शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

नए साल का धमाल-बीत गया ये साल … ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....कुछ कहूँ .....?? कह तो लूँ ..... पर कोयल की भांति कहने का ... अपना ही सुख है ... बह तो लूँ ...... पर नदिया की भांति बहने का ..... अपना ही सुख है ... सह तो लूँ .... पर सागर की भाँति सहने का .... अपना ही सुख है .... सुन तो लूँ .... पर विहगों के कलरव सुनने का ... अपना ही सुख है ... गुण तो लूँ ..... पर मौन दिव्यता गुनने का .... अपना ही सुख है .... हँस तो लूँ ... आँसू पी कर भी हंसने का .... अपना ही सुख है .... जी तो लूँ ..... पर रम कर के जीने का ... अपना ही सुख है ... रम तो लूँ ... हरि भक्ति मे रमने का .... अपना ही सुख है .... है न ...?? ...लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता.... 

हाथ पांव में दम नहीं, हम किसी से कम नहीं :दिल्ली गैग रेप - *दस बजे रात को लड़की घर से बाहर क्या कर रही थी?* *ब्वॉय फ्रेंड के साथ रात को बाहर निकलेगी तो यही होगा. * *पुलिस कहां तक संरक्षण देगी?* *प्रतिरोध भी उसका..जागो, कि तुम आधा विश्व हो - पिछले कई दिनों से दिल्ली में दरींदों के वहशीपन का शिकार बनी बेकसूर लडकी को न्याय दिलाने के लिए सरकार और जनता के बीच ठनी हुई है। सरकारी पाले के लोग इस गलतफ... ‘हम भ्रष्ट हैं और हमें भ्रष्ट होने का पूरा-पूरा अधिकार है’.....!!!??? - ‘हम भ्रष्ट हैं और हमें भ्रष्ट होने का पूरा-पूरा अधिकार है’ ‘हम भ्रष्ट हैं और हमें भ्रष्ट होने का पूरा-पूरा अधिकार है’ – यह नारा लगाते हुए भ्रष्ट संघ ने भार...

अगर ब्लोगवाणी चाहे तो आज भी फिर से हिन्दी ब्लोगिंग में जान फूँक सकती है - और किसी को लगे, न लगे, पर मुझे लगता है कि हिन्दी ब्लोगिंग की प्राणशक्ति बेहद कमजोर हो चुकी है, इसके पीछे कारण यही लगता है कि हिन्दी ब्लोगिंग के लिए अच्छे ...करते हैं दुआकितनी ही रातें गुजरी आँखों ही आँखों में तेरी आमद के सारे रस्ते धोये आँखों की बरसातों ने. तुम तो "आता हूँ " कह कर भूल गए वाकिफ भी नहीं ... किसी की दुनिया और वक़्त रुका हुआ है तुम्हारे इंतज़ार में . " तुम वहाँ अपनी हथेली रखो मैं अपनी आगे बढाती हूँ जोड़ लेते हैं दोनों हथेलियाँ करते हैं दुआ... ........ए खुदा सुन ले ज़रा ...तुम न मुझको भूल जाना तुम न मुझको भूल जाना, याद करना याद आना, जिंदगी तेरे हवाले, छोड़ दो या मार जाना, प्यार तेरा बंदगी है, आज है तुझको बताना, चाहते हैं लोग सारे, दाग से दामन बचाना, ठीक ये बिलकुल नहीं है, हार कर आंसू बहाना ..... 

नए साल का धमाल-जूतम पैजार बवाल …… - चौपाल में डीजे लगाकर नया साल मनाने के लिए मोहल्ले के नवयूवक मनहरण, लीलू, चंदू, डॉक्टर, तहसीलदार, थानेदार, कोरकु, फ़ागु इत्यादि तैयारियों में जुटे हैं। ..नववर्ष की बधाई,,, - *2013* *नववर्ष की बधाई,* * * साल बीत गया दुख में,कोई खुशी नही पाई, नया साल सुखमय गुजरे,नववर्ष की बधाई! 2012 बीत रहा, क्या खोया क्या पाया...छत्तीसगढ़: एक अटल-प्रतिज्ञा जो पूरी हुई - *पूर्व प्रधानमंत्री मान. अटल बिहारी वाजपेयी के 89 वें जन्मदिवस पर विशेष लेख* वह दृश्य अभी भी ऑंखो से ओझल नहीं हो पाया है जब 31 अक्टूबर 2000 को घड़ी की ... 

मेरी अभिव्यक्ति..........- आज टूटकर आसमां से फिर इक तारा गिरेगा... किसी ने दिल से अधूरे चाँद की ख्वाहिश की है. : राकेश जाज्वल्य. 27.12.12 ...इन्काररात के अँधेरे में बैठ कर वो अपने आंसू बहा रहा था। उसे लगता था की वो अब और जी नही पायेगा। रह रह कर उसे वो घटना याद आती थी। किसी की याद उसे हर समय जला रही थी। वो एक मामूली सा मास्टर था। जो की कम तनख्वा में सिर्फ अपना खर्च ही चला सकता था। ऐसे में शायद उसे इस बात का अधिकार ना था की वो किसी से मोहब्बत करे...मुझे सिर्फ एक ख़ामोशी मिली है........ - आज मुझसे यूँ ही एक दोस्त पूछ बैठी की मैंने कुछ क्यों नही लिखा? दिल्ली वाली घटना पर मैं उसके इस सवाल पर मेरे पास कोई जवाब नही था और....मैं खामोश रही....और ...  

मैं एक नारी हूँ हे!सखा कृष्ण मैं एक नारी हूँ , आत्मा हूँ हर युग की मैं एक चुनौती-एक आवहान हूँ ...शाश्वत प्रेम - आज आशीष राय जी के ब्लॉग "युग दृष्टि" से एक कविता --* शाश्वत प्रेम* *आशीष जी अपनी कविता के बारें में कहते हैं---* *"प्रेम की परिभाषा के बारे में कुछ कहना मे...पृथ्वी का पहला व्यक्ति - मैने जब पृथ्वी पर पहला पग रखा सौन्दर्याचारी बना- मां का मुंह निहार फिर बना लोभाचारी-अच्छे स्वादिष्ट भोजन, सुस्वादिक वह सब कुछ जिससे पेट भरता हो तभी प्रेम के ..

भीमा नदी किनारे विराजे भीमा शंकर ज्योतिर्लिंग भीमा शंकर की यात्रा प्रारम्भ में जितनी उत्सुकता भरी थी, समापन में उसका रोमांच नाम मात्र का भी नहीं था। बस! एक ही आनन्द था - एक और ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लिए। पुणे से कोई सवा सौ-एक सौ तीस किलामीटर की यह यात्रा हरी-भरी तो होती है  मौन ही होता जहाँ अभिषेक !! .मेरी खामोशियों को देख शब्‍द आपस में कानाफूसी करते हैं इन दिनो अपने-अपने क़यास लगाते जुबां कुछ कहने को तैयार नहीं मन अपनी धुन में हर वक्‍़त शून्‍य में विचरता आखिर वज़ह क्‍या है ?? .जी ढूँढता है घर कोई दोनों जहां से दूर मैंने फेसबुक पर अपनी प्रोफ़ाइल पिक्चर बदल ली है मगर ये शोक और विरोध का प्रतीक काला डॉट नहीं है। इस शर्मसार कर देने वाले अमानुषिक कार्य की भर्त्सना करता हूँ लेकिन मैं काला डॉट नहीं लगाना चाहता हूँ। ... 

भास्कर भूमि में ‘डॉ. चन्द्रकुमार जैन’, ‘देशनामा, ‘अजित गुप्ता का कोना’, ‘ललितडॉटकॉम’, ‘उसने कहा था’ - 27 दिसंबर 2012 को भास्कर भूमि में डॉ चन्द्रकुमार जैन, देशनामा, अजित गुप्ता का कोना, ललित डॉट कॉम, उसने कहा था की पोस्ट्स ...हेड या टेल : यह ज्‍योतिष का नहीं आंकडों का खेल है | गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष - कल ज्‍योतिष को चुनौती दिए जाने से पहले मैने अपनी ओर से कुछ सुझावों का जिक्र किया था ,जिसे आप मेरी शर्तें भी मान सकते हैं । पर फिर भी पाठकों ने इसका स्‍वागत किया ,इसके लिए उनका बहुत बहुत शुक्रिया। वैसे इतनी सावधानी बरतने के पीछे जो कारण है ,उसके बारे में आप अनजान हो सकते हैं ,पर मैं नहीं। ... ठीक है : मुन्‍नाभाई के फेसबुक और ट्विटर के वे संदेश जो सुर्खियों में रहे - "पब्लिक को तुरत अफीम चटाओ होश में यह कैसे आई पता लगाओ" मच्‍छर से मुन्‍नाभाई की फेसबुक पर चैटिंग गाजर के हलवे में तरबूज की खोज आम ने बनायी खिचड़ी द..

एक कार्टून ...

अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार........

10 टिप्पणियाँ:

बहुत सटीक वार्ता है संध्या जी

बढ़िया विश्लेषण.. कार्टून मस्त है।

बहुत बढ़िया वार्ता ... अच्छे लिंक्स सजाये हैं ।

संध्या जी वर्ष 2012 ने जो चिंगारी छेड़ी है अन्ना जी से निर्भया तक ,जब अकेली जान आधी दुनिया की पूरी तथा इंसानियत की लड़ाई लड़ सकती है मौत को धता बता सकती है तब एक फर्ज़ हमारा

भी है सेकुलर वोट की बात करने वालों को हम भी मुंह की चखाएं .
ब्लॉग वार्ता 4 ,ने ,बड़े मौजू और प्रासंगिक सवाल उठाए हैं हम तैयार हैं बढ़िया नव वर्ष के नए संकल्पों के साथ जो आपने भी दोहरायें हैं .बधाई 2013

बहुत आभार संध्या जी मेरी रचना चयन की ......लिंक्स बढ़िया है ...

बढ़िया लिंक्स,सुन्दर वार्ता, आभार !

दीदी नमस्ते बहुत सुन्दर वार्ता है मेरी रचना को स्थान दिया आपके तहे दिल से शुक्रिया, देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ, आपका अनुज अरुन

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