बुधवार, 19 सितंबर 2012

टंकी की नौटंकी - अब एक नेता टंकी ………… ब्लॉग4वार्ता ……… ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, ब्लॉगरी रोग ममता बनर्जी को भी लग गया। अब वह भी टंकी पर चढ गयी हैं। गैस, डीजल मूल्य वृद्धि एवं एफ़ डी आई के मुद्दे को लेकर यूपीए की सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सरकार से बाहर रहने का फ़ैसला किया है। ममता बनर्जी ने यूपीए से खफ़ा होते हुए कहा है कि सरकार में शामिल उनकी पार्टी के मंत्री शुक्रवार तक त्याग-पत्र देगें। इसका तात्पर्य है कि हम तुमसे वहाँ तक समर्थन वापस लेगें, जहाँ तक सरकार न गिरे। अरे जब विरोध ही है तो सीधे सरकार से समर्थन वापस लेना चाहिए। क्या भीतर से समर्थन क्या बाहर से समर्थन। ईश्वर इन्हे सदबुद्धि दे जिससे मंहगाई की मार से तड़प रही भारत की जनता को राहत मिले। अब चलते हैं आज की वार्ता पर…… प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक………

दे दना-दन ...दे मार ... दे मार ... दे मार ... दे दना-दन ... उठा-उठा ... पटक-पटक ... दे दना-दन ... दे मार ... दे मार ... दे दना-दन ... लल्लु ... मल्लु ... कल्लु ... जो भी आए ... दे दना-दन ... दे मार ... दे...अँधेरी कोठरी के अकेले रौशनदान थेएक दिन पिताजी के अनन्य मित्र स.ही. वात्स्यायन 'अज्ञेय'जी ने उनके सम्मुख यह प्रस्ताव रखा कि मुंबई जाकर जयप्रकाशजी से मिल आना चाहिए. उन दिनों पिताजी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे थे. आपातक...मीडिया-पुलिस रिश्तों में सहजता के लिए प्रशिक्षण जरूरीएमसीयू में ‘पुलिस और मीडिया में संवाद’ *भोपाल,18 सितंबर।* माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के तत्वाधान में ‘*पुलिस और मीडिया में संवाद**’*विषय पर आयोजित...

हथेली पे सूरज हथेली पे सूरज अपने हिस्से का उगा लिया सूरज खुश हूँ तुमने पा लिया सूरज कितनी बार बादलो ने छुपा लिया सूरज खुश हूँ तुमने पा लिया सूरज किस्मत ने जब दबा लिया सूरज खुश हूँ तुमने पा लिया सूरज सोनल उलझन उलझन तुम एक जटिल साहित्य की तरह हो , पढ़ तो लिया पर समझ नही पा रही हू मै.. तुम एक कठिन गणित की तरह हो , समझ तो लिया पर हल नही कर पा रही हूँ मै तुम सहज हो ........ पर तुम्हारी सहजता में भी एक उलझन है ... तु...जाने कहाँ आ गए हम जाने कहाँ आ गए हम छोड़ी धरती चूमा गगन . आकांशाओ के वृक्ष पर बारूदो का ढेर बनाया तोड़े पहाड़ , कटाये वन दूषित कर पवन ,रोग लगाया सूखी हरीतिमा की छाँव सिमटे खेत , गाँव बना मशीनी इंसान पत्थर...
जानेमन तुम कमाल करती हो! मेरी प्रिय जानेमन, कई दिनों से सोच रही थी तुमसे दिल की सारी उथल-पुथल साझा करूं, ज़िन्दगी के उन मुख़्तसर मसलों पर तुम्हारी राय पूछूं जो यूं तो बेतुकी और बेमानी होते हैं, लेकिन अक्सर उन मसलों की संजीदगी दो...वही इंद्रधनुष जीवन में ऐसा भी होता है कि किसी संग विवाह तय हुआ हो लेकिन कुछ कारणों से विवाह नहीं हो पाये. बाद में जब वही दोनों जन एक दूसरे को जाने-अनजाने मौका पड़ने पर सामने पड़ते हैं तो परिस्थितियां मन में कई अन...किस्तों में जिंदगी ,नस्तर से कट गयी ,किस्तों में जिंदगी ,* *जख्म गहरे, हरे हो गए हैं -* * कैद- ए - महंगाई में , गमजदा हो * *अपना जीवन बसर कर रहे हैं -* * **देखा , रोटी तो हंसकर के ...


यूं विलुप्त हो जाने देना..   ललित शर्मा जी का ये आलेख पढ़ कर आज एक घटना याद आ गयी.स्कूल में महिलाओं का पसंदीदा विषय होता है साड़ि...कभी स्वयं के लिए भी जीएं, जीवन की नई ऊर्जा मिलेगी * हमारे निजी रिश्ते सिर्फ पत्नी या मित्रों तक ही सीमित नहीं होते। एक और रिश्ता होता है जो * * **हमारा नितांत निजी होता है, वो है हमारा अपने आप से रिश्ता। हम खुद में कितना जीते हैं, क्या * * **खुद के लिए सम... सुख शायद अनजाना सा था सुख शायद अनजाना सा था सुख सागर से था मुँह मोड़ा दुःख के इक प्याले की खातिर, सुख शायद अनजाना सा था दुःख ही था अपना परिचित चिर ! अपनी एक पोटली दुःख की सभी लगाये हैं सीने से, पीड़ा व संताप जहां ..

बस,आ जाओ सीधी सी बात यही है कि.. बस,तुम आओ.... चले आओ...मेरे पास. कोई मौसम हो... उससे क्या फर्क पड़ता है ? मेरे मन के सारे मौसमों पे तो बरसों बाद भी एक बस तेरा ही कब्जा है . मौसम का आना जाना उससे मुझे क्या लेना द...शगुफ्ता शगुफ्ता बहाने तेरे मुझे लंबी छुट्टी चाहिए कि मैं बहुत सारा प्रेम करना चाहता हूँ। मैंने सुकून के दिन खो दिये हैं। मैंने शायद लिखने के आनंद को लिखने के बोझ में तब्दील कर लिया है। मैं किसी शांत जगह जाना चाहता हूँ। ऐसी जगह...लुटेरों की निगहबानी में रहना लुटेरों की निगहबानी में रहना. तुम अपने घर की दरबानी में रहना. अगर इस आलमे-फानी में रहना. तो बनकर बुलबुला पानी में रहना. शरीयत कौन देता है किसी का नमक बनकर नमकदानी में रहना. यही हासिल है शायद जिंदगी का हम.......

चलते - चलते एक कार्टून 

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अब देते हैं वार्ता को विराम सबको राम-राम...... .

9 टिप्पणियाँ:

हमें तो ब्‍लॉगर टंकी होने की प्रतीक्षा है।

रोचक वार्ता। बधाई।

............
हिन्‍दी की सबसे दुर्भाग्‍यशाली पुस्‍तक!

सभी पठनीय सूत्रों से सजी वार्ता है आज की ललित जी ! आप सभी को गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !

अच्छे लिंक्स..
बढ़िया वार्ता..
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाये..
:-)

खूबसूरत लिंक संयोजन

ईश्वर उन्हें सदबुद्धि दे जिससे मंहगाई की मार से तड़प रही भारत की जनता को राहत मिले... बढ़िया लिंक्स संयोजन के लिए आभार ललित जी....

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