मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

लोग मल्टी क्लर्ड हो गए हैं --------ब्लॉग4वार्ता ----- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, आज अक्षय तृतीया है, महर्षि परशुराम की जयंती मनाई जा रही है धूम धाम से। इस अवसर पर सभी  मित्रों को शुभकामनाएं। आज से हम पारिवारिक विवाह समारोह में शामिल होने जा रहे हैं। इसलिए वार्ता पर उपलब्ध नहीं रहेगें। वार्ता की जिम्मेदारी बाकी साथियों पर है। अब हमारी वापसी 28 अप्रेल को होगी, तब तक के विदा लेते हैं। अब चलते हैं आज की वार्ता पर…… प्रस्तुत  है कुछ उम्दा  लिंक आपके पढने के  लिए……  कीजिए ब्लाग नगरिया की सैर………।

क्या तुम और क्या मैं !शानदार आलीशान फ़ुटपाथ पर रहने वाले दो बच्चे सोनू और मोनू की बातचीत... सोनू- और क्या भीड़ू ? मोनू- मस्त है...अपनी बताओ.. सोनू- अपुन बी मस्त! ...आज शाम का क्या प्रोग्राम है? मोनू- कुछ नई... वोSS..काका को छु...मैं एक प्रेमगीत लिखना चाहता हूँ मैं शांत और सरल दिखना चाहता हूँ; मैं एक प्रेम गीत लिखना चाहता हूँ, ऐसा भी नहीं कि [image: image] शब्द नहीं हैं मेरे पास शब्दकोष से मैंने चुन रखा है स्पर्श, आलिंगन और मनुहार जैसे शब्द, जो ...मक्खन इज़ बैक. हिंदी ब्लागिंग में इन दिनों मुझे खालीपन और भारीपन दोनों ही महसूस हो रहा है...खालीपन इसलिए कि मेरे पसंद के कुछ ब्लागरों ​ने लिखना बहुत कम कर दिया है...और भारीपन किसलिए...ये बताने की ज़रूरत ...

आशान्वित है धराजो हुआ अवतरित हरापन... कब क्यूँ कैसे? घोषित हो गया मरा! धुरी पे घूमते हुए विचारमग्न, कुछ कुछ चिंतित हो उठी धरा! हम पर ही आस लगाये हुए है, कातर नयनों से एकटक ताक रही है... वो सहनशील धरणी माँ है हमारी हमारे म...आज लोग मल्टी क्लर्ड हो गए हैं-श्रीगंगानगर- आईपीएसरूपीन्द्र सिंह कहते हैं कि श्रीगंगानगर की धरतीपर दो साल का कार्यकाल लक्कीपीरियड रहा। कारण नहीं पता। लोग मल्टी क्लर्ड होगए। पोलिटिकल व्यक्ति मुझ से नहीं सिस्टम से नाराज रहे। मुझे इस क्..सिद्धू -सन्धु जुगलबन्दीआज मैं प्रोफेसर दविंद्र कौर सिद्धू और अपने हाइकु को लेकर जुगलबंदी पेश कर रही हूँ । आशा करती हूँ ये प्रयास अच्छा लगेगा । * *खोज रे मन * *धरती से आकाश * *तेरा वजूद...............दविंद्र * *खोजा तो पाया* *धरा...

जब तेरे नैन मुस्कराते हैंखान  साहब मेहदी हसन की क्लैसिकल वाली सीरीज़ में चार-पांच प्रस्तुतियाँ अभी बची हुई हैं. आज पेश है अब्दुल हमीद अदम (1910-1981) की गज़ल. अदम साहब अपने ज़माने में खासे लोकप्रिय थे. उन पर एक विस्तृत पोस्ट किसी दि...
मुज़रिम मुक़र्रर है मुज़रिम ! अपरिहार्य है दंड , हो सके तो मौत ,यातना पूर्ण मौत ! अक्षम्य अपराध है उसका , धृष्ट ! रोटी माँगा ,कपड़ा माँगा , यहाँ तक की , मकान भी ! पक्षपात रहित न्याय ,शिक्षा , समानता ,अवसर , उठाने ल... किस किस को गरियायें  छत्तीसगढ़ में अफसरों का राज है, छत्तीसगढ़ में उद्योगपतियों का राज है, छत्तीसगढ़ में व्यापारियों  का राज है, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का राज है, छत्तीसगढ़ में माफियाओं का राज है और छत्तीसगढ़ में भाजपा का ...

जोशीमठ से औली पैदल यात्राइस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 4 अप्रैल 2012 की सुबह थी। आठ बजे मेरी आंख खुली। देखा कि विधान नहा भी लिया है। आराम से हम इसलिये सोकर उठे क्योंकि हमें आज मात्र औली तक ही जाना था ...
भागता बचपन भागता बचपन * ब्लॉगर साथियों नमस्कार । कुछ दिनों तक मै आपसब से दूर रही । बहुत जगह घूमना हुआ और इसके साथ मैंने आज की पीढ़ी के बच्चों का अध्ययन भी किया । जिस समस्या क... अंकों का इतिहास विश्व के विभिन्न स्थानों पर स्वतंत्र रुप से अलग-अलग तरह के गणना-चिन्हों (अंकों) व गणना पद्धतियों काविकास हुआ, जिसमें भारतीय, रोमन, मिश्री व क्रीट द्वीप के जनजातियों की गणना पद्धतियां विशेष रुप से उल्ले...

 बस्तर बोल रहा है  पिछले एक पोस्ट में मैंने बस्तर-माटी के अन्यतम हल्बी कवि श्री सोनसिंह पुजारी के विषय में संक्षेप में चर्चा की थी। इस पोस्ट में उनके विषय में विस्तार से चर्चा है और है उनकी कविता "पोरटा"। यह ध्वन्यांकन मैंन...  स्कॉटलैंड यात्रा - तीसरा और अंतिम भाग  आज के इस भाग में होगी हमारी वापसी अर्थात इनवरनेस(Inverness) से वापस एडिनबर्ग(Edinburgh) तक का सफर लेकिन एक अलग रास्ते और अलग मंज़िलों और नज़रों के साथ। अगले दिन इनवरनेस के...  हॉस्टल की कुछ शरारतें. आजकल जो कहानी लिख रही हूँ...उसका कथानक कुछ इतना गंभीर और दर्द भरा है कि पढ़ने वालों का मन भारी हो जा रहा है...फिर लिखनेवाले पर क्या गुजरती होगी...इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है. सोचा अपने कहानी लेखन को ...

हमेशा मेरी ही हो..! है न ?  नंगे पांव जब हरी हरी दूब में चलता हूं तुम्हारा कर्ज़दार सा तुम्हारे उपकार का आभार जता आता हूं पास वाले रास्ते के मंदिर में जो सुना है कल  टूट जाएगा अदालती फ़रमान की वज़ह से हर की पौड़ी पर गंगा मैया के भव्य दर्शनगौमुख से निकल गंगोत्री होती हुई भागीरथी नदी देवप्रयाग आकर बद्रीनाथ से आती हुई अलकनंदा से मिलकर गंगा बनती है । यहाँ से करीब ६० किलोमीटर हृषिकेश तक का पहाड़ी सफ़र गंगा की पवित्रता को बनाये रखता है। हालाँकि श...गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष  सभी लोगों को मालूम है कि अंधविश्‍वास का मूल कारण अज्ञानता है , जिन प्रश्‍नों का उत्‍तर विज्ञान नहीं ढूंढ पाया है , उसका जबाब ढूंढने की जनसामान्‍य की जिज्ञासा स्‍वाभाविक है और उसी का फायदा धर्म के नाम पर सम...

शहर में भीड़ तो होगीबाहर मौसम अच्छा है और समंदर से होकर नारियल के पेड़ों से उलझती हुई हमारी खिड़कियों तक पहुंच रही है। मैं बाहर जाने के लिए बेचैन हूं, बच्चों को घुमाने के लिए ले जाना तो एक बहाना है। "हम कहां जाएंगे?" आद्या ...ऐसे रचनाकार कईकहते हम सब भाई भाई, ऐसे रचनाकार कई आपस में छीटें रोशनाई, ऐसे रचनाकार कई समझाने के वो काबिल हैं, जिसने समझा रिश्तों को इनको अबतक समझ न आई, ऐसे रचनाकार कई बोझ ज्ञान का ढोना कैसा, फ़ेंक उसे उन्मुक्त रहो कहते, ...बन्द आँखों से…बन्द आँखों से हमने एक सपना बुना था. आँख खुली, तो रोशनी से आँखें चुधिया गयी.   ओस की बूँदें आज भी बिखर जाना चाहती है काटों के बीच वह सुर्ख लाल फूल आज भी मुस्कुरा देता है तेरे पास जाने को वे न जाने कैसे स...

माथा खाने से परहेज़ करें प्लीज़.प्रिय भक्तजनों ! मौसम में बहुत तेज़ी से बदलाव हुआ है . हाल तक शाल ओढनी पड़ती थी और अब बनियान भी उतार फेंकने को मन करता है . इतनी तीव्रता से गर्मी ने अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया है . इसी गर्मी क...
ये बात जरा अंदर की है  ये कैसी टीम है भाई जो अपने कप्तान की ही ऐसी तैसी करती रहती है। अन्ना ने तो खुद बीते शुक्रवार यानि दो दिन पहले बाबा रामदेव से गुड़गांव में मुलाकात की और मुलाकात के बाद बकायदा प्रेस कान्फ्रेंस में ऐलान किया.. ब्लॉगर सबसे बड़ा मौन का साधक प्रारंभ से पढें सुबह जब सो कर उठे तो सुरज की किरणें कनात की झिरियों से आकर मुंह पर पड़ रही थी। रात नदी की रेत पर ही अच्छी नींद आयी। काफ़ी साथी लोग नहा धोकर तैयार हो गए थे। मौनी बाबा आदतन मौन थे, ये तो सिर...

फ़ेसबुकिया कबूतरी अहमदाबाद का सुबह का नजारा सुबह साढे 5 बजे आँख खुली तो खिड़की से अंधेरा नजर आ रहा था। तब समझ आया कि यहाँ हमारे छत्तीसगढ की अपेक्षा दिन देर से निकलता है। खिड़की से नीचे झांक कर देखा तो स्ट्री...नकटा मंदिर चाय आप अभी पीयेगें या स्नानाबाद? सुनकर आँख खुली तो बाबु साहब पूछ रहे थे। घड़ी साढे पांच बजा रही थी। मैने कहा - अभी ही, स्नान तो उसके बाद में ही होगा। बाबु साहब चाय बनाकर लाते हैं और अपनी स... मैं कोई किस्सा सुनाऊँगी कभी मैं कोई किस्सा सुनाऊँगी कभी आँखो से आँसू बहाऊँगी कभी तुम सुन सको तो सुन लेना स्याह रात की बिसरी बातें मैं तुम्हें बताऊँगी कभी मैं फासलों को मिटाऊँगी कभी मैं कोई किस्सा सुनाऊँगी कभी । खो गये हैं जो आ...

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद्……… राम राम

सोमवार, 23 अप्रैल 2012

धरती कहे पुकार के.:पृथ्वी दिवस ---- ब्लॉग4वार्ता --- संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , आज विश्‍व भर में पृथ्‍वी दिवस मनाया जा रहा है , पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता बढाने के लिए इस उपलक्ष्‍य में हर स्‍थान पर आयोजन हो रहे हैं , कहीं प्रभात फेरी , तो कहीं क्विज , कहीं गोष्‍ठी तो कहीं वृक्ष लगाए जा रहे हैं। ब्‍लॉग जगत में भी इस उपलक्ष्‍य में कुछ महत्‍वपूर्ण पोस्‍टें आयी हैं .. 
संयुक्त राज्य अमेरिका में 22 अप्रैल को मनाया जाता है, यह एक दिवस है जिसे पृथ्वी के पर्यावरण के बारे में प्रशंसा और जागरूकता को प्रेरित करने के लिए डिजाइन किया गया है.इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी,और इसे कई देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है. यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है.
पर्यावरण को सबसे अधिक आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने ही चोट पहुँचाई है। मनुष्यों की सुविधा के लिए बनाई गयी पॉलीथीन सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। भूमि की उर्वरक क्षमता को यह नष्ट न होने के कारण खत्म कर रही है। इनको जलाने से निकलने वाला धुआँ ओजोन परत को भी नुकसान पहुँचाता है जो ग्लोबल वार्मिग का बड़ा कारण है। देश में प्रतिवर्ष लाखों पशु-पक्षी पॉलीथीन के कचरे से मर रहे हैं। इससे लोगों में कई प्रकार की बीमारियाँ फैल रही हैं। इससे ज़मीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है तथा भूगर्भीय जलस्रोत दूषित हो रहे हैं। पॉलीथीन कचरा जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड एवं डाईऑक्सीन्स जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि की बीमारियाँ होने की आशंका बढ़ जाती है।
२२ अप्रैल को "विश्व पृथ्वी दिवस". के रूप में मनाते हैं. इस दिवस को मनाने का मक़सद लोगों को पृथ्वी पर मंडराते हुए ख़तरे के प्रति चेताना और उस ख़तरे को कम करने के बारे में जागरूक करना है. इसके लिए १६ से २२ अप्रैल तक "पृथ्वी सप्ताह" भी मनाया जा रहा है. आज से चार दशक पहले एक अमेरिकी सीनेटर ने पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए लाखों लोगों के साथ २२ अप्रैल , १९७० को एक विशाल प्रदर्शन किया था. इसी कारण इस दिन को पृथ्वी दिवस के रूप में मान्यता मिल गई. वैसे २१ मार्च को भी संयुक्त राष्ट्र संघ के समर्थन से अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. जबकि अधिकाँश देशों में २२ अप्रैल को ये दिवस मनाया जाता है.

पिछले कुछ महीनों में दुनिया के विभित्र हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं का आना हमें बार बार चेतावनी दे रहा है कि हमारी धरती हमारे ही क्रियाकलापों से विनाश की तरफ बढ. रही है. विकास की अंधी दौर के दुष्परिणामों से धरती को बचाने के लिए 22 अप्रैल 1970 से धरती को बचाने की मुहिम अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन द्वारा पृथ्वी दिवस के रूप में शुरू की गयी थी, लेकिन वर्तमान में धरती बचाने की हो रही कोशिशों को देखें, तो लगता है कि यह दिवस सिर्फ आयोजनों तक ही सीमित रह गया है. 
कि "पृथ्वी हमारी इच्छाओं की पूर्ती तो कर सकती है पर हमारी लालच को नहीं "आज के परिदृश्य में यह बात २०० फीसदी सच को बयां कर रही है ... खनन से लेकर वन संपदाओं का अंधाधुंध दोहन ने पृथ्वी को मरियल बना दिया है ...आज शस्य श्यामला धरा नहीं बल्कि बारूदों और खतरनाक विकिरिनों की धरा हमारे सामने है ..यह बंदर के हाथ में रखे बम वाली स्थिति है ..कब अंत हो जाए कोई ठीक नहीं ...हमारे देश भारत में वनों की स्थिति बहुत दयनीय है ..३३ फीसदी के मानक आंकड़े से दूर भारत में लगभग १८ फीसदी के करीब ही वन बचे हैं .ग्लोबल वार्मिंग पर गंभीरता से विचार करना होगा ..आखिर आज पृथ्वी दिवस पर दुनिया के सबसे जिवंत और ख़ूबसूरत ग्रह को बचाने के लिए आगे आने की जरूरत है .
पिछले दिनों गाँव गया तो पूरे वातावरण में एक अजीब सी उदासी महसूस हुई। गाँव के आँगन, पटांगण व दीवारें, जो पहले लोगों से भरे रहते थे, जहाँ पर देश-दुनिया की तमाम बातों पर पंचायत लगा करती थी, वह सब खाली थे। जो आँगन पहले गाय, भैंस, बैलों से भरे रहते थे, सब सूने दिखाई दिए। चहकने वाली पक्षियों की प्रजातियाँ भी नहीं दिखाई दीं। क्या मानव, क्या पशु, क्या पक्षी सभी ने गाँव से मुँह मोड़ लिया है। गाँव अब खाली व वीरान होते जा रहे हैं। आने वाले समय में स्थितियाँ और दुःश्वार हो जाएंगी।
वसुन्धरा की पुकार- हाइगा में
और हर जगह आज इसकी चर्चा भी है... किसी भी स्पेशल दिन पर हम उससे सम्बंधित बातें तो बहुत ढेर सारी करतें हैं लेकिन फिर अगले ही दिन हम सब-कुछ भूल जाते हैं... तभी तो हमारी पृथ्वी दिनों-दिन अपना सौंदर्य खोती जा रही है... लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि अब तो हम बच्चे भी जागरूक हो रहे हैं... अब हमें भी पता है कि हमारी पृथ्वी को हरा-भरा स्वस्थ और सुन्दर बनाये रखने के लिए हमें पर्यावरण-प्रदूषण को रोकना है, पानी के दुरुपयोग को रोकना है, पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों की रक्षा करनी है... हम इसके लिए पूरा प्रयास करेंगे और वो दिन दूर नहीं जब हमारी छोटी-छोटी कोशिशें रंग लायेंगी और हमारी ये ख़ूबसूरत धरती और भी निखर उठेगी... 
बुद्धिजीवियों की
कालोनी से गुजरते
उस रस्ते पर
मैंने देखा
कोलतार की
वह सड़क
चौड़ी
की जा रही थी
बूढ़े पेड़ों को
उनकी
औकात बताई जा रही थी
और उस किनारे
पार्क से
आ रही थी आवाज़--
सड़क के
सामने वाले घर मे
गुज़र करने वाले
सज्जन
माइक पर
कर रहे थे आह्वान
पृथ्वी को बचाने का
पृथ्वी दिवस मनाने का। 
अब लेते हैं एक विराम .. मिलते हैं ब्रेक के बाद ....

रविवार, 22 अप्रैल 2012

सुकमा कलेक्टर एक्सेस पाल मेनन का अपहरण -- ब्लॉग4वार्ता ---- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, बस्तर कमल शुक्ला ने समाचार दिया है कि सुकमा कलेक्टर एक्सेस पाल मेनन का अपहरण हो गया है , ग्राम सूरज अभियान के तहत कलेक्टर केरलापाल गये थे | अपहर्ता नक्सली १५ की संख्या में थे , उन्होंने पहले उनके सुरक्षा गार्ड को गोली मार दी |   कौशल तिवारी  कहते हैं कि तमाम तरह की गुप्तचर संस्थाओं की चेतावनी के बावजूद ग्राम सुराज चलाना सरकार को भारी पडऩे लगा है। जेड प्लस सुरक्षा और उडऩखटोला से सुरक्षित राजा की सोच के चलते ग्राम सुराज दल के लोगो में दहशत व्याप्त है लेकिन नौकरी की मजबूरी उनकी जान पर बन आई है। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर……… प्रस्तूत हैं कुछ उम्दा ब्लॉग लिंक…………


कुछ नहीं होगा निर्मल नरुला काव्यापक सामाजिक सराकारों के सन्दर्भ में, निर्मल सिंह नरुला उर्फ निर्मल बाबा के उपक्रम से असहमत होते हुए और उसके उपक्रम को अन्ततः समाज को क्षति पहुँचानेवाला मानते हुए, मुझे नहीं लगता कि निर्मल नरुला को का...रोजमर्रा के दर्द रोज चढ़ते हैं एवरेस्ट पर ,फिसल जाते हैं , जिंदगी है कि मानती नहीं, कदम बेकार हो गए हैं - रोजमर्रा के मर्ज इतने कि ,बेहिसाब हो गए हैं , ख़ुशी के दो पल भी , अब ख्वाब हो गए हैं - रेल आरक्...किसन अर्जुन अभी कल्हे-परसोटीवी पर देख रहे थे प्रोग्राम *“मूभर्स एंड सेखर”*... अरे ओही अपना *सेखरसुमन* का प्रोग्राम. एगो पाकिस्तानी हिरोइन को बोलाए हुए था, जिसके बारे मेंबहुत सा खिस्सा पहिलहीं से मशहूर है, नाम *बीना मल...

दिल तो बच्चा है ..दिल तो बच्चा है .. एक जिद्दी बच्चा है.. जिद पर आ जाये तो .. दे देता गच्चा है.. वो चाहे जो खिलौना , न मिले तो . . हो बिलख जाता है,, अड़ जाता है ,, मचल जाता है.. अपना खिलौना .. किसी और के हाथ में ...सद्विचारअश्रु कायर बहाते हैं। अतः साहसी बनें और किसी अवसर के खो जाने पर कभी भी आँसू न बहायें। - दूसरों की शिकायत करने वाला व्यक्ति हमेशा अशांत रहता है और कभी भी सफल नहीं हो पाता। सफलता और शा...देव नहीं मै देव नहीं मै साधारण मानव मन का साफ़ बांटता हूँ मुस्कान चुप रहता कांटो पर चलता कर्म करता फल की चिंता नहीं मन की यात्रा आत्ममंथन , स्वयं अनुभव से छल कपट से परे कभी दरका भीतर से चटका स्वयं से लड़ा...

पुनर्नवाजीना उन्हीं क्षणों को फिर-फिर जिन्हें जिया होकर अस्थिर आकृति नई है पर व्यक्ति परिचित अथवा व्यक्ति वही आकृति परिवर्तित पर समय न ही प्रतीक्षा करता न ही लौटता कभी उन्हीं बिन्दुओं पर फिरबेटियों की परवाह करते हैं या चुनने का अधिकार छीनते हैं ?बेटियों की परवाह करते हैं या चुनने का अधिकार छीनते हैं? यह प्रश्‍न मुझे कई दिनों से तंग परेशान कर रहा है। सोचा आज अपनी बात रखते हुए क्‍यूं न दुनिया से पूछ लिया जाए। कुछ दिन पहले मेरी शॉप पर एक महिला ग्राह...अहिंसा की गंगोत्री अक्सर दुर्भावनाओं से हिन्दुत्व पर हिंसक और माँसाहारी होने के आरोपण किए जाते है किन्तु हिन्दुत्व प्रारम्भ से ही अहिंसा प्रधान धर्म रहा है। काल-क्रम से कुछ विकृतियों का आ जाना सम्भव है, गंगा भी अपने उद्भव ...

भावनाओ के बंजर में भी फूल खिलते हैभावनाओ के बंजर में भी * *फूल खिलते है* *एक सहरा * *तो अपना * *बना के देखो! * *पंक्तियों की कोंपले * *भी फूटेंगी* *कुछ शब्द तो * *रेत में * *बिखरा के देखो!* *कविताओ की फसल * *भी लहलहाएगी खूब* *संवेदनाओं से...काश कि ये बुढिया जवान होती..!! काश कि ये बुढिया जवान होती..!! ● *कोई* बुढिया अगर चिलचिलाती धूप में ट्रैफ़िक सिग्नल पर कुछ बेचती नजर आ जाए तो इसे कोई कैसे रोक सकता है जब इसके अपने ही इसे बाहर का रास्ता दिखा चुके हों........... रेय...कोलकाता की शहीद मीनारकलकत्ता/कोलकाता से संबंधित चौरंगी, विक्टोरिया मेमोरियल के बाद यह तीसरी किस्त है. शहीद मीनार भी कोलकाता में अपनी विशिष्ट पहचान रखती है तथा अच्छे-बुरे समय की गवाह रही है. * कलकत्ता/कोलकाता की पहचान बता...

पति -सेवा हर भारतीय नारी का धर्म है"पति -सेवा हर भारतीय नारी का धर्म है और ये हमारी संस्कृति भी है पति की सेवा से, पति प्रसन्न हो कर कोई भी वरदान दे सकते हैं".......ये पंक्तियाँ 24 साल पहले मैंने एक किताब में पढ़ी थी और अब पिछले दिनों की ...कालाधन और कोयला...अखबारों की सुर्खिया रही कि रामदेव बाबा विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने छत्तीसगढ़ से आन्दोलन करेंगे तो दूसरी खबर कानून को ताक में रखकर कोयला खदाने चलानी की हैं। एक दूसरे के पूरक इन खबरों को लेकर बेचैनी बढ..तुमसे बेहतर......गयी थी लाने * *उपहार तुम्हारा ....* *सामानों की भीड़ में * *ढूंढ सकी न कुछ ....* * * *फिर सोचा -* *क्यों ना तुमको चाँद ही दे दूँ ,* *लेकिन एक चाँद को * *दूजे चाँद की जरूरत क्या ....* * * *फिर सोचा  

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते है ब्रेक के बाद, राम राम

शनिवार, 21 अप्रैल 2012

ख्वाब ढूंढ रही हूँ... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... भारत ने परमाणु क्षमता से लैस और स्वदेशी तकनीक से विकसित मिसाइल अग्नि -५ सफल परीक्षण किया. आमतौर पर रणनीतिक हथियारों और न्यूक्लियर केपेबल बैलेस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है, लेकिन पिछले २० वर्षों से १ महिला वैज्ञानिक टेसी थामस इस फील्ड में मजबूती से जुडी हुई हैं, और इस प्रोजेक्ट की सफलता में इनका अहम् योगदान रहा... लीजिये अब प्रस्तुत हैं आज की ब्लॉग4वार्ता मेरी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ.....

 जिन्दगी जिन्दगी.. दो मुहें सांप जैसी बीता कल खींचे पीछे, खींचे आगे आनेवाला कल रहे पशोपेश में वर्तमान किसकी सुने, किधर जाए जीना तो चाहे वो भविष्य की डगर पर संजोये सपनों को पर उलझा रहे , साफ़ करता रहे खुशियों पर पड़...कुछ और ... *मन बैचेन है कभी कभी कविताओं से भटक जाता है....विषम पर्वतीय परिस्थितिया जीना सीखा देती है * *उनमें से कुछ प्रेरणा स्रोत ये भी हैं...* (ब्रह्मकमल)* ...आओ, बैठो इस पास वाले स्टूल पर आदमी को अब फर्क मालूम नहीं होता, उसके चहरे पर नहीं आती ख़ुशी और चिंता की लकीरें कि दुनिया में मुर्दा सीरत वाले ईश्वर ही बचे हैं. मगर भूलो नहीं की हमें यहाँ तक अंगुली पकड़ कर कोई नहीं लाया था, ज़रा पिछल...
आज रह रह कर तुम फिर याद आते हो .......... मेरी इक अजीब सी आदत है इक माला साथ लिए चलती हू (शब्दों की ) और जगह जगह उसके मोती बिखेर देती हू फिर उसी रस्ते पर पलटकर जाती हू और उन मोतियों को इकठ्ठा करके इक जगह रख देती हू .अजीब है न पर अच्छा लगता है ...किस भाँति मैंने....मत पूछो कि किस भाँति मैंने निज को लुटाया है अपने ही बंद झरोखे को धीरे से खुलते पाया है मैं न जानूं कौन है वो पर चुपके से कोई तो आया है.... नींद बड़ी गहरी थी तो झटके में उसने जगाया है पसरे चिर सन्नाटे को ..आखिर अग्निगंधा भी तलाशती है कुछ फूल छाँव के  धूप भी साये की आकांक्षी हो गयी आखिर कब तक अपना ही ताप सहे कोई यूँ ही नहीं देवदार बना करते हैं यूँ ही नहीं छाया दिया करते हैं उम्र की बेहिसाब सीढियों पर अनंत से अनंत के सफ़र तक आखिर ताप भी सुलगता होगा अपनी त...
खोज मैं...आजकल अपनी पहचान का सुराग ढूंढ रही हूँ . तेरी मेरी आँखों में जो पलते थे साथ -साथ आज वो सारे ख्वाब ढूंढ रही हूँ बिछड गयी थी ,कुछ बरस पहले खुद से ...एक मोड पे ... जिस्म हूँ अपनी जान ढूंढ रही हूँ ,मैं न...कतरा-ए-शबनम पे छा जाये जुनूँ.......ये कैसी है मुहब्बत,है नहीं जिसका गुमां मुझको, इबादत से भी पहले वो, इबादत जान लेते हैं. यहाँ ख़्वाबों की लज्ज़त में उन्हीं का अक्स है शामिल, वहाँ दूरी के दामन से वो...इन लव विद गुलमोहर...  गुलमोहर तुम तब भी थे न, जब जाता था मैं माँ का आँचल पकडे यूँ उन पक्की सड़कों पर अपने स्कूल की तरफ और देखता रहता था तुम्हें अपनी नन्हीं अचरज भरी आखों से... हर महीने के मेरे इंतज़ार से बेखबर आते थे ...
जीवन का सफर चलता ही रहें........  जीवन का सफर चलता ही रहें ,चलना हैं इसका काम कहीं तेरे नाम,कहीं मेरे नाम,कहीं और किसी के नाम हर राही की अपनी राहें ,हैं अपनी अलग पहचान मंजिल अपनी ख़ुद ही चुनते,पर डगर बडी अनजान खो जाती ...छेड़ी जो ग़ज़ल *छेड़ी जो ग़ज़ल रात उसकी याद आ गयी |* *पलकों में टिप टिपाती सी बरसात आ गयी ||* *खुद को छिपा लिया था ज़माने से इस कदर |* *परदे हज़ार फेंक के जज्बात आ गयी ||* *मैंने सुना था जख्म...'बच्चों की दुनिया' को छोड़ गया आदित्य....  आदित्य' एक दिन 'बच्चों की दुनिया' को छोड़कर यूँ ही चला जायेगा, किसी ने भी नहीं सोचा था. आदित्य तो हमेशा उर्जावान और प्रकाशमान रहता है, पर इस आदित्य को पता नहीं किसकी नजर लग गई कि वह 8 अप्रैल, 2012 को ना सि.
जीवन स्वप्न *मन की गहराई से मैंने उर की मादकता को माना,* *जीवन तपता मरुथल सा मैंने यह अब जाना .................* *मानों दरख्त जीवन के सूख चले मुरझा चले हैं,* *बहती हुई नदी की सतह पर ही रहीं हूँ में अब जाना......शाम का वह आदमी सुबह के एक ऐक्सीडेंट हो चुके आदमी में बदल गया है - जनाब हरजिंदर सिंह उर्फ लाल्टू हिन्दी के उन प्रतिबद्ध रचनाकारों में हैं जो हिन्दी की साहित्यिक तिकडमों से सदा दूर रहे हैं और लगातार-लगातार रचनारत रहे हैं.  और कुछ चलता नहीं 'किरपा' का धंदा खोल ले - मित्रों २८ फ़रवरी से १५ मार्च तक की घनघोर कविसम्मेल्नीय व्यस्तता में फेसबुक और ब्लाग दोनों पर ही उपस्तिथि नगण्य रही... आज एक मंचीय रचना के साथ कुछ दिन सा...  
निजी डॉक्टरों को फायदा पहुंचाने सरकारी योजनाओं की अनदेखी - करोड़ो रूपए अनुपयुक्त पड़े रहे  वैसे तो इस सरकार पर उद्योगपतियों का तमगा नया नहीं है। लेकिन निजी डॉक्टरों व नर्सिंग होमों को फायदा उठाने के लिए जिस तरह से ...ब्रह्मा की आंख - शापित? - इस चिट्ठी में, काले ऑर्लोव या ब्रह्मा की आंख (Black Orlov or the Eye of Brahma) हीरे के बारे में चर्चा है। ब्लैक ऑर्लोव का वित्र बीबीसी की वेबसाइट से इस चि... गंगा की गुहार - आज गंगा को लेकर जन मानस जितना आंदोलित है शायद पहले कभी नहीं था। साधु संत ही नहीं आम जन भी अब गंगा की दारुण दशा को देख सड़कों पर आ गए हैं। लोग आमरण अनशन ... 
सफलता के लिए उद्यम – सम्राट अशोक उवाच - आज विश्व धरोहर दिवस है. अपने आसपास बिखरे धरोहरों को संरक्षित रखने में सहायता करें. सदियों पहले से विभिन्न राजाओं के द्वारा अपनी शौर्य गाथा के प्रचार के लिए... पूरी ज़िन्दगी का दर्शन - रास्ते तो लम्बे होते ही हैं ... कभी उबड़ खाबड़ कभी कीचड़ कभी धूल ही धूल .... सबके रास्तों के हिस्से होता है यह कहीं कम कहीं ज्यादा ! नन्हें क़दमों तक को...  यादों का आईना - जब कोई हमसे बहुत दूर चला जाता है तो उसकी याद हमारे जीने का सहारा बन जाती है | मेरे पूजनीय पिता जी को हमसे बिछुड़े लगभग २० वर्ष हो गए हैं | आज जब सुबह केले...  
याहू चैट से फेसबुक तक - एक समय था, जब इंटरनेट यूजर्स yahoo व Rediff मैसेजर द्वारा किसी chat room में घुसे रहते थे। इस दौर में साइबर कैफे खूब कमाई का धंधा था, लोग इंटरनेट पर चैट व...कैसी कही - उन्हें शिकवा है हम उन्हें न समझ सके अगर यह हम कहते तो बेहतर होता बहुत कुछ न कह सके हम उनके लिए शायद कुछ कहते तो अच्छा होता जो दिल में है कमबख्त वही दि... कोरबा - रत्नगर्भा धरा के कोष में अनमोल प्राकृतिक खजाना छुपा हुआ है, जो उजागर होकर हमें चमत्कृत और अभिभूत कर देता है। इसका आकर्षण, ऐसे सभी केन्द्रों पर मानव के लिये...

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में नमस्कार..................

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

वो एक पल....जब प्यार होता है --- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, ब्लॉग4वार्ता की पोस्ट प्रतिदिन दैनिक बिहिनिया संझा में प्रकाशित हो रही हैं। इसलिए वार्ता के मुड में थोड़े बदलाव की आवश्यकता महसूस हो रही है। क्योंकि नेट के ब्लॉग लिंक पर पाठक क्लिक करके ब्लॉग पढ सकता है, लेकिन प्रिंट में यह कार्य नहीं हो सकता। इसलिए प्रिंट मीडिया के पाठकों की सुविधा के लिए अब दो या तीन ब्लॉगों की ही चर्चा हो सकती है। जिसे शीघ्र ही प्रारंभ करना है, जिन ब्लॉग की चर्चा दैनिक संझा बिहिनिया में होगी उसकी हार्ड कापी वार्ता पर लगाने की पुरजोर कोशिश की जाएगी… अब चलते हैं आज  की ब्लॉग4वार्ता पर…… सैर करते हैं ब्लॉग नगरिया की।

लहरिया एवं फागणिया राजस्थानी संस्कृति के परिधान में *चुन्दडी* के बारे में जाना , अब बात *लहरिया * और *फागणिया* की * * *फागुन माह में पहना जाने वाला फागणिया* राजस्थानी वस्त्र अपनी चटकदार रंगबिरंगी छटा के कारण ही जाने ज...जोशीमठ यात्रा- कर्णप्रयाग और नंदप्रयागइस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 3 अप्रैल 2012 की सुबह मैं और विधान रुद्रप्रयाग में थे। यहां से बस पकडी और घण्टे भर में कर्णप्रयाग जा पहुंचे। आज रुद्रप्रयाग से आगे अलकनन्दा घाटी ...तेरे नाम के दो आंसू तो संभाले हूँ
शिकायत तुझसे अब रही तो नहीं, तेरी लकीर हाथों से गुजरी तो नहीं। तेरे नाम के दो आंसू तो संभाले हूँ, आज मेरे घर कोई कमी तो नहीं। आँखों में है तेरे भी ये घुटन कैसी, कुछ तो है बात जो कही तो नहीं। "सच" क...
मैनपुरी के रसिक  प्यारे मित्रो, हितैषियो एवं समस्त कविताप्रेमियो, नमस्कार कल 20 अप्रैल को मैनपुरी प्रदर्शनी में अखिल भारतीय कवियों का विराट संगम होने जा रहा है . संयोजक अनिल मिश्रा { ब्यूरो चीफ दैनिक जागरण } व ...बस दिल्ली का समाचार है सबसे पहले हम पहुँचे। हो करके बेदम पहुँचे। हर चैनल में होड़ मची है, दिखलाने को गम पहुँचे। सब कहने का अधिकार है। चौथा-खम्भा क्यूँ बीमार है। गाँव में बेबस लोग तड़पते, बस दिल्ली का समाचार है। समाचार हालात बतात...हम विदा हो जाएँ तो एक फ़िल्मी गीत, जो बचपन से सबसे अधिक पसंद है, आज बार बार सुना ! "सदियों जहान में हो चर्चा हमारा " अक्सर याद आता रहा है ! जीवन में कुछ ऐसा करने की तमन्ना रही है जो कोई और न कर सका हो , कुछ ऐसा, जो दूसरों...

अधुरा मै भी हूँ...!!! सुनो जाना .....!!! किसी को तुमने चाहा था वो तुम्हे मिल नहीं पाया किसी को मैंने चाहा था वो मुझे मिल नहीं पायी...!!! अधूरे तुम भी हो अब तक अधुरा मै भी हूँ अब तक अधूरे पन की तन्हाई तुम्हे भी डसती रहती ...गौहत्या विरोध और इस विरोध का विरोधएक वें लोग भी है जो विदेशो में रह कर भी अपने देश में चेतना जगाने के लिए यथासंभव प्रयास करते रहते है और एक ये भी है जो अपने देश में ही रहते हुए भी स्वयं तो कुछ करते नहीं अथवा कर नहीं पाते परन्तु जो इसके लिए...मलूकदास के दोहेदया धरम हिरदे बसै, बोलै अमरित बैन। तेई ऊँचे जानिये, जिनके नीचे नैन॥ आदर मान, महत्व, सत, बालापन को नेहु। यह चारों तबहीं गए जबहिं कहा कछु देहु॥ मान सहित विष खाय के संभु भए जगदीस । बिना मान अमृत पिए राहु कटाय...

एक मुस्लिम देशभक्त एक समय था जब देश में विभिन्न धर्मों के लोग बाग़ मिल जुल कर साथ रहा करते थे और उनमें देश भक्ति की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी . अहमदशाह अब्दाली अफगान का आक्रमणकारी था जो भारत देश में विजय की लालसा लिए आगे ब...वो एक पल....जब प्यार होता हैवो एक पल जो जाने कितनी बार यूँ ही गुज़र जाता है वो एक पल जो कभी मुश्किल इतना की गुज़रता ही नहीं वो एक पल जब अनायास हँसी छूट जाती है वो एक पल जब दुआ क़ुबूल होती है वो एक पल जब एक उदास बूँद आँख से गिरती है वो ए...क्षणि‍काएंसुरमई शाम हो सामने.... या रात में बि‍खरी हो चांदनी मद्धि‍म हवा के झोकें याद आपकी दि‍ला ही जाते हैं 2.इस कदर याद आता था वो कि‍ होकर परेशां हमेशा के लि‍ए दूर कर दि‍या उसे इस फैसले से पहले कहां मालूम था ...

यूं बोली ज़िंदगीआ ज़िंदगी चल तुझसे कुछ बात करें खुले गगन तले दरख्त की छांव में कहीं एकांत की ठाँव में चल तुझसे कुछ बातें करें ज़रा बता तो ज़िंदगी - तू - सपनों और ख्वाहिशों को फंसा अपने भंवर म...जीवन स्वप्नमन की गहराई से मैंने उर की मादकता को माना,* *जीवन तपता मरुथल सा मैंने यह अब जाना .................* *मानों दरख्त जीवन के सूख चले मुरझा चले हैं,* *बहती हुई नदी की सतह पर ही रहीं हूँ में अब जाना.....* *स्वप्...'धी' हो या 'धरणी' आखिर कब तक धीरज धरे.जया के कविता संग्रह को पुरस्कार मिलने पर पत्रकारों के इस सवाल ने 'उसकी कविताओं में इतना दर्द कहाँ से आया ?' उसे पुरानी यादों के मंज़र में धकेल दिया...बड़े भाई-बहनों...माँ-बाबूजी के संरक्षण में बचपन बड़...

मनुस्मृति के कई छंद, रच फिर से विद्वान् संरक्षित निर्भय रहे, संग पिता-पति पूत आँख खोलकर छींकना, सीख चुका इंसान । रहस्य सूक्ष्मतम खोज ले, उत्साहित विज्ञान । समय देश वातावरण, परिस्थिती निर्माण । जीर्ण-शीर्ण घट में भरे, सम्यकता नव-प्राण ।। रहे क...रोमांस और रोमांच की अद्भुत कॉकटेलदिल्ली जैसे शहर के व्यस्त जीवन की आपा धापी में अक्सर लोग तनाव ग्रस्त रहते हैं . ऐसे में शॉर्ट ब्रेक लेकर घर से बाहर निकल किसी शांत जगह जाकर कुछ समय बिताना एक स्ट्रेस बस्टर का काम करता है . यूँ तो दिल्ली के...पानी और बिजली..गर्मी शुरू होते ही छत्तीसगढ़ में पानी की समस्या शुरू हो जाती हैं हर साल का यह रोना हैं। सरकार किसी की भी रही हो इन समस्याओं का हल नहीं हुआ और जिस तरह से सरकार काम कर रही है आने वाले दस -बीस सालों में यह समस्...

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

उमीदों की शमां जलाये रखिये: ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...हाईकोर्ट द्वारा लिए गए एक फैसले में भंडारा के पालक मंत्री को बादशाह जैसे सलूक ना करने और प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप ना करने का निर्देश देना सचमुच ऐतिहासिक ही है. अदालत ने इस मामले में मंत्री को ५ हजार रु. की सजा सुनाकर कहा कि क़ानून के सामने सभी समान हैं.यह निर्णय उन मंत्रियों पर कड़ा प्रहार है, जो "लाल बत्ती" मिलते ही हवा में उड़ने लग जाते हैं. चलिए ख़ुशी तो हुई इस बात से कि क़ानून के लिए सभी समान हैं. आइये अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर मेरी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ.....

धूलि दुर्ग: कोट गढ  कोट गढ अकलतरा से डेढ किलोमीटर पर उत्तर दिशा में स्थित है। है। बर्फ़ गोले की चुस्कियों के साथ काली घोड़ी के सवार कोट गढ की ओर बढते जा रहे हैं। मेरे पास अकलतरा के एक ब्लॉगर का हमेशा मेल आता है। वो लिखते है...

यादें जिंदगी की पोटली में बंधी वो सुनहरी यादें यूँ बेनकाब हो रही हैं जैसे किसी पिंजड़े से वो आजाद हो रही हैं । तिरछे आईने को भेद उमड़ घुमड़ रही वो बाहर आने की चेष्टा बयां कर रही हैं । अन्तरमन में छुपे हो...

“ जबलपुर सम्भाग में 79236 लाड़लियां” इस घर में रहती है लाड़लीछिंदवाड़ा जिले की कारगर रणनीतिकाम आई  जबलपुर सम्भाग को लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत एक...

अनजान बन जाऊं कभी कभी सोचता हूँ हर चीज़ से हो जाऊं अनजान खाली सा हो जाऊं किसी ब्लैंक सी डी या डी वी डी की तरह और पहुँच जाऊं कुछ हाथों मे जो कुछ भी लिख दें कुछ भी कह दें अच्छा या बुरा जो मन मे हो और मैं जान जाऊं मन के भीतर...

औरत और सब्जी रसोई में औरत बनाती है सब्जी उसके मन में होते हैं पति, बच्चे वह खुद नहीं होती पक रही होती है वह खुद ही कडाही में जबकि चला रही होती है सब्जियां स्वाद होता है उसकी जिह्वा पर पति का होती है बच्चो की...

ज़िन्दगी का हाथ बड़ा तंग है... उन दिनों सबसे अधिक चाहतें थी. सब जल्दी बड़े होने के ख्वाब देखते थे. बूढ़े लोग करते थे दुआ कि ये कुछ और सालों तक बच्चे बने रह सकें. कमसिन उम्र की कल्पनाओं के पंख ज़मीन से बड़े थे. उनको जीने के लिए नहीं चाह...

बस इक पल को ........ .पल - पल राह तकी जिस पल की वो पल भी आया बस इक पल को पलक - पलक गैल बुहारी जिस साए की वो साया भी आया कुछ ठोकर खाया सा जर्रा -जर्रा सहेज इबारत लिखी अपने की लहरें भी निशां छोड़ गईं उस सपने की रंग चुर..

हवा का झौंका  ● हवा का झौंका ● हवा का झौंका ,,, ज्यों आता , त्यों चला जाता है ... न रूप न रंग , बस तुम ही सा नजर आता है ...

ढाई आखर तुम्हारे कहने से शुरुआत करने बैठी हूँ एक नए अध्याय की . जीवन की स्लेट से पिछला सारा लिखा हटा कर,मिटा कर . बीता वक्त भूल बिसार कर . लेकर बैठी हूँ नयी किताबें... जीवन जीने की कला सिखाने वाली . पर ,क्या कर....

कलकत्ता यात्रा एल्बम से कुछ यादें .......... पुराना हाथ रिक्शा फॅमिली टूर .तारामंडल विक्टोरिया मेमोरिअल में यादगार पल कोलकाता का सुंदर स्थान बग्घी में सैर .न्यू इयर में सजा रेलवे स्टेशन वापसी यात्रा कलकत्ता यात्रा एल्बम से कुछ यादें .......

कविता हूँ... यूँ ही कलम की नोक पर नहीं आती! मन की गांठे खोल कर थोड़ा सा झुकना होगा, अक्षरों को सहेज कर उठाने के लिए... समय की आंच में थोड़ा सा पकना होगा, बहना होगा निर्विकार नदिया कहलाने के लिए... फिर मिलूंगी मैं तुम्हें अक्षर अक्षर में मुस्काती कविता....

उम्मीद बनाये रखें कौन जाने , कब , कहाँ वो राह भूल जाएँ | अपनी उमीदों की शमां को जलाये रखिये | बारिशे तो आती है तूफ़ान गुजर जातें हैं | अपने पाँव को जमीं में जमा कर रखिये | घर की ये बात है निकले न घर से बाहर | आप बस खिड़की... 

उस पार नदी के तट पर बसा एक गांव पिता-पुत्र का एकांतिक वास पुत्र ने चलना सीखा जल पर दस वर्षों के तपोबल से उफनती निम्नगा की पार बिना बेड़ा सीखा तरंगिणी के पार जाना जाना कुलंकषा के उस पार जीवन को पिता ने चवन्नी...

पता है पता है पता है  वही श्वास ले रहा है हमारे, तुम्हारे, सबके शरीरों द्वारा वही धड़क रहा है... अस्तित्त्व भर लेता है खुद को  जब हम छोड़ते हैं श्वास और रिक्त होता है हमारे भरने पर... पता है ? यह सारा ब्रह...

फेसबुक हाय हाय…हाय हाय…बन्द करो ये फेसबुक- राजीव तनेजा इस बात में रत्ती भर भी संदेह नहीं कि आजकल चल रही सोशल नेटवर्किंग साईट्स जैसे याहू..ट्विटर और फेसबुक वगैरा में से फेसबुक सबसे ऊपर है... यहाँ पर हर व्यक्ति अपने किसी ना किसी तयशुदा मकसद से आय...

घर छोड़कर जाता छोटू जयपुर में हाल ही मे हुई एक घटना में माँ की डांट से व्यथित होकर दस साल के भाई और आठ साल की बहन ने घर छोड़ दिया। दोनों मासूम बिना सोचे समझे घर से निकल पड़े । यह सुखद रहा कि पुलिस इन्हें वापस घर ला पाई .

फिर कैसे पीड़ा को मूर्त रूप दे पाऊँ ? - जाने कौन सी वो पीड़ा है जो दर्द बनकर लफ़्ज़ों में उतर आती है मगर मुझसे ना मिल पाती है जब जब अंतस में कुलबुलाती है दर्द का दरिया बन बह जाती है मगर मुझसे न........

"अंजोरिया".... संध्या शर्मा - अंधियारे में ज्योत जगाता आया दीप जलाने वाला मुरझाये जीवन में हमने पाया फूल खिलाने वाला विरहा के पल-पल से उपजा मधुर मिलन का बीज निराला क्षितिज ओर से न... 

कैसा रहेगा आपके लिए 18 , 19 और 20 अप्रैल 2012 का दिन ?? .मेष लग्नवालों के लिए 18 , 19 और 20 अप्रैल 2012 को भाई , बहन , बंधु बांधवों का महत्व बढेगा , उनके कार्यक्रमों के साथ तालमेल बैठाने की आवश्यकता पड सकती है। प्रभावशाली लोगों से संबंध की मजबूती बनेगी, कुछ झंझ...

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में नमस्कार...........

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

हवा में उड़ने को जी करता है... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... सरकार ने इन्टरनेट पर निगरानी शुरू कर दी है. फेस बुक से लेकर ट्वीटर, यू ट्यूब, इ मेल  तक पूरी वेब दुनिया पर शिकंजा कसने में सरकार को जरा सी भी देर नहीं लगेगी. एक-एक क्लिक, सर्च, अपडेट, चेट पर भी निगरानी. आतंकी खतरों, साइबर सुरक्षा और गोपनीयता के चलते इन्टरनेट मोनिटरिंग का अभियान शुरू किया गया है...  लीजिये अब प्रस्तुत है आज की वार्ता मेरी पसंद के कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ....   

घर छोड़कर जाता छोटू जयपुर में हाल ही मे हुई एक घटना में माँ की डांट से व्यथित होकर दस साल के भाई समर और आठ साल की बहन विभा ने घर छोङ दिया। दोनों मासूम बिना सोचे समझे घर से निकल पङे । यह सुखद रहा कि पुलिस इन्हें वापस घर ला..

दर्द तुम्हारे होंठो की लाली में ... मेरी हसरतो का लहू झलकता है.. तुम्हारी गेसुओ की भीगी जुल्फों से .. मेरी आँखों का अश्क टपकता है .. मेरे दिल का जख्म है वह .. जो तेरे माथे पर बिंदिया बनकर चमकता है आगे मै क्या क.

वो एसी पागल लड़की थी.... ए चितेरे मेरा चित्र बनाओगे क्या ? एसा चित्र जो सच में मेरा हो मेरा दर्पण...बोलो बना सकोगे एसा चित्र ? एसा चित्र जिसमे इक रेगिस्तान हो जिसके बीचोबीच समुन्दर हो रेगिस्तान भी फेला हुआ और समुन्दर भी अथाह .इस...

वाह..क्या आम हैं !! मुझे तो आम खाना बहुत अच्छा लगता है. अंदमान में तो साल भर में दो-तीन बार आम होते थे, पर यहाँ इलाहाबाद में अब जाकर आम के दर्शन हुए हैं जब हम आपने घर में शिफ्ट हुए तो आम के पेड़ों पर सिर्फ बौर थीं, और आज जाकर ...

फरीकशराफत से अच्छा है ,कहीं बदतमीज हो जाना , दोस्त से अच्छा है, कहीं रकीब हो जाना - जिंदगी आसान नहीं , बे -अदब चौराहों पर , बे- नजीर से अच्छा है, कहीं नजीर हो जाना - क़त्ल होना बनता हो जब, हँस...

तमस की पीड़ा नींद आ रही.... अधखिले पुष्प क़लियों के स्फुरण में - उनके मुरझा के बंद होने की प्रक्रिया , पलकों में दुहराई जा रही.... । रात - तमस की पीड़ा का , विषपान करने - मुझे अपने पास बुला रही .... वह जानती है कि, उसकी...

कहाँ खो गयी संतुष्टी ?  कहाँ खो गयी संतुष्टी, कहाँ गये वे दिन जब होती थी एक रोटी बाँट लेते एक एक टुकड़ा और नहीं सोता कोई भूखा. लेकिन आज भूख रोटी की गयी है मर, लगी है अंधी दौड़ दौलत के पीछे कुचलते सब रिश्तों को अपने पैरों तले. ...

प्रश्न विवेक से उत्तर दे । ये सब कुछ आता गया मैं लिखता गया......कृपया कोई अन्यथा या निजी न ले मुझे मिलाकर :-) क्यों हमें जीवन में कभ...

महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी...नागपुर....international /national award महात्मा फुले प्रतिभा टेलेंट रिसर्च अकादमी........डॉ अनीता कपूर (कालिफोरिनिया ..U.S..A.से )..और डॉ अमर सिंह वधान (चंढीगढ़ से )महात्मा फुले प्रतिभा संशोधन अकादमी महाराष्ट्र द्वारा नागपुर में १४ अप्रेल २०१२ ...

हम रंग जमा दें दुनिया में, हम बात तुम्हारी क्यों माने ? कुछ रंग नहीं, कुछ माल नहीं कुछ मस्ती वाली बात नही, कुछ खर्च करो, कुछ ऐश करो कुछ डांस करें, कुछ हो जाए ! यदि मौज नहीं कोई धूम नहीं,हम बात तुम्हारी क्यों माने ? क्या कहते हो ? क्या करते हो है ध्यान कहाँ ?कु...

Untitled अब्र के हटते हंसी चाँद निकल आएगा देखना है हमें अब कितना वो शर्मायेगा उनकी आँखों में समंदर है सुना है हमने चलो दरिया मुकाम तक ये पहुँच जाएगा जुल्फों का साया अहवाब हमारा निकला कब ये सोचा था हंसी चाँद पे...

कवि,.. कवि क्या अपनी, परिभाषा लिख दूँ क्या अपनी,अभिलाषा लिख दूँ शस्त्र कलम को, जब भी कर दूँ तख्तो त्ताज ,बदल के रख दूँ केंद्र बिंदु, मष्तिक है मेरा नये विषय का , लगता फेरा लिखता जो , मन मेरा करता मेरी कलम से ... 

उस पार नदी के तट पर बसा एक गांव पिता-पुत्र का एकांतिक वास पुत्र ने चलना सीखा जल पर दस वर्षों के तपोबल से उफनती निम्नगा की पार बिना बेड़ा सीखा तरंगिणी के पार जाना जाना कुलंकषा के उस पार जीवन को पिता ने चवन्नी ...

.... हम आसमां टटोलते हैं... *हवा में उड़ने को जी करता है* *कभी पाँव रोकते हैं कभी ख्वाब रोकते हैं* *तस्सलिबक्ष जीवन में क्यों हम **आसमां **टटोलते हैं* * * *दरख़्त कांटो के कितने हमने सींचे* *सख्त बबूल पे पलाश देख हम क्यों रीझे* *फिर...

मैं देखता रहा :(सरे आम पिटते देखा उसे मालिक के हाथों चाय की दुकान पर क़ुसूर सिर्फ इतना था उन मासूम हाथों से गरम चाय छलक गयी थी साहब के जूतों पर और मैं चाह कर भी बना रहा कायर क्योंकि उसकी नौकरी बचानी थी उसे घर जाकर माँ के ह...

" एक स्पर्श हो दिल पे" ...कुछ 'टच-स्क्रीन' की तरह ....." 'त्वचा' ही एकमात्र ऐसी इन्द्रिय है जो मनुष्य का साथ मृत्यु तक देती है । 'आँख' ,'कान','जिह्वा' और 'नाक' तो अपने दायित्वों में असफल हो सकते हैं परन्तु 'त्वचा' जो एक प्रकार से मनुष्य का प्राकृतिक आवरण भी है... 

मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने ये कोई कविता नहीं सिर्फ मन के भाव है जो कल रात मेरी किताब में रखी इक पुरानी फोटो देख कर आये....प्रस्तुत है **** मेरी किताब के वो रुपहले पन्ने" जो अनछुए ही रह गए मेरे अब तक के जीवन में जिन्हें,..

पलकभर आसमान वक्त के दरिया में सभी मगरूर हो गए दौलत और शोहरत के नशे में चूर हो गए एक-एक कर सभी दोस्त दूर हो गए ?????? नादाँ दिल मेरे ...... ग़मगीन नहीं होना संग हमेशा रहकर तेरे गम सारे हर लूंगी उदासी भरे दो नैनो....
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में नमस्कार..........

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