मंगलवार, 14 मई 2013

अहसासों के पंख...एक ब्लॉग नया सा ...ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , कल बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 430.65 अंक की भारी गिरावट के साथ 19,691.67 अंक पर आ गया। यह 27 फरवरी, 2012 के बाद सेंसेक्स की सबसे बड़ी गिरावट है। बंबई शेयर बाजार में चले भारी बिकवाली के दौर से निवेशकों की कुल पूंजी एक लाख करोड़ रुपये घट गई। प्रत्येक तीन में से दो शेयर नुकसान के साथ बंद हुए। सेंसेक्स की सभी 30 शेयर नुकसान दर्शाते बंद हुए। आईटीसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। कंपनी के शेयर में 5 फीसद से अधिक की गिरावट आई। बिकवाली के दौर के बीच निवेशकों की बाजार हैसियत एक लाख करोड़ रुपये घटकर 67,03,388.59 करोड़ रुपये रह गई। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की इस खास खबर के बाद चलते हैं आज की वार्ता पर .....

विचलित मन !*हर घर से होकर गुजरती नियति की गली है, * *न हीं मुकद्दर के आगे,वहाँ किसी की चली है, * *नीरस लम्हों के सफ़र में,किंतु सकूं के दो पल, * *जो हंसकर गुजार दे , वही जिन्दगी भली है। * * **पिछले तकरीबन एक माह से जिन्दगी की रेल, बस यूं समझिये कि पटरी से उतरी हुई है। पहले कम उम्र में एक परिजन की असामयिक मृत्यु से अस्त-व्यस्त था , और अब अपना प्रिय श्वान जोकि पिछले १3 वर्षों से घर में घर के एक सदस्य की भांति था, पिछले ४-५ दिनों से अन्न-जल त्यागकर इस बेदर्द जहां से प्रस्थान की तैयारी में है। खैर, यही दुनिया का दस्तूर है सोचकर विचलित मन ने बहलने की कोशिश में कुछ टूटा-फूटा काव्य समेटा है, प्रस्त... अधिक »

बेल बर्फी ** आइए बनाए बेल की स्वादिष्ट बर्फी । * सामाग्री :-* - एक किलो बेल का पल्प - आधा किलो चीनी - 150 ग्राम देशी घी - इलायची पावडर एक छोटा चम्मच - मेवे इच्छानुसार - 100 ग्राम खोया (यदि मिलाना चाहें) - 50 ग्राम काजू के टुकड़े सजाने के लिए * कैसे बनाए *:- बेल को तोड़ कर पल्प निकाल लें और बीजे साफ कर दें । अब भारी पेंदे की कड़ाही आग पर चढ़ा दें इसमे खोया डाल कर भून लें हल्का सुनहरा होने पर उतार कर ठंडा होने के लिए रख दें अब घी डाल कर गरम करें , बेल डालें थोड़ा भून लें जब घी और बेल अच्छी तरह से एकसार हो जाए भुनने की महक आने लगे तब चीनी और ... अधिक »

Vaan village (Laatu Devta) वाण गाँव की सम्पूर्ण सैर (लाटू देवता मन्दिर सहित) ROOPKUND-TUNGNATH 07 SANDEEP PANWAR अंधेरा होते-होते हम वाण पहुँच चुके थे। मनु भाई का पोर्टर कम गाईड़ कुवर सिंह काफ़ी पहले ही आगे भेज दिया गया था। उसे सामान बचा हुआ सामान वापिस करने के लिये कह दिया था। जैसे ही हम पोस्ट मास्टर गोपाल बिष्ट जी के यहाँ पहुँचे तो देखा कि कुवर सिंह सारे सामान सहित वही जमा हुआ है। मनु भाई गोपाल जी के यहाँ एक रात रुककर रुपकुन्ड़ के लिये गये थे। गोपाल जी यहाँ के ड़ाकिया Postman भी है। इसके साथ वह एक दुकान स्वयं चलाते है जो वाण स्टेशन के कच्चे सड़क मार्ग के एकदम आखिरी में ही आती है। म... अधिक »

क्षणिकाएं ! (१) *सुख और दुःख* ऐसा वक्त कब आएगा जब हम खुशी में बचे रहेंगे सरल और दर्द में अविकल न खुशी में चहकेंगे और न ही दुःख में होंगे विह्वल क्या हमारे जीते जी ऐसा वक्त आएगा जब हम चीजों को एक नज़र से देखने लगेंगे ? * ** * * (२ ) कवि बनना स्थगित कर दिया है* दर्द को कितना बताएँ हर तरफ मौजूद है. समय नहीं मेरे पास कि इस पर महाकाव्य लिखूं ! तुम मेरे खुशी के गीतों में ही दर्द बांच लेना, अपने दर्द को मेरी खुशी में तिरोहित कर देना, ऐसे ही जब तुम खुशी के नगमे गाओगे, मैं तुम्हारा दर्द जान जाऊँगा ! फ़िलहाल,मैंने कवि बनना स्थगि... अधिक »

स्वर्ण रेखा नदी तेरा असली नाम क्या है, स्वर्ण रेखा नदी? तू उस देश में बहती है जिस देश को कभी ‘सोने की चिड़िया’ कहते थे, उस राज्य में बहती है जिसे ‘झारखंड’ कहते हैं, उस जिले में बहती है जिसे ‘घाटशिला’ कहते हैं। क्या महज इसलिए ‘स्वर्ण रेखा’ कहलाई कि पहाड़ियों के पीछे अस्त होने से पहले सूर्य की सुनहरी किरणें कुछ पल के लिए खींच देती है तेरे आर-पार एक स्वर्णिम रेखा! या इसलिए कि तू अपने साथ बहाकर लाई थी कभी ताँबे और सोने के भंडार? जाऊँगा बनारस तो नहीं बता पाउँगा ‘माँ गंगा’ से तेरा हाल! तेरी इतनी बुरी हालत सुनकर दुखी होगी और डर जायेगी बेचारी। बहेलिए जैसे कतरते रहते हैं हाथ आई सुनहरी चिड़िया के पंख, लोभी जैस...अधिक »

कामवाली बाई शादी के मौसम में व्यस्त सभी बाई रहतीं सहन उन्हें करना पड़ता बिना उनके रहना पड़ता उफ यह नखरा बाई का आये दिन होते नागों का चाहे जब धर बैठ जातीं नित नए बहाने बनातीं यदि वेतन की हो कटौती टाटा कर चली जातीं लगता है जैसे हम गरजू हैं उनके आश्रय में पल रहे हैं पर कुछ कर नहीं पाते मन मसोस कर रह जाते | आशा

जज्बात वही आशिकी नया 1990 में आयी महेश भट्ट निर्देशित रोमांटिक फिल्म ‘आशिकी’ अपने समय की सफल फिल्मों में से एक है. लगभग 23 साल बाद भट्ट कैंप एक बार फिर प्यार के उसी जज्बात को नये अंदाज में ‘आशिकी टू’ से परदे पर परिभाषित करने जा रहा है. आदित्य रॉय कपूर और र्शद्धा कपूर इस फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं. इन सितारों का कहना है कि ‘आशिकी टू’ पुरानी ‘आशिकी’ से काफी अलग है. जैसे पीढ.ी में बदलाव आया है वैसे ही फिल्म की कहानी में भी कई परिवर्तन आये हैं. दोनों में कोई समानता है तो वह है खास प्रेम कहानी. आदित्य रॉय कपूर और र्शद्धा कपूर से इस फिल्म और उनके कैरियर पर हुई बातचीत के प्रमुख अंश राहुल रॉय औ... अधिक »

मामा भाँजा की रेल्वे कमाल : सुपर व्यंग “ कल्लू झाड़ूवाला पप्पू के कहने पर नौकरी के लिए रेल मंत्रालय पहुँचकर रेल्वे मंत्री से मिलने के लिए गया मगर वहाँ देखा तो बिलकुल रेल्वे के डिब्बो के माफिक ही लंबी लाइन लगी हुई थी जैसे देशभर से नौकरी के डिब्बे लेने कतार लगी हो सब के हाथ मे बक्से थे ओर इंतज़ार था .... मामा भाँजे की सुपर हीट जोड़ी से मिलने का ...मगर अंदर कुछ ओर चल रहा था ..... | “ ** सेमसंग फोनवालो पर कानूनी केस करो* “ भाँजे ,ये सेमसंग पर मस्त केस ठोक देते है “ बंसल जी ने कहा तो भाँजा बोला “ मगर क्यू ,उससे हमे क्या फायदा ? “ .... भाँजे ,ये सेमसंगवाले आजकल बहुत ही पैसा कमा रहे है वो भी हमारे ही ... अधिक »

.भृंगराज भृंगराज का नाम आप लोगों के लिए नया नहीं है। तमाम हेयर आयल के विज्ञापन रोज प्रकाशित होते हैं,उनमें भृंगराज की चर्चा बड़े जोर-शोर से की गयी होती है।केशों के लिए यह महत्वपूर्ण तो है ही लेकिन इसके अन्य औषधीय गुण शायद और ज्यादा महत्वपूर्ण लगते हैं मुझे। अकेले भृंगराज कायाकल्प करने में सक्षम है। अगर उसे सही तरीके से प्रयोग किया जाये तो।यहाँ तक कि कैंसर से आप इसके सहारे लड़ सकते हैं और जीत भी सकते हैं। भृंगराज के पौधे वर्षा के मौसम में खेतों के किनारे ,रेल लाइन के किनारे, खाली पड़ी जमीन पर ,बाग़ बगीचों में खुद ही उग जाते हैं। ये हमेशा हरे रहते हैं।इनके फूल पत्ते तने जड़ सब उ... अधिक »


अभिव्यक्तिमै नहीं जानती ये कविता कैसे बन कैसे बन गई ?एक क्षण कुछ महसूस किया और अगले एक मिनिट में यह रचना बन गई | घर में रखे पुराने सामान की तरह चमकाए जाते है, कभी कभी वो आज निर्जीव ही सही कभी जीवन्तता थी उनमे महकता था उनकी सांसो से घर चहकता था उनके बोलों से घर गूंजते थे अमृत वाणी से मंत्र सौंधी खुशबू से महकती थी रसोई भरे जाते थे कटोरदान ,पड़ोसियों के लिए किससे कहे ?कैसे कहे ? निर्जीव क्या बोलते है ? उनकी सारी खूबियों पर है प्रश्न चिन्ह ? बिताते है इस उक्ति के सहारे वो जीवन की शाम "कर लिया सो काम ,भज लिया सो राम "|

अहसासों के पंख...एक ब्लॉग नया सा ...एक परिचय शरद कुमार जी और उनके ब्लॉग से -- कुछ शेर बेटी के नाम एक मासूम सा ख्वाब और माँ ये रचनाएं हैं शरद कुमार जी के ब्लॉग *अहसासों के पंख* से ..

10 टिप्पणियाँ:

वार्ता बहुत शानदार लिंक्स से सजी है संध्या जी |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा

बढ़िया वार्ता .... नए ब्लॉग से परिचय हुआ ।

बहुत बढ़िया वार्ता प्रस्तुति ..आभार

बढ़िया वार्ता... सुन्दर लिंक्स... आभार

बढिया वार्ता संगीता जी, आपका कोटिश: आभार

वाह ! यहां भी बहुत कुछ है पएत्रने को। यही नहीं काफी भिन्नताएं हैं जायका भी अलग और नये ब्लाग्स के साथ दिग्गजों से रूबरू होने का अवसर बधाई ..

कृपया अपने विचार शेयर करें।
http://authorehsaas.blogspot.in/
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वाह ! यहां भी बहुत कुछ है पएत्रने को। यही नहीं काफी भिन्नताएं हैं जायका भी अलग और नये ब्लाग्स के साथ दिग्गजों से रूबरू होने का अवसर बधाई ..
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