ललित शर्मा का नमस्कार, लखनऊ ब्लॉगर सम्मेलन निपट गया, लोग मिले जुले पुरस्कार ग्रहण किया। समारोह के चित्रों एवं हो रही चर्चाओं से प्रतीत होता है कि परिकल्पना समारोह सफ़ल रहा है। कोई भी समारोह हो पर उसके बाद कुछ छींटा-कसी तो होती ही हैं। ऐसा ही कुछ गत दो दिनों में ब्लॉग जगत में देखने मिला। कल अरविंद मिश्रा जी की पोस्ट पढने मिली। वहाँ पर सवाल-जवाब हो रहा है। एक टिप्पणी हम भी चेप आए - मिसिर जी, ब्लॉग जगत कोई भेड़ बकरियों का रेवड़ नहीं है जिसे कोई भी हाँक...