
संध्या शर्मा का नमस्कार.......झांकी फ़ेसबुकिस्तान की
ये एक ऐसा आभासी मेला है जिसमें सतत् रेले चलते हैं। जहाँ मेले के सारे रंग
दिख जाएगें। जहाँ इंटरनेट कनेक्ट हो जाए, इसे वहीं लगा हुआ पाएगें। इस मेले
का नहीं कोई ठौर ठिकाना, कोई अपना है पराया है और बेगाना। यह मेला सोशल
मीडिया मेला या आभासी मेला कहलाता है। 24X7 कल्लाक चलता है रुकता नहीं कभी,
सबका मन बहलाता है।। कब दिन होता और कब रात होती, पता ही नहीं चलता। इसे
मैं फ़ेसबुकवा मेला कहता...