गुरुवार, 3 नवंबर 2011

हाथों में अर्घ्य और सजल नयन में प्रतीक्षा .. सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक छठ व्रत .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी



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संपूर्ण चराचर जगत को अपने आलोक से प्रकाशित करने वाले भगवान सूर्य की आराधना-उपासना अनादि काल से होती रही है। इसी क्रम में कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाए जाने वाले सूर्य षष्ठी पर्व का महत्वपूर्ण स्थान है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड के जन-मन में बसे इस पर्व को 'छठ महापर्वÓ भी कहा जाता है। इस पर्व में भगवान सूर्य को अघ्र्य दी जाने वाली सामग्री कच्चे बांस की टोकरी (डाला) में रखकर नदी या तालाब किनारे तक ले जाई जाती है, इसलिए इसे 'डाला छठÓ के नाम से भी जाना जाता है।

सूर्य और षष्ठी तिथि के पूजन की परम्परा जो आज मात्र भोजपुरी , मैथिली क्षेत्र मे सिमट गयी है । यह सूर्य पूजा कभी अफ़्रीका , अमेरिका महाद्वीप तक फ़ैली थी । सूर्य पूजा की परम्परा आदित्य कुल के भार्गवो ने शुरु करायी । हिस्टोरियन हिस्ट्री आफ़ दी वल्ड एवं मिश्र के पिरामिडो से मिले प्रमाणो के अनुसार महर्षि भृगु के वंशज भार्गवो ने जिन्हे इस महाद्वीप पर हिस्त्री , खूफ़ू ..., मनस नामो से जाना गया । इन लोगो ने यहां सूर्य पूजा की परम्परा हजारो साल चलायी । इस तथ्य की जानकारी मिश्र के अलमरना मे हुई खुदाई से मिले पुरातात्विक साक्ष्यो और अमेरिकी विद्वानो कर्नल अल्काट , ए0डी0मार , प्रो0 ब्रुग्सवे के शोध ग्रन्थो से की जा सकती है ।

कालिम्पोंग में छठ पर्व की तैयारी जोरशोर से होने लगी है। यहां के मेला ग्राउंड में साफ-सफाई भी तेजहो गया है। इसके तहत ग्राउंड में व्रती महिलाओं केपूजा करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है औरउनको किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसकाध्यान भी रखा जा रहा है। यहां के हिन्दी भाषीलोगों में इस पर्व को लेकर खास उत्साह है औरइसके कारण वह जमकर खरीदारी में लगे हुए हैं।यही वजह है कि पूजन सामग्री के अलावा फल वअन्य सामान के मूल्य में भी वृद्धि हो गई है। यहां के वृद्ध लोगों ने बताया कि कालिम्पोंग में छठ पूजाकी शुरूआत वर्ष 1905 में हुई थी। उस समय यहां हिन्दी भाषी और बिहार के लोगों की आबादी कमथी। इसके बाद धीरे-धीरे आबादी बढ़ती गई और यह पर्व से महापर्व बन गया।

आधुनिकता के इस युग में भले ही गीतों के बोल बदल गए हैं लेकिन छठ पूजा के गीतों का आंचलिक पारंपरिक तरीका आज भी श्रद्धा की लहरें पैदा करता है। पूजा के गीतों के बोल आज भी अनमोल हैं। लोक आस्था का महापर्व आते ही बाजार से लेकर घर तक छठ पूजा के गीत बजने लगे हैं। छठ पूजा के गीतों का अपना एक अलग बाजार व अपनी एक अलग छटा है। इस पावन पर्व के गीतों में भी इतनी आस्था है कि गीत बजते ही लोगों का सिर श्रद्धा से नव जाता है। छठ की शाम के अ‌र्घ्यदान के दिन तक इसके कैसेटों की बिक्री होती है। घाट से लेकर घर तक हर जगह इसके गीतों की गूंज सुनाई पड़ने लगी है।

हाथों में अर्घ्य और सजल नयन में प्रतीक्षा, जल में ध्यानस्थ व्रती महिलायें, तट पर पथ निहारते अंशुमान को श्रद्धालु। पूर्व क्षितिज में उदित हुए रक्ताभ दिनकर। बांस के हरे सूपों पर गिरी अरुणिमा और व्रतियों का मन हुआ प्रसन्न। सूर्यदेव ने स्वीकार की आराधना। पूर्ण हुआ छ्ठ महाव्रत। मिला छ्ट्ठी मैय्या का आशीष। हरित कदलीस्तम्भों से निखरा माई का घाट और दीप-श्रृंखला से झिलमिलाती दीपमालिकायें।

भगवान सूर्य की उपासना का व्रत छठ अब सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बन रहा है | भारत के बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पूरे नियम और कायदे से मनाया जाने वाला छठ पूजा न केवल धर्मं की दीवारें तोड़ रहा है बल्कि देश की सीमाओं से बाहर जाकर अमेरिका और ब्रिटेन में भी अपना असर दिखा रहा है | छठ पूजा के दिन आस्था और श्रधा के साथ व्रत रखते हैं | बिहार में सूर्य उपासना की प्राचीन परंपरा रही है , यही कारण है की वहाँ दर्जनों सूर्य मंदिर हैं | बिहार में गंगा क्षेत्र से सूर्य षष्ठी व्रत प्रारंभ हुआ था | प्रथ्वी की तमाम सभ्यताओं में विभिन्न नामों से सूर्य की उपासना की जाती रही है , लेकिन इस पूजा में ही डूबते हुए सूर्य का सम्मान करते हुए उसे अर्घ्य दिया जाता है | ये विचार इस पूजा को औरों से विशिष्ट 


बनता है |

स्वस्ति श्री पत्र लिखा बंगलुरु से करण समस्तीपुरी के तरफ़ से छट्ठी मैय्या और बाबा सुरुजदेव के चरण-कमलों में सादर प्रणाम पहुँचे। व्रती महिलाओं को शुभकामनाएं और बिलागर बंधु-बांधवों को छ्ट्ठी मैय्या का आशीष।
आगे बात-समाचार सब तो ठीक है। मगर तत्र कुशलं अत्र नास्तु। एक तो आप वरुण देवता का पावर सीज करि रखी हो...! महराज रेवाखंड पर बरसिये नहीं रहे हैं बरसों से...! उपर से आपकी सौतिनिया डीजल-पिटरोल का दाम भी अकास ठेका दी है...! उ तो धन्य हो रेवाखंडी उत्साह... कि खेत सुखाए तो सुखाए मगर दमकलो से पोखर भरकर आपका अरघ जरूर उठाता है।

हमारे यहां भी छठ का त्‍यौहार बहुत हर्षोल्‍लास के साथ मनाया गया।

छठ के और कुछ चित्र आपको यहां  दिखाई देंगे !!

8 टिप्पणियाँ:

छठमय वार्ता बढिया रही।

आभार

भगवान् आदित्य को समर्पित छठ पर्व की अद्भुत झांकियों का संकलन...
आभार!

बहुत अच्छी वार्ता ..आप सबके साथ हमने भी छठ माना लिया ..बस ठेकुए नहीं मिले :)

छठमयी रोचक वार्ता।

बढ़िया रही छटमय वार्ता.

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