मंगलवार, 13 सितंबर 2011

कागद हो तो हर कोई बांचै------ ब्लॉग4वार्ता-----ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, अंतर्जाल पर हिन्दी भाषा के अतिरिक्त अन्य प्रादेशिक भाषाओं के चिट्ठों की तादात भी बढ़ रही है जिनमे राजस्थानी प्रमुख है. भले ही इसे भाषा का दर्जा न मिला पर एक बड़े भू भाग पर बोली जाती है. जब मैं नेट पर आया तो राजस्थानी के रुप में मेरा पहला परिचय रतनसिंह शेखावत जी से हुआ. उनका ब्लॉग ज्ञान दर्पण मिला, फिर मेरी शेखावाटी नरेश सिंह राठौड़ जी से मुलाकात हुई और फिर माली गाँव का ब्लॉगर सुरेनद्र सिंह भांभु से नेट पर मुलाकात हुई, वैसे राजस्थान से ब्लॉगर अन्य भी हैं पर वे हिन्दी भाषा के हैं आज वार्ता पर सिर्फ राजस्थानी भाषा के ब्लॉग लिंक दिए जा रहे हैं. आइए चलते हैं आज की ब्लॉग४वार्ता पर...............

राजस्थानी के ब्लॉग जो अभी तक सामने आएं हैं, उनमें राजस्थान की भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के साथ-साथ दूसरे विषयों की जानकारी भी देखने में आती हैं। इंटरनेट पर राजस्थानी कीजो वेब-पत्रिकाएं सामने आई हैं, वे इस प्रकार हैं- सत्यनारायण सोनी और विनोद स्वामी संपादित 'आपणी भाषा-आपणी बात'  राव गुमानसिंह राठौड़ का 'राजस्थानी ओळखांण', नरेन्द्र व्यास का 'आखर अलख' व 'आखर कलश', दुर्गाप्रसाद अग्रवाल का 'जोग-लिखी', पतासी काकी का 'ठेठ देशी', नीरज दईया की मासिक वेब पत्रिका 'नेगचार', मायामृग का 'बोधि वृक्ष', राजस्थानी कविता कोश, जिसके संचालक प्रेमचंद गांधी हैं। 

राजस्थानी के रचनाकारों के ब्लॉग में ओम पुरोहित 'कागद' का 'कागद हो तो हर कोई बांचै' रामस्वरूप किसान की राजस्थानी कहानियों का ब्लॉग, संदीप मील का 'राजस्थानी हाईकू' 'बहती धारा' राव गुमानसिंह राठौड़ के 'राजिया रा दूहा' , 'सुणतर संदेश', सत्यनारायण सोनी की राजस्थानी कहानियों का 'धान कथावां', शिवराज भारतीय का 'ओळूं' , संग्राम सिंह राठौड़ का 'स्व. चंद्रसिंह बिरकाळी री रचनावां', डॉ. मदनगोपाल लढ़ा का 'मनवार', पूर्ण शर्मा 'पूरण' का 'मायड़ भाषा' , जितेन्द्र कुमार सोनी (आई.ए.एस.) का'मुळकती माटी', कवि अमृतवाणी का 'राजस्थानी कविता कोश', डॉ. नीरज दईया के 'सांवर दईया''राजस्थानी कवितावां''नेगचार''राजस्थानी ब्लॉगर'व 'अनुसिरजण', डॉ. दुष्यंत का 'रेतराग', रवि पुरोहित का'राजस्थली', दीनदयाल शर्मा के 'टाबर टोळी', राजेन्द्र स्वर्णकार का 'शस्वरं', अंकिता पुरोहित का 'कागदांश', किरण राजपुरोहित 'नितिला' का ''सिणगार''भोर की पहली किरण', संतोष पारीक का 'सांडवा', अजय परलीका का'भटनेर'व राजस्थानी गीतों का संग्रह 'बुगचो', दुलाराम सहारण के 'हरावळ''साहित्यकार दर्शन','आगीवांण' , 'हेलो' व 'पोथीखानो', नंद भारद्वाज का 'हथाई', पुखराज जांगिड़ का 'जय रामधनी', मोनिका शर्मा के 'तीज तैंवार' व 'मेरी परवाज',शिवराज गूजर के 'सिनेमा फेस्टिवल'व 'मेरी डायरी', हरीश बी. शर्मा का 'मरूगंधा' , अलबेला खत्री का 'म्हारो प्यारो राजस्थान', उम्मेद गोठवाळ का 'अभिव्यक्ति', कुमार गणेश का'रेजगार', चैनसिंह शेखावत का 'मायड़ रो गोथळियो', जोगेश्वर गर्ग का 'गूंगै रा गीत', सोहनलाल रांका का 'कवि सहज', डॉ. मदन सैनी, डॉ. मंगत बादलराजूराम बिजारणियांकविता किरणराजेश चड्ढ़ा, सवाई सिंह शेखावत, संजय पुरोहित, सुनील गज्जाणी, हरीश भादाणीकिशोर पारीककृष्णा कुमारीचंद्र प्रकाश देवलनिशांतपुरूषोत्तम यकीनबिहारी शरण पारीकमणि मधुकरमनोज कुमार स्वामी,मालचंद तिवाड़ीरामेश्वर गोदारा 'ग्रामीण'लीटू कल्पनाकांत 
आदि।


इंटरनेट पर राजस्थानी की मूल रचनाएं तथा अनूदित रचनाएं बहुत-सी पत्रिकाओं में निरंतर छपती रहती हैं। जिनमें-'हिन्दी कविता कोश', नरेश व्यास का 'आखर कलश', प्रेमचंद गांधी का 'प्रेम का दरिया', रविशंकर श्रीवास्तव का 'रचनाकार'राजस्थानी भाषा की मान्यता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के ब्लॉग भी हैं। जिनमें- कुंवर हनवंतसिंह राजपुरोहित के'मरुवाणी'व 'म्हारो मरुधर देश', विनोद सारस्वत का 'मायड़ रो हेलो', सागरचंद नाहर का 'राजस्थली', अजय कुमार सोनी के 'मायड़ रा लाल''राजस्थानी रांधण', राजस्थानी गीत गायक प्रकाश गांधी और जितेन्द्र कुमार सोनी के भी राजस्थानी ब्लॉग हैं। राजस्थान के बारे में संपूर्ण जानकारियों को राजस्थानी भाषा में प्रस्तुत करने वाली प्रमुख वेब साईट- 'आपांणो राजस्थान'है, जिसे इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सुरेन्द्र सिंह पोकरणा संचालित कर रहे हैं।इंटरनेट पर कई गांवों के भी ब्लॉग हैं जो राजस्थानी में हैं- सत्य दीप का 'मेरो गाँव', रतन सिंह शेखावत का 'मेरा गांव भगतपुरा' की माध्यम भाषा तो हिन्दी है, परन्तु राजस्थानी चित्र व ऑडिया-वीडियो भी हैं। 

अब तो अत्यंत खुशी की बात है कि जल्द ही ऑनलाइन राजस्थानी टेलिविजन और रेडियो खुलने वाले हैं। जिन पर राजस्थानी में ही प्रसारण किया जाएगा। जिसकी पहुंच प्रवासी राजस्थानियों तक भी होगी। ऑनलाइन राजस्थानी टेलिविजन बतौर प्रयोग शुरू कर दिया गया है, जिसमें अभी रोजाना राजस्थानी गीत लगाए जाते हैं। इसका नाम अभी 'मरुवाणी'रखा गया है और इसके सूत्रधार कुंवर हनवंतसिंह राजपुरोहित हैं जो लंदन में अपना कारोबार करते हैं।


वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद ‍‍ ........  राम राम

8 टिप्पणियाँ:

राजस्थानी भाषा के विभिन्न ब्लॉग्स की जानकारी के लिए आभार.

राजस्थानी भाषा व राजस्थान के ब्लोग्स की बढ़िया जानकारी दी आपने आज की इस ब्लॉग वार्ता में | आभार|

आज आपको सेल्यूट कर रहा हूँ ........!

राजस्थानी वार्ता...खूब रही.आभार.

राजस्थानी भाषा के चर्चा युक्त ब्लॉग से राजस्थानी भाषा के ब्लॉगों की जानकारी मिली आपका बहुत बहुत आभार

http://anjoria.com/?p=3871 पर भी कभी राजस्थानी के बहाने भोजपुरी चिन्तन की बात आई थी।

वार्ता..राजस्थानी..बहुत .खूब ,आभार.

राजस्थानी ब्लोग्स की बढ़िया जानकारी...

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