शनिवार, 15 दिसंबर 2012

तुम काबिल हो काबिले तारीफ हो ...ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप

आज की वार्ता में  संगीता स्वरूप  का नमस्कार ....चलिये शुरू करते हैं आज की वार्ता ....

हाय तुम्हारी यही कहानी ( कहानी )कॉल बेल का बटन दबाते समय नीरा के हृदय में बड़ी उथल पुथल हो रही थी – हो सकता है दरवाज़ा सौम्या भाभी ही खोलें या उनके पति विश्वास हों ! अगर कहीं सौम्या भाभी ही हुईं तो कैसे उनसे मिलूँगी ! कस के लिपट जाऊँगी उनसे ।तुम ..से ....तुम्हारे साथ .तुम /अबूझ पहेली थे /मेरे लिए ../जिसे बूझने का प्रयास /दे गया अनेक सवाल ------हो तुम ...जीवन पथ मेंमैं अकेला /  साथी हो तुम/मंजिल को पाने मैं  निकला / साहिल हो तुम /मेरे हृदय में उठती करुणा / आंसू हो तुम हर शै पर चमकने वाला / सितारा हो तुम .हम पर फ़िदा है ...हम पर फ़िदा है सदा -ए- मोहब्बत /की  है   इबादत   हम   करते  रहेंगे- ...साथ-साथ...प्यार करते हो तुम,मुझसे/तुमने अनगिन बार ये/दोहराया है .भानगढ़ के भुतहा किले का सच...राजस्थान मेंजयपुर अलवर के पास स्थित भानगढ़ का में भूत होने की कहानी देश-विदेश में चर्चित है | आज से कोई पांच सौ वर्ष पहले बसा यह समृद्ध नगर उजाड़ पड़ा है निर्माण ध्वस्त हो चुकें है महल भी खंडहर हो चुका है हाँ मंदिरों में मूर्तियाँ गायब होने के अलावा कोई नुकसान नहीं हुआ|...



पढ़ते पढ़ते लिखना सीखो...पिछले कई दिनों से पढ़ रहा हूँ, बहुत पढ़ रहा हूँ, कई पुस्तकें पूरी पढ़ी, कई आधी अधूरी चल रही हैं। रात में बच्चों के सोने के बाद पढ़ना प्रारम्भ करता हूँ तो कब घड़ी को दोनों सुईयाँ तारों की दिशा दिखाने लगती हैं, पता ही नहीं चलता है।....इस बार लिफ़ाफ़े में....हर शब जब कोई करीब नहीं रहता तो कुछ सबब रहते हैं पास....कुछ ख्याल और इक मिरी परछाई....खोजते खोजते उससे ही बतिया लेता हूँ....कितने लोग शैतान से लड़े और याद बन गये..एक बूँद ज़िन्दगी... संध्या शर्मा...........एक आंधी का इंतज़ार है  /एक तूफ़ान की ख्वाहिश है /झुकी आँखें राह तकती हैं /धुंध है, ओस बिखरी सी है........तुम जुदा हुए तो क्या हुआ.......तुम जुदा हुए तो/क्या हुआ/मुझे फर्क नहीं पडा/नुकसान तुम्हारा ही हुआ।


"पीले फूल" ...बेशक..../राहों में/खिले थे फूल/हाँ , "पीले फूल" .....लंदन में नतीज़ा कुछ नहीं निकला..संवैधानिक मोर्चे पर लड़ने के लिए शिष्टमंडल के प्रतिनिधि के रूप में गांधी जी और सेठ हाजी हबीब 10 जुलाई 1909 को लंदन पहुंचे। लंदन पहुंचते ही बिना समय गंवाए गांधी जी अपने काम में जुट गए।....धोबीघाट.......घर के पिछवाड़े एक नदी है छोटी,उथली सी /जिसके पाट पर बिछी हैं तमाम पटिया/रोज तडके आतीं हैं आवाजें वहाँ से/कुछ सपनों के पछीटे जाने की..............सज़ा ...जब से सुनयना को ,डॉक्टर श्री कान्त ने ,विजय और सुमन को उम्र कैद की सजा की खबर सुनायी है तब से उसके मन में  एक अजीब सी हलचल मची हुई है। उसे नहीं मालूम यह बैचेनी है या अजीब सा सुकून है ....


खोये हुए लोग कहाँ चले जाते हैं?.......बहुत साल पहले दूरदर्शन पर एक प्रोग्राम आता था...मैं उसे देख कर हमेशा बहुत उदास हो जाती थी. सोचती थी कि ये दुनिया कितनी बड़ी है कि इतने सारे लोग खो जाते हैं और किसी का पता भी नहीं मिलता............हँसी बोती है बेटी .अँगुली थाम /जो  चलती थी कभी/वो मेरी बेटी/कन्धे तक पहुँची/अब बड़ी हो गई ।............कुछ क्षणिकाएं.........ना तौलो मान मेरा सोने-चांदी से /बड़ी आस से आयी हूँ अपना नैहर छोड़ के। /अपना लो मुझे अपनी बेटी समझ के..............साँवली बिटिया ..रंग सांवला बिटिया का /कैसे ब्याह रचाऊँगा /बेटे जो होते सांवले...माँ तुम्हारा चूल्हा....माँ/बंद होने वाला है/तुम्हारा चूल्हा/जिसमे झोंक कर/पेड़ की सूखी डालियाँ/पकाती हो तुम खाना...लम्हे भर की बात नहीं........सपनों वाली रात नहीं /दिन के उजाले साथ नहीं /एक ज़रा सा दिल टूटे तो /ये दुनिया अपने पास नहीं ...समझौतों की कोई जु़बान नहीं होती !!तल्‍लीन चेहरों का सच /कभी पढ़कर देखना /कितने ही घुमावदार रास्‍तों पर /होता हुआ यह .......देह से परे मन की चाह....देह की सीमा से परे/बन जाना चाहती हूँ/एक ख्याल/एक एहसास ,...तुम काबिल हो, काबिल-ए-तारीफ़ हो..बेहद बेतकल्लुफ़ी वाली शाम थी वो... एक हल्की-सी सर्दी वाली शाम कि जब माहौल का तक़ाज़ा होता है उम्र और अनुभव के अंतर को भुलाकर उस बेतक़ल्लुफ़ी, उस अनौपचारिकता की रौ में बहते हुए वो कहना और सुनना, ..१२-१२-१२ का जादू : ट्रेन में शादी...कहते हैं जादू वो जो सर चढ कर बोलेजैसे बंगाल के काले जादू के बारे में कहा जाता था. पर १२-१२-१२ के जादू ने तो बंगाल क्या अफ्रीका तक के जादू को फेल कर दिया.


आज के लिए बस इतना ही .... फिर मिलते हैं......  नमस्कार 

10 टिप्पणियाँ:

बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स का संयोजन किया है आपने ... आभार इस प्रस्‍तुति के लिये

सादर

बढ़िया लिंक्‍स मिले... बहुत-बहुत आभार संगीताजी

SANGEETAA KEE MEHNAT PARILIKSHIT HO RAHEE HAI ITNE SYNDAR RACHNAAO KE LINKS SANYOJAN MEIN,,BADHAAYEE

आभार आपका संगीता जी मुझे भी इस वार्ता का हिस्सा बनाया ! सभी सूत्र पठनीय एवं सारगर्भित हैं !

सादर आमंत्रण,
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कृपया अपना ब्लॉग शामिल कीजिए - http://goo.gl/7mRhq

कृप्या मेरा चिठ्ठा जोड़े
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