बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- द्वितीया...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार ... आश्विन शुक्लपक्ष प्रथमा को कलश की स्थापना के साथ ही भक्तों की आस्था का प्रमुख त्यौहार शारदीय नवरात्र आरम्भ हो चुका है, आज द्वितीया है. माँ दुर्गा अपने सुन्दर स्वरुप में विराजमान हो चुकी हैं।
ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥ 



ब्लॉग जगत की नव देवियों के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए आज मिलते हैं, बहुत ही कम शब्दों में सब कुछ कहने का हुनर अर्थात गागर में सागर भरने वाली एक और  शख्सियत संगीता स्वरुप जी से ....

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ये मार्च 2007 से ब्लॉग जगत में हैं.  संगीताजी अपने बारे बताते हुए में कहती हैं : "कुछ विशेष नहीं है जो कुछ अपने बारे में बताऊँ... मन के भावों को कैसे सब तक पहुँचाऊँ कुछ लिखूं या फिर कुछ गाऊँ । चिंतन हो जब किसी बात पर और मन में मंथन चलता हो उन भावों को लिख कर मैं शब्दों में तिरोहित कर जाऊं । सोच - विचारों की शक्ति जब कुछ उथल -पुथल सा करती हो उन भावों को गढ़ कर मैं अपनी बात सुना जाऊँ जो दिखता है आस - पास मन उससे उद्वेलित होता है उन भावों को साक्ष्य रूप दे मैं कविता सी कह जाऊं." इनके प्रमुख ब्लॉग हैं
 इनकी प्रथम पोस्ट:

प्रदुषण

>> Thursday, August 14, 2008

जीवन के आधार वृक्ष हैं ,
जीवन के ये अमृत हैं
फिर भी मानव ने देखो,
इसमें विष बोया है.
स्वार्थ मनुष्य का हर पल
उसके आगे आया है
अपने हाथों ही उसने
अपना गला दबाया है
काट काट कर वृक्षों को
उसने अपना लाभ कमाया है
पर अपनी ही संतानों के
सुख को स्वयं खाया है
आज जिधर देखो
प्रदुषण फ़ैल रहा है
वृक्षों के अंधाधुंध कटाव से
ये दुःख उपजा है
क्यों नहीं समय रहते
इन्सान जागा है
सच्चाई के डर से
आज मानव भागा है.
बिना वृक्षों के क्या
मानव जीवन संभव होगा
इस प्रदुषण में क्या
सांसों का लेना संभव होगा
आज अग्रसित हो रहा
मानव विनाश की ओर
इस धरती पर क्या मानव का
जीवित रहना संभव होगा?
कुछ करना है गर
काम तो ये कर डालो
पोधों को रोपो और
वृक्षों को दुलारों
आज समय रहते यदि
तुम चेत जओगे
तो आगे आने वाली नसलों को
तुम कुछ दे पाओगे
.हे मनुज!
अंत में प्रार्थना है मेरी तुमसे
वृक्षों को तुम निज संताने जानो
वृक्ष तुम्हारी सम्पत्ति,
तुम्हारी धरोहर हैं
इस सच को अब तो पहचानो.

अद्यतन पोस्ट:

अधूरा उपवन 

मन के आँगन में 
तुमने अपनी ही 
परिभाषाओं के 
खींच दिये हैं 
कंटीले तार
और फिर 
करते हो इंतज़ार 
कि , 
भर जाये आँगन 
फूलों से .

हाँ , होती है 
हरियाली 
पनपती है 
वल्लरी 
पत्ते भी सघन 
होते हैं 
पर फूल 
नहीं खिलते हैं । 

क्या तुमको 
ऐसा नहीं लगता कि
मन का उपवन 
अधूरा  रह जाता है 
और खुशियों का आकाश 
हाथ नहीं आता है ।

कल आपकी मुलाकात ब्लॉग जगत की एक  अन्य देवी से होगी, तब तक के लिए राम-राम ......... 

19 टिप्पणियाँ:

या देवी सर्वभूतेषु !
संगीता जी का योगदान अमूल्य है !

संगीता जी की कविताएं जीवन के अनुभवों की सूक्ष्मता से विवेचना करती हैं। वे ब्लाग जगत के शीर्षस्थ रचनाधर्मियों में अग्रगण्य हैं।
नवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

इस कड़ी में स्वयं को पा कर अभिभूत हूँ .... आभार ।

गागर में सागर भरने वाली शख्सियत संगीता स्वरुप जी से .... मां के दिनों में मिलना अच्‍छा लगा ... आभार इस प्रस्‍तुति के लिये

बहुत सुन्दर.....
संगीता दी की रचनाएँ जितनी सुन्दर उतना ही उनका मन सुन्दर.....
अनंत शुभकामनाएं माँ जैसा स्नेह देने वाली दी को.
शुक्रिया ललित जी.
नवरात्र की शुभकामनाएं...माँ की कृपा हम सभी पर सदा बनी रहे....
अनु

संगीता जी ब्लॉग जगत की हरदिल अजीज़ शख्सियतों में से एक हैं ! उनका लेखन सदैव प्रेरित व प्रभावित करता है ! आज उनसे इस तरह मिलना भी बहुत सुखद लगा ! इस श्रृंखला के लिये आपका आभार ! नवरात्र की शुभकामनायें !

संगीता जी से आपके द्वारा मिलना अच्छा लगा वो तो हैं ही ब्लोगजगत की स्टार :)और लेखन तो गागर मे सागर भरता ही है। नवरात्रि की शुभकामनायें।

अरे वाह आज तो मेरी फेवरेट कवियत्री है यहाँ :) आभार ललित जी ! संगीता जी की रचनाओ की खासियत है गागर में सागर भरना.मैं हमेशा अचंभित हो जाती हूँ जिस तरह वह कुछ ही शब्दों में सटीक तरह से न जाने क्या क्या कह जाती हैं.

आभार ललित जी संगीता जी ब्लॉग जगत की विशेष कवियत्री है|

संगीता जी इस ब्लॉग जगत के लिए एक नायाब हीरा हैं. उनकी रचनाएँ जितनी वैचारिक होती हैं उतनी ही व्यावहारिक भी.और चर्चा करने का तो उनका अंदाज निराला है.पता नहीं कहाँ कहाँ से लिंक्स खोज लाती हैं.

संगीता जी की कविताएं अनुभवों का सागर हैं, ब्लॉग जगत की अमूल्य धरोहर हैं उनकी रचनाएँ... नवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...

संगीता जी के विचार और सम्प्रेषण दोनो ही बहुत सुन्दर |
आशा

संगीता जी की कवितायेँ मन की गहराई में सीधे उतरती हैं ..आपकी वार्ता प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी..नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं सहित सादर ..

संगीता जी की लेखनी तो लाजवाब रहती है..
उनको पढ़ना बहुत ही अच्छा अनुभव होता है....
:-)

संगीता जी का लेखन बुत प्रभावशाली है ,मन पर गहरा असर डालता है .
नव-रात्रों की ऊर्जा उन्हें सतत प्रेरित करती रहे !

संगीता जी के विषय में क्या कहा जाय ? सबसे अधिक सक्रीय ब्लॉगर हैं और अर्थपूर्ण रचनाओं से हम सभी को लाभान्वित करती रहती हैं।

संगीता जी का योगदान अमूल्य है

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