रविवार, 2 सितंबर 2012

" हैप्पी ब्लॉगिंग " ब्लागर बोलता नहीं लिखता है... ब्लॉग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...लखनऊ में हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मलेन को लेकर काफी प्रतिक्रियाएं पढने को मिली हैं, कहीं ख़ुशी तो कहीं गम. हम ब्लॉग जगत के सदस्य हैं और इसे ब्लॉग परिवार कहा जाता है, तो बड़ा करीब का रिश्ता हुआ हमारा। २-३ बच्चों के परिवार में भी माँ को सबसे श्रेष्ठ बच्चा चुनना मुश्किल होता है, ब्लॉग जगत विशाल है. यहाँ आने का उद्देश्य अपने लेखन से साहित्य और समाज की सेवा करना है, इसे याद रखना पहला धर्म है. ऐसे सम्मलेन एक -दूसरे से आपस में मिलने और जानने का अवसर प्रदान करते हैं... क्यों न कटूता भूलकर अपने उद्देश्य की ओर ध्यान दिया जाये... ललित जी की बात बढ़िया लगी " हैप्पी ब्लॉगिंग " सारे "डे" तो साल में सिर्फ एक बार आते हैं, हमारे लिए तो हर दिन "ब्लॉगिंग डे" होता है, आइये खुश होकर मानते हैं इसे और चलते हैं आज की ब्लॉग वार्ता पर चुनकर लायें हैं कुछ खास लिंक्स आपके लिए... 

सम्मान समारोह : ब्लागिंग का ब्लैक डे ! - *जी* हैं आप मेरी बात से भले सहमत ना हों, लेकिन मेरे लिए 27 अगस्त " ब्लागिंग के ब्लैक डे " से कम नहीं है। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं कि इसके पर्याप्त कारण है...मेरी नज़र में लखनऊ ब्लागर सम्मेलन... तस्लीम और परिकल्पना के सहयोग से लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन संपन्न हुआ...इस आयोजन के लिए भाई रवींद्र प्रभात और भाई ज़ाकिर ने ​महीनों अथक मेहनत ... ब्लॉगर बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है! - ब्लागर बोलता नहीं लिखता है,बोलता तो प्रखर मुखर वक्ता होता, वाचस्पति होता .मगर मंच और पंच का आदेश है तो यह ब्लॉगर सूत्रवत कुछ कहेगा ही.ब्लागिंग यानी च... ....

मन करता है ....!!! - *दूसरों की सुन के,खुद से कह के * *खुश हो लिए,* *दे के दिल को दिलासा, प्यार से और * *खुद रो लिए ...* *...अकेला* *मन करता है ....!!!* *आँख में आंसू साथ नही *...ये मधुर अनुहार है... - अब प्रेम की जैसी भी गली हो सहसा बढ़ गये हैं पाँव मेरे... अब तेरा पता- ठिकाना किसी से क्या पूछना ? बस चलते-चलते पहुँच जाना है गाँव तेरे... पंथ अपरिचित है तो ...देख तो ज़रा एक कश लेकर……………… - अपने दिल की चिलम मे तेरी सांसों को फ़ूंका मैने फिर चाहे खुद फ़ना हो गयी देख तो ज़रा एक कश लेकर………हर कश में जो गंध महकेगी किसी के जिगर की राख होगी छलनियाँ भी ... 

इति श्री रतनपुर यात्रा ------- किरारी गोढी शिव मंदिर की प्रतिमापाली पहुंचते पहुंचते बरसात होने लगी थी। पंकज सुबह से बरसात के बालहठ में लगा था आखिर उपरवाले ने अर्जी स्वीकार ही कर ली। ...सफलता ... - जब हम - कदम ही नहीं बढ़ाएंगे ... तो मंजिल पर पहुंचेंगे कैसे ? चलो ... उठो ... बढ़ो ... कदम बढाएं, बढाते जाएं ... सफलता - हमारी राह तक रही है ... !!  रंग बिरंगी एकता - *कभी लगता है यहीं मंज़िल है, कभी मंज़िल दूर तक नज़र नहीं आती… मानो मंज़िल ना हुई खुदा हो गयी...

ऐसे में कैसे होगा दूध का दूध, पानी का पानी? - दो खबरें एक साथ पढऩे मिलीं। पहले में लगातार ढप हो रही लोकसभा को चलने देने का आग्रह था यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का तो दूसरे में एक संस्था की रिपोर्ट थी ... जीवन से साक्षात्कार ....(जन जन में बसते भगवान् ... !!!!!!!) - *जीवन से साक्षात्कार ......इस कड़ी में ऐसे लोगों के विषय में लिखूंगी जो जीवन जीने को प्रेरित करते हैं ...*.. जन जन में बसते भगवान् ... ब्लोगिंग प्रारंभ क...एक गज़ल -ये बात और है ये धूप मुझसे हार गई - चित्र -गूगल से साभार ये बात और है ये धूप मुझसे हार गई जबान होते हुए भी जो बेजुबान रहे हमारे मुल्क में ऐसे ही हुक्मरान रहे जो मीठी झील में मछली पकड़ना सीख... 

गोवर्धन यादव का व्यंग्य - कुत्ता - ------------------- सुबह के साढ़े सात-आठ बज रहे होंगे। पीछे आंगन में भरपूर धूप उतर आई थी। सोचा कि धूप में बैठकर शेव करना चाहिए। दाढ़ी बनाने का सामान एवं आई... अमरीकियों का स्वान प्रेम और पर्यावरण - *अमरीकियों का स्वान प्रेम और पर्यावरण * * * *रोज़ शाम को घूमने के लिए निकल जाता हूँ .दिन भर ब्लोगिंग ,बच्चों के स्कूल का अवकाश चल रहा है यहाँ स्कूल सितम्बर ... ..चुहुल - ३१ - (१) अध्यापक – बताओ बच्चों अमेरिका की खोज किसने की? बच्चा – सर, मेरे पिता जी ने. अध्यापक – यह नहीं हो सकता है. बच्चा – सर, आपने ही तो कहा था कि हमें अपने ब...

तुम्हें मुझसे मोहब्बत है.... - मोहब्बत करते करते थक गये, कुछ यूँ भी हो जानां... ज़रा एहसास हो हमको, तुम्हें मुझसे मोहब्बत है.... वही मुश्किल, वही मजबूरियाँ, ऐ इश्क़ ! अब बदलो... कई सदियो...  बैसाखी तलाशते सपने - गाँव में पढ़ी-लिखी बोधिया शिक्षा क्षेत्र में बहुत आगे जा चुकी थी ! उसकी ज़हीनियत का लोहा सभी मानते थे ! लेकिन अफ़सोस की वो एक लड़की थी , बहुत आगे तक जाना उसके...तुम्हारा ख़त - * **तुम्हारा ख़त * * ** ** **तुमको याद किया जब-जब दिल मेरा भर आया।* *बहुत दिनों के बाद तुम्हारा गीला ख़त आया ।* * ** **शब्द-शब्द की व्यथा बांचते * *तन-मन ...



 
अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार.....

10 टिप्पणियाँ:

सुप्रभात ....
शुक्रिया सुन्दर वार्ता के लिए संध्या जी...

सस्नेह
अनु

बढिया लिंक्स से सजी है वार्ता
मुझे भी जगह देने के लिए आभार

थैंक्‍यू जी कार्टून भी चि‍पकाने के लि‍ए

कई नये सूत्र हैं, पढ़ता हूँ।

अच्छी वार्ता संध्या जी ! पठनीय सूत्र उपलब्ध कराने के लिये आभार !

बढिया लिंक्स ...सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।

मैंने अपने ब्लॉग को ब्लोगोदेय पर लाने के लिए ब्लॉग फॉर वार्ता पर टिपण्णी भी की और लिंक भी अपने ब्लॉग पर लगाया लेकिन अफ़सोस मेरा ब्लॉग आपकी लिस्ट में नहीं आ पाया खैर में अब इसके प्रति आशान्वित भी नहीं हूँ !!

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