सोमवार, 31 दिसंबर 2012

चला-चली की वेला में कुछ यादें ...........ब्लॉग4वार्ता ....... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, वर्ष 2012 का अंतिम दिन आ चुका है और दरवाजे पर 2013 ताल ठोंक रहा है। बीते वर्ष की खट्टी-मिट्ठी यादें साथ थी पर जाते-जाते यह कड़ुवी यादें भी दे गया। दिल्ली की दुर्घटना इसी के खाते में गिनी जाएगी। मीठी यादें मित्र मिलन की, खट्टी यादें बिछड़न की। बस यही चलता रहता है दुनिया में। ब्लॉग जगत में बहुत कुछ लिखा गया इस वर्ष। कुछ ब्लॉगर साथियों को हमने खोया भी तो कुछ नए साथियों ने भी ब्लॉग जगत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस वर्ष का परिकल्पना सम्मान भी यादगार रहा। खास कर ब्लॉग जगत में वह रौनक नहीं रही जो दो वर्ष पूर्व रहती थी। धुंरधर कहाने वालों के टेंट उखड़ गए और कैंप फ़ेसबुक पर शिफ़्ट हो गए। इस वर्ष ब्लॉग4वार्ता पर 319 पोस्ट प्रकाशित हुई। अर्थात कुछ दिनों को छोड़ दें तो वार्ता की  निरंतरता बनी रही। 10 हजार टिप्पणियों का आंकड़ा भी वार्ता ने पार किया।
भूली बिसरी यादें (पहचान लीजिये)

जब चिट्ठों की चर्चा करने में मेरे पास समय एवं साधन की कभी थी तब निरंतर वार्ता लिखने का उल्लेखनीय कार्य संध्या शर्मा जी ने किया, वे साधुवाद की पात्र हैं, एवं वार्तादल के सभी मित्रों का हार्दिक अभिनंदन है। वार्ता के प्रारंभ से जुड़ी हुई संगीतापुरी जी एकमात्र ऐसी साथी हैं जो मेरे साथ वार्ता पर अभी तक कायम हैं। उनका साथ एवं संबंल नहीं होता तो शायद वार्ता को बीच में विराम लेना पड़ता। संगीता स्वरुप जी की उपरस्थिति भी वार्ता पर लगातार बनी हुई है चर्चाकार एवं पाठक के रुप में। गिरिश बिल्लौरे जी दंडक अरण्य में होने के कारण वार्ता से विमुख हैं और केवल राम जी का शोध प्रबंध वार्ता में बाधा है। विश्वास है कि वार्ता अहर्निश जारी रहेगी। यहाँ जितने वार्ताकार हैं सभी सक्षम है। तभी हम 2012 में 319 पोस्ट के आंकड़े तक पहुचने में सफ़ल हुए। सभी पाठकों को ढेर सारी शुभकामनाएं।
ललित शर्मा,  आदित्य सिंह, सत्येन्द्र शर्मा, संध्या शर्मा 

अकलतरा में बाबुसाहब(रमाकांत सिंह) से मुलाकात के पश्चात नागपुर में आयोजित सम्मान समारोह में अंजु चौधरी जी एवं डॉ अनिता कपुर से मुलाकात हुई। इसके पश्चात भोपाल सेमिनार में अगस्त में ब्लॉग जगत के धुंरधरों से मुलाकात हुई, सुरेश चिपलुनकर, शिखा वार्ष्नेय, चंडीदत्त शुक्ला, अनिल सौमित्र, लोकेन्द्र सिंह, लखेश चंद्रवंशी, संजीव सिन्हा, जयराम विपल्व, डॉ महेश परिमल, संजय बेगानी, पंकज झा, हर्षवर्धन त्रिपाठी, रवि रतलामी जी सहित अन्य ब्लॉगर एवं पत्रकार मित्रों से भेंट हुई। इस अवसर पर शिखा ने स्मृतियों में रुस की एक प्रति भेंट की। वर्ष भर दिल्ली दूर रही, लेकिन वर्षांत तक रतनसिंह जी के साथ भानगढ की यात्रा के पश्चात दिल्ली पहुंच ही गए जहाँ पीके शर्मा जी से ही भेंट हुई।
डॉ अनीता कपूर, संध्या शर्मा, ललित शर्मा, अंजू चौधरी नागपुर में 

2012 में हमारे साथ एक उपलब्धि भी जुड़ी। संज्ञा टंडन जी के साथ हमने सीजी रेडियो प्रारंभ किया। अभी यह प्रारंभिक अवस्था में है। कुछ दिनों के पश्चात इसे वास्तविक स्वरुप प्राप्त होगा तथा कार्यक्रम 24x7 दिन चला करेंगे। ओनलाईन रेडियो चलाना भी श्रम साध्य कार्य है। इसके कार्यक्रम की उम्र भी ब्लॉग पोस्ट के इतनी ही है। अधिक से 24 घंटे और फ़िर इसके पश्चात अगले कार्यक्रम की आवश्यकता हो जाती है। सीजी रेडियो से वैश्विक तौर पर हिन्दी प्रेमी जुड़ रहे हैं। हम इसे छत्तीसगढ से संचालित कर रहे हैं इसलिए सीजी रेडियो नाम का चयन किया गया। मांग होने पर अन्य भाषाओं के कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं। प्रथमत: छत्तीसगढी के साथ बुंदेलखंडी को जोड़ने की मांग आ रही है। शीघ्र ही देशज भाषाओं के कार्यक्रमों को महत्व दिया जाएगा।
जाट देवता, जाट राम, संगीता पूरी, केवल राम, ललित शर्मा, अल्पना 

वर्षांत आते-आते जबलैपुर में फ़ुरसतिया संग मुलाकात हुई। गिरीश बिल्लौरे ब्लॉगर संकलन कर्ता थे, विजय तिवारी, बवाल भाई, विजय श्रीवास्तव जी, संध्या शर्मा जी, सत्येन्द्र शर्मा जी, बबलु संग जबलैपुर का आनंद लिया। त्रिपुर सुंदरी माता के दर्शन कर धन्य हुए। जबलपुर से लौटने के पश्चात कुछ फ़ेसबुक मित्रों से सरगुजा में भेंट हुई। इस तरह वर्ष 2012 बीत गया। जिन मित्रों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से सहयोग दिया और अपनी संवेदनाएं  हमारे साथ रखी। उनका हम हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं एवं धन्यवाद देते हैं। आगे भी इसी तरह के सहयोग की अपेक्षा करते हैं। साथ ही निवेदन है कि अपनी रचनाएं सीजी रेडियो के लिए भेजें। सीजी रेडियो के योग्य पाए जाने पर उनका प्रसारण किया जाएगा। 

6 टिप्पणियाँ:

बहुत शिद्दत से लेखा जोखा दिया है ललित जी आपने |नववर्ष मंगलमय हो |
आशा

बहुत बढ़िया विश्लेषण से अवगत कराती वार्ता प्रस्तुति हेतु आभार ..नववर्ष की शुभकामनायें!

यह बात तो सही है कि ब्लॉग जगत में वो रौनक रही जो पहले थी अब तो ज्यादातर ब्लॉगर फेसबुक पर ही लिख कर खुश हो जाते हैं। टिप्पणियों के जगह लाइक्स ले ली है। परन्तु काफी ब्लॉगर हैं जो भी सक्रिय हैं और अच्छा लिख रहे हैं! फेसबुकिया भी धीरे धीरे वापस आ ही जायेंगे! अभी तो हिंदी ब्लॉग्गिंग का स्वर्णिम काल आना बाकी हैं ! पोस्ट कितनी आती हैं इससे फर्क नहीं पड़ता क्वालिटी मैटर करती हैं !

दिलचस्प लेखा-जोखा . नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .

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