रविवार, 2 जनवरी 2011

हंसने हंसाने के साथ रंग बिरंगे फूल चुने --- ब्लॉग4वार्ता ------ ललित शर्मा

नमस्कार, आज वार्ता में विलंब हो गया। फ़टा फ़ट चलते हैं कुछ उम्दा लिंक्स पर।

राहुल सिंग कह रहे हैं नया-पुराना साल बड़ा पक्षपाती है, यह काल का पहिया, जिसे चाहे अल्पावधि में उन्नति के शिखर पर ले जाकर बिठा दे और जिसे चाहे, पतन के गर्त में गिराकर नेस्तनाबूद कर दे, किन्तु इसकी निर्लिप्तता भी प्रशंसनीय है, इसके नीचे चाहे को... अवधिया जी ने नया साल मुबारक!कहा है ... मगर ...  आगे की सुनिए....आप सोच रहे होंगे कि ये 'मुबारकबाद' के साथ 'मगर'? पर मैं भी क्या करूँ? जहाँ आपको मुबारकबाद देते हुए मुझे खुशी हो रही है वहीं यह सोचकर मेरे हृदय में पीड़ा भी हो रही है किः - हमने कैसे अपने स्वयं के साल को...

डॉक्टर दराल कह रहे हैं -नए वर्ष में कुछ भी हो , लेकिन क्यों न हम नव वर्ष का स्वागत हंसने हंसाने के साथ करेंएक और वर्ष बीत गया । अगर सोचें कि गत वर्ष में क्या खोया , क्या पाया तो यही लगता है कि पाया भी बहुत और खोया भी बहुत । अब फिर एक नया वर्ष , नई आशाओं के साथ पधार चुका है । नए वर्ष में कुछ भी हो , लेकिन क्य...अब न रहे वो पीने वाले ,अब न रही वह मधुशाला ब्लॉग अस्मिता पर एक पोस्ट है। जब सुख तक चला गया तो इस दुःख की तो क्या औकात है!अरे!बस थोड़े से दिनों की तो ओर बात है,* * देखो साल बदला है.....* *तो हाल क्यों नहीं बदलेगा!* *जब सुख तक चला गया तो **इस दुःख की तो क्या औकात है!* *रोशनिया तक खो जाती है तो* *परछाइयों की क्या बिसात है!* *सच ...

नया साल है चलो कुछ नया ठोक दें !! कल तक हमें पता नहीं था, कि हम कहाँ हैं चलो आज का दिन खुशनुमा है, हम यहाँ हैं ! ........... सर्द हवाएं और है कडकडाती ठंड गुनगुनी धूप संग बिखरा सवेरा ! ........... न जाने, कौन है, जो मेरी राहों को तकता है गुज...रंगशिल्‍पी राष्‍ट्रीय नाट्य समारोह - 2010 : आप सभी आमंत्रित हैं अवश्य पहुंचे रंगा रंग कार्यक्रम है, साथ में खाना-पीना मुफ़्त, ब्लॉगर के लिए विशेष सुविधा।ताऊ पहेली - 107प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों आप सबको शनिवार की घणी राम राम और साथ ही आज नये साल 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं. साल 2011 की प्रथम और ताऊ पहेली के *अंक 107 *में आपका हार्दिक स्वागत है. 

थोड़ी सी शराब और बहुत सा सुकून बरसे...ये बेदखली का साल था. हर कोई अपनी ज़िन्दगी में छुअन के नर्म अहसासों को तकनीक से रिप्लेस करता रहा. सौन्दर्यबोध भी एप्लीकेशंस का मोहताज हो गया था. हमने अपनी पसंद के भविष्यवक्ता और प्रेरणादायी वक्तव्य पहुँचाने...द फ़र्स्ट डे प्रोमो ऑफ़ २०११ , पोस्ट झलकियां ….भईया जी ..इश्माईलआप सबको वर्ष २०११ के शुभआगमन पर बहुत बहुत शुभकामनाएं WEDNESDAY, DECEMBER 29, 2010 'ईश्क का मंजन' गीत का भावार्थ प्रस्तुत मादक गीत हिन्दी सिनेमा जगत की आने वाली बहुचर्चित फिल्म 'यमला पगला ...

"बहुत जी चुके खुद की खातिर"बहुत जी चुके खुद की खातिर,अब गैरों के हो,  मर जाइए। जमाना अक़्लमंद हैं आप से,चंद अक्ल जमाने को,  दे जाइए।  फकर हो चमन को जिस पर,फूल ऐसा अपनी खाक पर, खिला जाइए। जमाना तो तमाशबीन रहा हमेशा,वीरान चेहरों को आप ह...मेरे बाबा ....स्कूल जाते वक्त हाथ थाम रखा था अपने बाबा का, इक छोटी सी बच्ची ने, कितना रोई थी वो स्कूल पहुँच कर, मत जाओ बाबा मुझे नहीं रहना यहाँ, क्या आप मेरे साथ नहीं रह सकते ? नहीं बेटा अभी मुझे जाना बहुत सारे...

और कहाँ कुछ माँगा था...सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...जल्दी ही आप सभी को पढ़ भी पाऊँगा... जीने की कुछ उम्मीदें दो, और कहाँ कुछ माँगा था... थोड़ी सी अपनी साँसें दो, और कहाँ कुछ माँगा था... गंगा जमुना छुपी रहें पर, लब ये च...आज रानी विशाल, अरविन्द श्रीवास्तव, संजीव कुमार सिन्हा का जनमदिन हैआज, 2 जनवरी को - काव्य तरंग वालीं रानी विशाल - जनशब्द व कोसी खबर वाले अरविन्द श्रीवास्तव - हितचिन्तक व जनादेश वाले संजीव कुमार सिन्हा का जनमदिन है। * * *बधाई व शुभकामनाएँ*

कौन कहता है आसमां में छेद नहीं हो सकता? मिलिए पुष्पेन्द्र से पौष का महीना था, कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। घर के लोग अलाव जला कर खुद को गर्म रख रहे थे। तभी साथ के कमरे से बालक के रोने की आवाज आई। आवाज सुनकर सारा घर खुशी से झूम उठा। तभी दाई ने खबर दी– “गुरुजी लड़का हुआ है...उत्तर भारत की यात्रा: एक दूसरे से पहली बार मिले चार ब्लॉगरों की लम्बी बैठक लुधियाना स्टेशन पर 15 दिसम्बर की दोपहर पं डी के शर्मा 'वत्स' जी से मुलाकातकर, 16 दिसम्बर की सुबह दिल्ली के एसीपी से पंगा लेने ना लेने का विचार करते हुए मैं अपने मोबाईल पर जीपीएस मोहतरमा की बदौलत सूटकेस उठा...

रंग बिरंगे फूल चुनेरंग बिरंगे फूल चुने , चुन चुन कर माला बना , रोली चावल और नैवेध से , थाली खूब सजाई है , यह नहीं केवल आकर्षण , प्रवल भावना है मेरी , माला में गूथे गए फूल , कई बागों से चुन चुन , नाजुक हाथों से , सुई से धागे मे...सब्जियों-दालों की बढ़ती कीमतें सरकारी षड़यंत्रएक बार फिर से भारत में सब्जियों खासतौर पर प्याज, टमाटर और लहसुन की कीमतें आम आदमी की जेब में छेद करती दिख रही हैं. हालांकि केंद्र सरकार कोशिशों में लगी हुई है कि कीमतों को अर्श से वापस फर्श पर ना सही तो क...

नये साल का शोर क्यों?कुछ भी नया नहीं दिखता पर नये साल का शोर क्यों? बहुत दूर सत - संकल्पों से है मदिरा पर जोर क्यों? हरएक साल सब करे कामना हो समाज मानव जैसा दीप जलाते ही रहते पर अँधियारा घनघोर क्यों? अच्छाई है लोकतंत्र में सुन...नवा साल आगे रेनवा साल आगे रे, अपन जिनगी ल गढ़। मुड़ के पाछू मत देख, आघू-आघू बढ़॥ पहागे रात करिया,** आगे सोनहा फजर। सुरूज उत्ती म चढ़गे,** किसान खेत डहर॥ खोंदरा ले चिरइया बोलै, चींव-चींव अडबड़। नवा साल आगे रे, अपन जिनगी ल ...

वार्ता  को देते हैं विराम-राम राम मिलते हैं ब्रेक के बाद.................................

9 टिप्पणियाँ:

बढ़िया, बहुत से लिंक मिले जिन्हें पढ़ रहा

आभार

बहुत बढिया .. शुभकामनाएं !!

मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार |आपकी चौपाल खूब सजी है ,बधाई
आशा

आहाहा ..क्या बात है जी , बहुत खूब जमाए रहिए हुजूर ..। बढिया लिंक्स समेटे ललित भाई

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

बहुत बढिया .. शुभकामनाएं !

बहुत खूब दादा ... आभार इन लिंक्स के लिए !

बहुत सुंदर चर्चा जी , इब राम राम

एग्रीगेटर की कमी पूरी कर दी आपने.. शामिल करने के लिए आभार..

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