
संध्या शर्मा का नमस्कार.....ये ब्लॉगिंग है जनाब !
जैसे हड्डी-शोरबा मिला शोख़ क़बाब
या गज़क लाजवाब
पर यहाँ नहीं है कोई नवाब
एक-दूजे का जोरदार हुकुम बजाइये
और नजराना में वही आह-वाह पाइये......लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ........
श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?
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श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?
आ रही सट्टालय से पुकार
है बुकी गरजता बार - बार
कर फिक्सिंग तू बटोर नोट अपार
सब कुछ मिले है तुरंत...