गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

ताऊ की अंतिम चेतावनी खाली खाली सा बसंत -- ब्लॉग4वार्ता

ललित शर्मा का नमस्कार, चलते हैं अनवरत पर जहाँ दिनेश जी साहित्य के विषय में कह रहे हैं --दर्शन की पोथियों में एक क्रिया के साथ योग रहने को ही 'साहित्य' कहा गया है। अलंकार-शास्त्र में इसी अर्थ से मिलते-जुलते अर्थ में इस का प्रयोग हुआ है। वहाँ शब्द और अर्थ के साथ-साथ रहने के भाव (साहित्य) को 'काव्य' बताया गया है। परन्तु ऐसा तो कोई वाक्य हो नहीं सकता जिस में शब्द और अर्थ साथ-साथ न रहते हों। इसलिए 'साहित्य' शब्द को विशिष्ठ अर्थ में प्रयोग करने के लिए इतना और जोड़ दिया गया है कि "रमणीयता उत्पन्न करने में जब शब्द और अर्थ एक दूसरे से स्पर्धा करते हुए साथ-साथ आगे बढ़ते रहें, तो ऐसे 'परस्पर स्पर्धा' शब्द और अर्थ का जो साथ-साथ रहना होगा, वही साहित्य 'काव्य' कहा जा सकता है।"

प्रवीण पाण्डेय जी लिख रहे हैं बहता समीर--यात्रायें कुछ न कुछ नया लेकर आती हैं, हर बार। कार यात्रा, ट्रेन यात्रा, जीवन यात्रा, सबमें एक अन्तर्निहित समानता है, एक को दूसरे से जोड़कर देखा जा सकता है। यही सशक्त पक्ष है पुस्तक का भी, यात्रा में कुछ न कुछ दिखता रहता है, उससे सम्बन्धित जीवन के तथ्य स्वतः उभर कर सामने आ जाते हैं। यह शैली अपनाकर दर्शन के तत्वों को भी सरलता उड़ेला जा सकता है। पर दो खतरे हैं इसमें। पहला, असम्बद्ध विषयों को जोड़ने का प्रयास बहुधा कृत्रिम सा लगने लगता है। दूसरा, हर विषय को जोड़ते रहने से पुस्तक का स्वरूप डायरीनुमा होने लगता है। इन दोनों खतरों को कुशलता से बचाते हुये दर्शन और जीवन का जो उत्कृष्ट मिश्रण समीरलालजी ने प्रस्तुत किया है, वह मात्र सुगढ़ चिन्तन और स्पष्ट चिन्तन-दिशा से ही सम्भव है।


ताऊ की अंतिम चेतावनी पढिए --मैं ताऊ टीवी का होनहार खोजी संवाद दाता रामप्यारे आपका इस सुबह सबेरे के न्यूज बुलेटिन में स्वागत करता हूं. आज की मुख्य और बडी खबर ये है कि आज थक हार कर मिस समीरा टेढ़ी को उनकी स्लिम एवं जीरो साईज उपन्यासिका..एक भूल हुईना जाने कब उसे अपनी चाहत समझ बैठा , है वह कौन जान नहीं पाया | खिलते फूल सी मुस्कान भीड़ के बीच खोजना चाही खोजता ही रह गया नहीं जान पाया है वह कौन | कई पत्र लिखे लिख कर फाड़े कुछ भेजे, कुछ पड़े रहे उत्तर एक का भ...

खाली खाली सा बसंत...यह मेरा उदास बसंत है. पेड़ों से जब पत्ते झरते हैं, तो लगता है कि मेरा मन भी झर रहा है. तो क्या किसी नई शुरुआत के लिए ऐसा हो रहा है. क्योंकि पेड़ों पर तो नई कोपलें फूट रही हैं. काश ऐसा सच होता है तो मैं इ...मेरा इश्क खुद गरज हे मेरा इश्क अब खुद गरज हो चला हे तुझे चाहते चाहते तुझे पालने की अब जिद हो जाने से तेरी तरह मेरा इश्क भी देख बेवफा हो चला हे ।बैंड.......बाजा........बंदूक .......किसी शादी या सांस्कृतिक समारोह में गोली चलना और किसी की जान जाना , ऐसी खबरें है जो आये दिन अखबारों की सुर्खियां बनती है। ऐसे समाचार जब भी पढने सुनने को मिलते हैं ना केवल अफसोस होता है बल्कि मन गुस्से से.
जरूरी तो नहीं कि प्रत्येक पति जोरू का गुलाम होअब पत्नी चाहे अवधिया जी की हो, चाहे पात्रो जी की हो, चाहे गुप्ता जी की हो या चाहे किसी अन्य व्यक्ति की हो, सभी में एक समानता तो जरूर पाई जाती है। वे सभी चाहती हैं कि अपने पति को अपनी मुट्ठी में ही रखें। और...ये संसार प्यारी सी बगिया कोंन कहता है की इंसान... इंसान से प्यार नहीं करता | प्यार तो बहुत करता है पर इज़हार नहीं करता | हर एक... को तो अपने पहलु से बांधे फिरता है | पर फिर भी उसे कहने से हर दम ही वो डरता है | यूँ कहो की पुरान...

पुस्तकें, साहित्य पढने का समय नहीं है बहुत सारे लोग पुस्तकें आदि यात्रा में ही पढते हैं। क्या कारण है? घर में एकांत नहीं मिलता या मूढ नहीं बनता है। या कोई पुस्तक या साहित्य आपने खरीदी है या भेंट में मिली है तो उसे यात्रा में ही पढेंगें। मुझे त...क्या हाऊस वाईफ का कोई अस्तित्व नहीं ?क्या हाऊस वाईफ का कोई अस्तित्व नहीं ? क्या उसे financial decision लेने का कोई अधिकार नहीं ? क्या हाऊस वाईफ सिर्फ बच्चे पैदा करने और घर सँभालने के लिए होती हैं ? क्या हाऊस वाईफ का परिवार , समाज और देश के...

कुकूनइस नयी सड़क पर आज पहली बार आया हूँ। शहर से दूर दोनों और पेड़ों से आच्छादित शांत सी सड़क। बिना ट्राफिक के ....गाड़ी चलने का मजा तो यहाँ है। अब अगले ३-४ दिन रोज़ यहाँ आना है । रास्ते में चार स्कूली बच्चे पी...क्या अहम् है,खबर की जानकारी या फिर आपका स्वास्थ्य ? बहुत दिनों से सोच रहा था कि इस बाबत चंद लाइने लिखूं, और आखिरकार आज हिमाचल के कुल्लू गाँव की एक खबर ने कलम हाथ में थमा ही दी! एक खबर के मुताबिक़ कुल्लू के एक गाँव के लोगो ने सामूहिक फैसला लिया...

 चलते चलते व्यंग्य चित्र

 

वार्ता को देते हैं विराम, राम राम, मिलते हैं ब्रेक के बाद-----

9 टिप्पणियाँ:

अरे ललित भाई सुबह के पांच बजने वाले हे सोते कब हो? चर्चा तो मजे दार हे जी, चलिये अब सो जाये, गुड मोर्नि+नाई?

बढ़िया लिनक्स की वार्ता ..... मेरी पोस्ट शामिल करने का आभार

सुन्दर चर्चा और मेरी कविता सम्मिलित करने के लिए आभार ललित जी |
आशा

उम्दा लिंक्स ... उम्दा वार्ता ... जय हो !

बढ़िया लिंक्स उत्तम चर्चा.

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