सोमवार, 17 जनवरी 2011

अखबार ले रहे हैं ब्लागों को हाथों हाथ /ज्ञानरंजन जी करेंगे समीर लाल की कृति ’ देख लूं तो चलूँ’ का अंतरिम विमोचन

                          एक नई जानकारी प्रदर्शित हुई है, जिसका शीर्षक है 'क्या है ब्लॉगिंग?: अमर उजाला में डिजिटल कॉर्नर का खुलासा'व्हाया नुक्कड़ देखिये ये पोस्ट जी इसके अलावा आज़ फ़िर गौरव सोलंकी की कहानी "चालीस"  ओर यश भारत जबलपुर में खूब छपे ब्लोगर्स किन्ही सुशांत दुबे जी, का आभार जिनने खटीमा पर आलेख दिया. इसी ब्लाग में विष्णु बैरागी जी छपे राजा व्यापारी : प्रज़ा भिखारी, 




रस्तोगी साहब की पोस्ट देखिये "ब्लॉगरी में भी विकृत मानसिकता" यह  चिंता ज़ायज़ है हो भी क्यों न इसे नकारिये गा क्या:-""जितना समय दूसरे ब्लॉगर की टांग खींचने उनकी टिप्पणियों में अनर्गल पोस्ट लिखने में लगा रहे हैं उतना समय अगर किसी अच्छे विषय पर या अपनी दिनचर्या से कोई एक अच्छा सा पल लिखने में लगाते तो शायद उससे पाठक ज्यादा आकर्षित होते। परंतु कैसे स्टॉर ब्लॉगर बनें और कैसे ब्लॉगरों की टाँग खींचे ये सब प्रपंच कोई इन विकृत मानसिकता वाले ब्लॉगर्स से सीखें।"
राष्ट्रीय सहारा में नई किरन
16 जनवरी 2011 को राष्ट्रीय सहारा के रविवारीय परिशिष्ट ‘आधी दुनिया’ में नई किरन की सवाल उठाती पोस्ट
छत्तीसगढ़ में मेरे दिल की बात
16 जनवरी 2011 को छत्तीसगढ़ के चौपाल स्तंभ में मेरे दिल की बात कह्ते स्वराज करूण
Posted: 16 Jan 2011 03:30 AM PST
दैनिक देशबन्धु में कबाड़खाना
16 जनवरी 2011 को दैनिक देशबन्धु में मकर संक्रांति की आदिम परम्परा बतलाते कबाड़खाना की पोस्ट
दैनिक जागरण में विदूषक, बेवफ़ाई, सच्चाई का आइना
16 जनवरी 2011 को दैनिक जागरण के सम्पादकीय पृष्ठ पर विदूषक, बेवफ़ाई, सच्चाई का आइना के पोस्ट सारांश
स्वाभिमान टाईम्स में हस्तक्षेप
16 जनवरी 2011 को स्वाभिमान टाईम्स के नियमित स्तंभ ‘अन्तर्जाल’ में हस्तक्षेप बाज़ार में खिलाड़ियों का
iNext में अपनी बात
15 जनवरी 2011 को iNext के साप्ताहिक स्तंभ ‘ब्लॉग श्लॉग’ में अपनी बात कहते हुए शीतानुकूलित ब्लॉगर वन्दना अवस्थी दुबे
दैनिक छत्तीसगढ़ में भड़ास

आज़ एक खास खबर ये है कि :-
  1. ज्ञानरंजन जी करेंगे समीर लाल की कृति ’ देख लूं तो चलूँ’ का अंतरिम विमोचन"
  2. शोभना वैलफेयर सोसाइटी रजि. ने मकर संक्रांति पर गरीबों को बांटे कंबल
  3. राज्य सभा में आप याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं ।
  4. गंगा में विदेशी मछलियों का डेरा
  5. हर घर में हो रहा है ‘सच से सामना’
  खास सवाल:-  
  1. क्या आदर्श की बिल्डिंग तोड़ देना ही काफ़ी है?  
  खास ऐलान :-अब कमर कसके उठाना ही पड़ेगा...अन्यायियों के खिलाफ 


चलते चलते .................दो गज़ल
एक टूटे हुए दिल की है बस इतनी-सी कहानी
[Shrddha24.JPG]


शीशे के बदन को मिली पत्थर की निशानी
टूटे हुए दिल की है बस इतनी-सी कहानी


फिर कोई कबीले से कहीं दूर चला है
बग़िया में किसी फूल पे आई है जवानी


कुछ आँखें किसी दूर के मंज़र पर टिकी हैं
कुछ आँखों से हटती नहीं तस्वीर पुरानी

फिर भूलूं, क्यूं याद करूं..


मैं तारे भी तोड़ लाता आसमां में जाकर,
तुम ही छिटक के दूसरे का चांद हो गईं।


घनघोर घटाटोप* से मुझको कहां था डर,
तुम ही चमक के दूर की बरसात हो गईं।


पंकज शुक्ल 

12 टिप्पणियाँ:

गिरीश बिल्लोरे जी आपने तो आज की वार्ता में बहुत उपयोगी चर्चा की है!

आपकी कल्पनाशीलता का भी जवाब नहीं गिरीश भाई । बहुत कमाल का अंदाज़ । और हां आपने सच कहा कि अखबार अब नहीं कर सकेंगे नज़रअंदाज़ हिंदी ब्लॉगिंग को । बढिया वार्ता ।
मेरा नया ठिकाना

अति हो गई ये तो उत्तम लिंक्स की याने के अति उत्तम :-)

जय हो ... जय हो ... गिरीश दादा की जय हो ... मस्त वार्ता लगे है आज आपने ! मज़ा आ गया !

बहुत ही सुन्दर और सार्थक वार्ता की है।

यह अंक कुछ हट कर और अच्छा लगा.

एक अलग अंदाज़, भा गया

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