
संध्या शर्मा का नमस्कार..यूँ तो हमरी आदत है, सुबह के साढ़े चार या पौने पाँच बजे उठ जाने
का। बचपन से बाबा ने ऐसी आदत लगाई कि आज तक, हम उस आदत के मारे हुए हैं।
हमरा जल्दी उठना कई बार, लोगों को हमको कुछ न कुछ सुनाने का ज़बरदस्त मौका
दे ही देता है, 'न खुद सोती है न हमें सोने देती है', ई उलाहना हम सैकड़ों
बार सुन चुके हैं। यही आदत अब हम विरासत स्वरुप अपनी बेटी को भी दे ही दिए
हैं। अब हम...