लाने वाले वही हैं. उनका ऋण हम किसी भी रूप में उतार नहीं सकते. वैसे तो संतान की प्रथम गुरु माता होती है, लेकिन जिस समाज में हमें रहना है, उसके योग्य हमें केवल शिक्षक ही बनाते हैं. यद्यपि परिवार को बच्चे के प्रारंभिक विद्यालय का दर्जा दिया जाता है लेकिन जीने का असली ढंग उसे शिक्षक ही सिखाता है. समाज के शिल्पकार कहे जाने वाले शिक्षकों का महत्व यहीं समाप्त नहीं होता क्योंकि वह ना सिर्फ आपको सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि आपके सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है. शिल्पकार की भांति कच्ची माटी को आकार में ढालकर सुन्दर रूप देने जैसा वन्दनीय कार्य किया जाता है, इनके द्वारा. गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है.शिक्षक दिवस पर उन सभी विभूतियों का हार्दिक अभिनन्दन एवं नमन... आइये अब चलते हैं  आज की ब्लॉग वार्ता पर....

 http://www.uramamurthy.com/srkris1.jpg
प्रीत अरोड़ा का शिक्षक दिवस विशेष आलेख - बदलते युग में शिक्षक और शिष्य की भूमिका - आज के इस भौतिकवादी युग में प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका बदल रही है और ऐसे में शिक्षक और विद्यार्थी -वर्ग कैसे अछूते रह सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बच्चे... शिक्षा एक विचार - व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा का बहुत महत्व है |शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो अनवरत चलती रहती है जन्म से मृत्यु तक |जन्म से ही शिक्षा प्रारम्...शिक्षक दिवस – आत्म चिंतन की महती आवश्यक्ता  शिक्षक दिवस पर उन सभी विभूतियों को मेरा हार्दिक नमन और अभिनन्दन है जिन्होंने विद्यादान के पावन कर्तव्य के निर्वहन के लिये अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया । नि:सन्देह रूप से यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण और वन्दन...

गुरु तेरी महिमा अनाम .. - * **गुरु तेरी महिमा अनाम ,* *कोटिशः प्रणाम ......"* * * * ** ** ** ** ** ** ** ** ******"तुम हो तो, हम दीप्त दीप हैं,* * वरना गुमनाम हैं जर्रों की तर.. संस्कार - रमेश बस स्टॉप पे खड़ा बस का इंतज़ार कर रहा था। दिन काफी व्यस्त रहा था ऑफिस में। स्टॉप से थोड़ा आगे बाईं ओर 2 मोहतरमाएं खड़ी थीं। एक के सलवार-दुपट्टे और एक के... बिटिया - *जानती हो * *तुमसे * *आँगन चहकता है।* *घर का कोना -कोना * *महकता है।* *तुम रूठो तो * *संसार अधुरा लगे ,* *दिन-रात* *सारे बेगाने लगे ,* *त्यौहार पर* *रंगोली ह..

 शर्त ... - अब तक, छल-कपट-औ-दांव-पेंच से, जीती उन्ने लड़ाई है पर अब, चारों खाने चित्त होने की, उनकी नौबत आई है ? ... सच ! अब इसमें रंज कैसा, मुहब्बत हमने की है ....बस्तर के साहित्य-मनीषी लाला जगदलपुरी जी को पद्मश्री से अलंकृत किया जाये - मित्रो! मैंने पिछले वर्ष बस्तर के तमाम विधायकों, सांसदों, मन्त्रियों, संसदीय सचिवों के साथ-साथ माननीय मुख्यमन्त्री, संस्कृति मन्त्री, गृह मन्त्री, बस्तर सम्....दरिया होने का दम भरते तो है सनम, लेकिन डूबेगे अंजुरी भर पानी मे - *पूर्वकथन्:मै यह पोस्ट नही लिखना चाहता था पर मन मार कर जबरदस्ती लिख रहा हू केवल अपना पक्ष रखने के लिये. और लोगो के भ्रम समाप्ति के पश्चात इसे डिलीट कर दूं... 

 राम-रहीम - ''बेगम साहिबा की छींक का कारण था, उनकी जूती के नीचे आ गया नीबू का छिलका।'' यह भी कहा जाता है कि सर्दी-जुकाम ऐरे गैरों को होता है, लखनवी तहजीब वालों को सीध... काग़ज़ की नावँ सा ... - नहीं कोई ठावँ सा .... काग़ज़ की नावँ सा ... बहता हूँ जीवन की नदिया में ... शनै: शनै: डूबता हुआ .... क्षणभंगुर जीवन ... किंकर क्षणों मे ही ... आकण्ठ डूब ...एक गीत -प्यार के हम गीत रचते हैं - चित्र -गूगल से साभार प्यार के हम गीत रचते हैं इन्हीं कठिनाइयों में खिल रहा है फूल कोई धान की परछाइयों में | सो रहे खरगोश से दिन पर्वतों की खाइयों में | ..

 सड़क - सड़क : खत्म हो जाती हैं यकीनन वहाँ तुम मेरा हाथ छोडोगे जहां .. मेरे हमसफ़र !! सड़क : सब पहुँच जाते हैं उससे होकर कहीं न कहीं कभी न कभी वो रह जाती है ..उनींदे की तरकश से - किसी शाम को छत पर बैठे हुये सोचा होगा कि यहाँ से कहाँ जाएंगे। बहेगी किस तरफ की हवा। कौन लहर खेलती होगी बेजान जिस्म से। किस देस की माटी में मिल जाएगा एक ... "नाकारा" अफसर या नेता - केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अधिकारियों के काम काज की समीक्षा करने के अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अधिनियम मे... 

मै हूँ ना - फैले संध्या रंग क्षितिज पर सिंदूरी, गुलाबी गहरे इन रंगों का साथ क्षणों का छायेंगे धीरे धीरे अंधेरे ऊदी और सलेटी बादल परदे से, ढक लेंगे नज़ारे सांवली रजन...मोहब्बत/मैं /तुम/एक नज़्म..... - क्या मोहब्बत अपने अस्तित्व को खो देने का दूसरा नाम है....या तेरे मेरे एक हो जाने का??? क्या सदा तुझे खोने का भय ज़रूरी है.....जबकि पाया ही न हो कभी पूर्ण .बरसात में जहरीले सांप-बिच्छू बचाव ---- बरसात होते ही जहरीले कीड़ों और सांप के दंश के खतरे बढ जाते हैं। इनके बिलों में पानी भरते ही ये बाहर निकल आते हैं सुरक्षित जगह की तलाश में और खुद शिकार हो जा...  


 

अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार...... 

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

सामाजिक लाभ: पहलवान बच्चा पैदा करना ---------- ब्लॉग4वार्ता -------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, फ़ेसबुक पर पुष्कर पुष्प कह रहे हैं - चैनलों पर न्यूज़ की बजाये कई बार नॉनसेंस न्यूज़ ज्यादा हावी हो जाता है. किसी ज़माने में लालू यादव के उटपटांग बात को भी प्रमुखता से दिखाया जाता था. पूछने पर न्यूज़ चैनल वाले कहते थे कि लालू बिकते हैं. लालू को दर्शक देखना चाहते हैं. सो उनके नॉनसेंस को भी न्यूज़ बना दिया जाता था. यह सिलसिला अब भी नहीं थमा है. हाल में राज ठाकरे का बयान और उस पर न्यूज़ चैनलों की अँधाधुंध कवरेज इसका उदहारण है. अब चलते हैं आज की वार्ता पर प्रस्तुत हैं कुछ ब्लॉग लिंक्स …………

तुम कौन हो तुम कौन हो कि तुम्हारा होना भर मुकम्मल करता है मेरे न होने को कि जैसे मेरा वजूद सिर्फ एक हवा है न जाने कितना कुछ जला होगा तब कहीं जाकर आत्मा से उठा है हवनकुंड का यह धुआँ जिससे आती रहती है रह-रह .जहरीले सांप..बरसात होते ही जहरीले कीड़ों और सांप के दंश के खतरे बढ जाते हैं। इनके बिलों में पानी भरते ही ये बाहर निकल आते हैं सुरक्षित जगह की तलाश में और खुद शिकार हो जाते हैं मनुष्य के हाथों या फ़िर मनुष्य और मवेशी को ड..भारत परिक्रमा- छठां दिन13 अगस्त 2012 आंख खुली अण्डाल पहुंचकर। वैसे तो ट्रेन का यहां ठहराव नहीं है लेकिन दुर्गापुर जाने के लिये ट्रेन यहां सिग्नल का इंतजार कर रही थी। आसनसोल से जब हावड...
बेटी बचाओ,.ताकि लड़के उनको छेड़ सकें कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान”। “बेटी बचाओ आंदोलन”। “नारी शक्ति के लिए रैली”। और भी बहुत कुछ....ये....वो..... । किसलिए ताकि जब हमारी बेटी, बहिन,भतीजी...बड़ी हो जाए तो उनको समाज के बिगड़ैल ल...टीटीई, यात्री और रेल धीरे धीरे और देर से ही सही पर रेलवे बोर्ड ने अब क़दमों पर ध्यान देना शुरू कर ही दिया है जो सीधे उसके यात्रियों से जुड़े हुए होते हैं इस कड़ी में ताज़ा उदाहरण टीटीई पर की जाने वाली कार्यवाही के सम्ब...मेरी नैया छपाछप छैया ताल तलैया नाचूँ मैं और मेरा भैया बनी तो यह कागज की लेकिन मुझको प्यारी मेरी नैया बिन पानी तो चलती कैसे डूब डूब उतराती कैसे बिन मोटर और बिन पतवार ठुमक ठुमक इतराती ऐसे दूर देश की सैर ...
आवारा ख्याल गहरे नीले सफेद आसमान को चूमती यह मीनारें और पास में ओढ़ कर उसके पहलू में सिमटे हुए यह हरियाले रुपहले निशान वाजिब है समां और मौजूद हैं इश्क होने के सब सबब कोई बेदिल ही होगा जो इस से इश्क नहीं कर पायेग...एक दिन के वास्ते ही गांव आनाएक दिन के वास्ते ही गांव आना*** *श्यामनारायण मिश्र*** *ऊब जाओ यदि कहीं ससुराल में*** *एक दिन के वास्ते ही गांव आना** * *लोग कहते हैं तुम्हारे शहर में* *हो गये दंगे अचानक ईद को* *हाल कैसे है.जीवन के रंग ...! यह जीवन है गहरा गागर सुख औ दुःख गाड़ी के दो पहिये धूप औ छाँव सुख के दिन चार आँख के आँसू छलते हरबार जो पाँव तले खिसकती धरती अधूरी प्यास पहाड़ -सा ह्रदय शोक -विषाद अत्यंत मंथर हैं बोझिल पल
प्रेम की, गिनती अढ़ाई है नहीं पूरी प्रेम की, गिनती अढ़ाई है, तभी मुस्किल प्रीत की, इतनी पढ़ाई है, न जाना कोई न समझा, दिल्लगी दिल की, बड़ी टेढ़ी रीत, नम पथ की चढ़ाई है, तले पलकों के रखा, तुझको छुपा मैंने, पर्ते दिल पे चाँद सी, सूरत ...पति को पटाने के तीन नुस्खेअगर आप चाहती है कि आपके पति, आपमें अरुचि ना रखें, तो आप गरिष्ठ भोजन में अरुचि रखें ताकि आपका बदन छरहरा रहे और यौवन हरा भरा रहे अपने शरीर को फैलने का मौका मत दो और अपने पति को ,इधर उधर...अन्दाज अपना-अपनामानव जाति के **शौकीन** आधुनिक पूर्वज * दोस्तो नमस्कार काफी दिन बित गये कोई पोस्ट नहीं लिख सका कारण कि पहले तो खेत के काम में व्यस्त रहा निनाण वगैरह का कार्य था खेत में इसलिये उसको निपटाता रहा फिर बरसात ...
"अरमान"... संग तेरा पाने क्या क्या करना होगा मितवा, सूरज सा उगना होगा या चाँद सा ढलना होगा. खूब चले मखमली राहों पर हम तो मितवा, काटों भरी राह में भी हँसकर चलना होगा. तारीकी राहों की खूब बढ चुकी है मितवा, चिंगारी को ... हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है...विगत 27 अगस्त को परिकल्पना ने अपना दूसरा ब्लॉग उत्सव अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन के रूप में मनाया । विगत वर्ष यह कार्यक्रम नयी दिल्ली में 30 अप्रैल को हुआ था । जब-जब ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रम होते ...मिलोगे बस मेरे दिल में इस कविता में इक खास बात है इसे लिखते समय पैराग्राफ की तरह लिखा गया फिर जाने क्यों लगा कविता सी हो गई तो बस कुछ पंक्तियों में शब्द कांटे छांटे एंटर मारा और बस ये कविता बन गई अब कितने लोगो को ये कविता लग...
पहलवान बच्चा पैदा करना है तो वन अंगारा हुआ खिले हैं जब से फूल पलाश के । यह गीत तो आप सभी ने पढ़ा ही होगा ,लेकिन जब पलाश के गुणों के बारे में जान जायेंगे तो सच में आपका मन अंगारा हो जाएगा . इसका अंग्रेजी में नाम है- Flame of the fores...वैयक्तिक लाभ और सामाजिक लाभ बोलते विचार 66 वैयक्तिक लाभ और सामाजिक लाभ आलेख व स्‍वर डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा टी. वी. बिगड़ गया था। दुकानदार को फोन कर दिया, उसका आदमी घर आया और सुधारकर चला गया। पैसे लेकर रसीद दे गया, सब बढि़या।...शिक्षा एक विचार व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा का बहुत महत्व है |शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो अनवरत चलती रहती है जन्म से मृत्यु तक |जन्म से ही शिक्षा प्रारम्भ हो जाती है |शिशु अवस्था में माता बच्चे की पहली ग...
चलते चलते व्यंग्य चित्र
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते  हैं ब्रेक के बाद, राम राम

सोमवार, 3 सितंबर 2012

मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया -- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, सबसे पहले सुनिए मेरे मन की बाकी काम बाद में। परिकल्पना-तस्लीम सयुंक्त सम्मान की अधिकारिक विज्ञप्ति आयोजकों के द्वारा जारी हो गयी है, उसे यहाँ पढ सकते हैं।अविनाश वाचस्‍पति को प्रगतिशील लेखक संघ चिट्ठाकारिता शिखर सम्मान से नवाजा गया है। उन्हें ढेर सारी बधाई। मेरी कामना है कि प्रश्न काल से शून्य काल तक सम्मानित होते रहें। रायता अधिक बनने के कारण इधर फ़ैलने का खतरा मंडराने लगा है। ये थे ताजा तरीन मुख्य समाचार। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर, प्रस्तुत हैं कुछ मेरी पसंद के ब्लॉग लिंक्स्………

तेरी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफ़ेद कैसे यह भी एक इत्तेफाक की ही बात है , जब देश विदेश के जाने माने ख्याति प्राप्त ब्लॉगर अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में भाग लेने नवाबों की नगरी लखनऊ की ओर प्रस्थान कर रहे थे , ठीक उसी समय हम देश को छोड़ विदेश ........मन की उड़ान  नि‍यम. .कायदे...उसूल आखि‍र कब तक ख्‍वाबों में पूरे करूं अरमान... इस छोटी सी जिंदगी में एक बार तो भरूं मन की उड़ान.... चाहे संभलूं चाहे गि‍रूं अब जो भी हो अंजाम.. हाँ --मैने उसे मार दिया ! मैने उस औरत को मार दिया जो तुम्हारे दिये भ्रम में जी रही थी--- वो जानती थी सब पर मानना ही नहीं चाहती थी जरुरी था उसका मरना --वरना स्थिति और भी भयावह...

दुआ अमेरिका चले जाएंगे और ज़िन्दगी के एक नए अध्याय की शुरुआत करेंगे। ये वो वक़्त है जब दिल में कई तरह के ख़याल आते हैं, वाशिंगटन डीसी जैसे शहर में काम करना मतलब जी...मुक्तक
मुक्तक 1. एक बेबस सी औरत जो खड़ी है ऐसे मंज़र पर एक हाथ में कलम दूसरे में दस्तरख्वान है एक तरफ लज़ीज़ पकवान हैं दूसरी तरफ दुःख की दास्तान है. 2. लोग बन्दों को खुदा बनाते हैं मैंने खुदा को बन्दा बनाने की...खूंटी पर विचारधारा किसी भी सामाजिक,राजनैतिक संघठन की अपनी एक विचारधारा होती है उसी विचारधारा को देखकर सुनकर उसी विचारधारा के समान विचार रखने वाले लोग उन संघठनों में शामिल होते है ,उसका समर्थन करते है| इसी तरह समान विचारधार...
झूठा चाँद कल चाँद का एक झूठ मैंने पकड़ लिया कहता था तुझे छत पर रोज रात देखता है ! तुम भी उससे नज़रें मिलाये खड़ी रहती हो देर तक और इसी बात पर कमबख्त! रात भर जलाता था ... कल चाँद का एक झूठ मैंने पकड़ लिया ! हुआ यूँ...बेचैन मेरे दिल को, आराम चाहिएबेचैन मेरे दिल को, आराम चाहिए, तरसी निगाहों को भी, पैगाम चाहिए, हालात हैं नाजुक, है गम का सहारा, खामोश होंठों को थोडा, जाम चाहिए, मुझको उम्रभर के लिए, हासिल दर्द है, नमकीन अश्कों को घर में, काम चाहिए, ...चंद शेरपेश हैं चंद शेर - कभी लब हँस दिए कभी आँखों ने चुगली कर दी कुछ इस तरह से इश्क की बात सरे आम कर दी मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है दिल ने चाहा संभलना, इन्होंने दग़ा किया है ! तू नहीं तो तेरी यादों न...
जिंदगी, जिंदगी की दवा कैसे जिंदगी , जिंदगी को हवा देती है ,* *कैसे जिंदगी, जिन्दगी की दवा होती है -* * **परछाईयों के अक्स कहाँ, हमसाये जिंदगी के,* *मेहरबा...जीवन एक समझौता है
कुछ मन में मसमसाहट और श्रद्धेय बड़े भाई की समझाईस ने वापिसी करने को प्रेरित किया सो फिर से आना पड़ा . विगत साल मैं गायत्री तपोभूमि मथुरा भ्रमण करने के लिए गया था . तपोभूमि में मेरी मुलाकात वयोवृद्ध साहित्य...तुम न किसी की बेटी हो न किसी की बहिन मैं एक बहन एक बेटी एक औरत हूँ तुम्हारी शब्दावली केवल उस औरत की बात करती है जिसके हाथ साफ हैं जिसका शरीर नर्म है जिसकी त्वचा मुलायम है और जिसके बाल खुशबूदार हैं मेरी रग - रग में नफ़रत की आग भरी है और तुम कि...
सपने सुबह की किरणों ने आँगन को उजाले से भर दिया लेकिन रात को चूल्हा नहीं जल पाया सोमवार को लकड़ी गीली थी मंगलवार को मिशराइन ने चावल नहीं दिये थे बेटा बुधवार को रामबाई चाची संग आटा पिसवाने गई थी तू तो जानता है ... मेरी दुवाओं का अंजाम भी पाए कोई कभी तो सामने अंजाम भी आए कोई * *मेरी दुवाओं का असर भी तो पाए कोई * ** *किसी का नाम जुबां पर न सही दिल मे है * *कभी तस्वीर को आईना बनाए कोई * ** *कोरे कागज़ के पैरहन कभी रंगीन भी हों * *रंग बरसाए कभी झूम के...ख़ुशबू या महक नाम कोई भी हो आती केवल सुगंध ही है महक या ख़ुशबू एक ऐसा शब्द या एक ऐसा एहसास जो मन मंदिर के अंदर से गुज़रता हुआ अंतर आत्मा में विलीन होता हुआ सा महसूस होता है। मुझे ख़ुशबू बहुत पसंद है फिर चाहे वो किसी इत्र की ख़ुशबू हो, या फिर मंदिर में ...
वार्ता को विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद्…… राम राम

रविवार, 2 सितंबर 2012

" हैप्पी ब्लॉगिंग " ब्लागर बोलता नहीं लिखता है... ब्लॉग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...लखनऊ में हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मलेन को लेकर काफी प्रतिक्रियाएं पढने को मिली हैं, कहीं ख़ुशी तो कहीं गम. हम ब्लॉग जगत के सदस्य हैं और इसे ब्लॉग परिवार कहा जाता है, तो बड़ा करीब का रिश्ता हुआ हमारा। २-३ बच्चों के परिवार में भी माँ को सबसे श्रेष्ठ बच्चा चुनना मुश्किल होता है, ब्लॉग जगत विशाल है. यहाँ आने का उद्देश्य अपने लेखन से साहित्य और समाज की सेवा करना है, इसे याद रखना पहला धर्म है. ऐसे सम्मलेन एक -दूसरे से आपस में मिलने और जानने का अवसर प्रदान करते हैं... क्यों न कटूता भूलकर अपने उद्देश्य की ओर ध्यान दिया जाये... ललित जी की बात बढ़िया लगी " हैप्पी ब्लॉगिंग " सारे "डे" तो साल में सिर्फ एक बार आते हैं, हमारे लिए तो हर दिन "ब्लॉगिंग डे" होता है, आइये खुश होकर मानते हैं इसे और चलते हैं आज की ब्लॉग वार्ता पर चुनकर लायें हैं कुछ खास लिंक्स आपके लिए... 

सम्मान समारोह : ब्लागिंग का ब्लैक डे ! - *जी* हैं आप मेरी बात से भले सहमत ना हों, लेकिन मेरे लिए 27 अगस्त " ब्लागिंग के ब्लैक डे " से कम नहीं है। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं कि इसके पर्याप्त कारण है...मेरी नज़र में लखनऊ ब्लागर सम्मेलन... तस्लीम और परिकल्पना के सहयोग से लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन संपन्न हुआ...इस आयोजन के लिए भाई रवींद्र प्रभात और भाई ज़ाकिर ने ​महीनों अथक मेहनत ... ब्लॉगर बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है! - ब्लागर बोलता नहीं लिखता है,बोलता तो प्रखर मुखर वक्ता होता, वाचस्पति होता .मगर मंच और पंच का आदेश है तो यह ब्लॉगर सूत्रवत कुछ कहेगा ही.ब्लागिंग यानी च... ....

मन करता है ....!!! - *दूसरों की सुन के,खुद से कह के * *खुश हो लिए,* *दे के दिल को दिलासा, प्यार से और * *खुद रो लिए ...* *...अकेला* *मन करता है ....!!!* *आँख में आंसू साथ नही *...ये मधुर अनुहार है... - अब प्रेम की जैसी भी गली हो सहसा बढ़ गये हैं पाँव मेरे... अब तेरा पता- ठिकाना किसी से क्या पूछना ? बस चलते-चलते पहुँच जाना है गाँव तेरे... पंथ अपरिचित है तो ...देख तो ज़रा एक कश लेकर……………… - अपने दिल की चिलम मे तेरी सांसों को फ़ूंका मैने फिर चाहे खुद फ़ना हो गयी देख तो ज़रा एक कश लेकर………हर कश में जो गंध महकेगी किसी के जिगर की राख होगी छलनियाँ भी ... 

इति श्री रतनपुर यात्रा ------- किरारी गोढी शिव मंदिर की प्रतिमापाली पहुंचते पहुंचते बरसात होने लगी थी। पंकज सुबह से बरसात के बालहठ में लगा था आखिर उपरवाले ने अर्जी स्वीकार ही कर ली। ...सफलता ... - जब हम - कदम ही नहीं बढ़ाएंगे ... तो मंजिल पर पहुंचेंगे कैसे ? चलो ... उठो ... बढ़ो ... कदम बढाएं, बढाते जाएं ... सफलता - हमारी राह तक रही है ... !!  रंग बिरंगी एकता - *कभी लगता है यहीं मंज़िल है, कभी मंज़िल दूर तक नज़र नहीं आती… मानो मंज़िल ना हुई खुदा हो गयी...

ऐसे में कैसे होगा दूध का दूध, पानी का पानी? - दो खबरें एक साथ पढऩे मिलीं। पहले में लगातार ढप हो रही लोकसभा को चलने देने का आग्रह था यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का तो दूसरे में एक संस्था की रिपोर्ट थी ... जीवन से साक्षात्कार ....(जन जन में बसते भगवान् ... !!!!!!!) - *जीवन से साक्षात्कार ......इस कड़ी में ऐसे लोगों के विषय में लिखूंगी जो जीवन जीने को प्रेरित करते हैं ...*.. जन जन में बसते भगवान् ... ब्लोगिंग प्रारंभ क...एक गज़ल -ये बात और है ये धूप मुझसे हार गई - चित्र -गूगल से साभार ये बात और है ये धूप मुझसे हार गई जबान होते हुए भी जो बेजुबान रहे हमारे मुल्क में ऐसे ही हुक्मरान रहे जो मीठी झील में मछली पकड़ना सीख... 

गोवर्धन यादव का व्यंग्य - कुत्ता - ------------------- सुबह के साढ़े सात-आठ बज रहे होंगे। पीछे आंगन में भरपूर धूप उतर आई थी। सोचा कि धूप में बैठकर शेव करना चाहिए। दाढ़ी बनाने का सामान एवं आई... अमरीकियों का स्वान प्रेम और पर्यावरण - *अमरीकियों का स्वान प्रेम और पर्यावरण * * * *रोज़ शाम को घूमने के लिए निकल जाता हूँ .दिन भर ब्लोगिंग ,बच्चों के स्कूल का अवकाश चल रहा है यहाँ स्कूल सितम्बर ... ..चुहुल - ३१ - (१) अध्यापक – बताओ बच्चों अमेरिका की खोज किसने की? बच्चा – सर, मेरे पिता जी ने. अध्यापक – यह नहीं हो सकता है. बच्चा – सर, आपने ही तो कहा था कि हमें अपने ब...

तुम्हें मुझसे मोहब्बत है.... - मोहब्बत करते करते थक गये, कुछ यूँ भी हो जानां... ज़रा एहसास हो हमको, तुम्हें मुझसे मोहब्बत है.... वही मुश्किल, वही मजबूरियाँ, ऐ इश्क़ ! अब बदलो... कई सदियो...  बैसाखी तलाशते सपने - गाँव में पढ़ी-लिखी बोधिया शिक्षा क्षेत्र में बहुत आगे जा चुकी थी ! उसकी ज़हीनियत का लोहा सभी मानते थे ! लेकिन अफ़सोस की वो एक लड़की थी , बहुत आगे तक जाना उसके...तुम्हारा ख़त - * **तुम्हारा ख़त * * ** ** **तुमको याद किया जब-जब दिल मेरा भर आया।* *बहुत दिनों के बाद तुम्हारा गीला ख़त आया ।* * ** **शब्द-शब्द की व्यथा बांचते * *तन-मन ...



 
अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार.....

शनिवार, 1 सितंबर 2012

खंज़र वो सितमगर, लफ़्ज़ों से उतारे - ब्लॉग4वार्ता………ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, दर्शन लाल बवेजा फ़ेसबुक पर बता रहे हैं -  किसी भी एक कैलेंडर माह के भीतर जब दो बार पूर्णिमा पड़ती है तो इस घटना को ब्लू मून कहा जाता है। इस घटना का ब्लू मून या चांद के नीले हो जाने से किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं है। खगोलीय घटनाओं के क्रम में इस साल अगस्त माह में दो बार पूर्णिमा पड़ रही है। पहली पूर्णिमा दो अगस्त को पड़ी थी व दूसरी 31 अगस्त को पड़ेगी। वैज्ञानिकों के अनुसार लूनर माह तथा कैलेंडर माह के दिनों में अंतर के चलते ब्लू मून का नजारा हर तीन साल में एक बार दिखाई देता है। इस वर्ष 31 अगस्त के बाद यह नजारा तीन साल बाद 2015 में देखने को मिलेगा। एक बार में पूरे चांद के बाद 29.5 दिन की अवधि के बाद दोबारा पूरे चांद के दीदार होते हैं। ब्लू मून का आशय यह कतई नहीं कि उस दिन चांद का रंग नीला दिखाई दे। उनके अनुसार जब पहली बार इस घटना की पुष्टि हुई थी तब संयोग वश इस घटना को ब्लू मून का नाम दे दिया गया था तब से आज तक यही नाम चला आ रहा है। अब चलते हैं आज की वार्ता पर …………

'ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा' या 'ज़िन्दगी मिल गयी दोबारा' जयपुर, होटल मोसाइक  उर्सुला, मैं, माधुरी (उदयपुर) कुछ समय पहले एक फिल्म देखी थी, 'ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा', बड़ी अच्छी लगी थी फिल्म। हालाँकि इस थेओरी से बहुतों को इत्तेफाक नहीं होगा । कारण हिन्दू सन...आज के परिवेश में कृष्ण,राधा और मीराआज के परिवेश में कृष्ण,राधा और मीरा*...... कई दिनों से सोच रही थी कि इस विषय पर कुछ लिखूं...अक्सर लोगों को उदाहरण देते सुनती हूँ, देखती हूँ या यूँ समझ...असोम और शांति असोम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने जिस तरह से राज्य में दोबारा से जातीय हिंसा शुरू करने के लिए कुछ सगठनों को ज़िम्मेदार ठहराया है उससे यही पता चलता है कि अभी भी राज्य सरकार के पास काम करने की उ...

भारत परिक्रमा- पांवचां दिन- असोम और नागालैण्ड इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। आंख खुली दीमापुर जाकर। ट्रेन से नीचे उतरा। नागालैण्ड में घुसने का एहसास हो गया। असोम में और नागालैण्ड के इस इलाके में जमीनी तौर पर कोई फर्क नहीं राहे इश्क में पहला क़दम ग़मों से दोस्ती का मैं दम रखती हूँ राहे इश्क में पहला क़दम रखती हूँ खुदा की नेमत सी लगे है ये दुनिया यही सोचकर शिकायत कम रखती हूँ बिछड के सूख न जाए प्यार की बेल आज तलक तेरी यादें नम रखती हूँ किसी ...

ऊर्जा का अथाह भण्डार : कीर्तिदान गढ़वी प्यारे मित्रो ! पिछले कुछ दिनों में 'जय माँ हिंगुलाज' की निर्माण प्रक्रिया में कुछ ऐसे अनुभव हुए जिन्होंने मन को आनन्द से भर दिया . इन ख़ुशनुमा एहसासों को मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ . जिन लोगों क...ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे खंज़र वो सितमगर, लफ़्ज़ों से उतारे, ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे, उलझन है बेबसी, छाई है उदासी, मैं तन्हा रह गया, अश्कों के सहारे, मंजिल है दूर, मुस्किल है राह दोस्तों, अब नज़रों को, नहीं जंचते है न......ताकि कष्टप्रद ना हो अंतिम सफर जो आया है, वह एक दिन जाएगा। यही जिंदगी की कड़वी हकीकत है। बावजूद इसके लोग इस हकीकत को दरकिनार करने से बाज नहीं आते। स्वतंत्रता सेनानी बालाराम जोशी के अंतिम संस्कार से पहले जब उनकी अंतिम यात्रा दुर्ग की शिवन...

आज होगी डॉन को सजाएक समय के माफिया डॉन अरुण गवली की किस्मत का फैसला 31 अगस्त को होगा। अपराध की दुनिया में जिनका सिक्का चलता था, जिनकी मर्जी के बिना मुम्बई का पत्ता तक न हिलता हो, वही अरुण गवली आज हत्...साईबर कैफे पर कम्‍प्‍यूटर प्रयोग साईबर कैफे पर जाकर अपने बैक या अन्‍य किसी अकाउन्‍ट को खोलने से पहले सर्तक हो जाये। कही आपका यह कदम आपके आकउन्‍ट तथा आपकी अन्‍य जानकारीया तो लीक नही कर रहा है यदि कभी भी आपको इस कार्य हेतु किसी भी दूसरी ज...हे ब्लॉगर, क्या काबुल में गधे नही होते ?  जो गुण विशेष मानव जाति को शेष दुनिया से पृथक करती है, वह है उसका चिंतनशील होना. यह चिंतन प्रायः दो प्रकार का होता है – 'मौन' और 'मुखर'. चिंतन का मुखर होना ही अभिव्यक्ति है. यह अभिव्यक्ति भी दो प्रकार की हो...

एक अनोखी शख्सियत कितना अच्छा लग रहा है आज मै बता नही सकती। सम्मान किसी भी रूप में हो उसे पाकर इंसान खुद को महत्वपूर्ण समझने लगता है। यह एक ऎसा सच है जिसे नकारा नही जा सकता। लखनऊ से सम्मान पाकर आते ही मुझे अनोखी क्लब में...नीला उजास सत्य है वह या भ्रम था मयूर वर्णी उसका तन था वैजयंती में पिरो गया वह वंशीधुन में डुबो गया वह नयन भी मुंदने ना पाये अधर भी खुलने ना पाये मोह मंतर पढ़ गया वह नीला उजास भर गया वह चाँद उजला अ...अमृता प्रीतम और हरकीरत 'हीर' अमृता जी का जन्म दिन या कि 'हीर' का मेरे लिए दोनों एक ही हैं ...मेरे हाथ में 'रशीदी टिकट' भी है और 'दर्द की महक' भी इस मौके पर हरकीरत 'हीर' की ही एक नज़्म जो उन्होंने खास अमृता प्रीतम के जन्म दिन पर लिखी थ...

ब्लॉगर सम्मलेन के बाबत डॉ पवन मिश्र के सवाल-मनोज पाण्डेय के जबाबएक वरिष्ठ ब्लोगर के उकसाने पर एक पप्पू टाईप ब्लोगर अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर सम्मलेन के बाबत आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी से कुछ बचकाना प्रश्न किये हैं, जब मैंने उन तीखे प्रश्नों का उत्तर दिया तो उन्होंने डिलीट...कोई छला न जाताआशीष राय* जी के ब्लॉग युग दृष्टि पर *" विश्व छला क्यों जाता"* नामक कविता पढ़ने के बाद जो कुछ सूझा वही लिखा। *इसे पढ़ने से पहले आशीष जी की कविता जरूर पढ़े ।* तुहिन बिंदु की चमक से तारे शायद डर जाते इसील...एक सुरमई शाम सुरमई शाम छलकते जाम साथ हाला का और मित्रों का फिर भी उदासी गहराई अश्रुओं की बरसात हुई सबब उदासी का जो उसने बताया था तो बड़ा अजीब पर सत्य रूठ गई थी उसकी प्रियतमा की मिन्नत बार बार वादे भी किये ह...

चलते - चलते एक कार्टून : 


 

अब लेते हैं, विराम अगली अगली वार्ता तक के लिए राम-राम.......

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