शनिवार, 18 अगस्त 2012

न्यू मीडिया सोलह की उम्र का प्‍यार -- ब्लॉग4वार्ता----------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, समाचार है कि अलविदा की नमाज के बाद लखनउ में हजारों की भीड़ ने बर्मा की घटनाओं के बिरोध में जमकर उपद्रव किया.. मीडिया कर्मियों को विशेष तौर पर निशाने पर लिया गया और उनकी जमकर पिटाई की गई.. इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही . प्रेस लिखी गाड़ियों पर ढूंड -ढूंड कर किया गया हमला ... मार की जद में बो लोग भी आये जो अपनी गाड़ियों पर प्रेस का फर्जी स्टिकर लगाए हुए थे .... आजतक टीवी चैनल के प्रतिनिधि की गाड़ी तोड़ दी गई। इलाके में तोड़फोड़ और पथराव से शहर में अफरातफरी का माहौल हुआ पैदा ... चौक स्थित टीले वाली मस्जिद के बाहर से शुरू हुआ तोड़फोड़ और पथराव का सिलसिला शाम तक जारी रहा... अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर, प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक्स………
डिण्डौरी में स्वतंत्रता दिवस समारोह गरिमा पूर्वक मनाया गया. डिण्डौरी जिले में स्वतंत्रता दिवस समारोह गरिमा पूर्वक एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। स्थानीय पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि कलेक्टर श्री मदन कुमार ने ध्वजा रोहण किया और आय...अधूरी क्रांति ....पूरा स्वप्न ... भ्रष्टाचार को मिटाने की आस लिए जनता की आँखों की चमक बढ़ रही है ...अब तो सब सही होकर ही रहेगा ....इतने में फिर दृश्य बदल जाता है ....! *गतांक** **से आगे :-** * एक तरफ भ्रष्टाचार पर बात हो रही थी और लोग हैं ...बोलो भला कैसे तुम्हे बनाना ताज महल है मै मरने से क्षण क्षण घबराऊ बोलो इतनी उथल पुथल में प्रेम भला कैसे पनपेगा ? तुम जौहरी के जैसे गहरे हीरों सी रंगत गढ़ना चाहो मै नदिया के पत्थर सी उथली बिखरी बिखरी सी चलना चाहू तुम...
स्वैच्छिक मृत्यु का अधिकार क्यों नहीं? *नमस्कार! *कहते हैं जब कोई हम से दूर होता है तब ही उसकी सच्ची कीमत हमे पता चलती है और देखिये न मेरा चश्मा टूट गया :( अब एक पुराने चश्मे को ढूंढ कर निकाला है *(क्योंकि मेरे लिये चश्मे के बिना रहने का मतलब भ...गरभ पूजा और पोला भारत में छत्तीसगढ की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान एवं छवि है। प्राचीन सभ्यताओं को अपने आंचल में समेटे इस अंचल में विभिन्न प्रकार के कृषि से जुड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। जिन्हे स्थानीय...विक्रम और वेताल 3 इस बार वेताल ने हठ न छोड़ा निद्रा लीन विक्रम को उठाकर कर ली सवारी कंधे की राजन ये रेपीड फायर राउण्ड है न रोकना न टोकना तुम्हारा समय शुरू होता है अब आसान है किसी रिश्ते को बनाना? निभाना उससे कठिन? बनाये रख...
पण्डित नरोत्तम अब से ७५ वर्ष पहले उत्तराखंड का बागेश्वर एक छोटा सा कस्बा हुआ करता था. इलाके का बाजार यही होता था. तब ना बिजली थी और ना ही मोटर मार्ग. अब तो यहाँ डिग्री कॉलेज है, तब केवल एक प्राइमरी स्कूल होता था. बागेश्...सिंहता स्मृतियाँ मुझे, व्यग्र करती हैं , मेरा अतीत,वर्त्तमान , विश्लेषित करती हैं - मैं क्या हूँ ....? प्रतिस्पर्धा , ईर्ष्या,या मानदंड ? किसी की प्रतिष्ठा है - मेरा अपमान ! दांत गिनने , सवारी गांठने , मेरी...स्वतंत्रता दिवस पर काले बादल सामूहिक आवास का सबसे बड़ा लाभ यह है , प्रत्येक अवसर पर चाहे वह कोई धार्मिक त्यौहार हो या राष्ट्रीय पर्व , सब मिल जुल कर मनाते हैं . इस बार भी हमारी सोसायटी की प्रबंधन समिति ने धूम धाम से स्वतंत्रता दिवस म...
वजन बचपन में 'कागज की नाव' लड़कपन में 'ताश के महल' जवानी में 'बालू के घर' हमने भी बनाए हैं इनके डूबने, गिरने या ढह जाने का दर्द हमें भी हुआ है राह चलते ठोकरें हमने भी खाई हैं मगर नहीं आया कभी कोई 'शक्तिमान' मे...सोलह की उम्र का प्‍यार.... कैसा होता है सोलह की उम्र का प्‍यार.... पहली बारि‍श की सोंधी खुश्‍बू सा कच्‍चे अमरूद की गंध जैसा या होली के कच्‍चे रंग सा... कि सूरज की प्रखर ताप खुश्‍बू उड़ा दे कि वक्‍त की खुश्‍क हवाएं पोंछ दे दि‍ल से प्...राही मासूम रजा मैं एक फेरी बाला**” **से साभार उद्धरित -*** * (राही मासूम रजा)*** *प्रस्तुतकर्ता**: **प्रेम सागर सिंह*** *मेरा नाम मुसलमानों जैसा है** **मुझ को कत्ल करो और मेरे घर में आग ...
माँ की पुकार ...! न हिन्दू , न मुसलमान न सिख , न ईसाई . मेरे आँचल के लाल तुम सब हो भाई भाई गौर से देखो मुझे मै तुम सबकी माई . क्यूँ लड़ते हो आपस में बैर की भावना मन में क्यूँ समाई कर दोगे हज़ार टुकड़े , मेरे क्या यही कसम है त...आधा - अधूरा उस रात जब प्यार के लम्हे भीगी शब् में ढल रहे थे मीठे से एहसास दिल के हौले से रूह में उतर रहे थे तब अचानक कुछ महसूस किया था कि तुम्हारी ऊँगली धीरे धीरे मेरी पीठ पर कुछ लिख रही है समझ नही पायी थी मैं ...न्यू मीडिया की मंजिल अब दूर नहीं लगती. भोपाल- यूँ यह शहर अनजान कभी ना था. गैस त्रासदी , ताल तलैये और बदलते वक़्त के साथ न्यू मीडिया और हिंदी साहित्य के बढ़ते हुए क्षेत्र के रूप में भोपाल हमेशा ही चर्चा में सुनाई देता रहा. परन्तु कभी इस शहर के ...
चलते चलते एक व्यंग्य चित्र

पैचान कौन ...

 

वार्ता को देते हैं विराम मिलते हैं ब्रेक के बाद राम राम

10 टिप्पणियाँ:

धार्मिक एवं जातीय गडबडियों के समय त्‍वरित एवं कठोर निर्णय लिये जाने की आपेक्षा होती है। लेकिन हमारे देश की सरकारें उसी में अक्षम होती हैं।
राष्‍ट्र की सेवा में समर्पित...

बहुत बढ़िया लिंक्स....
आभार इस वार्ता के लिए..
सादर
अनु

शीर्षक सहज ही आकर्षित करता है .....!

बढ़िया लिंक्स, सार्थक वार्ता के लिए आभार ...

सुन्दर लिंक संयोजन

बहुत बढिया लिंक्‍स ..

सुंदर वार्ता के लिए आभार !!

बढ़िया वार्ता और सार्थक विषय मिले.

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