बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

बसंत, तू क्या क्या रंग दिखायेगा ....? ब्लॉग4वार्ता -- संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, प्रस्तुत हैं  मेरी पसंद के कुछ लिंक ब्लॉग4वार्ता पर…………

रोज डे पर अपने मित्रों को !...
हम खुद गुलाब है किसी को क्या गुलाब दें इतने हैं लाज़बाब, कि अब क्या जबाब दें मुझको हर एक रस्म निभाने का शौक था कैसे हुए खराब, कि अब क्या जबाब दें अहसास की बातों को अहसास ही रहने दें मत पूछिए जनाब,...
सुनहरे कागज मै लिपटा हुआ सुबह एक ख़त मिला मुझको बीते हुए लम्हों के करीब बहुत करीब ले गया वह मुझको ख़त मै लिखा था- "तुम यादों का सफ़ीना साहिल पर छोड़ आये मेरी सूनी रातों मे एक चाँद छोड़ आये इन आँखों मे...
तुम जब भी बात करते हो मुझसे एक खनक सी होती है.. एक खुशी सी होती है ... आवाज़ में तुम्हारी , उन पलों में... मुझसे बात करने की बस,मेरे साथ होने की आज,वो नहीं थी... कई बार पूछा तुमसे कि,आखिर बात क्या है?...
आप कल्पना कीजिये कि वह वक्त कैंसा रहा होगा जब कोई अंग्रेज किसी गरीब और मजबूर भारतीय के घर के किसी सदस्य को नीलामी में खरीदकर, गुलाम बनाकर अपने किसी औपनिवेश पर जानवरों की तरह काम करवाने के लिए अपने साथ लेकर...
मेरे दिल में तुम्हारे लिये प्यार था तुमने उसे व्यापार समझा मैंने तुम्हारी प्रशंसा की तुमने उपहास समझा सोचा था-खुशियों को साझा करने से अपनेपन का एहसास बढ जायेगा गम साझा करेंगे तो ये आधा हो जायेगा पर पता नही...
मृत्यु कितनी दुखदाई अहसास उसका इससे भी गहरा उर में छिपे ग़मों को बाहर आने नहीं देता | पहचान हुई जब से साथ नहीं छोड़ा साथ चला साये सा लगने लगी रिक्तता गम के बिना | है दुनिया बाजार ग़मो ...
आया वसंत झूम के धूप ने पिया जब फूलों का अर्क भर गयी ऊर्जा उसके तन-बदन में....कल तक नजर आती थी जो कृश और कुम्हलाई आज कैसी खिल गयी है...वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है ! धरा ने ली अंगड़ाई भर दिया वनस्प...
हमें कोई हक नहीं है उंगली उठाने का,उन मजबूरियों को ढोते शरीर मात्र पर ;जो ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना के जीवन की रक्षा में हर पल एक आग में जल रहीं हैं|देह-व्यापार से घृणा करें,उन दलालों से घृणा करें,उन कार...
कभी कभी पंख लगा के उड़ता समय आभास नहीं होने देता किसी विशेष दिन का खास कर जब दिन ऐसे बीत रहे हों की इससे अच्छे दिन हो ही नहीं सकते ऐसे में अचानक ही जादुई कायनात अपने इन्द्रधनुष में छेद कर किसी विशेष ...
क्या क्या रंग दिखायेगा ....?
उसका यूँ मुझको तड़पाना क्या क्या रंग दिखायेगा दिल पर जादू सा कर जाना क्या क्या रंग दिखायेगा इन आँखों में तू ही तू है, कैसे और ख़्वाब पालूं ऐसी आँखों को छलकाना क्या क्या रंग दिखायेगा तुझको खुदा बनाकर... 
*आशा ऐसी वस्तु है, मिलती सबके पास, पास न हो कुछ भी मगर, हरदम रहती आस। आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ, एक वर्ष उद्यम भरा, महती इसका अर्थ। सुनी कभी तो जायगी, दुखियारे की टेर, ईश्वर के घर देर है, नह...
मन की उड़ान धरती में दफ़्न जब किसी प्राचीन नगर, मंदिर देवालय या अन्य संरचना के बाहर आने की सूचना मिलती है तो रोमांचित हो उठता हूँ। निर्माण करने वाले शिल्पकारों की कारीगरी देखने की इच्छा जागृत होकर व्याकुल क...

मिलते हैं अगली वार्ता में, तब तक इधर भी हो आएं

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

बदलाव की सुगबुगाहटें और इसबगोल की भूसी --- ब्लॉग4वार्ता -- संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने सोमवार को फेसबुक, याहू, गूगल और अन्य ऐसी वेबसाइट्स को आपत्तिजनक सामग्री हटाने के मुद्दे पर 15 दिनों के भीतर लिखित जवाब दायर करने का निर्देश दिया है।प्रशासनिक सिविल न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने वेब पृष्ठ पर आपत्तिजनक सामग्री प्रदर्शित करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट को चेतावनी दी।अदालत ने कहा कि वेबसाइट का कर्तव्य है कि आदेश पर अमल करते हुए वे अपमानजनक सामग्री को हटाएंगे।अदालत ने मामले को एक मार्च के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, "बचाव पक्ष को निश्चित रूप से 15 दिनों के भीतर लिखित बयान दर्ज करना होगा।"गूगल ने अनुपालन रिपोर्ट अदालत में जमा किया और कहा कि उसने निश्चित अपमानजनक सामग्रियों को वेबवाइट पर से हटा दिया है। देखना है , आगे क्‍या होता है ??

लोकप्रिय शायर -मुनव्वर राना की ग़ज़लें शायर -मुनव्वर राना सम्पर्क -09839050450 कई दशकों से अपने मुल्क और मुल्क की सरहदों को पार का गज़ल को हिन्दुस्तानी तहजीब में ढालकर लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचाने वाले लोकप्रिय शायर का नाम है सैयद मुनव्वर दल बदल गए यार सारे ! *मन-बुद्धि में धन,शोहरत के,चढ़ गए खुमार सारे,* *जिस्म दुर्बल नोचने को, हैं गिद्ध,वृक तैयार सारे। * ** *बर्दाश्त न थी पलभर जुदाई, परम जिस दोस्त की, * *वक्त ने जब चाल बदली, दलबदल गए यार सारे। * ** लोदी गार्डन में पिकनिक --दे हर उम्र में ज़वानी का अहसास--- सुखी रहने के लिए स्वस्थ रहना ज़रूरी है । और स्वस्थ रहने के लिए ज़रूरी है खुश रहना । ख़ुशी मिलती है जब मौसम सुहाना हो और दोस्तों का साथ हो । रविवार को सुबह तो बादल छाए थे लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही रिलायंस डिजिटल - विज्ञापन में लुभावने ऑफ़र और दुकान में ऑफ़र में फ़ेरबदल, जनता के साथ धोखाधड़ी Reliance Digital - Differ offer then Ad in Newspaper in Store शूक्रवार के टाइम्स ऑफ़ इंडिया का विज्ञापन रविवार को देखा, तो रविवार को ही तत्काल टीवी लेने का मन बनाया। ऑफ़र में लिखा था किसी भी सीटीवी के बदले इतनी छूट दी जायेगी, जिसमें कोई स्टार वगैरह नहीं था, 

फदील सुल्तानी : बुत फदील सुल्तानी का जन्म १९४८ में ईराक में हुआ था मगर १९७७ से वे लंदन में रह रहे हैं. उनकी कविताएँ तमाम साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं. अरबी में उन्होंने बहुत अनुवाद भी किए हैं. * * * * * *बुत...जगह-जगह से उठ रही हैं बदलाव की सुगबुगाहटें! 2012 की शुरुआत एक ऐसे समय में हुई है जब लीबिया में गद्दाफी की तानाशाही खत्म हो चुकी थी और विश्व के दूसरे कोनों से क्रांति की आवाजें सुनाई पड़ रही थीं। ज्यों-ज्यों 2012 आगे बढ़ रहा है अशांति बढ़ती जा रही ह...सिद्दीकी का चुनावी विज्ञापन उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जमात को लुभाने के लिए कानून मंत्री सिद्दीकी ने सभी चुनावी आचार संहिता को धत्ता बताते हुए मुस्लिम-आरक्षण का विज्ञापन देने की चेष्टा की। लेकिन एलेक्शन-कमीशन ने इस प्रकार के घटिया '


एक प्राकृतिक और चमत्कारिक औषधि इसबगोल की भूसी। आज के भाग-दौड के जमाने में खुद को चुस्त-दुरुस्त रखना टेढी खीर है। ना ढंग सेखाना हो पाता है ना सोना। हर समय अफरा-तफरी, पीछे छूट जाने का भय, काम का तनाव, भागते-भागते हीदिन-दोपहर-शाम निकलते जाते हैं। अनचाहे बालों का सही उपचार है लेज़र अनचाहे बाल महिलाओं की एक आम समस्या है। महिलाओं के चेहरे पर पुरुषों जैसे बाल आ जाने से बहुत ही दुखद स्थिति बन जाती है। आमतौर पर ठोड़ी और होंठ के ऊपर बाल आते हैं। *कारण * *हारमोनल **समस्याएँ* : महिलाओं....भय को हराना विनय बिहारी सिंह ऋषियों ने कहा है कि भय, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष आदि हानिकारक भावनाएं हैं। इनसे जितना दूर रहा जाए, अच्छा है। इनमें भय सबसे पहले है। मनुष्य को किसी रोग का, किसी अनहोनी का भय सताता रहता है।.

वह मन के हर कोने में व्याप्त हो! दुखी रहते हैं क्यूंकि भूल नहीं पाते हैं क्रोधित होता है मन और सब रस्ते खो जाते हैं सोचते हैं... फिर खुद को ही समझाते हैं वो ज्ञान चक्षु ( ? ) है ही नहीं अपने पास... तिकड़म इस जहान के हम समझ नहीं पाते हैं! मलुवा या हलुवा सामरिक मह्त्व की सड़क कहलाती है सर्पीले पथों से होते हुवे किसी तरह तिब्बत की सीमा को कहीं दूर से देख पाती है छू नहीं पाती है एक वर्ष से ज्यादा बीता जा रहा है प्राकृतिक आपदा का प्रभाव जैसा था वैसा ही है हर गु...इन दिनों मनचीता ताप है इन धूपीले दिनों में जिसे चाहने पर ओढ़ना है अनिच्छा होने पर, मुख मोड़ लेना… भोर में खिले मयंक को देखा-अदेखा किया जाता है जैसे . जनवरी विदा होकर ,फरवरी को सौंप गयी लंबे पहरों की बागडोर अलसुबह यूँ मिलते हुए, देखा है कभी दो जीवन? अपनी हथेलियों में कुछ बूंदें समेट कर ले आई हूँ, पत्तों पर से उन्हें उठाते हुए... नमी से भींग गया मेरा मन! उन बूंदों में कलम की नोक डुबो कर सोख ली कुछ आशाएं, सहर्ष ही बूंदों ने नोक को विश्वस्तता भी दी; कहाँ ...

उफ़ *उफ़ ..* *कितना अभिमान है मुझे* *अपने इन सुलझे धागों पर * *जिन्हें पल पल गाँठ पे गाँठ * *पर सुलझाया है * *कुछ सीधा सा डोर * *दिखता है अब दूर से * *सिमटा हुआ सा * *महसूस होता है ये दायरा..* *पर अब अंत में *...क्या सरकारी आरक्षण का फायदा सही लोगों को मिल पाता है? सरकार ने आरक्षण का प्रावधान इसलिए किया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग के जो लोग लोग सामान्य वर्ग से पीछे रह गए हैं, बराबरी पर आ जाएँ। अब मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को आरक्षण का फायदा मिला गवाक्षों से झांकते पल.. फरवरी के महीने में ठंडी हवाएं, अपने साथ यादों के झोकें भी इतनी तीव्रता से लेकर आती हैं कि शरीर में घुसकर हड्डियों को चीरती सी लगती हैं.फिर वही यादों के झोंके गर्म लिहाफ बनकर ढांप लेते हैं दिल को, .हम बुलबुल मस्त बहारों की, हम बात तुम्हारी क्यों मानें ? -सतीश सक्सेना *एक दिन सपने में पत्नी श्री से कुछ ऐसा ही सुना था ,समझ नहीं आया कि यह सपना था कि हकीकत ....* *हास्य रचना का आनंद महसूस करें, मुस्कराएं..... **ठहाका लगाएं ! * *हो सकें तो सुधर भी जाएँ ...* *:-)* * * *जब से ...

अंधेरों में, नाविल.. *चेहरे को* देखना कष्‍टकारी है, चेहरे से नज़र फेरकर लेखक स्‍त्री के पैर जांचने लगता है, मगर पैरों पर भी वही चेहरे की ही तस्‍वीर बुनी दीखती है. त्‍वचा खिंची-खिंची, रंग उड़ा-उड़ा. स्‍त्री के पैर भारी हैं. भ..."रूप तुम्हारा नया-नया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") *मित्रों !* *यह रचना मेरी पुरानी डायरी में लिखी हुई थी!* *आज आपके साथ साझा कर रहा हूँ!* *सतरंगी सा** **रूप तुम्हारा**,* *मुझको भाया नया-नया।* *सीपों में मोती बन आया**,* *रूप तुम्हारा नया-नया।*** *सागर के...आँखें ...तुम्हारी आँखें मादक ... जिज्ञासु ... नशीली हुई हैं ! क्या हुआ, क्या बात है कुछ बोलो कब तक, खामोश रहोगी बोलो कब तक ! क्या, मैं मान लूं ? तुम्हारी आँखों की बातें ! फिर मत कहना मैंने, पूछा नहीं !!अच्छे मौक़े का इल्म कभी-कभी वक़्त हमसे बहुत आगे निकल जाता है और हम उसे तलाशते रह जाते हैं। वेलेंटाइन डे अपनी दस्तक देने लगा है। कुछ लोगों के लिए यह एक ख़ास दिन होता है। सारे संसार में यह दिन एक विशेष अवसर के रूप में मनाया 

संस्कृत और शऊर ● जितनी समृद्ध भाषा संस्कृत है इतनी पूरी दुनिया में कोई भाषा नहीं..... इसमें जुबाँ के हर मोड / हर एंगल / हर आकार से निकली ध्वनि को अभिव्यक्त करने के लिए कोई ना कोई शब्द अथवा शब्द संमूह मिल जायेगा... ● उम्र कैद की सजा काटने को विवश होती हैं................ सुना है उम्र के उस दौर में जब सब जिम्मेदारियों से निवृत हो जाते हैं तब एक बार फिर ऋतुराज का पदार्पण होता है जीवन फिर नयी करवट लेता है एक बार फिर चिड़ियाँ आँगन में चहकती हैं मीठी- मीठी बतियाँ करती हैं ...वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 8: बदमाश दिल तो ठग है बड़ा...वार्षिक संगीतमाला की आठवीं पॉयदान पर पधार रही है दो भाइयों की नवोदित संगीतकार जोड़ी जो पिछले कुछ सालों से मराठी फिल्म उद्योग में अपने संगीत का परचम लहराते रहे हैं। ये जोड़ी है अजय और अतुल गोगावले की जिन्हो...

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मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ........

सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

तेरे आने का इंतज़ार और कुहासे की परत ---- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, आज का दिन भाग दौड़ में बीता। कल से राजिम कुंभ प्रारंभ होने वाला है। भारत में बाकी जगह तो कुंभ अपने 4 वर्ष के निर्धारित समय पर लगते हैं। हमारे छत्तीसगढ प्रतिवर्ष कुंभ लगता है। अब 4 वर्षों तक कुंभ स्नान करने की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं। संतों के डेरे भी तैयार हैं। प्रवचन के साथ मनोरंजन का इंतजाम भी है। कुंभ स्नान के लिए सिकासेर बांध से पैरी नदी में पानी छोड़ दिया गया है। कल से ही श्रद्धालु राजिम पहुंचने लग जाएगें। आप भी पहुंचे और कुंभ स्नान का पुण्य लाभ लें। अब चलते हैं आज की वार्ता पर, पढिए कुछ उम्दा लिंक……

सुनीता शर्मा जी  ने विवाहेत्तर संबंधो पर एक विचारोत्तेजक लेख लिखा है, उसे यहां  पढ सकते हैं।…शिखा-स्मृति “स्मृतियों में रूस”* भले ही शिखा वार्ष्णेय की स्मृतियों का दस्तावेज़ हो, लेकिन पिछली पीढ़ी के हर भारतीय की स्मृतियों में बसता है. पूर्व विदेश मंत्री श्री वी. के. कृष्णमेनन जब रूस गए थे तो वहाँ से इंदिरा ...माँ ने बच्ची को लावारिस छोड़ीदिल्ली में फिर एक माँ ने बच्ची को लावारिस छोड़ी ...नवजात बच्ची को छोडकर बच्ची कि माँ अस्पताल से फरार ..अस्पताल में दिया गया महीला का पता मिला गलत ....बच्ची ठीक हालत में नरेला के सत्यवादी हरिश्चंदर...

सारी रात...सारी रात ... तेरे आने का इंतज़ार . मन पे कुहासे की परत चढ़ने लगी है रात भी गहरी और काली होने लगी है ठहरी हुई ओस की बूँदें बहने लगी हैं निराशा से भारी इस रात में क्या करूँ? तुझे याद करूँ? मिलन के सपने बुनू...बीते वो पल-ताँकाबीते वो पल*** *उड़ते छीटों-जैसे*** *भिगोते रहे*** *कभी ये तन्हा मन*** *कभी मेरा दामन*** *2.* नम थी आँखें दर्द भीगता गया आँसू में डूब नाजुक दिल टूटा बिन आहट किए *डॉ. हरदीप संधु* अस्मितामुझसे मायने हर रिश्ते के , और मैं किसी की कुछ भी नहीं ....... प्रार्थनाएं, वंदन करती रही , मान्यतायें रिवाजों की मैं निभाती रही, बाबुल का अभिमान बन कर्म की बेदी सजाती रही .. डोर से रक्षा की आस में नमन सदा क..

रोटी कपड़ा ,मकान *उसकी छैनियों में इतना पैनापन है , तोड़ कर शिला ,तराश देता पत्थर , सृजित हो जाती हैं ,गगन चुम्बी अट्टालिकाएं आकार लेती हैं, लालित्य कला की सजीव सी लगती मूर्तियाँ खजुराहो की , दीवारें भी दूरियों के न...ब्लाग पर फिर से वापस ..सप्ताह के अंतिम दिन अपनी उत्तमार्ध शोभा के साथ बाजार जाना पड़ा। वहाँ के काम निपटाते निपटाते ध्यान आया कि अदालत में कुछ काम हैं जो आज ही करने थे। मैं शोभा को घर छोड़ अदालत पहुँचा। काम मामूली थे आधे घंट...नव गीतिकाकिसी घायल परिंदे को नजर अंदाज मत करना * *किसी की जिन्दगी से इस तरह खिलवाड़ मत करना |* *कहीं कोई तुम्हें गम जिन्दगी का खुद सुनाये तो * *जरा दिल से उसे सुनना ,कभी इंकार मत करना |* *तुम्हें चा...

नैनो से बरसात क्यों(आज की रचना उस प्रिय व्यक्ति के लिए है जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं अपने भावों को लिख पाऊं) "नैनो से बरसात क्यों" कह सकूं मैं आज फिर भी न कहूँ वह बात क्यों छलक रहा जब आज खुशियाँ नैनो से बरसात...शिल्पाचार्य भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिनप्राचीन भारतीय विज्ञान का कोई सानी नहीं है। जब हम इस विषय पर सोचते हैं तो गौरवान्वित हो उठते है। आज जिसे हम इन्ड्रस्ट्री कहते हैं इसे वैदिक काल में शिल्प शास्त्र या कलाज्ञान कहा जाता था। इसके जानने वाले व...तिरसठ की चाह में छतीस सालछत्तीस साल किया समायोजन बीत ही गए | सोचती हूँ मैं छत्तीस का आंकड़ा फिराए पीठ |

रीत जीवन की हँसते हँसते जब आँख भर आई ... धुंधली सी पड़ने लगी ... बासंती अमराई ...! धुंधलका सा छाने लगा ... गया ही कहाँ है बसंत ... के पतझड़ फिर आने लगा .. मन मौन फिर छाने लगा ...! किसलय अनुभूति क्षण की .... ये भी क... पूर्वज-वंशज शिखर वार्ता !कुछ दिनों पहले गाँव गया था . मित्रों और रिश्तेदारों के घर भी जाना हुआ . घरों के पीछे बाड़ियों में जहां कुछ साल पहले साग-सब्जियों की लहलहाती हरियाली का सम्मोहन हुआ करता था..दोहे : अवसर का उपयोगआशा ऐसी वस्तु है, मिलती सबके पास, पास न हो कुछ भी मगर, हरदम रहती आस। आलस के सौ वर्ष भी, जीवन में हैं व्यर्थ, एक वर्ष उद्यम भरा,

ऊपर हँसते भीतर गम था ऊपर हँसते भीतर गम था जाने कैसी तंद्रा थी वह कितनी गहरी निद्रा थी वह, घोर तमस था मन पर छाया ढके हुए थी सब कुछ माया ! एक विचारों का जंगल था भीतर मचा महा दंगल था, खुद ही खुद को काट रहे थे कैसा फिर ? कहाँ मंग...बजरंग बाणभूत- प्रेत, पिशाच, वेताल, जिन्न और ग्रहों की उल्टी चाल आदि तभी तक नहीं हैं जब तक उनसे पाला न पड़े । ईश्वर न करे कभी पड़े लेकिन कभी पड़ ही जाए तो इसका प्रेम पूर्वक पाठ एवम् श्रवण रक्षा कारी बताया गया है और ...मुझे यश लेना नहीं आता : धर्मेंद्रधर्मेंद्र से मिलना हिंदी सिनेमा के उस दौर में पहुंच जाने जैसा होता है, जब सुपरस्टार वाकई सुपरस्टार हुआ करते थे।

उपलब्धि का आधार…अब तो यह निश्चित हो गया कि उपलब्धि को हासिल करने के लिए साधन से महत्वपूर्ण है साध्य . साधक का लक्ष्य क्या है ? जिसे वह हासिल करना चाह रहा है . उसके पीछे उसका मंतव्य क्या है ? उसकी भ...हसीन कवि की कविताएँ ...वह बहुत अच्छी कविताएँ लिख रही है पर थोड़ी-सी शंका है ! क्या ? वह खुद लिख रही है या कोई और उसके नाम से लिख रहा है ! क्यों, क्योंकि - अक्सर सुनते रहे हैं कि - कई लोग फास्ट पब्लिसिटी के लिए नाम बद...इतिहास भी रच सकती हूँ मैं..रंग तितलियों में भर सकती हूँ मैं...... * *फूलो से खुशबू भी चुरा सकती हूँ मैं......* *यूँ ही कुछ लिखते-लिखते *

जानिए कार्टुनिस्ट सुरेश शर्मा जी की सेहत का राज



वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

शरबती आँखों का ब्लेकमेल --- ब्लॉग़4वार्ता ------------ ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  गुगल पर सरकारी दबाव है कि सरकार के खिलाफ़ लिखने वाले ब्लॉग को बैन किया जाना चाहिए। गुगल ने सरकार की बातें मान कर डोमेन में परिवर्तन कर दिया। अब भारत के ब्लॉग डॉट इन सब डोमेन से दिखाई दे रहे हैं। डॉट इन सब डोमेन से इंडिया के ब्लॉगर्स की छंटाई हो गयी। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। प्रजातंत्र में जनता की सरकार है और उसे अपनी सरकार की नीतियों की आलोचना करने का हक है। लेकिन इसके लिए संयत एवं संसदीय भाषा का प्रयोग करना  ही उचित है। कल एक मित्र ने मुझसे प्रतिक्रिया मांगी थी प्रिंट मीडिया के लिए, शायद मेरी प्रतिक्रिया उन्हे जंची नहीं। मैने कहा था - व्यक्तिगत चरित्र हनन एवं धर्म जैसे संवेदनशील विषयों पर छींटा कशी करने वालों पर तो निसंदेह वैन कर देना चाहिए, उटपटांग लिखने वालों को ब्लॉक किया जाना चाहिए। अब चलते  हैं आज की ब्लॉग़ 4 वार्ता पर……

दसमत कैनाकैना यानी कन्या। ध्यातव्य है कि छत्तीसगढ़ी कथा गीतों में स्त्री की उपस्थिति भरपूर है। स्त्री पात्रों को केंद्र में रखकर गाई जाने वाली गाथाओं में स्त्री की वेदना और पारिवारिक जीवन में उसकी दोयम दर्जे की ...मृतकों के साथ एक षड्यंत्रमृतकों के साथ एक षड्यंत्र - विस्वावा शिम्बोर्स्का किन परिस्थितियों में देखते हैं आप मृतकों के स्वप्न? क्या सोने से पहले आप अक्सर उन के बारे में सोचते हैं? सब से पहले क्या दीखता है? क्या एक सा ही नज़र आता...उड़ानवह सिखा रहा था तुम्हे फिर से प्रेम करना तुमने उसी पर पलट वार किया वह सिखा रहा था तुम्हे उड़ना तुमने उसी का पर काट दिया पड़ी रहो अब यहीं सड़ती हुई…

जय हिन्दुस्तानी नेता...नमस्कार मित्रों, मेरे घर के पास एक नेताजी हैं, जो कांग्रेस के प्रचंड समर्थक हैं, और इस कदर समर्थक हैं की उन्होनें अपने आचार विचार, व्यक्तिगत जीवन में कांग्रेस शामिल कर लिया है। अडियल और व्यक्तिवादी सोच.....एक गीत पुराने पन्नों से मैं बोलूं कुछ, तुम कुछ सोचो हम साथ बहें पर साथ नहीं तुम हमसाए हो, मेरे साथी हो फिर भी हाथों में हाथ नहीं. तेरे कांधों पर रखकर सर पलकों की थिरकन गिनते थे जब गर्म हथेली में अपनी तकदीर की सर्दी भरते थे वो नर्...मेहनत कशों का देश .कल टीवी पे एक प्रोग्राम आ रहा था .....जिंदगी लाइव ....या ऐसा ही कुछ ......जिसमे वो दिखा रहे थे,,,

आओ-आओ...नाटक देखो.चाय की दुकान पर बैठा अखबार पर चर्चा कर रहा लोगों का वो झुंड अचानक उठ कर उस शोर की दिशा में चल देता है...शोर में आवाज़ सुनाई दे रही है, कुछ युवाओं की...अरे क्या कह रहे हैं ये...ये चिल्ला रहे हैं...आओ आओ...न...पहले तीन में आओ, आईपैड मिल जायेगाएप्पल ने शिक्षा के क्षेत्र में पहल करते हुये आईबुक ऑथर के नाम से एक सुविधा प्रारम्भ की है। इस एप्लीकेशन के माध्यम से आप कोई पुस्तक बड़ी आसानी से लिख सकते हैं और आईट्यून के माध्यम से ईबुक के रूप में बेचकर ...“आँखों देखा हाल : लाल बाग से।”महिला सशक्तिकरण की जब भी बात होती है हमेशा महसूस किया है कि मोर्चे निकालने से बात नहीं बनेगी। 

सरकारी काम याने मेरी गिरफ्तारीइस कार्यालय के पत्र क्रमांक फलाँ-फलाँ, दिनांक फलाँ-फलाँ द्वारा आपको सूचित किया गया था कि आप रुपये 6,846/- जमा कराएँ। आपने उपरोक्त रकम अब तक जमा नहीं की है। इस पत्र द्वारा आपको अन्तिम सूचना दी जाती है कि द...माचिस की डिबिया तीली माचिस की हरेक तीली की नोक पर पिछले दस हज़ार सालों का इतिहास दर्ज़ है. उस नोक की एक रगड़ से उत्पन्न आग इंसान की पैदा की गयी पहली आग की स्मृति है.और ये सिर्फ उस ताप की स्मृति ही नहीं है उस ज़ायके की स्मृ...समारोह 2-- संगीत SSSSशादी के समारोह में 17 जनवरी को हुआ संगीत......जिसमें ऐसा कोई न बचा जो झूमा न हो .. 

तुम बेसहारा हो तो ...कल बाद दोपहर मैं अंबाला छावनी में एक टी-स्टाल पर चाय की चुस्कियां ले रहा था .... उसी स्टाल पर किसी मोबाइल पर यह सुंदर सा गीत भी बज रहा था, बहुत दिनों बाद सुन रहा था, अच्छा लग रहा था। मुझे नहीं पता था यह उस...एक रन पर धोनी ने कमाए ढाई लाख रुपए क्या आपको पता है कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की वार्षिक आय कितनी है? शायद आप नहीं जानते, जानना भी नहीं चाहते। फिर भी आप जान ही लें, क्योंकि यही वे व्यक्ति हैं, जो एक तर...मतला और एक शेरएक बेवजह की बात है अगली दो बातें महाबार गाँव के धोरों की स्मृतियों से बुनी है.

अनामिकाएं ही होते हैं हम.मेरी छोटी बहन का नाम अनामिका है... फेसबुक पर हमें एक और छोटी बहन मिली उसकी हमनाम! कुछ दिन पूर्व उसके जन्मदिन पर( २४ जनवरी को ) उपहारस्वरूप एक कविता लिखी थी उसके लिए... आज प्रस्तुत है यहाँ...:) जिसका कोई न...न्यू मीडिया पर दुनिया भर की तमाम सरकारों की तिरछी नज़रनवभारत टाइम्स पेज 10 – दिनांक 04/02/2012 Rate this: Like this:Be the first to like this post.शरबती तेरी आँखों की-ब्लैकमेलआँखों पर मीलों मील लम्बे अफ़साने आपको मिल जायेंगे साहित्य और फ़िल्मी गीतों में। गीतकार राजेंद्र कृष्ण ने भी आँखों पर तरह तरह के गीत लिखे हैं। प्रस्तुत गीत जो कि फिल्म ब्लैकमेल का गीत है में आँखों को शरबती कि उ...

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं अगली वार्ता में, राम राम
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शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

मिलना तो बस एक बहाना है...ब्लाग 4 वार्ता.......संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, पिछले एक माह से ब्लॉग4वार्ता पर मैने देखा है कि प्रतिदिन का ट्रैफ़िक 800 से 1200 हिट्स के बीच से चलता है।  लेकिन कमेंट बहुत कम आती है, जिनके लिंक लगाए जाते हैं वे भी कमेंट करने नहीं पहुचते। अपना लिंक देखकर चले जाते हैं। वार्ता के माडरेटर कहते है कि कमेंट की आवश्यकता नहीं, पर नए वार्ताकार के लिए तो कमेंट प्राणवायु का कार्य करते हैं। मेरी वार्ता पर कमेंट करने वालों के ही लिंक लगा करेगें। चाहे पाँच लिंक ही क्यों न लगे। अब चलते हैं आज वार्ता प्रस्तुत हैं कुछ मेरी पसंद के लिंक……………।

तुमसे मिलना तो बस एक बहाना है......
तुमसे मिलना तो बस एक बहाना है दिल के जख्मों को तुम्हें दिखाना है। कुछ इस कदर बिखरा है वजूद मेरा न कहीं ठौर और न कहीं ठिकाना है। ज़ज़्ब-ए-दुआ-ओ-ख़ैर कब की मर चुकी खंजर की नोक पे खड़ा ...
मेरा नाम
कभी कभी अन्दर से निकल कर जब मैं बाहर आ जाता हूँ तो स्वयं को पहचान ही नहीं पाता हूँ खो जाती है मेरी पहचान वो जो कभी तुमने कभी औरों ने दी मैं तो बस इसके उसके मुह को ताकता हूँ और गुजारिश ...
तुम श्याम देख लेना
*अँधेरे से जब मैं गुजरूँ तुम श्याम देख लेना ढूँढे से भी मैं पाऊँ जब कोई किरण कहीं ना तुम लाज मेरी रखना तपतीं हैं मेरी राहें साया न सिर पे पाऊँ जब घाम से मैं गुजरूँ तुम लाज मेरी रखना विरहन सी मैं...
कैना यानी कन्या। ध्यातव्य है कि छत्तीसगढ़ी कथा गीतों में स्त्री की उपस्थिति भरपूर है। स्त्री पात्रों को केंद्र में रखकर गाई जाने वाली गाथाओं में स्त्री की वेदना और पारिवारिक जीवन में उसकी दोयम दर्जे की ...
देह माटी की,* ** *दिल कांच का,* ** *दिमाग आक्षीर * ** *रबड़ का गुब्बारा,* ** *बनाने वाले ,* ** *कोई एक तो चीज * ** *फौलाद की बनाई होती ! * ** *xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx* ** *नयनों में मस्ती,* ** *नजरों..
आज कहानी सबको, अपने पल-पल की बतलाता हूं, कैसे मैं ज़िंदा रहता हूं, कैसे सब सह पाता हूं, रोज़ रात भर लेटा रहता हूं मैं, आंखें बंद किए, सुबह-सुबह सब जगते है, मैं बिस्तर से उठ जाता हूं.. फिर होके तैयार, नौकरी...
अभी बर्फ़ की बारिश का आनंद लेते हुए क्लास से लौटे... और खिड़की से उसी बारिश को निहारते हुए अपने घर की सैर पर निकल गया मन... फिर लौटा तो सोचा कि स्टाकहोम से ही बातें कर लें... कहीं वह उपेक्षित न महसूस करने ...
अनुराग अनंत के ब्लॉग पर उनकी रचना पढ़ कर जो मन में भाव उठे ..उनको आपके साथ बाँट रही हूँ ... बापू , बहुत पीड़ा होती है तुम्हारी मुस्कुराती तस्वीर चंद हरे पत्तों पर देख ...
यदि *मानव,* प्रकृति की संरचनात्मक-कृति का सबसे उत्कृष्ट, समृद्ध व आधुनिकतम रूप है तो *नारी* प्रकृति की सृजनात्मक-शक्ति का सर्वश्रेष्ठ व उच्चतम रूप है। इस संसार रूपी ईश्वरीय उद्यान ...
भीतर जल ताजा है माना कि जिंदगी संघर्ष है कई खतरनाक मोड़ अचानक आते हैं कभी इसको तो कभी उसको हम मनाते हैं भीतर कहीं गहराई में जिंदगी बहती है दू.....र टिमटिमाती गाँव की रोशनी की तरह.... ऊपर-ऊपर सब सूखा है, धु...
वो एक बेचैन सी सुबह थी, आस पास लोगों की भीड़... कई सारे अपने से चेहरे, जैसे सभी से एक न एक बार मिल चुका हूँ कहीं, बस अपने आप को नहीं देख पा रहा था मैं, फिर देखा तो कोई लेटा हुआ था सफ़ेद कपड़ों म...
*सूरज न मुख करियो मेरी ओर* * बसंती हो जाऊँगी...* * रंग बसंत ,राग बसंत ,रुत बसंत * * बसंत ही में ढल जाऊँगी * * फिर ओढ़ बसंती चुनरी * * मन ही मन इठलाऊँगी* * मुख पे बसंती झलक * * मन में फूल बसंत खिलाऊँगी * * ब...
मौत से ये दिल रज़ा है, और क़ातिल लापता है। वो समंदर ,मैं किनारा, उम्र भर का फ़ासला है। मैं चरागों का मुहाफ़िज़, वो हवाओं की ख़ुदा है। सब्र की जंज़ीरें मुझको, खुद हवस में मुब्तिला है। सांसें कब की थम चुकी हैं, ज़...
* **हमारा संगम *-* " 
३ समझ न पाता मानव क्यों जो बात बहुत पुरानी है दिमाग के बिना चले भी जिंदगी पर दिल के बिना बेमानी है आज नही है कल नही था पर एक दिन ऐसा आयेगा साथ में चलनेवाला साथी पल-पल में पछतायेगा बहुत मिलेंगे...
अश्रुपूरित नयनों से वह देखती अनवरत दूर उस पहाड़ी को जो ख्वाव गाह रही उसकी आज है वीरान कोहरे की चादर में लिपटी किसी उदास विरहनी सी वहाँ खेलता बचपन स्वप्नों में डूबा यौवन सजता रू...
अगर आपके पास बीएसएनल का ब्राडबैंड है तो आपके लिए एक खुशखबरी है 1 फरवरी से बीएसएनल ने हर प्लान की स्पीड दुगनी कर दी है जिनकी 256 केबी की स्पीड थी अब वो बढ़ कर 512 केबी हो गयी है और इसके लिए आपको कोई अलग स... 
तेरी... मेरी... हम सबकी तकदीर!
एक पुरानी गली है यादों की... जहां बचपन खुलकर गाता था दो बूंदें जमकर पिघली थीं हर रंग बड़ा सुहाता था फिर समय ने करवट ली... और गली वह पीछे छूट गयी पिरोई थी एक माला हमने वह मोती-मोती टूट गयी हर क्षण बदलते हैं...
* " ०३ फरवरी १९८८ "* * * * *गाय का नवजात बछड़ा जन्म के साथ ही ...
  
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार... 
 

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

मैं जानता हूँ जो वो, लिखेंगे जवाब में --- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, रेल बजट आने वाला है और यात्री सुविधाओं के लिए मांगों की सुगबुगाहट शुरु हो गयी। ऐसी ही एक मांग स्वराज करुण जी की आई है -अगर चलती रेलगाड़ी में अचानक किसी की तबियत बहुत खराब हो जाए , दिल का दौरा पड़े ,तो ऐसे नाजुक वक्त में डाक्टरी मदद उसे कहाँ मिलेगी ? इसलिए यात्री ट्रेनों में भी डाक्टरों और पैरा मेडिकल कर्मचारियों की आपातकालीन चलित चिकित्सा टीम हर वक्त तैनात रहनी चाहिए . देश के प्रत्येक रेलवे स्टेशन में भी यात्रियों की सुविधा के लिए अस्पताल होने चाहिए . उनमे एलोपैथी के साथ-साथ आयुर्वेद ,होम्योपैथी और अन्य चिकित्सा प्रणालियों के डाक्टरों और दूसरे प्रशिक्षित बेरोजगारों को नियुक्त किया जा सकता है . बेरोजगारी की समस्या भी कम हो सकती है .भारत सरकार आगामी रेल बजट में इसके लिए भी कोई प्रावधान करना चाहिए। अब चलते है ब्लॉग नगरिया की सैर पर…………।


देवी से डर्टी पिक्चर के बीच विकास की कथा यदि लिखी जाए तो उसमें आए उतार-चढ़ावों से स्त्री के संघर्ष की कथा बखूबी उभरकर सामने आ जाएगी। दिलचस्प बात है कि मुस्लिम आक्रमणकर्ताओं क...परदेशी बेटे के नाम...... जो झूठे सपनों का सच था टूट गये वो सपने सारे ऐसे सपन कहाँ जुड़ते हैं विधिना ही जब ठोकर मारे कल लगता था आस-पास हो, आज लगा कि दूर हो गए ’डालर’ के पीछे क्यों बेटा ! तुम इतने मजबूर हो गए ? अथक तुम्हारी भाग-दौड़ य...

जीवन प्रतिफल !दो भिन्न रास्तों से निकले* ** *दो हसीन लम्हें,* ** *अपने अरमानों का पुलिंदा, * ** *उजले, अभिद्वारमय * ** *ख़्वाबों के परिधान में * ** *सलीखे से अपने पे समेटे,* ** *एक बिंदु पर* ** *संविलीन हो जाते है !* **.आओ तोड़ दें ये कारा. दोस्तोवस्की को पलटते हुए न जाने क्यों मन कहीं ठहर सा गया. ये वो जगह थी जब दोस्तोवस्की जेल में थे और उन्होंने अपने भाई माइकल को पत्र लिखा था, 'न मैं चीखा, न चिल्लाया और न ही साहस खोया. जीवन सर्वत्र है. जी...

ब्लॉगर में blogpot.in और blogpot.com को समझियेअगर आपके ब्लॉग पते पर blogpot.com की blogpot.in जगह दिखाई दे रहा है तो घबराइए मत आपका ब्लॉगर सुरक्षित है बस गूगल ने ब्लॉगर के लिए नयी तकनीक ccTLD ( redirected to a country-code top level domain ) शुरू कर..पश्चिमी देशों के अभिभावकों को 'टाइगर मॉम' की सीखआजकल एक किताब बहुत चर्चा में है...Amy Chua की लिखी 'Battle Hymn of The Tiger Mom', 'एमी चुआ' अमेरिका में Yale Law School, में law professor हैं. वे चीनी हैं पर उनका पालन-पोषण अमेरिका में ही हुआ है...

हे दशानन ! है वो मनुष्य गुण-अवगुण से भरा नहीं जुड़ता मन राम से मेरा बहन के अपमान से पीड़ित होता है भाई के धोखे से दुखभर रोता है सुख दुःख सब सच्चे है उसके प्रतिशोध में भरा नहीं जुड़ता मन राम से मेरा ....  उस डोर का क्या हुआ?जैसे तेरा आशीर्वाद फलीभूत होता है वैसे ही मेरी प्रार्थनाएं फलीभूत हों, कुछ एक गांठें जो हमने बुन ली हैं ईश्वर करे वह सब मूलतः झूठ हो! जब आँख खुले तो दृश्य सहज ही सुन्दर... न्यारा और प्यारा भी लगे, चाहे किसी...

टूटना चाँद का ... दूर समंदर के उस पार एक ज्वार उठा कहीं कुछ टूटने की आवाज़ दब गयी इन लहरों के शोर में उन्हें लगा समंदर कोई ग़ज़ल सुना गया सैलानी जो ठहरे बस समंदर की ख़ूबसूरती भर निहार सके न देख सके उसके टूटने को उलटे दे गए...MY LOVEसंसार की रीतें बहुत हैं पुरानी जीना हमें है नहीं उन्हें दुहरानी, आओ मिलकर करें हम नये काम पुराने रिवाजों को करने दो विश्राम, करेंगे नये आज हम रीति निर्मित भले काम होंगे तो होंगे वो चर्चित, किन्तु न तोड़ें...

ढूँढती तुझे रही , हर जनम चनाब में ....पिछले दिनों ओ बी ओ परिवार ने ऑनलाइन तरही मुशायरा किया ....एक मिसरा दिया गया था जिस पर सभी को ग़ज़ल मुकम्मल करनी थी ...मिसरा था .... "मैं जानता हूँ जो वो, लिखेंगे जवाब में'' बह्र थी- बह्र मुजारे मुसम्मन अखर...जो मिल जाये,तो कह देना..मैंने तेरे होठों की ख़ातिर मुस्कानें, भेजी थी..........जो मिल जाये,तो कह देना. मैं लाज तुम्हारी आँखों को, लाली गुलाब की गालों को और धूप-छांव से बुनी हुई, चोटी भेजी थी बालों को. मैं हरित तृणों...

तो फिर हम में और उस कुत्ते में क्या फर्क है..?छोटे परदे पर दिन भर चलने वाले एक विज्ञापन पर आपकी भी नज़र गयी होगी.इस विज्ञापन में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी मोटरसाइकिल पर एक कुत्ते को पेशाब करते देखकर नाराज़ हो जाते हैं और फिर...नृत्य भी ईश्वर के रूबरू होने का एक ज़रिया है !चौंसठ कलाओं में से एक प्रुमख कला है नृत्य -कला. विभिन्न हाव भाव के साथ एक लयबद्ध रूप में घूर्णन को ही नृत्य कहा जाता है . मानव के इतिहास जितना ही पुराना है नृत्य का इतिहास . नृत्य कला हमारी भारतीय संस्कृत...

वार्ता को देते हैं विराम, राम राम 


गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

मस्तान सिंह के मस्ती भरे व्यंग्य चित्र ----- ब्लॉग4वार्ता ----- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, अभिव्यक्ति के अनेक माध्यम है, इसमे एक माध्यम व्यंग्य चित्र हैं, इसके माध्यम से व्यंग्य चित्रकार अपनी बात कहता है। गहरी से गहरी बात सिर्फ़ एक रेखा के इशारे से कह जाता है और लोगों को समझ आ जाता है कि वह क्या कहना चाहता है। व्यंग्य चित्र कभी गुदगुदाते हैं तो कभी तिलमिलाते हैं। अपने उम्दा कटाक्ष के माध्यम से जन सरोकार से जुड़ी समस्याओं को सामने लाते हैं। हनुमानगढ राजस्थान से ऐसे ही एक व्यंग्य चित्रकार मस्तान सिंह जी हैं, जो पेशे से तो शिक्षक हैं पर व्यंग्य चित्र की विधा से अपनी बात आम जन तक पहुंचाते हैं। समाज में हो रही घटनाओं पर उनकी पैनी नजर बनी रहती है। प्रस्तुत हैं विशेष वार्ता के रुप में मस्तान सिंह जी के व्यंग्य चित्रों एक झांकी…………।


वार्ता  को देते हैं विराम, मिलते हैं एक ब्रेक के बाद, तब तक कविता का आनंद लीजिए राम राम

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