आप सबों को संगीता पुरी का नमस्कार ,आज चौथे वनडे में आखिरी मौके पर भारत का पलड़ा भारी लग रहा था, लेकिन बारिश ने सारा खेल बिगाड़ दिया। इस पूरे सीरिज में बारिश ने टीम इंडिया को नुकसान ही दिया है , बारिश के कारण ही पहला वनडे मैच रद्द हो गया था , इसके बाद दूसरे और तीसरे वनडे मैच को भी इंग्लैंड ने अपने नाम ही कर लिया था। पिछले मैच की तरह आज भी डकवर्थ लुइस सिस्टम के चलते मैच टाइ हो गया। भारत-इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की वनडे सीरीज का यह चौथा मैच था , जिसके बाद इंग्लैंड ने 2-0 से वनडे सीरीज पर अपना कब्जा जमा लिया। हालांकि मैने तो इसका पूर्वानुमान कर ही लिया था कि अच्छा खेलने के बाद भी भारतीय टीम के हिस्से सफलता नहीं आ सकेगी। अब आपको लिए चलते हैं आज की वार्ता में ....
गणपति बप्पा का जाना अब उस स्थान का खालीपन, जहां गजानन विराजमान थे, काटने को दौड़ता है। आते-जाते बरबस निगाहें उस ओर उठ कुछ तलाशने लगती हैं। फिर मन अपने आप को तैयार करने लगता है अगले वर्ष उनके आने तक के इंतजार के लिए। वैसे तो ना जाने क्यों - आज तुझसे मिलने को दिल चाह रहा है ना जाने क्यों - आज तुझसे मिलने को दिल चाह रहा है - मुझे बुला रहा है - या तू खुद मेरे पास आ रहा है . चल तू ही आ जा मेरे -दोस्त मेरे भाई - लोगों के लिए खुदा मेरे लिए तो माखन चोर- काला कृष्ण कन्हाई . मैं कपड़ा छपाई तकनीक का सफ़र फैशन की दुनियां में कपड़ों के रंग और उन पर छपी डिजाइंस का महत्व कौन नहीं जनता पर क्या कभी आपको यह जानने की उत्सुकता हुई है कि आखिर कपड़ों पर छपाई किस तरह और कौन कौन सी तकनीकी से की जाती है आईये आज चर्चा हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से चमकता भारत मगर अवाम की आँखों में सिसकता भारत जम्हूरियत सबसे बड़ा मेरा फक्र भी मुझको हादसे और धमाकों में तड़पता भारत किसी के जान की कीमत क्या कौन कह सकता घोषणा कर मुआवजे की
गहराते साए ........ मानवीय प्रवृत्ति कभी-कभी विचित्र परिस्थितियाँ उत्पन्न कर देती है हम जिस दुखद स्थिति से खुद को दूर रखना चाहते हैं ,उसको ही प्रतिपल अपने अंदर-बाहर ध्वनित करते रहते हैं जिन सुख के लम्हों को थामने की सो...पुल के पार *"** *सोहन जादव के ममहर (मां का गांव) भी ओही पार में था। बचहन (बचपन) में सोहना एक बेर गिया था अपन ममहर, जब ओकर नानी का नह-केस (श्राद्ध कर्म) था। लोग कहते हैं जिस साल सोहना की नानी मरी थी वोही साल कोशिक...रात की हथेली पर याद के फूल रात की हथेली पर रखे थे कुछ सफेद फूल सीने में धड़कती थी एक याद आंखों में लहराती थीं गंगा, जमुना, नर्मदा टेम्स, वोल्गा और भी न जाने कितनी नदियां हर याद के नाम पर वो नदियों में बहाती थी कुछ फूल. लेकिन रात ...
तुम ही छिटक के दूसरे का चांद हो गईं *पंकज शुक्ल* *की क़लम से * *फरवरी की पांचवीं तारीख़* वो जो हलचल है तेरे दिल में मेरी हरकत है, मेरी जुंबिश ही तेरे हुस्न की ये बरकत है। मेरी गुस्ताख़ नज़र ने तुझे फिर से देखा, तू कुछ औऱ ख...महफिलें अलग ज़माने लगे हैं महफिलें अलग ज़माने लगे हैं वो सुना है हम से ही कतराने लगे हैं वो आशियाना नया बनाने लगे हैं वो सुना है दहलीज को सजाने लगे हैं वो चौखट पर तेल चुआने लगे हैं वो शायद नयी रौशनी लाने लगे हैं वो गृहप्रवेश की ...ज़िन्दगी बहुत कुछ सहती रहती आँखों से दूर तक छोर नहीं दिखता जिसका ज़िन्दगी उस सागर सी नज़र आती निरंतर कभी ज्वार कभी भाटा जीवन में आता रहता कभी खामोश कभी क्रोध से उफनता भावनाओं की लहरें कभी छू कर चली जाती कभी मन मष्तिष्क को सर...
दिल्ली भूकंप के बड़े झटके के लिए कितनी तैयार...सात सितंबर की रात 11 बजकर 28 मिनट पर भूकंप ने दिल्ली को हिलाया...4.2 तीव्रता वाले इस भूकंप का केंद्र हरियाणा के सोनीपत के पास था...भूकंप के लिहाज़ से खतरनाक माने जाने वाले दिल्ली और आसपास के इलाके में अगर ...... विज्ञान सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य - सहारा में प्राप्त होने वाले सौर ऊर्जा का मात्र 0.3% पूरे यूरोप की ऊर्जा समस्या को समाप्त कर सकता है। - मनुष्य के शरीर का 90% ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और नाइट्रोजन का बना होता है। - ओक का ...
क्या छिपाऊँ, तुमसे ... !! कविता : जज्बात ! तुम जब जब आते हो सामने मेरे मैं खोल देती हूँ खोल कर रख देती हूँ सब कुछ, ताकि, तुम्हें दिक्कत न हो देखने, समझने में ! मैं यह भी नहीं चाहती कि - तुम्हें, ज़रा भी संकोच हो इसलिए कुछ छिपाती नही...पुल पुल एक पुल ने दिल लगाया भी तो पहियों से, छोटे-बड़े, मोटे-पतले. दिल भले ही साफ़ रहा हो पर दिखने में एकदम काले. देता रहा अपने चौड़े सीने पर सबको सहारा, प्यार, लाड, दुलार रौंदते रहे पहिये उसे हर दम नहीं मि...यादों में बरसता सावन- भादों.......सुबह बच्चों का टिफिन तैयार करते समय किचन की खुली खिड़की से रह-रहकर बरसती फुहारें सावन की मीठी-मीठी याद दिलाती रही। सावन आते ही आँगन में नीम के पेड़ पर झूला पड़ जाता था। मोहल्ले भर के बच्चों के साथ स्कूल स...
सब तीरथ बार-बार तिहाड़ जेल एक बार *चौबे जी की चौपाल* चौपाल आज चटकी हुई है । चुहुल भी खुबई है । पप्पू के पापा के तिहाड़ जाने की जबसे बात सुने हैं चौबे जी, फुलि के कुप्पा हैं । मनमोहनी मुस्कान बिखेरते हुए कह रहे हैं कि "हर पापात्मा को.......मुछ्छड़ पहाड़ और हम एक लकीर खींची और कहा-पापा, देखो पहाड़ देखा मैंने तुम्हारी ड्राइंग बुक में अपनी कमर पर दोनों हाथ दिए मुस्कुरा रहा था हिमालय से ऊंचा एक मुछ्छड़ पहाड़ तुम्हारी बारिश में इतना भींगा-इतना भींगा कि गीला हूं अभी त...बदल गया है देश {कविता} भला विचारा कभी, हम क्या थे और क्या हो गये स्वार्थ की प्रतिस्पर्धा ऐसी जगी परहित भूल, अलमस्त हो खो गये ! न फिक्र की समाज की, किसी के दुःख से न रहा कोई वास्ता फंसकर छल कपट के मन तो पागल हो जाता है मन तो पागल हो जाता जब अलि कलि पे मिल जाता रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम सावन जब नगमें गाता मन तो पागल हो जाता है मन तो ......................... कल-कल कल-कल करती तटिनी झर-झ...भले ही यह इक सपना था ...पर मेरा तो सब कुछ इसमें अपना था .... माँ का आँचल माँ के आँचल में छुप के मैं उसको गुदगुदा रहा था , वो सुना रही थी लोरी मुझे मैं हंसी-हंसी में उसको रुला रहा था वो प्यार से मेरा माथा सहला रही थी अब मुझ को भी नींद आ रही थी ...चलो-चलो रे ! ब्याही जाती, सरकारी-शहजादी "
चोर-उचक्के घूमते, पक्का मौका-ताक
नजर हटी चम्पत हुए, लगा के रखो लाक
लगा के रखो लाक, टूट जायेंगे पल में
जहर-खुरानी चूक, ढाल लेंगे बोतल में
कह रविकर समझाय, बहुत धंधे में पक्के
बने रनिंग-स्टाफ, सभी ये चोर - उचक्के
बने रनिंग-स्टाफ, सभी ये चोर - उचक्के
आज के लिए बस इतना ही .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ......
10 टिप्पणियाँ:
बढ़िया लिंक्स के साथ शानदार वार्ता
वार्ता बहुत अच्छी लगी |वैसे तो अभी सरसरी निगाह ही डाली है |दोपहर के लिए बहुत सी लिंक्स हैं |बधाई
आशा
nice links
सुन्दर वार्ता... खुबसूरत लिंक्स...
सादर आभार...
मेरे ब्लाग पर वार्ता के लिए आभार।
Bahut badhiya varta sangita ji.
Kafi sare link samet lie .... abhar
Criket Hara -- hocky jita :)
देश तो सचमुच बदल रहा है और उसी के साथ ब्लॉगर भी बदल रहे हैं, यह अच्छी बात है।
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क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
BAHUT SUNDAR AUR ROCHAK VARTA.
बढ़िया रोचक वार्ता.
संगीताजी आभार।
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