ललित शर्मा का नमस्कार, चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर ...... सबसे पहले ताज़ा समाचार ...है इस प्रकार .... - *आज का ताज़ा समाचार .....* *देश के कई इलाकों में * *भूकंप आ गया |* *जगह - जगह * *दरारें पड़ गईं |* *ऊँची इमारतें हिल गईं |* *मज़बूत ज़मीनें * *खिसक गईं |* *मो...मौन समर्थन - *मौन समर्थन*** * **प्रेम सागर सिंह*** * * *जब भी नैराश्य की कालिमा* *में* *खोने लगता हूँ*** *जब लगने लगता है- निरूद्देश्य भटकता हूँ,*** *जब मन भर आता ...सिर्फ औरत नहीं हूँ मैं !! - कभी गुलाब कभी रात-रानी हूँ मैं फूल हूँ फूलों में खुशबू भी हूँ मैं ! कभी मुहब्बत कभी मुहब्बत की रश्में हूँ मैं भोर की किरणें रात की चांदनी हूँ मैं ! कभी धरा...दीप्ति परमार की कविताएँ - आम आदमी आम आदमी का जीवनआम आदमी की जरूरतआम आदमी का भविष्य आम आदमी की योजनाआम आदमी का जनादेश आम आदमी के लिए रोजगार आम आदमी के लिए सुविधाएँआम आदमी के लिए भविष...
जब धरती डोलती है - राहत कर्मियों के साथ मैं। मेरे कैमरे से एक पत्रकार ने यह तस्वीर उतारी थी। वे महाराष्ट्र के गांवकरी अखबार से वहां आए थे देश के बडे हिस्से में...इसका शीर्षक आप ही दीजिए - *यह सब अनूठी, अनपेक्षित, विचित्र और उल्लेखनीय भले ही न हो किन्तु ‘लेखनीय’ और प्रथमदृष्टया रोचक तो है ही। * *आयु में मुझसे छोटे किन्तु मेरे संरक्षक की भूमिक...मद्धम-मद्धम ..धीरे- धीरे ..धीरे -धीरे ...!! - कुछ कहता है ... मेरा मन ...बहता है .. जीवन की धारा के संग ... मद्धम-मद्धम ..धीरे- धीरे ...धीरे -धीरे ...!! जैसे लौट आया है ... फिर आया है ... बचपन का वो र...उपवास-1, एकादशी महात्म्य - मैं ने बचपन से ही घर के बड़ों को एकादशी का उपवास करते देखा। हर एकादशी को वे भोजन नहीं करते। केवल दूध, चाय और पानी पीते। दुपहरी कट जाने के बाद अम्माँ ...तन्हा... - वो भी मेरी तरह उस शहर में तन्हा होगा रोशनी खत्म ना हो, आगे अंधेरा होगा। ये प्यास जिस नहर से टकराई, वो बंजर निकली जिसको पीछे छोड़ा, शायद वही दरिया होगा। ..
वो मुझे आज़माने लगे हैं! - तब से वो मुझे आज़माने लगे हैं! गैर जो उनके घर आने जाने लगे हैं!! खारों की रफकत हुई उस दिन से! नज़रें वो जब से चुराने लगे हैं!! देज़ो जो, रंगत मिली फीकी फी...नक्श-ऐ-दिल - ● नक्श-ऐ-दिल ● © जन्मों की क्या बात कह दी तुमने , नक्श हुए तुम इस कदर दिल पर || हम क़यामत तक छिपा कर रखेंगे , रूह पर खुदे इन नाजुक हर्फों को || ● जोगेंद...जीवन क्या है - जीवन क्या है कौन जानता, जीवन क्या है श्वासों का आना-जाना है ? जन्म से मृत्यु की घड़ियों में स्वयं से प्रीत बढाना है ? जग तो इक आईना ही हैजिसमें खुद की झलक...बिन भूकम्प यहाँ डोले धरती ! - फैक्ट्री की सुबह की पाली शुरू होने से पहले सुखीराम के टपरे में कुछ मजदूर चाय-भजिये के साथ आज का अखबार देख रहे थे. सुर्ख़ियों में देश क...श्रीखण्ड यात्रा- तैयारी और सावधानी - श्रीखण्ड महादेव हिमाचल प्रदेश में रामपुर बुशहर के पास एक 5200 मीटर ऊंची चोटी है। इतनी ऊंचाई तक चढना हर किसी के बस की बात नहीं होती। वे लोग तो बिल्कुल भी ..
पुराने दोस्त , पुरानी यादें,, नई ताज़गी के साथ... - पिछले दिनों कविता के रूप सौन्दर्य को एक नहीं , दो नहीं तीन बार निहारा, सराहा...शायद एक दो बार और कविता के सागर में डूबना हो....डूब कर जो भी मोती हाथ लगे...मानवाधिकार घोषणा पत्र -कोई मनुष्य किसी का दास नहीं हैसभी मनुष्य अपने अधिकारों के लिए जन्मजात स्वतंत्र और समान हैं। घोषणापत्र में निर्धारित मानवाधिकार हर नस्ल, राष्ट्रीयता, धर्म औ...ओ शिखर पुरुष - ओ शिखर पुरुष, हिमालय से भी ऊंचे हो तुम और मैं दूर से निहारती, सराहती क्या कभी छू पाऊँगी तुम्हे, तुम गर्वित मस्तक उठाये देखते हो सिर्फ आकाश को, जहाँ...रात की झिड़कियां -जब जब मैं हठी की तरह सोती नहीं करवटें बदलती हूँ यादों की सांकलें खटखटाती हूँ - चिड़िया घोंसले से झांकती है चाँद खिड़की से लगकर निहारता है हवाओं की साँसे...पराजित और अपमानित होना स्त्री की नियति है - कोई लाख कहे हम इक्कीसवीं सदी में आ गए हैं और चाँद पर भी पहुँच गए हैं , लेकिन सच तो ये है की हम शताब्दियों पीछे जा रहे हैं। स्त्री का समाज में स्थान , ग्रंथ...गवारा - काँपी धरती ह्रदय भी काँपा मौत के ख़तरे को हम सभी ने भाँपा तन-मन जोर से डोला फिर सच ने वही अपना राज़ खोला जिस घर के लिए दुश्मन हुए भाई नाते-रिश्तों की खू...
डेशबोर्ड पर पड़ा घुँघरू - गाड़ी के शीशे बंद थे, म्यूजिक ऑफ, घर से निकलते ही पहले मोड़ पर घुँघरू की आवाज़, जैसे बगल वाली सीट पर वह बैठी हो और.. उसे लगा शायद उसका वहम है, वह रात को २ ...- हिंदी की अविरल धारा *बालकोनगर *में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी *हिंदी दिवस* पर साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अविरल धारा बहती रही. भारत एल्यूमिनियम कंप...समझो गर तुम -शिकायत नहीं है वफ़ा से तुम्हारी फिर भी तन्हाइयों के पास हूँ | उलझी हूँ अपनी ही कुछ बातों से फिर भी तो जिन्..सखी मन्नू बहुत ही कमात है महंगाई डायन खाये जात है -मित्रो आपके खासमखास याने दवे जी नाम के फ़ोकटचंद सलाहकार को दस धनपथ से बुलावा आया स्वयं सोनिया जी का। जाकर बैठे ही थे कि सोनिया जी गुनगुनाते हुये कमरे में प...आइये चले मेरे साथ छिंदवाड़ा स्थित श्री बादल भोई जनजातीय संग्रहालय...... संजय भास्कर- इस बार मैंने अपने ननिहाल से जुडी कुछ यादों के बारे लिखा है ! छिंदवाड़ा जिले का सबसे पुराना *जनजातीय संग्रहालय* जब मैंने इसे पहली बार देखा तो देखता ही रह ...लोदी का उपवास - चचा अखबारी की गप्पशाला - किसी बड़े शहर के पार्क में टहलते हुए, कस्बे की चाय की दुकान पर ठल्ले बैठे, गाँव के चौपाल पर सजी महफिल में या फिर काशी के अस्सी में, एक शख्स अक्सर मिल जाते ...
मिलते हैं अगली वार्ता में, ब्रेक के बाद............ राम राम
17 टिप्पणियाँ:
अच्छी लिंक्स दी हैं आज महगाई डायना खाए जात है अच्छी लगी |छिंदवाडा का जनजातीय संग्रहालय
की अच्छी जानकारी मिली है संजय भास्कर जी की रचना से |
आशा
आपके चर्चा का अंदाज ही अलग है।
काफी बढ़िया लिंक्स मिल गए.....आभार
बढ़िया लिंक्स देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
मेरी पोस्ट को ब्लॉग4वार्ता पर में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी बेहद आभारी हूं..........!
... prashanshaneey charchaayen !!
... aabhaar, lalit bhaai !!
ढेर सारे लिंक्स .शानदार प्रस्तुतिकरण . आभार .
जय हो गुरू देव चेले की पोस्ट लगाने के लिये आभार
धन्यवाद।
ललित जी
नमस्कार
http://blogabhanpur.blogspot.com/ पर , ,मैं मेरे तीन चिठठे जोडने के लिये मैं आपको यहाँ लिंक्स दे रहा हूँ .
धन्यवाद.
http://poemsofvijay.blogspot.com/
http://spiritualityofsoul.blogspot.com/
http://shrisaibabaofshirdi.blogspot.com/
आपका
विजय
हैदराबाद
पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ, कई लिंक्स को एक साथ प्रस्तुत करने का अच्छा अंदाज है आपका, आभार !
आभार ललित भाई!!
behtrin charcha... dikash andaaz..
बेहतरीन लिंक्स से सजी वार्ता।
अच्छी लिंक्स...
जीवन के विविध रंगों से भरी हुई वार्ता ......
ब्लोगोदय में मेरे इस ब्लॉग का अपडेट नहीं आ रहा , कृपया शामिल करें ...
http://rashifal.gatyatmakjyotish.com/
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