मंगलवार, 18 सितंबर 2012

काहे गए रे पिया बिदेस... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... आज यानि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन अखंड सौभाग्य की कामना के लिए स्त्रियां हरतालिका तीज का विशिष्ट व्रत हैं. यह व्रत महिलाएं तथा युवतियां भी रखती हैं. इस तीजा के व्रत में बहुत नियम-कायदे होते हैं. छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. सुबह चार बजे उठकर मौन स्नान और फिर दिन भर निर्जल व्रत रखना होता है और रात भर जागरण किया जाता है.महिलाएं इस दिन पूरे सोलह श्रृंगार के साथ तैयार होकर पूजा में हिस्सा लेती हैं. भारतीय महिलाओं ने इस पुरानी परंपराओं को कायम रखा है. इसलिए आज का दिन स्पेशल बहनों के लिए... सभी बहनों को हरितालिका तीज की शुभकामनाये... आइये अब चलें आज की वार्ता पर ...


हृदय के रूप .....*1-* *हृदय** वही * *पिघले मोम जैसा**,* *पाषाण नहीं । * 2- *मोम**-सा मन* *आंच मिली ज़रा सी ..* *पिघल गया ।*** 3- *प्रवाह लिये** * *सरिता**- सा हृदय* *बहता गया ।*** *4-* *छाई बादरी * *बरसती बूंदरी .....मैं और तुम १. तुम्हे पता है..? मेरे बारे में लोग कहते हैं कि मैं, मैं नहीं कोई और होता हूँ जब भी मैं लिख रहा होता हूँ... कोई गीत, कोई कविता तुम्हारे बारे में ! २. मन मेरा घूम आया बन बंजारा सात समुन्दर पार से पर तुम ..फिर मिलने का... *फिर मिलने का....* *बाद मुद्दत के मिले हो चलो कुछ दूर चले खामोश रहे और बात करे एहसासात को जिए लम्हों को थामें आँसू की बूँदें आँखों में बांधें कुछ पल ठहरें दरख्तों के नीचे चुपचाप निहारें दर्द सवारें फिर बा...

उलझा सुलझा सा कुछ... मन की राहों की दुश्वारियां > निर्भर होती हैं उसकी अपनी ही दिशा पर > और यह दिशाएं भी हम -तुम निर्धारित नहीं करते > ये तो होती हैं संभावनाओं की गुलाम > ये संभावनाएं भी बनती हैं स्वयं > देख कर हालातों का .नाउ प्रेक्टीकल प्रेमीझ आर इन ट्रेंडप्रेम के प्रतिमान बदल गए हैं और इनका बदल जाना निश्चित भी था जब रिश्तों के लिए हमारी विचारधारा बदल गई ,जिंदगी में रिश्तों के मायने बदल गए ,घर बाहर इंसानों की भूमिकाएं बदल गई तो प्रेम का बदल जाना कोई नई ...अकेला पन  जन्म से ही अकेलेपन से बचता इंसान रिश्तो में पड़ता है. बंधनों में जकड़ता है. कुछ रिश्ते धरोहर से मिलते कुछ को अपनी ख़ुशी के लिए खुद बनाता है कुछ दोस्त बनाता है उम्मीदें बढाता है कि वो अपनत्व  ...

 

ब्लॉग्गिंग के दो साल -सम्हले या बेअसर हुए  क्या जाने क्या हाल हुआ है, सम्हले या बेअसर हुये, सहमे सहमे आये यहाँ पर, जीवन जीने पसर गये। उपरोक्त पंक्तियाँ श्री प्रवीण पाण्डेय जी की उदगार है जो उन्होंने मेरे ब्लॉग के एक वर्ष पूर्ण होने पर लिखे गए ...एक दस्तक जरुरी गंगा का किनारा दूर क्षितिज में छुपता सूरज शंख - घंटियों की ध्वनि हाँ यही तो है हमारा हिन्दोस्तान और वही दूसरी तरफ ... कुछ घरों में फांकों की नौबत घर से बहार जान की कीमत हर निगाह निगलने को बैचेन हर कदम पर ..ट्रैफिक सिग्नल सी ज़िन्दगी ....... ट्रैफिक सिग्नल सी टिक गयी हूँ ज़िन्दगी के उलझे चौरस्ते पर जब किसी की गति की तीव्रता को थामना चाहा तनी हुई भौंहों की सौगात मिली पर हाँ ! ये अनदेखा कैसे कर जाती सहज करती राहों पर बढती गति , स्मित...

दुपट्टे कांधे का बोझ बन गए - आ जाती थी हया की रेखाएं, आँखों में जब भी ढल जाता था , कांधे से दुपट्टा | शर्माए नैन तकते थे राहों में जाने -अनजाने निगाहों को, जब भी हट जाता वक्ष से ,... हम्माम का तमाशा देखने को तैयार रहें - आज जहां आम जनता की क्रय क्षमता दिन पर दिन लगातार कम होती जा रही है या यूं कहें कि करवाई जा रही है। जहां मिडिल क्लास में जन्म लेना श्राप सरीखा हो गया है, ... .क़रार चाहिए बेक़रार होने को - है कलेजा फ़िगार होने को दामने-लालाज़ार होने को इश्क़ वो चीज़ है कि जिसमें क़रार चाहिए बेक़रार होने को जुस्तजू-ए-क़फ़स है मेरे लिए ख़ूब समझे शिकार होने को ..


 **** मेरा राज **** - * * *जीवन की कई बातें * *कुछ अपनी , कुछ दुनिया की* *कुछ पूरी , कुछ अधूरी* *ये सारी बातें मेरी डायरी में बंद* *जो ना कह पाती हूँ किसी से* *वो कहती हूँ सिर्फ... हार - *मोहब्बत के किस्से भी अजीब हैं.......जितने आशिक उतनीं बातें........कुछ किस्से महकते तो कुछ दहकते से....कुछ सही कुछ झूठे....मोहब्बत पर यकीं करना भी बड़ा ... भरोसे की साँस यानी ‘विश्वास’ - [पिछली कड़ी- *भरोसे की भैंस पाड़ो ब्यावे* से आगे  हि न्दी में यक़ीन ( yaqin ) शब्द का भी खूब प्रयोग होता है । हालाँकि भरोसा, विश्वास, ऐतबार ...  

विश्वकर्मा पूजा विशेष: भारत के परम्परागत शिल्पकार--- जहाँ पर मानव सभ्यता के विकास का वर्णन होता है वहां स्वत: ही तकनीकि रुप से दक्ष परम्परागत शिल्पकारों के काम का उल्लेख होता है। क्योंकि परम्परागत शिल्पकार... जनता जब मजाक करेगी, कहीं के नहीं रहोगे शिंदे साहब!!! - जुबान का क्या भरोसा, फिसल जाती है। देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की जुबान भी फिसल गई और बाद में जब उनकी फिसली जुबान के बाद हंगामा मचा तो उन्होंने पलट...चुप रही तो कलम का क्या फायदा!!!!! - आस-पास ये कैसा मंजर छा रहा है, मुल्क क्यों हिस्सों मे बँटता जा रहा है। चुप रही तो कलम का क्या फायदा, सियासी चालों का दबदबा नजर आ रहा है। गरीबों का खून सड़को... 


 

चलते-चलते मेरी पसंद का एक गीत ........

दीजिये इजाज़त अगली वार्ता में फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए नमस्कार ...

8 टिप्पणियाँ:

हरितालिका तीज पर हार्दिक शुभ कामनाएं |गाना बहुत अच्छा लगा |
आशा

bahut badhiya links ...
hartalika teej ki shubhkamnayen .....
haiku chayan karne par abhar Sandhya ji ...!!

हरतालिका तीज की बहुत शुभकामनायें !
अच्छे लिंक्स !

तीज की ढेर सारी शुभकामनाएं सभी को......
मनोकामनाएं पूर्ण हों.....

बहुत सुन्दर वार्ता है संध्या जी.....पर्व की खुशबु और मिठास लिए.

सस्नेह
अनु

अरे हमारी रचना भी है यहाँ....
:-)
शुक्रिया संध्या जी.
सस्नेह
अनु

हरितालिका तीज पर हार्दिक शुभ कामनाएं ………रोचक वार्ता

मेरे पोस्ट का लिंक देने के लिए आभार
तीज पर्व की शुभकामनाएं एवं बधाई।

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