बुधवार, 26 सितंबर 2012

तेरे अन्दर -मेरे अन्दर, एक समंदर... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार ......कभी -कभी एक ऐसा वक़्त भी जीवन में आता है, जब जीवन की राह में हमें कई मोड़ दिखाई देते हैं, माना की हर राह, हर मोड़ मंजिल तक पहुंचा देती है, लेकिन हमें राह वही चुननी चाहिए जो सही हो सच्ची हो, क्योंकि संघर्ष जितना कठिन होगा जीत उतनी ही शानदार होती है .....
"मोड़ आते हैं के जिन्दगी को पड़ाव मिले
थकान  मिटे मन प्रसन्न हो
आगे बढ़ने के लिए नयी उर्जा मिले
नयी आशाएं जागें खुशियाँ मिले 
आगे बढने को मन करे
जिंदगी की राह पे
चलते चलते.... " इसी शुभकामनाओं के साथ आइये चलते हैं आज की वार्ता पर...... 

तुम जो नहीं हो तो... चाँद डूबा नहीं है पूरा, थोड़ा बाकी है | वो जुगनू जो अक्सर रात भर चमकने पर, सुबह तक थक जाता, रौशनी मंद हो जाती थी, अभी भी चहक रहा है, बस थोड़ा सुस्त है | यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है , आँख में जगने की नमी है, दिल में नींद की कमी | सूरज के आने का सायरन, अभी एक गौरेया बजाकर गयी है | अब चाँद बादलों की शाल ओढ़ छुप गया है , सो गया हो शायद, थक गया होगा रात भर चलता जो रहा  , बस तुम्हारी खुशबू नहीं. महकती ... हताशा असफलता और बेचारगी बेरोजगारी की पीड़ा से वह भरा हुआ हताशा से है असंतुष्ट सभी से दोराहे पर खडा सोचता किसे चुने सोच की दिशाएं विकलांग सी हो गयी गुमराह उसे कर गयी नफ़रत की राह चुनी कंटकाकीर्ण सकरी पगडंडी गुमनाम उसे कर गयी तनहा चल न पाया साये ने भी साथ छोड़ा उलझनो में फसता गया जब मुड़ कर पीछे देखा बापिसी की राह न मिली ..तुम कहाँ हो ?  तुम कहाँ हो ? युगों युगों की पुकार ना जाने कब तक चलेगी यूँ ही अनवरत बहती धारा प्रश्न चिन्ह बनी अपने वजूद को ढूंढती क्योंकि तुमसे ही है मेरा वजूद तुम नहीं तो मैं नहीं मैं .............

 कथरी .कैसन तबियत हौ माई? कहारिन ठीक से तोहार सेवा करत हई न? काहे गुस्सैले हऊ! पंद्रह दिना में घरे आवत हई, ई खातिर? का बताई माई तोहार पतोहिया कsतबियत खराब रहल अऊर ओ शनीचर के छोटका कs स्कूल में, ऊ का कहल जाला, पैरेंट मीटिंग रहल तू तs जानलू माई! शहर कs जिनगी केतना हलकान करsला! तोहसे से तs कई दाईं कहली, चल संगे! उहाँ रह! तोहें तs बप्पा कs माया घेरले हौ!  .......... नकाब आज हर चेहरा सच्चा नहीं हर चेहरे पर नकाब है सच्चाई को ढकता हुआ नकाब कभी इन चेहरे को ढके हुए नकाब हटा कर तो देखो देखते ही रह जाओगे फिर सोचोगे, जो देखा था , वो धोखा था हर किसी का चेहरा होगा अनजान जो देखा, जो सोचा, सब झूठ था ! अपनी बातो से दूसरो को भी झूठा बनाया ! पर कब तक छुपायेगा एक दिन तो सच सामने आयेगा और उस दिन वह नकाब हटाएगा..." दर्द का महाराजा .......दाँत का दर्द ...." **'वेदना'* शब्द की उत्पत्ति में *'वेद'* शब्द का क्या महत्त्व है, यह तो नहीं पता ,परन्तु इतना तो अवश्य तय है कि जितना ज्ञान वेदना की स्थिति में प्राप्त होता है उतना ज्ञान वेद से भी नहीं मिल सकता | शायद इसीलिए उस स्थिति को * वेद-ना* कहा गया है | वेदना में भावनाओं का भी समावेश झलकता है |  ईश्वर ने दर्द को शायद...

चार दिन फुटपाथ के साये में रहकर देखिए, डूबना आसान है आंखों के सागर में जनाब - अदम गोंडवी एक बड़े और प्रतिबद्ध जनकवि थे. उनकी सबसे विख्यात रचना "  मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको"   काफी समय पहले कबाड़खाने में लगाई गयी थी. आज उनकी ए...  हे भद्र पुरुषों.. - हे भद्र पुरुषों , किसी स्त्री को इतना भी ना चाहो की मंथरा की पहचान ही न कर सको ! और हे भारत की नारियों , किसी पुरुष को कभी भी गांधारी बन कर ना पूजो ! तुम ... मोहब्बत जो ना कराये थोडा - ये मोहब्बत जो ना कराये थोडा अभी अभी मिली खबर के अनुसार एक हसीना का का दिल एक हसीं पर आ गया है अब आप कहेंगे इसमें क्या खास है दिलों का कारोबार तो आम है ..... 

 12,000 साल पुरानी भीमबेटका की गुफाएं - भीमबेटका में 750 गुफाएं हैं जिनमें 500 गुफाओं में शैल चित्र बने हैं। यहां की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12,000 साल पुरानी है। मध्य प्रदेश के रायसेन ... गाँठ पड़ना ठीक है ! - गाँठ जो है तेरे मेरे बीच, बाँधती भी है अलगाती भी है। गाँठ जो खुलती है तेरे मेरे बीच, राह बढ़ती है, तन्हा छोड़ जाती है । गाँठ गर पड़ती नहीं तेरे मेरे बीच,... ये कृष्ण का कदम्ब - .......जो खग हों तो बसेरो करो मिलि कालिंदी कूल कदम्ब की डारन मानुष हो तो वही रसखान ................... बचपन में तो इसे रटा गया था , अब जब पूजा मे... 

हर कोई एक तरीका ढूँढ लेता है जीने का ....... - हर कोई एक तरीका ढूँढ लेता है जीने का ....... उठने का ,बैठने का , जागने का , सोने का ,हँसने का , रोने का, खाने का और पीने का। कभी मन से,कभी बेमन से , कभी जान...  .मैं, मौन हूं---- - क्योंकि, यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है जो, मुझसे कोई छीन नहीं सकता है— मुझसे मेरा घर छीना जा सकता है ... .दारू पियत में ... - आज सुबह सुबह मै कवि एवं गायक पंडित शिव प्रसाद जी शुक्ल "*शिब्बू दादा*" की पुस्तक "बिगड़ी मेरी बना दो" पढ़ रहा था . पुस्तक में आदरणीय शुक्ल जी द्वारा शराबबंद... 

चिता - जल रही थी चिता धू-धू करती बिना संदल की लकड़ी या घी के.... हवा में राख उड़ रही थी कुछ अधजले टुकड़े भी.... आस पास मेरे सिवा कोई न था... वो जगह श्मशान भी नहीं थी श.. तेरे अन्दर -मेरे अन्दर, एक समंदर - "तेरे अन्दर -मेरे अन्दर, एक समंदर उस समन्दर के अंदर सिद्धांत के कुछ बुलबुले सवाल कुछ चुलबुले नाराज सी नैतिकता निरीह नीति समय के सामने कुछ संकेत सीमित... बंजारा सूरज - बंजारा सूरज *श्यामनारायण मिश्र* किसे पता था सावन में भी लक्षण होंगे जेठ के आ बैठेगा गिद्ध सरीखे मौसम पंख समेट के बंजारा सूरज बहकेगा पीकर गांजा भंग जंगल तक ..

 चलते -चलते ....! 1234 - सकते लिए समझ http://www.chalte-chalte.com/feeds/posts/default समय ठहर उस क्षण,है जाता,,,, - समय ठहर उस क्षण,है जाता,,, ज्वार मदन का जब है आता रश्मि-विभा में रण ठन जाता, तभी उभय नि:शेष समर्पण ह्रदयों का उस पल हो जाता, समय ठहर उस क्षण,है जा...किन्तु! मृत्यु ठहरी हुई !! - वेग से चलती रेल, और ठहरा हुआ प्लेटफ़ॉर्म !!! जो प्रत्येक यात्री का, है अंतिम गंतव्य........ जीवन भी वेग से चलायमान किन्तु! मृत्यु ठहरी हुई !! वो भी प...  

कार्टून :- ऐसा शुभदि‍न सबके जीवन में आए

http://1.bp.blogspot.com/-KIANyw4WfoE/UGCL8QpoYsI/AAAAAAAADNA/kaMd4Rv05ok/s320/24.9.2012.jpg

 

एक गीत मेरी पसंद का ....


अगली वार्ता तक के लिए नमस्कार ..........

12 टिप्पणियाँ:

बढ़िया लिंक्स चयन ...
आभार।

सुंदर वार्ता और पठनीय लिंक्स के लिए आभार

कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लिए आपका आभार जी

बहुत बढिया लिंक संयोजन्।

सुंदर वार्ता और पठनीय लिंक्स

बहुत सुंदर वार्ता, अच्छे लिंक्स

mere blaag ki post ko shamil karne ke liye dhanyawad..charcha men pathaniy link milen ... dhanyawad

mahendra mishra
07389452041
jabalpur.

बढिया वार्ता ..
पढने के लिए ढेर सारे लिंक मिले ..
आभार संध्‍या जी !!

कईलिंक्स से सजी वार्ता बहुत अच्छी रही |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार

बहुत बढ़िया लिंक्स लेकर सार्थक वार्ता प्रस्तुति ..आभार

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