शनिवार, 20 अप्रैल 2013

एवरी थिंग इज फ़ाईन... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार..यूँ तो हमरी आदत है,  सुबह के साढ़े चार या पौने पाँच बजे उठ जाने का। बचपन से बाबा ने ऐसी आदत लगाई कि आज तक, हम उस आदत के मारे हुए हैं। हमरा जल्दी उठना कई बार, लोगों को हमको कुछ न कुछ सुनाने का ज़बरदस्त मौका दे ही देता है, 'न खुद सोती है न हमें सोने देती है', ई उलाहना हम सैकड़ों बार सुन चुके हैं। यही आदत अब हम विरासत स्वरुप अपनी बेटी को भी दे ही दिए हैं। अब हम अकेले काहे सुने ई उलाहना-फुलाहना एवरी थिंग इज फ़ाईन... ...लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता .......

सप्पोर्ट सिस्टम - थक गयी हूँ फासला तय करते -करते जो आ गया हमारे बीच एक फैसला करते करते . ज़िंदगी....इतनी दुश्वार तो कभी न थी जितना अब हो चली है बड़े दिनों से ... रत्नाकर की थाह कौन ले - रत्नाकर की थाह कौन ले जिस पल से सागर ने स्वयं को बस लहरें होना मान लिया, बनना, मिटना, आहत होना इसको ही जीवन जान लिया ! ...सब कुछ हाय! बहा जा रहा है ... - उसके उन्मद में ऊभ-चूभ हूँ या कि सचमुच ये तन-मन दहा जा रहा है देखो न ! ... 

हम सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं...... ? - कल मैं लम्बी यात्रा पर था, रास्ते में देखा कि एक ट्रक खड्ड में गिरी है और उसके पीछे लिखा है - *" हम सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं ।"* मुझे बड़ी हंसी आई,...  रामलाल ! काठमांडु चलबे का रे? - *डिस्क्लैमर: अगर ये आप अपनी बात समझ रहे तो मात्र सन्योग के अलावा कुछ नही :):):)* रामलाल! काठमांडु चलबे का रे? काहे सामलाल? अरे उहाँ इज्जत...हिंदी ब्लॉगिंग में ये 'तीसरा' कौन है... - हिंदी ब्लॉग जगत बहुत दिनों से *हाइबरनेशन *यानि शीतनिद्रा में था...भला हो जर्मन डायचे वेले का जो इसने शीतनिद्रा को भंग किया...

भानगढ़ का मंदिर शिल्प - भूतिया कुंए का पानी पीते रतन सिंह जीआरंभ से पढें सोमेश्वर मंदिर से दांई तरफ़ चलने पर घनी झाड़ियाँ है तथा इधर कोई रिहायसी निर्माण कार्य नहीं है। .... आभासी दुनिया के वास्तविक खतरे - इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साईट्स का विस्तार जहाँ लोगों को जोड़ रहा है वहीं संचार की विकसित होती यह नयी संस्कृति अपने साथ कई तरह की समस्याएं भी ला रही ..चिट्ठियों से चिट्ठा तक: जनसत्ता में ‘शब्द-सृजन की ओर’ - 19 अप्रैल 2013 को जनसत्ता के नियमित स्तंभ ‘समांतर’ में शब्द-सृजन की ओर चिट्ठे तक The post चिट्ठियों से चिट्ठा तक: जनसत्ता में ‘शब्द-सृजन की ओर’...

ओ........! सड़कवासी राम! ... - हरीश भादानी जन कवि थे। थार की रेत का रुदन उन के गीतों में सुनाई देता था। आज राम नवमी के दिन उन का यह गीत स्मरण हो आया ... *ओ! सड़कवासी राम! ** * - *.हर.. मुझे रावण जैसा भाई चाहिए ... - फेसबुक आदि पर ये कविता पिछले कई दिनों लगातार शेयर होती रही है, लेकिन इसे लिखनेवाले की कोई पुख्ता पहचान नहीं मिली हालांकि *सुधा शुक्ला जी* ने ये कविता १९९८..रामजन्म प्रसंग : भगवान प्रकट होते हैं! - चाँद चढ़े, सूरज चढ़े दीपक जले हजार। जिस घर में बालक नहीं वह घर निपट अंधियार।। कभी रामलीला में गुरु वशिष्ठ के सम्मुख बड़े ही दीन भाव से राजा दशरथ के मुख ... 

सदा नीरा ...- ना कोई डोर/ नातों की ना कोई बंधन/ वादों का फिर भी... साथ चलते जाना सदा नीरा के सिमटने से मिलन का अहसास पास होकर भी दूर होना दो किनारे हैं... तो क्या ...आँखें.*आँखें * *कितनी बड़ी दुआ हैं !* *किसी अंधेरी राह के * *राही ने हसरत छलकाई * *सच ऐसा है क्या ...* *सोते - जागते हर पल * *स्वप्नदर्शी बना * *कितनी चुभन दे * *दिखा कर राह * *रौशन **अँधेरे की  ..थोड़ा अपना सा,थोड़ा बेगाना सा .. - इस शहर से मेरा नाता अजीब सा है। पराया है, पर अजनबी कभी नहीं लगा . तब भी नहीं जब पहली बार इससे परिचय हुआ। एक अलग सी शक्ति है शायद इस शहर में कि कुछ भी न ......

प्यार में दर्द है, - प्यार में दर्द है, प्यार में दर्द है ,दर्द से प्यार है,न कहीं जीत है न कहीं हार है वो सनम जब यहाँ बेवफा हो गया टुकड़े-टुकड़े जिगर के मेरे कर गया,.सब चारागरों को चारागरी से गुरेज़ था - मैं जयपुर से जोधपुर के लिए रोडवेज की बस में यात्रा कर रहा था। गरम दिनों की रुत ने अपनी आमद दर्ज़ करवा दी थी। ये काफी उमस से भरा हुआ दिन था।  ...पूंजी-निवेश - *पूंजी-निवेश* ****** आपने पैदा की है पुत्री पुत्र का दर्द क्या होता है , आप उससे अनजान हैं , रात- रात भर सोये नहीं हैं उसकी परवरिस में कौन सा गम ढोए नहीं..शेर जो देखन मैं चल्या, शेर मिल्या ना कोय --- - बचपन में शेर की कहानी सुनने में बड़ा मज़ा आता था। आज भी डिस्कवरी चैनल पर अफ्रीका के जंगलों की सैर करते हुए जंगली जानवरों के बारे में फिल्म देख कर बड़ा रोमा...


. 
.

दीजिये इजाज़त नमस्कार.......

14 टिप्पणियाँ:

धन्यवाद संध्या जी कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए

काफ़ी लिंक समेट लिए हैं आपने
आभार

बहुत सुंदर लिंक्स,ब्लॉगवार्ता में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार,,,संध्या जी.

RECENT POST : प्यार में दर्द है,

बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स संयोजित किये हैं आपने ...
आभार

बहुत सुंदर......आभार,,,संध्या जी.

बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स ,,,,,,,,,,,

बहुत अच्छे लिंक्स। मेरी रचना को इस योग्य समझा, आपका धन्यवाद।

बढ़िया लिंक्स हैं आज संध्या जी |
आशा

संध्या जी,

मेरा लिंक देने के लिए आभार...

जय हिंद...

बहुत अच्छे लिंक्स
ब्लॉगवार्ता में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार..

ललित जी, 'ब्लागोदय' में शामिल करने हेतु अपने ब्लॉगों के लिंक दे रहा हूं। कृपया इन्हें शामिल करने के सम्बंध में विचार करना चाहें।
http://www.scientificworld.in/
http://blog.scientificworld.in/
http://snakes.scientificworld.in/
http://me.scientificworld.in/
http://kids.scientificworld.in/
http://poetry.scientificworld.in/
सादर,
जाकिर अली रजनीश

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More