सोमवार, 20 अगस्त 2012

खुशियाँ लेकर आया चाँद ईद का.... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... ईद का चाँद लेकर आए सभी के जीवन में नयी खुशियाँ , मिट जाये इंसानों में दूरियां...इसी दुआ के साथ आप सभी को वार्ता परिवार की ओर से  ईद मुबारक.... प्रस्तुत है आज की वार्ता कुछ खास लिंक्स के साथ...


जज़्बा-ऐ-दिल जज़्बा-ऐ-दिल जज़्बा-ऐ-दिल की कुछ ना कहो ऐ दोस्त...... मेरे दिल के जखम हैं कुछ इस कदर कि....... न सहते होता है और न भरते होता है........ उजला-कालावर्तमान के उजले मुखौटे के भीतर भविष्य का काला सच दबाए कुछ लोग चलते जाते हैं अपनी राह पूरे होशो हवास मे आत्मविश्वास मे वो जानते हैं भेड़चाल का परिणाम झूठ का सच मे बदलना है समय के साथ धुलना तो है ही इस सफेद... और बात है.. दिल में है और कुछ, ज़बां पे और बात है, बन आई है जो मेरी जां पे, और बात है.. हाँ आज लिख रहा हूं काग़ज़ों पे हाल-ए-दिल, इक दिन लिखूंगा आसमां पे, और बात है.. ताज़ा है ज़ख़्म, दुख रहा है, रो रहा हूं मैं, कल ...

 

सबब उदासी काआज के जन मानस में रहती निष्प्रह नितांत अकेली दिखती मितभाषी स्मित मुस्कान बिखेरती उदासी फिर भी छाई रहती उससे अलग न हो पाती पर सबब उदासी का किसी से न बांटती जब भी मन टटोलना चाहा शब्द अधरों तकआकार रुक...हस्तांतरण था !  *हाँ !* *ये आजादी नहीं ,* *सत्ता का हस्तांतरण था ,* *शासकों का ,* *काले -गोरे अंगरेजों का ,* *लाभ -हानि का खेल ,* *हित टकरा गए ,* *खिंच गयीं शमशीरें* *मारे गए निर्दोष ,जज्जबाती शेर ,* *पिस गयी निरीह आवाम /... खाप  क्लास लगी है वहीं...बरगद के चबूतरे पर गाँव के दद्दा सिखाएंगे कि लड़का लड़की प्यार कैसे करेंगे . मिलते ही...दिल के जुड़ने से पहले पूछेंगे ...गोत्र,धर्म जाति फिर अंदाज़ा कि पैसे से मजबूत है की नाही . उ...

एक बात जो कहनी है तुमसे ... *जाने क्यूँ अतीत का ये पन्ना इतना बेचैन सा है, हर शाम हवा के धीमे से थपेड़े से भी परेशान होकर फडफडाने लगता है... आज उस पन्ने को खोलते हुए एक सुकून सा लग रहा है... * ******************* वो पल अक्सर ही मेर...तुम से प्यार करने की ऋत छा गई है  * प्यार करने की ऋत।* *(courtesy-Google images)* ============= प्रिय दोस्तों, संसार में, मानव के अलावा सभी प्राणीओ के व्यवहार के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है,किंतु जब कोई मानव, प्रेम जैसे नाज़ुक और ...खुदा की ख्वाहिश *जीवन में **कई** साँझ को * *आँधियाँ आती रही* *डाली-डाली, झूम-झूमकर* *राग नया गाती रही ।* * * ** * * *टूटे कई हरे पत्ते भी, * *संग हवा के उड़ते रहे* *बसते थे जिस नीड़ के अंदर* *तिनकों में वो बिखरते रहे ।* * ...
 

ईद को कैसे कहूं मैं अब मुबारक ? - "ईद को कैसे कहूं मैं अब मुबारक ? खून जो फैला है सड़क पर वह भी तो मेरा ही है जिस वतन में हो रहा है यह रमजान की रस्मों की तरह उस देश का गुनाह है यह महज़ कि ...अल्लाह मेरे मुल्क में अम्नो अमाँ रहे - ईद मुबारक हो आप सभी को......... अल्लाह मेरे मुल्कमें अम्नो अमाँ रहे, इत्तेहाद भाईचारगीसदा यहाँ रहे| हर दिन ईद , हर रात दिवाली हो हिंदुस... बरसात से भीगी आज की सुबह... :-देव - बरखा रानी... ज़रा जम के बरसो... कल ही तो गर्मी से त्रस्त होकर हमनें इन्द्र देवता को याद किया और देखिए आज क्या झूम कर बरसे हैं... खिडकी खोलकर पानी के छींटो ... 

वक़्त बेवक्त याद आती है तेरी - * * *वक़्त बेवक्त याद आती है तेरी* *जैसे गहरे समंदर में रुकी सांसें हों मेरी* *ये सर्द एहसास दिल तक उतर आया है* *घनी रातों में साथ चलता तेरा ही साया है* *नम... जन्मदिन की मुबारकबाद गुलज़ार साहेब... - * **ओ मेरे यार जुलाहे....* *मुझको भी सिखला देते तुम * *शब्दों का बुनना ताना बाना... * *तो मैं भी कुछ ..प्रभात - आज अपना प्रभात ऐसा था आपका इससे भी खूबसूरत हो। 

 

" एक बहुत अच्छा प्लान है ,सर , वह बोली ....." सर, मैं आई.सी.आई.सी.आई से पायल बोल रही हूँ , आप अमित बोल रहे हैं न | हाँ ! पर आप कौन , किसने नंबर दिया आपको | वह बोली , सर आपका नंबर वी.आई.पी. नंबरों की लिस्ट में था , वहीँ से मिला है | ऐक्चुअली अभी हमार..राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद - डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन जाये, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बन जाये, वकील का बेटा वकील बन जाये, या अध्यापक का बेटा अध्यापक बन जाये तो इसे कोई भी परिवारवाद की... गरभ पूजा और पोला -----------  सांहड़ा देव (पार्श्व में) भारत में छत्तीसगढ की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान एवं छवि है। प्राचीन सभ्यताओं को अपने आंचल में समेटे इस अंचल में विभिन्न प्रकार के ...  

 

 अब देते हैं वार्ता को विराम नमस्कार....

रविवार, 19 अगस्त 2012

आज फ़िर कुछ तूफ़ानी करते हे -- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, राजभाटिया की नयी दुकान खुल रही है - भाई आज एक बात जो कई दिनो से मेरे दिमाग मे घुम रही हे कहना चाहता हूं, यह सुचना ही समझे, जो लोग विदेशी टूर पर( युरोप मे) लोगो को भेजते हे, अगर वो लोग चाहते हे कि उन्हे कोई स्थानीय ( यूरोपियन) लेकिन जन्म से भारतिय हो ओर इस सारे टूर को अलग अलग देशो मे घूमाये, तो भाई बंदा हाजिर है, मै आप के लोगो को अलग लग देशो मे जहां जहां आप ने टूर मे बताया होगा उन्हे घूमाऊंगा, और हमेशा भारतिय खाना उन्हें मिलेगा क्योकि मै कोई प्रोफ़ी नही बस बेठे बेठे मेरे दिमाग मे यह विचार आ गया... ओर मै चाहता हूं जल्द ही रिटायर मेंट ले लूं ओर फ़िर कुछ तूफ़ानी करते हैं...:) अब चलते हैं आज की वार्ता पर...


साईकिल यात्रा व देहरादून स्टेशन भ्रमण  यह यात्रा शुरु से यहाँ से देखे इस यात्रा का इस लेख से पहला भाग यहाँ से देखे। चौथे या पाँचवे दिन की बात है, शाम को यह तय हुआ था कि संदीप व बबलू को हरिद्धार या ऋषिक...सनातन वर्ण व्यवस्था ब्राह्मणोस्य मुखमासीत | बाहू राजन्यः कृतः |* *उरू तदस्य यद्वैश्यह | पद्भ्यां शुद्रो अजायत॥ * उपरोक्त पुरुष शुक्त श्लोक का अर्थ ये लगाया जाता है कि "मानस यग्य में उस विराट पुरुष द्वारा स्वें का उत्...हिंग्लिश बाल कविता बरसात के दिनों में एक अध्यापक ने विद्यार्थी से स्कूल ना आने का कारण पूछा तब उसने कुछ इस तरह से बताया .... इट वाज रैनिंग झमाझम । रोड पर आते थे जब हम । लेग माई फिसलिंग गिर पड़े हम । इसी वजह से कुड न...

यह कैसी आतंक पिपासा यज्ञ क्षेत्र यह विश्व समूचा, होम बने उड़ते विमान जब, विस्मय सबकी ही आँखों में, देखा उनको मँडराते नभ। मूर्त रूप दानवता बनकर, जीवन के सब नियम भुलाकर, तने खड़े गगनोन्मुख, उन पर टकराये थे नभ से आकर। ध्वंस बिछा...परमानेंट मेमोरी इरेज़र कुछ बेवकूफाना हरकतें - (किया कभी?) नए 'कटर' से पेंसिल... और दाँत से गन्ने - छिलकों की लंबाई का रिकॉर्ड तोड़ने-बनाने की कोशिश। फाउंटेन पेन में सूख गयी स्याही की खुशबू… बॉलपेन के रीफ़ील में स्याही ड...सरासर जान से खिलवाड़ प्रसंगवश* एक चर्चित जुमला है, रोम जब जल रहा था तब नीरो बांसुरी बजा रहा था। कुछ ऐसा ही हाल राज्य सरकार एवं उनके नुमाइंदों का है। इन दिनों दुर्ग-भिलाई में सरकारी भवनों से प्लास्टर उखड़ने की खबरें लगातार आ ...

तुम खेलो, युधिष्ठिर  फड़ बिछी है , चल रहा है दौर , तुम खेलो, युधिष्ठिर ! * खेल के पाँसे किसी के हाथ साध कर के फेंकता हर बार , और तुम भी एक हो , जिसको यहाँ चुन कर बिठाया , चाल चलने को किया तैयार . कौन बोलेगा तुम्हारे सामने ,... आजादी हमें खैरात में नहीं मिली है!! आजादी हमें खैरात में नहीं मिली है उसके लिए हमारे देश के अनेको देश भक्तों ने जान की बाजी लगाकर देश पर मर मिटने की कसम खाई और शहीद हुए. उनके वर्षों की तपस्या और बलिदान से हमने आजादी पाई है ". झंडा के सामन...दो बेचारे वह ड्राइवर था, बहुत अच्‍छा ड्राइवर था. दूर दूर तक लोगों ने उसकी ड्राइविंग के चर्चे सुन रखे थे. एक दि‍न उसने फ़ैसला कि‍या कि‍ चलो अपनी ही गाड़ी ख़रीद ली जाए. वह शोरूम जाकर बोला –‘लाला जी एक अच्‍छी सी कार...

१८ अगस्त १९४५ और नेताजी सुभाष चंद्र बोस नेताजी की मृत्यु १८ अगस्त १९४५ के दिन किसी विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी।* *( इस तथ्य को साबित करने के लिए आगे कुछ और तथ्य व चित्र आप सब के सामने रख रहा हूँ, यहाँ यह सपष्ट करना ठीक होगा कि यह सब तथ्य व ...नेक सलाह दे रहा हूँ यदि आप प्रोपर्टी में इन्वेस्टमेंट की सोच रहे है, और आगे चलकर आपका मकसद कोई अपना धंधा करने अथवा प्राइवेट सैक्टर में नौकरी करने का है तो बिना किसी लाग-लपेट, बिना किसी स्वार्थ के फ्री में यह नेक सलाह दूंगा कि...मुकम्मल हूँ मैं मीलों चली अपने ही अन्दर सूखता गया मैं का समंदर धुंधलाती हथेली गुमशुदा लकीर मन उचाट रमता फ़कीर यकायक दुनिया मेरी सिमटने लगी आवाज़ कोई मुझसे लिपटने लगी पर कोई कहीं नहीं बस मैं सब तरफ भीतर बहार बस म...

चलते चलते एक व्यंग्य चित्र :
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते  हैं ब्रेक के बाद, राम राम

शनिवार, 18 अगस्त 2012

न्यू मीडिया सोलह की उम्र का प्‍यार -- ब्लॉग4वार्ता----------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, समाचार है कि अलविदा की नमाज के बाद लखनउ में हजारों की भीड़ ने बर्मा की घटनाओं के बिरोध में जमकर उपद्रव किया.. मीडिया कर्मियों को विशेष तौर पर निशाने पर लिया गया और उनकी जमकर पिटाई की गई.. इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही . प्रेस लिखी गाड़ियों पर ढूंड -ढूंड कर किया गया हमला ... मार की जद में बो लोग भी आये जो अपनी गाड़ियों पर प्रेस का फर्जी स्टिकर लगाए हुए थे .... आजतक टीवी चैनल के प्रतिनिधि की गाड़ी तोड़ दी गई। इलाके में तोड़फोड़ और पथराव से शहर में अफरातफरी का माहौल हुआ पैदा ... चौक स्थित टीले वाली मस्जिद के बाहर से शुरू हुआ तोड़फोड़ और पथराव का सिलसिला शाम तक जारी रहा... अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर, प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक्स………
डिण्डौरी में स्वतंत्रता दिवस समारोह गरिमा पूर्वक मनाया गया. डिण्डौरी जिले में स्वतंत्रता दिवस समारोह गरिमा पूर्वक एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। स्थानीय पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि कलेक्टर श्री मदन कुमार ने ध्वजा रोहण किया और आय...अधूरी क्रांति ....पूरा स्वप्न ... भ्रष्टाचार को मिटाने की आस लिए जनता की आँखों की चमक बढ़ रही है ...अब तो सब सही होकर ही रहेगा ....इतने में फिर दृश्य बदल जाता है ....! *गतांक** **से आगे :-** * एक तरफ भ्रष्टाचार पर बात हो रही थी और लोग हैं ...बोलो भला कैसे तुम्हे बनाना ताज महल है मै मरने से क्षण क्षण घबराऊ बोलो इतनी उथल पुथल में प्रेम भला कैसे पनपेगा ? तुम जौहरी के जैसे गहरे हीरों सी रंगत गढ़ना चाहो मै नदिया के पत्थर सी उथली बिखरी बिखरी सी चलना चाहू तुम...
स्वैच्छिक मृत्यु का अधिकार क्यों नहीं? *नमस्कार! *कहते हैं जब कोई हम से दूर होता है तब ही उसकी सच्ची कीमत हमे पता चलती है और देखिये न मेरा चश्मा टूट गया :( अब एक पुराने चश्मे को ढूंढ कर निकाला है *(क्योंकि मेरे लिये चश्मे के बिना रहने का मतलब भ...गरभ पूजा और पोला भारत में छत्तीसगढ की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान एवं छवि है। प्राचीन सभ्यताओं को अपने आंचल में समेटे इस अंचल में विभिन्न प्रकार के कृषि से जुड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। जिन्हे स्थानीय...विक्रम और वेताल 3 इस बार वेताल ने हठ न छोड़ा निद्रा लीन विक्रम को उठाकर कर ली सवारी कंधे की राजन ये रेपीड फायर राउण्ड है न रोकना न टोकना तुम्हारा समय शुरू होता है अब आसान है किसी रिश्ते को बनाना? निभाना उससे कठिन? बनाये रख...
पण्डित नरोत्तम अब से ७५ वर्ष पहले उत्तराखंड का बागेश्वर एक छोटा सा कस्बा हुआ करता था. इलाके का बाजार यही होता था. तब ना बिजली थी और ना ही मोटर मार्ग. अब तो यहाँ डिग्री कॉलेज है, तब केवल एक प्राइमरी स्कूल होता था. बागेश्...सिंहता स्मृतियाँ मुझे, व्यग्र करती हैं , मेरा अतीत,वर्त्तमान , विश्लेषित करती हैं - मैं क्या हूँ ....? प्रतिस्पर्धा , ईर्ष्या,या मानदंड ? किसी की प्रतिष्ठा है - मेरा अपमान ! दांत गिनने , सवारी गांठने , मेरी...स्वतंत्रता दिवस पर काले बादल सामूहिक आवास का सबसे बड़ा लाभ यह है , प्रत्येक अवसर पर चाहे वह कोई धार्मिक त्यौहार हो या राष्ट्रीय पर्व , सब मिल जुल कर मनाते हैं . इस बार भी हमारी सोसायटी की प्रबंधन समिति ने धूम धाम से स्वतंत्रता दिवस म...
वजन बचपन में 'कागज की नाव' लड़कपन में 'ताश के महल' जवानी में 'बालू के घर' हमने भी बनाए हैं इनके डूबने, गिरने या ढह जाने का दर्द हमें भी हुआ है राह चलते ठोकरें हमने भी खाई हैं मगर नहीं आया कभी कोई 'शक्तिमान' मे...सोलह की उम्र का प्‍यार.... कैसा होता है सोलह की उम्र का प्‍यार.... पहली बारि‍श की सोंधी खुश्‍बू सा कच्‍चे अमरूद की गंध जैसा या होली के कच्‍चे रंग सा... कि सूरज की प्रखर ताप खुश्‍बू उड़ा दे कि वक्‍त की खुश्‍क हवाएं पोंछ दे दि‍ल से प्...राही मासूम रजा मैं एक फेरी बाला**” **से साभार उद्धरित -*** * (राही मासूम रजा)*** *प्रस्तुतकर्ता**: **प्रेम सागर सिंह*** *मेरा नाम मुसलमानों जैसा है** **मुझ को कत्ल करो और मेरे घर में आग ...
माँ की पुकार ...! न हिन्दू , न मुसलमान न सिख , न ईसाई . मेरे आँचल के लाल तुम सब हो भाई भाई गौर से देखो मुझे मै तुम सबकी माई . क्यूँ लड़ते हो आपस में बैर की भावना मन में क्यूँ समाई कर दोगे हज़ार टुकड़े , मेरे क्या यही कसम है त...आधा - अधूरा उस रात जब प्यार के लम्हे भीगी शब् में ढल रहे थे मीठे से एहसास दिल के हौले से रूह में उतर रहे थे तब अचानक कुछ महसूस किया था कि तुम्हारी ऊँगली धीरे धीरे मेरी पीठ पर कुछ लिख रही है समझ नही पायी थी मैं ...न्यू मीडिया की मंजिल अब दूर नहीं लगती. भोपाल- यूँ यह शहर अनजान कभी ना था. गैस त्रासदी , ताल तलैये और बदलते वक़्त के साथ न्यू मीडिया और हिंदी साहित्य के बढ़ते हुए क्षेत्र के रूप में भोपाल हमेशा ही चर्चा में सुनाई देता रहा. परन्तु कभी इस शहर के ...
चलते चलते एक व्यंग्य चित्र

पैचान कौन ...

 

वार्ता को देते हैं विराम मिलते हैं ब्रेक के बाद राम राम

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

कुछ तो है बात जो तहरीरो मे तासीर नहीं... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...  सुबह आती है तो पूर्वी क्षितिज पर काले अंधकार को चीरती लालिमा दिखाई देने लगती जो पूरा दिन स्फूर्ति से भर देती है, फिर धीरे-धीरे शाम होती है तो लगता है, जीवन का एक शिखर रूपी एक दिन और ढल गया और हम इंतजार करने लगते हैं, एक नई सुबह का, निरंतर चलता रहता है यही सिलसिला... आइये इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए चलते हैं आज की वार्ता पर, मेरी पसंद के कुछ लिंक्स के साथ...
 
तुम्हारी ही तो ज़िद थी, इश्क़ मेरा आज़माओगे..सनम, ग़र तुम क़दम इस राह पर, यूंही बढ़ाओगे, भरोसा इश्क़ से, सारे ज़माने का उठाओगे.. ख़ुदा हद बेवफ़ाई की, बना सकता तो था लेकिन, उसे मालूम था, क्या फ़ायदा, तुम पार जाओगे.. वो सारे ख़त, सभी तोह्फ़े, जला डाले...नाज़ुक दिल  *नाज़ुक दिल । (गीत)* * * * * * * *नाज़ुक दिल तोड़ने का, उसे भी अहसास था ।* * * *वो ज़ालिम यहीं - कहीं, मेरे ही आसपास था ।*सम्वेदना की नम धरा पर एक रात अपने जीवन की ** चिर पुरातन स्मृति मंजूषा में संग्रहित खट्टे मीठे अनुभवों के ढेर सारे बीज मुझेअनायास ही मिल गये ! लेकिन अल्पज्ञ हूँ ना नहीं जानती थी कौन सा बीज किस फूल का है ! ...

श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद  चंचल मन हो कर आकर्षित, जब विचलित हो इधर उधर. लौटा कर के उसे वहाँ से, उसे आत्म में ही स्थिर कर. (२६) रज गुण से जो मुक्त हो गया, पूर्ण शान्त उसका मन होता. है पाप रहित ऐसा...  उपहार प्रकृति के नव निधि आठों सिद्धि छिपी इस वृह्द वितान में जब भी जलधर खुश हो झूमें रिमझिम बरखा बरसे धरती अवगाहन करती अपनी प्रसन्नता बिखेरती हरियाली के रूप में | नदियां नाले हो जल प्लावित बहकते ,उफनते उद्द्वेलित हु... आश्वासनों और उम्मीदों का सब्जबाग ही आजादी नहीं!  उडीसा के एक ग्राम पंचायत में 15 अगस्‍त को नक्‍सलियो द्वारा फहराया गया काला झंडा भय और दहशत के बीच पूरे जोशो-खरोश के साथ देश ने अपना 65 वां जन्मदिन मनाया। विचारणीय विषय है कि आजादी के इतने साल हो जाने के बा... 
 
मेरी लेखनी क्यूं कुंठित हुइ जा रही *मेरी लेखनी क्यूं कुंठित हुइ जा रही * तुझे कागज़ की कोरी पन्नी क्यूं नही भा रही सोचती क्या दिन-रात तू तेरी उकेरी चंद पंक्तियाँ क्यूं जन -आशीष नहीं पा रही शब्द सागर भंवर जाल में व्यर्थ डूबती क्य...क्यों रक्त बह रहा है, मेरे देश वासियो?  स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर देश-वासियों को विलम्बित हार्दिक बधाई। तकनीकी कारणों से पोस्ट विलम्बित हुआ। अत: इस विलम्बित बधाई के लिये अत्यन्त विनम्रता पूर्वक क्षमा-याचना सहित प्रस्तुत है बस्तर के रचन... ( rashifal ) क्‍या करें क्‍या न करें 16और 17 अगस्‍त 2012 को ?? मेष लग्नवालों के लिए 16 और 17 अगस्त 2012 को भाई , बहन , बंधु बांधवों का महत्व बढेगा , उनके कार्यक्रमों के साथ तालमेल बैठाने की आवश्यकता पड सकती है। प्रभावशाली लोगों से संबंध की मजबूती बनेगी। कुछ झंझटों ...

मनमोहन सिंह जी की व्यथा - व्यंग पंद्रह अगस्त का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज के दिन हीं देश आज़ाद हुआ था और आज के दिन हीं हम अपने प्रधान मंत्री जी को बोलते हुए देख पाते हैं, भाषण देते हुए। आज सारे देश में हर्ष और उल्लास है, लेकिन मनमोहन सि... लाल.... *तज दियो है लाल रंग ,* *उजलों ही अब भाए रे ,* *धूल धूसर में भी लाग्यो रे चोखा ,* *म्याहरे शिव भी उसमे समाये रे ,* *सब रंगों का है एक रंग ये ,* *उजलों ही अब भाए रे .....* *हाँ –* *उजलों ही अब भाए रे ... सच बोलने की सजा .स्वतंत्रता दिवस पर टीचर ने निबंध लिखने को दिया . सभी बच्चों ने निबंध लिखा और पास हो गए सिर्फ एक बच्चा फेल हो गया क्योंकि उसने लिखा था -------- स्वतंत्रता दिवस पर हमारे प्रधानमंत्री लालकिले पर तिरंगा फहरा.....
 
अधूरी क्रांति ....पूरा स्वप्न - भ्रष्टाचार को मिटाने की आस लिए जनता की आँखों की चमक बढ़ रही है ...अब तो सब सही होकर ही रहेगा ....इतने में फिर दृश्य बदल जाता है ....!... तुम लम्हा हो कि खामोशी ??? - तुम लम्हा हो कि खामोशी पूछ लिया जब उसने दर्दे दिल भी मुस्कुराकर सिमट गया खुद मे ढूँढती हूँ खुद मे लम्हों का सफ़र बूझती हूँ खुद से खामोशी का कहर ना लम्... .क़त्ल........ - *क़त्ल........* *कई बार हमारे ज़ज्बातों का * *क़त्ल हो जाता है किसी के हाथों * *और न हम इलज़ाम दे पाते हैं,* *न कातिल को ही इल्म होता है* *कि उसने क़त्ल क...

" डरो-मत , मुकाबला करो,इन दंगाइयों का " !! - * मुकाबला करने वाले सभी मित्रों को मेरा झुक कर सलाम !! ** ...  महफूज ... - मत मारो, तुम मत पकड़ो, उन सत्ता के दामादों को भले चाहे वो तोड़ के रख दें, अहिंसा की दीवारों को ? ... हे 'सांई', महफूज रखना तू मेरे दिल का जहाँ वहा... कुछ तो है बात जो तहरीरो मे तासीर नहीं ... - लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश के समक्ष उपस्थित समस्याओं का उल्लेख करते हुए उनका सामना करने की जो प्रतिबद्धता व्यक्त की उसमें कुछ भ... 


https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNKpbGsjMP3-lHX2IGBon0YnNAkD9EdJlYPl6QTLpVfLPs3QWpx0zsnFZXJU0CmiXJaflG3-mRvwC3n6hj86QordrYh6keZwguPUyABtJJOV3p7TGahVVK1kbPeJJxO7wX66a-QujODS8/s1600/15.8.2012.jpg ....

वार्ता को देते हैं विराम नमस्कार...................

गुरुवार, 16 अगस्त 2012

स्वतंत्रता के बदलते मायने... ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

नमस्‍कार , 15 अगस्‍त 1947 को हमारे देश को स्वतंत्रता (आज़ादी).. मिली थी , अब कुछ भले ही कह दें कि आज़ादी नहीं, सत्ता के हस्तांतरण की संधि थी वो ,यह कैसी स्वतंत्रता ? पर इसे मानना मुश्किल है , अब देखिए कैसा था  स्वतंत्रता दिवस तब .........और अब........   उस वक्‍त की मसीही आज़ादी   पर भी नजर डालिए। आज  हमारी आज़ादी का पैंसठवा वर्ष पूरा हुआ और हम स्वतंत्रता दिवस मना सकते हैं...क्योंकि हम आज़ाद हैं । भले कोई कहता रहे कैसी स्वतंत्रता, कैसा जश्न? पर  देशभर में जश्न की लहर...  बनी रही। एक ब्‍लोगर ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुछ देशभक्ति के गीत पोस्‍ट किए हैं , फिर भी बहुतों का चिंतन है कि अभी 'भारत' आज़ाद होना बाकी है.......       मनुष्‍य भला आजाद कैसे हो सकता है , आजाद तो पंछी हैं  हर वक्‍त खुला आसमान होता है उन्‍हें उडने के लिए। 
   
66वें स्वतंत्रता दिवस के पूर्व संध्या पर देश के 13वें राष्ट्रपति महामहिम श्री प्रणव मुखर्जी ने  लोकतांत्रिक संस्थाओं कोबचाने पर जोर दिया और अर्थ व्यवस्था के लक्ष्य बतौर समाजवादी जमाने की याद दिलाते हुए गरीबी उन्मूलन की सर्वोच्च प्राथमिकता तय की,  लोग पूछ रहे हैं ,  बांसुरी नई तो सुर पुराना क्‍यो ?       लोकतंत्र और भ्रष्टाचार  का ऐसा सहसंबंध नहीं होना चाहिए, संसद की पवित्रता बनी रहनी चाहिए। स्‍वतंत्र होने के बाद भी हमारा देश  गुलामी की ओर अग्रसरित हो रहा है।  ब्‍लोगरों के मध्‍य कम नहीं हो रहा  स्‍वतंत्रता दिवस चिंतन  ।। भारत के गुण... याद रखकर   हम अपनी ग़ुलामी की जंजीरें --- को काट सकते हैं। हमें चिंतन करना होगा कि   कहीं हम फिर से सन् 1947 के पीछे की तरफ तो नहीं जा रहे हैं? कल पीएम जी मर्ज़ तो गिना दिए दवा कहां है?   बिना दवा के तरक्‍की बहुत मुश्किल है।

 बचपन से ही स्वतंत्रता दिवस:याद का बोझ  ककम नहीं है लोगों के मनोमस्तिष्‍क में। स्व्तंत्रता दिवस की मेरी यादें कहीं प्रकाशित हुई हैं , तो कहीं कहीं तो ये है पंद्रह अगस्त ..... , हमें नहीं चाहिए ऐसी स्वतंत्रताआजादी के 65 साल और हम... कहां हैं आज ? आखिर हमें मिली है स्वतंत्रता .....या ......स्वतंत्रता का भ्रम  ? चिंतन आवश्‍यक है स्वतंत्रता @ 15 August 2012   आखिर  हम स्वतंत्रता दिवस क्यों मानते हैं आज़ादी से कुछ सवाल ...... आवश्‍यक है     , कुछ पोते पोतियां याद कर रहे हैं मिस यू बाबा !   जो भी हो , आजादी का दिन है प्यारा..     , चाहे जब पूर्ण होंगे स्वाधीनता के मायने .....     नई परिभाषा से भी वरिष्ठ नागरिक हुई हमारी आज़ादी

 स्‍वतंत्रता-दिवस पर दिनकर-स्‍मरण करना आवश्‍यक है , सवाल स्वतंत्रता को लेकर...?   प्रतियोंगिता में स्वतंत्रता दिवस पर बच्चों के चार भाषण पढकर बच्‍चों की प्रतिभा और जज्‍बे का अनुमान लगाया जा सकता है ,अब उन्‍हें सच बोलने की सजा  मिल जाए तो क्‍या किया जा सकता है ?  इसके बाद भी   ब्लॉग एडिटर का स्वतंत्र दिवस पर सन्देश  आया है , युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास से रूबरू करायें..., उन्‍हें बताएं कि सच्ची आजा़दी के लिए..  लडनेवाले   सावरकर आज भी है  , यह भी कि  कैरियर या राष्ट्र   में से महत्‍वपूर्ण कौन है ? ‘स्वतंत्रता’ या ‘इंडिपेंडेंस’? क्‍या चाहिए उन्‍हें?   केवल आजादी का जश्न मनाने से क्या होता हैं कामवाली को समझिये और उसका सम्मान करना भी सीखिये . अपने घर से शुरू करिये और देश में सुधार खुद होगा .    और  इस बदलाव का स्वागत कीजिए स्वतंत्रता दिवस पर विशेष   रूप से।   

 खैर आज जो भी है वतन , निराशाजनक स्थिति में नहीं है , इसमें सुधार की बहुत संभावनाएं बनी हुई हैं। वैसे समय के साथ स्वतंत्रता के बदलते मायने...।  माचिसों ने कैसे बयान की अपनी और आजाद हिंदुस्तान की कहानी! कुछ कहते हैं कि वास्तव में स्वतंत्रता नहीं आई  और कुछ को देखिए इनकी आजादी अभिशाप बन गयी |    इन्‍हों समझना चाहिए कि  आजादी का मन्तव्य क्या ?).................... हम इसे सही ढंग से समझ पाएं तभी  स्वतंत्रता-दिवस की सार्थकता /  रहेगी ,  झंडा ऊँचा रहेगा हमारा । 

बुधवार, 15 अगस्त 2012

झूठे ख्‍वाव सी आजादी का वास्‍ता मत दे, ... ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

 नमस्‍कार ..आजादी का 65वां स्वतंत्रता दिवस आने पर हमारा मन गदगद हो उठा। पिछले साल हमने 65वां स्वतंत्रता  दिवस मनाया था और अब वह दिन दूर नहीं जब देश को आजाद हुए 100 वर्ष पूरे हो जायेंगे। अब आजाद हुए  हिन्दुस्तान को 100 वर्ष पूरे होने में मात्र 35 वर्ष ही शेष है। यह भी जल्द ही जा जायेंगे और फिर हम अपनी  आजादी का 100वां वर्ष बड़े ही धूमधाम के साथ मनायेंगे।

एक और स्वतंत्रता दिवस.....एक और मौका जब  हम "आई लव माई इंडिया" कहकर यह जता सके कि भाई हमें भी इंडिया की बड़ी चिंता हैं .....(सच मे हैं क्या??) हमें आज़ाद (?) हुए 65 वर्ष हो गए ,और इन 65 वर्षों में एक काम करने वाला व्यक्ति अपने जीवन का  दो तिहाई से अधिक हिस्सा समाप्त कर चूका होता है (अब तो 65-70 मे ही निकल लेते हैं)| आज़ादी के इन 65 ’’वर्षों में हमने क्या पाया और क्या खोया ??
दिल्ली ने !
अतीत के
अनगिनत उत्सव देखे हैं,
चक्रवर्ती सम्राटों के राजतिलक देखे हैं,
शत्रुओं की पराजय देखी,
विजय का विलास देखा,
अपूर्व उल्लास देखा,
परन्तु...
ऐसी एक घड़ी आई
जब...
सूर्योदय और सूर्यास्त का
अंतर मिटते देखा,


नमन है उन वीर जवानों को
जो देश की खातिर कुर्बान हुए
देश पर मर मिटनेवाले
वे वीर देश की शान हुए
पंद्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है.
सपने सच होने बाकी हैं रावी की सपथ न पूरी है.
शहरों के फुटपाथों पर जो आंधी पानी सहते हैं.
उनसे पूछो वो आजादी के बारे में क्या कहते हैं

थाम तिरंगा हाथ में, आओ मिलकर जश्न मनाएं ।।

दे सलामी तिरंगे को, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत हम गाएं।

आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

याद करें उन अमर जवानों, शहीदों को आज हम,

जो इस भारत देश की खातिर मर मिट गए ।

पुलकित मेरा उद्-बोधन है, स्वतंत्रता-दिवस का क्षण है

गर्वानुभूति प्रकट करें हम, ह्रदय-हर्षित भीगा अंजन है

रोम-रोम दायित्व भरा जो, कल था वो आज भी है

हों चुनौतियां क्षितिज पे चाहें, पार करें परवाज़ भी है

वचनबद्ध कर लिए खड़े हम, अटल लक्ष्य का ये प्रण है

गर्वानुभूति प्रकट करें हम, ह्रदय-हर्षित भीगा अंजन है

भारत है वीरों की धरती, अगणित हुए नरेश।

मीरा, तुलसी, सूर, कबीरा, योगी और दरवेश।

एक हमारी राष्ट्र की भाषा, एक रहेगा देश।

कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
है कुदाल सी नीयत प्रायः, बदल रहा परिवेश।
कैसे बचेगा भारत देश?
बड़े हुए लिख, पढ़ते, सुनते, यह धरती है पावन।
जहां पे कचड़े चुन चुन करके, चलता लाखों जीवन।
दिल्ली में नित होली दिवाली, नहीं गाँव का क्लेश।
कैसे बचेगा भारत देश?
स्वतंत्रता दिवस की इस पूर्व सांझ पर
जब मैं चारों और नजरें घुमाता हूँ
नजर आता है एक धुंधलका
खोये हुए चेहरे
भटके हुए लोग
दम तोडती उम्मीदें
दफने हुए आदर्श !
एक शाम की बात
न मनोवैज्ञानिक , या अध्यापिका की नज़र से
वर्णन कर रही हूँ।
बस आम आदमी के कलम से
लिख रही हूँ।
क्या पाया , क्या खोया
हमने और देश ने स्वतन्त्र भारत के इस पर्व पे
सोच रही हूँ।
झूठे ख्‍वाव सी आजादी का वास्‍ता मत दे,
या खुदा मुझको ये सहारा मत दे,
टूट जाएंगी सब जंजीरें जुल्‍मों सितम की,
मुझको है तजुर्बा मुझे दगा मत दे।
अब भी भूखे हैं बच्‍चे उनके, जिनने पाला,

उनको उनके किए की सजा मत दे,

ना तन पे उजले कपड़े हैं
ना जीवन में सुखद क्षण
आज तरंगे के सम्मुख
कैसे जपे जन गण मन
भ्रष्टता की बढ़ी आबादी कैसी ये आजादी ,कैसी ये आजादी ?

‘क्या आज़ादी तीन थके हुए रंगों का नाम है,जिन्हें एक पहिया ढोता है,या इसका कोई ख़ास मतलब होता है’ धूमिल की ये पंक्तियाँ आज भी ज़हन में कई सवाल छोड़ जाती....आज़ादी...हम आज़ाद है, ये कहने पर एक बंधू बोल पड़े - क्यों मजाक करते हो भाई?कैसा चाहिए भारत...................? भारत विभिन्नताओं का देश है, ' अनेकता में एकता ' का नारा आज इसकी पहचान बन चुका है. दुनिया की तीसरी बड़ी उभरती हुई शक्ति के रूप में अपना एक मुकाम हासिल करता जा रहा है. ये तस्वीर का एक पहलू है पर दूसरा पहलू भी वाकई ऐसा ही है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि भारत में भूख, बीमारी और गरीबी के खिलाफ दूसरी आजादी की लड़ाई छेडऩे की जरूरत है, ताकि ये हमेशा के लिए समाप्त हो जाएं। राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने सम्बोधन में कहा, ‘‘हमें अब दूसरी आजादी की लड़ाई छेडऩे की जरूरत है, ताकि भारत भूख, बीमारी और गरीबी से हमेशा के लिए मुक्त हो जाए।

जैसा की हम सभी जानते है कि सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ का आरम्भ किया महर्षि दयानन्द सरस्वती ने और इस यज्ञ को पहली आहुति दी मंगल पांडे ने। देखते ही देखते यह यज्ञ चारों ओर फैल गया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्यां टोपे और नाना राव जैसे योद्धाओं ने इस स्वतंत्रता के यज्ञ में अपने रक्त की आहुति दी। दूसरे चरण में 'सरफरोशी की तमन्ना' लिए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव आदि देश के लिए शहीद हो गए। आपने अक्सर लोगों को नारी स्वतंत्रता के विषय में बात करते सुना होगा और शायद लोगों की नज़र में काफी हद तक नारी स्वतन्त्र हो भी चुकी है, पर क्या ये स्वतंत्रता सही मायने में नारी-स्वातंत्र्य है... क्या वेशभूषा, भाषा में क्रांतिकारी बदलाव, घूमना-फिरना, मनमानी आज़ादी यही नारी स्वतंत्रता है? क्या हासिल हुआ इस स्वतंत्रता से समाज को और नारी को भी.....??

"सभी राष्‍ट्रों के लिए एक ध्‍वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्‍यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्‍ट करना पाप होगा। ध्‍वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्‍व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिकों के लिए ध्‍वज पर बने सितारे और पट्टियों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्‍लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्‍द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आहवान करता है।" मैं आपका अपना ‘राष्ट्रीयध्वज’ बोल रहा हूं। मेरे बारे में आपको संपूर्ण जानकारी नहीं दी गई। क्यों नहीं दी गई? कौन जिम्मेदार है? यह प्रश्न यहां आचित्यहीन है। अत: मैं स्वयं आपके सामने आया हूं। अपने बारे में आप सभी को बताने के लिए गुलामी की काली स्याह रात अंतिम प्रहर जब स्वतंत्रता के सूर्य के निकलने कासंकेत प्रभातबेला ने दिया, उस दिन 22 जुलाई 1947 को भारत की संविधान के सभा कक्ष में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुझे विश्व एवं भारत के नागरिकों के सामने प्रस्तुत किया। यह मेरा जन्म पल था।

ये तिरंगा नहीं हमारी जान है ;
फलक पर फहरता तिरंगा भारत का सम्मान है .
ते तिरंगा नहीं ................
लाखो देशभक्तों ने प्राण न्यौछावर किये ;
१५ अगस्त ४७ को तब आजाद हुए ,
याद दिलाता तिरंगा शहीदों की पहचान है .
ये तिरंगा नहीं .......
प्रथम स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दृढ़ प्रतिज्ञा लेते हुए यह घोषणा की थी कि हम निश्चय ही एक शक्तिशाली भारत का निर्माण करेंगे। यह भारत न केवल विचारों में, कार्यो में और संस्कृति में शक्तिशाली होगा, बल्कि मानवता की सेवा के मामले में भी आगे होगा। लेकिन क्या हम ऐसा सचमुच कर पाए? व्यंग/आजादी जिंदाबाद ! हैपी इंडीपैंडेस डे ! इंडीपैंडेस का मतलब होता है आजादी ! आजादी मतलब कुछ भी करने की आजादी ! दंगा - फसाद करने की आजादी , घोटाले करने की आजादी , रिश्वत लेने और देने की आजादी , अफवाहें फैलाने की आजादी , धर्म - जात और बिरादरी के नाम पर दुकानदारी चलाने की आजादी , अपना ईमान - धर्म बेचने की आजादी ..... वगैरह - वगैरह।हम आजाद हैं, हम आजाद थे और आजाद रहेंगे। 18 साल के बाद वोट करने का अधिकार आपके हाथ में है, जिससे आप सत्ता पलटने ताकत रखते हैं। भगवान आपकी तरफ तलवार फेंकता है, यह निर्भर आप पर करता है कि आप उसको धार से पकड़ना चाहेंगे या हत्‍थे से। वोट का अधिकार सरकार द्वारा फेंकी तलवार है, अब निर्भर आप पर करता है कि आप लहू लहान होते हैं या फिर उसका औजार की तरह इस्‍तेमाल करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !




मंगलवार, 14 अगस्त 2012

सचमुच! जनता भैंस, तो बाबा के हाथ में पूंछ? ......... ब्लॉग4वार्ता ....... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार , फेसबुक पर अनिल पुसदकर कह रहे हैं.....एक और वाक्या याद आ रहा है वो है शाहरूख खान की फिल्म के प्रदर्शन के समय का.सारे देश में फिल्म का प्रदर्शन जरुरी हो गया था और उसका विरोध करने वाले साम्प्रदायिक और कथित भगवा आतंकवादी.पर आज इतना कुछ हो गया मगर वाह रे मीडिया एक बार भी ये नही बताया कि कौन लोग थे हिंसा करने वाले?किस रंग के थे?किस धर्म के थे?किस तरह का प्रदर्शन था ये?शायद इसिलिये प्रदर्शनकारियों ने जिनकी तरफदारी में मीडिया हमेशा लेटा हुआ रह्ता था,उसे ही अपने गुस्से का शिकार बना दिया.अब देश की अखण्डता खतरे में नही आ रही है? अब चलते हैं  की वार्ता  पर.......
 
वो घूरते हैं ज़िस्मों कोवो घूरते हैं ज़िस्मों को, अपनी ऐनक चॅढी आँखों से!! और घर में जाके बनते हैं, बच्चों के आगे शरीफ इंसान!! बस दाँत ही बाहर नहीं आते, उनकी हवस की गनीमत है!! वरना आँखों के रास्ते ही , वे पेबस्त होना चाहते हैं!! क...कोई ऐसी रात आएमेरे ख्वाबों से भरी कोई ऐसी रात आए... तू जब भी बात करे फिर, तो मेरी बात आए... चलो ढूँढे कोई दुनिया, जहाँ मोहब्बत में... न उम्र, न कोई मज़हब, न कोई जात आए.... इश्क़ करने की इस आदत से परेशान हूँ मैं... मेरी...सचमुचसचमुच! ये सब ज्यों का त्यों हो रहा है मुझमें कोई आवाज़! किसी की बात किसी का होना ना होते हुए भी छू रहा है मेरे ज़ेहन को किसी के छू लेने का एहसास मेरे बाहर भीतर आस पास मुझे जकड़ता जा रहा है मेरे ही हाथों स...

अद्रश्य भय से.. मै , सोते हुए भी आँखें नहीं मूंदना चाहता डरता हूँ कही न खुलीं तो एक भय कहीं दूर तक मेरे अंतर्मन मे घर किये बैठा है नस्वर शरीर को नस्वरता प्रदान करने के लिए कोई छिपकर बैठा है आत्मा से अलग मेरे ही शरीर मे...श्याम हमारे आओ .मुरारी मुरली आज बजाओ ! भक्ति की गंगा जमुना में तुम भक्तों को नहलाओ , वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में आओ रास रचाओ , यमुना तट पर फिर मनमोहन मीठे राग सुनाओ , क्यों तुम रूठ गये हो कान्हा यह तो हमें बताओ , भारतवास..." रेस्त्रां , वेटर और टिप.रेस्त्रां में प्रायः तो खाने का शौक नहीं , क्योंकि घर के खाने क़ी बात ही कुछ और होती है , पर कभी कभार बच्चों के आग्रह पर , जब वे अपनी मम्मी को खुश करना चाहते हैं , बाहर खाना हो जाता है | ( बना बनाया खाना...

ऐसा भी कोई मित्र होता है भला ?इन्टरनेट पर एक अलग फेसबुक समाज की स्थापना हो चुकी है , आभासी दुनिया की सीमा को लांघ कर यहाँ भी वास्तविक जीवन के सारे गुण दोष , अफवाहें , आरोप , प्रेम , तकरार , नफरत अपनी पूरी भावप्रवणता के साथ मौजूद हैं . .ज़रूरी नहीं ...ज़रूरी यह नहीं कि प्रेम कितनी बार हुआ एक बार हुआ या कई बार ज़रूरी यह है कि जब हुआ ..जिससे हुआ उस वक्त हम उसके साथ पूरी तरह से थे या नहीं . उन पलों में जब थे साथ तब जिए पूर्ण ईमानदारी से मन-तन सब रहा उसके सा...गुप्तचर बनाम गुप्तचर जरायल के लोग अमेरिका की गुप्तचरी कर रहे हैं यह बात एक बार फिर समाचारों में है :यहूदी राज्य के नेताओं ने अभी हाल में जोनाथन पोलार्ड की रिहाई का अनुरोध किया है तथा एसोसियेटेड...

" शायर "सुबह से शाम , और शाम से सुबह ;* *ज़िन्दगी यूँ ही बेमानी है दोस्तों ....* *किसी अनजान सपने में ,* *एक जोगी ने कहा था ;* *कि, एक नज़्म लिखो तो कुछ साँसे उधार मिल जायेंगी ...* *शायर हूँ मैं ;* *और जिंदा हू...हिन्दी न्यूज चैनल की पत्रकारिता जंतर-मंतर की आवाज 10 जनपथ या 7 रेसकोर्स तक पहुंचेगी। देखिये इस बार भीड़ है ही नहीं। लोग गायब हैं। पहले वाला समां नहीं है। तो जंतर-मंतर की आवाज या यहां हो रहे अनशन का मतलब ही क्या है। तो क्या यह कहा जा सक...वक़्तभागता दौड़ता वक़्त बहुत ही मिन्नतों से एक पल के लिए आया था मेरी मुट्ठी में ठीक किसी गीले बादल सा और छोड़ गया अपनी नमी मेरी हथेलियों से आँखों की उपरी पलकों में न जाने कहाँ गया वह छोटे से हसीन वक़्त ...

फटेहालीचंद खिलाड़ियों के जज्बे से, आज शान-ए-वतन कायम है 'उदय' वर्ना, सिंहासन प्रेमियों के इरादे, .......... तो हैं माशा-अल्लाह ? ... 'उदय' अब हम कैसे समझाएं इन्हें, कि वे कोई बात सुनेंगे नहीं क्योंकि - उन...कुछ-२ सबको बांटे दिलबोयें नैना, काटे दिल, कुछ-२ सबको बांटे दिल, खुशियाँ मातम, लाये गम सूखी पलकें, कर दे नम, जख्मों को है छांटे दिल, कुछ-२ सबको बांटे दिल, पल में ज्यादा, पल में कम, लाये बारिश, का मौसम, वादा करके नाटे दिल...जनता भैंस, अन्‍ना के हाथ में सिंघ, तो बाबा के हाथ में पूंछअन्‍ना हजारे का अनशन एवं बाबा रामदेव का प्रदर्शन खत्‍म हो गया। अन्‍ना हजारे ने देश की बिगड़ी हालत सुधारने के लिए राजनीति में उतरने के विकल्‍प को चुन लिया, मगर अभी तक बाबा रामदेव ने किसी दूसरे विकल्‍प की त...

कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -35कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -35- कविता वर्मा की कहान... आगे पढ़ें: रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -35- कविता वर्मा की कहानी : और क्या करती? http://www.rachanakar.org/2012/08/35.html#ixzz23QrvlwF1 अरुण देव की कविताएँमैं ब्‍लागिंग की अपनी शुरूआत में काफी सक्रिय रहा...फिर ग़ायब-सा हो गया या कहिए कि होना पड़ा। इस बीच कुछ बहुत सुन्‍दर और सार्थक कर दिखाने वाले ब्‍लाग आए हिंदी में, जिन तक मैं देर में पहुंचा। *समालोचन* ऐसा...स्वतंत्रता दिवस..मैं आज़ाद भारत की जनता बेबस ,लाचार, लुटी -पिटी , जानवरों की तरह रहने की आदी...... यह शब्द सुनने मुझे अच्छे नहीं लगते .... क्यूँ कि वे सारे ही गुण मुझ में नहीं है ............ हाँ मैं सहनशील जरुर हूँ , पर कम...

 चलते चलते एक सवाल  ........

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम 

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